詩篇 1 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

詩篇 1:1-6

1

1なんと幸いでしょう。

悪者のたくらみに耳を貸したり、

罪人といっしょになって

神のことをさげすんだりしない人は。

2その人は、

主がお望みになることを何でも喜んで行い、

いつも、主の教えを思い巡らしては、

もっと主のみそばを歩もうと考えます。

3その人は、川のほとりに植えられた、

季節が来ると甘い実をつける木のようです。

その葉は決して枯れず、

その人のすることは、みな栄えます。

4しかし罪人には、逆の運命が待っています。

彼らは風に吹き飛ばされるもみがらのようで、

5神のさばきにたえず、

神に従う人とともに立つことはできません。

6主はご自分に従う人の行く道を、

守ってくださいますが、

神に背く者の行き着く先は滅びです。

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 1:1-6

प्रथम पुस्तक

स्तोत्र 1–41

स्तोत्र 1

1कैसा धन्य है वह पुरुष

जो दुष्टों की सम्मति का आचरण नहीं करता,

न पापियों के मार्ग पर खड़ा रहता

और न ही उपहास करनेवालों की बैठक में बैठता है,

2इसके विपरीत उसका उल्लास याहवेह की व्यवस्था का पालन करने में है,

उसी का मनन वह दिन-रात करता रहता है.

3वह बहती जलधाराओं के तट पर लगाए गए उस वृक्ष के समान है,

जो उपयुक्त ऋतु में फल देता है

जिसकी पत्तियां कभी मुरझाती नहीं.

ऐसा पुरुष जो कुछ करता है उसमें सफल होता है.

4किंतु दुष्ट ऐसे नहीं होते!

वे उस भूसे के समान होते हैं,

जिसे पवन उड़ा ले जाती है.

5तब दुष्ट न्याय में टिक नहीं पाएंगे,

और न ही पापी धर्मियों के मण्डली में.

6निश्चयतः याहवेह धर्मियों के आचरण को सुख समृद्धि से सम्पन्‍न करते हैं,

किंतु दुष्टों को उनका आचरण ही नष्ट कर डालेगा.