箴言 知恵の泉 12 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

箴言 知恵の泉 12:1-28

12

1人の言うことを聞く気がある人は、

知識を得ることができます。

叱責に耳をふさぐ者は愚か者です。

2主は正しい人を祝福し、悪人を罰します。

3悪いことをして成功する者はいません。

成功するのは正しい人だけです。

4良い妻は夫の誇り。

悪い妻は夫に肩身のせまい思いをさせ、

事ごとに足を引っ張ります。

5正しい人の考えは正直一筋ですが、

悪人はうそと偽りでこり固まっています。

6悪人は人を責め、神を恐れる人は人をかばいます。

7悪人の家は必ず滅び、

正しい人の家は最後まで存続します。

8見識のある人は、だれからも称賛され、

ひねくれ者はみんなに軽蔑されます。

9高慢で働きもせず、食べるにも事欠くより、

目立たない仕事でもまじめに働き、

食にありつくほうがまさっています。

10正しい人は自分の家畜にまで細かく気を配ります。

しかし神を恐れない人は、

うわべは親切そうでも思いやりがありません。

11こつこつ働けば生活は楽になります。

怠けて遊んでいるのは愚か者だけです。

12曲がった者は仲間の分け前まで欲しがり、

正しい人は自分の物をなげうってでも人を助けます。

13うそをつくとあとで苦しみますが、

正直者にはそんな心配はありません。

14ほんとうのことを言う人も、

こつこつ働く人も必ず報われます。

15愚か者は忠告を無視し、

知恵ある人は人のことばに耳を傾けます。

16愚か者はすぐ怒り、

知恵ある人は侮辱されても冷静です。

17正しい人かどうかは正直さでわかり、

不誠実な人はうそと欺きでわかります。

18批評好きは人を傷つけますが、

知恵ある人のことばは慰め、いやします。

19真実はいつまでも変わらず、

うそで塗り固めたものはすぐにはがれ落ちます。

20悪いことを企む者は、

人をだますことで頭がいっぱいです。

しかし、良いことをする人は、

いつも喜びに満たされています。

21正しい人はどんな災いにも会わず、

悪者には苦しみがつきまといます。

22主は約束を守る人を愛しますが、

約束を破る人はきらいです。

23知恵ある人は知っていても黙っていますが、

愚か者は言いふらして、愚かさをさらけ出します。

24勤勉な人は指導者になり、

怠け者はいつまでたっても成功しません。

25どんなに沈んでいる人も、

励ましのひと言で心が軽くなります。

26正しい人は友の助言を求めますが、

悪者は軽率に突き進んで失敗します。

27無精者は、捕らえた獲物を料理するのも面倒がります。

しかし勤勉な人は、見つけた物は少しもむだにせず、

うまく利用します。

28神を信じる人はいのちの道を歩いているので、

死を恐れることがありません。

Hindi Contemporary Version

सूक्ति संग्रह 12:1-28

1अनुशासन प्रिय व्यक्ति को बुद्धिमता से प्रेम है,

किंतु मूर्ख होता है वह, जिसे अप्रिय होती है सुधारना.

2धर्मी व्यक्ति को याहवेह की कृपादृष्टि प्राप्‍त हो जाती है,

किंतु जो दुष्कर्म की युक्ति करता रहता है, उसके लिए याहवेह का दंड नियत है.

3किसी को स्थिर करने में दुष्टता कोई भी योग नहीं देती,

किंतु धर्मी के मूल को कभी उखाड़ा नहीं जा सकता.

4अच्छे चाल-चलनवाली पत्नी अपने पति का शिरोमणि होती है, किंतु वह पत्नी,

जो पति के लिए लज्जा का विषय है, मानो पति की अस्थियों में लगा रोग है.

5धर्मी की धारणाएं न्याय संगत होती हैं,

किंतु दुष्ट व्यक्ति के परामर्श छल-कपट पूर्ण होते हैं.

6दुष्ट व्यक्ति के शब्द ही रक्तपात के लिए उच्चारे जाते हैं.

किंतु सज्जन व्यक्ति की बातें लोगों को छुड़ाने वाली होती हैं.

7बुराइयां उखाड़ फेंकी जाती हैं और उनकी स्मृति भी शेष नहीं रहती,

किंतु धार्मिक का परिवार स्थिर खड़ा रहता है.

8बुद्धिमान की बुद्धि उसे प्रशंसा प्रदान करती है,

किंतु कुटिल मनोवृत्ति के व्यक्ति को घृणित समझा जाता है.

9सामान्य व्यक्ति होकर भी सेवक रखने की क्षमता जिसे है,

वह उस व्यक्ति से श्रेष्ठतर है, जो बड़प्‍पन तो दिखाता है, किंतु खाने की रोटी का भी अभाव में है.

10धर्मी अपने पालतू पशु के जीवन का भी ध्यान रखता है,

किंतु दुर्जन द्वारा प्रदर्शित दया भी निर्दयता ही होती है.

11जो किसान अपनी भूमि की जुताई-गुड़ाई करता रहता है, उसे भोजन का अभाव नहीं होता,

किंतु जो व्यर्थ कार्यों में समय नष्ट करता है, निर्बुद्धि प्रमाणित होता है.

12दुष्ट बुराइयों द्वारा लूटी गई संपत्ति की लालसा करता है,

किंतु धर्मी की जड़ फलवंत होती है.

13बुरा व्यक्ति अपने ही मुख की बातों से फंस जाता है,

किंतु धर्मी संकट से बच निकलता है.

14समझदार शब्द कई लाभ लाते हैं,

और कड़ी मेहनत प्रतिफल लाती है.

15मूर्ख की दृष्टि में उसकी अपनी कार्यशैली योग्य लगती है,

किंतु ज्ञानवान परामर्श की विवेचना करता है.

16मूर्ख अपना क्रोध शीघ्र ही प्रकट करता है,

किंतु व्यवहार कुशल व्यक्ति अपमान को अनदेखा करता है.

17सत्यवादी की साक्ष्य सत्य ही होती है,

किंतु झूठा छलयुक्त साक्ष्य देता है.

18असावधानी में कहा गया शब्द तलवार समान बेध जाता है,

किंतु बुद्धिमान के शब्द चंगाई करने में सिद्ध होते हैं.

19सच्चाई के वचन चिरस्थायी सिद्ध होते हैं,

किंतु झूठ बोलने वाली जीभ पल भर की होती है!

20बुराई की युक्ति करनेवाले के हृदय में छल होता है,

किंतु जो मेल स्थापना का प्रयास करते हैं, हर्षित बने रहते हैं.

21धर्मी पर हानि का प्रभाव ही नहीं होता,

किंतु दुर्जन सदैव संकट का सामना करते रहते हैं.

22झूठ बोलनेवाले ओंठ याहवेह के समक्ष घृणास्पद हैं,

किंतु उनकी प्रसन्‍नता खराई में बनी रहती है.

23चतुर व्यक्ति ज्ञान को प्रगट नहीं करता,

किंतु मूर्ख के हृदय मूर्खता का प्रसार करता है.

24सावधान और परिश्रमी व्यक्ति शासक के पद तक उन्‍नत होता है,

किंतु आलसी व्यक्ति को गुलाम बनना पड़ता है.

25चिंता का बोझ किसी भी व्यक्ति को दबा छोड़ता है,

किंतु सांत्वना का मात्र एक शब्द उसमें आनंद को भर देता है.

26धर्मी अपने पड़ोसी के लिए मार्गदर्शक हो जाता है,

किंतु बुरे व्यक्ति का चालचलन उसे भटका देता है.

27आलसी के पास पकाने के लिए अन्‍न ही नहीं रह जाता,

किंतु परिश्रमी व्यक्ति के पास भरपूर संपत्ति जमा हो जाती है.

28धर्म का मार्ग ही जीवन है;

और उसके मार्ग पर अमरत्व है.