申命記 19 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

申命記 19:1-21

19

避難用の町

1あなたの神、主があなたのものになる地の国々をすべて滅ぼし、あなたがその町々に住むようになったら、 2-3避難用の町を三つ確保しなさい。過って人を殺した者が安全に逃げ込めるようにするためです。国を三つに区分し、各地域に一つずつ避難用の町を設けます。町に通じる道はよく補修しておきなさい。

4その町を設けるのは、たとえば次のような場合のためです。 5二人の人が森へ木を切りに行き、一人が木を切ろうと斧を振り上げたとたん、刃が柄から抜けて相手に当たり、運悪くその人は死んでしまった。そういう場合、避難用の町に逃げ込んで身を守るのです。 6-7だれも復讐はできません。これらの町は、どこに住む人でも必ず三つの町の一つには逃げ込めるように、距離をよく考えて町を選びなさい。でないと、町まで行かないうちに怒りに燃えた復讐する者に追いつかれ、殺されるかもしれません。過って殺しただけで死刑にならないのです。

8先祖への約束どおり、主が領土を広げ、約束の地を全部下さったら、 9避難用の町をさらに三つ増やしなさい。もっともそのためには、今日、私が与える律法をみな守り、あなたの神、主を愛し、主の言われるとおりに歩まなければなりません。 10避難用の町が十分にあれば、罪のない者が殺されることもなく、不法な処刑が行われた責任を取ることもなくなります。

11しかし、以前から憎んでいた相手を待ち伏せて殺した場合は、避難用の町に逃げ込んでもむだです。 12犯人の出身地に当たる町の長老が彼を連れ戻し、殺された者の復讐をする者に殺させなさい。 13容赦はいりません。イスラエルから人殺しを除き去りなさい。それはあなたがたのためになることです。

土地の境界線について

14あなたの神、主が与えてくださる地に着いたら、かってに境界線を動かして人の土地を盗んではいけません。

裁判の証人

15たった一人の証言で、人を有罪にしてはいけません。少なくとも二人、できるなら三人の証言が必要です。 16無実の人を捕まえて、罪を犯す現場を見たと偽証する者がいたら、 17その者と訴えられた者とを二人とも、その時に任に就いている祭司と裁判官のところへ連れて行きなさい。 18裁判官がよく調べた結果、偽証であることがはっきりしたら、 19訴えられた者が受けるはずだった刑を、反対に偽証人が受けることになります。こうして悪の根を取り除きなさい。 20それが見せしめとなり、だれも偽証しなくなるでしょう。 21みな自分の罪に見合う刑罰を受けるのです。いのちの代わりにはいのち、目の代わりには目、歯の代わりには歯、手の代わりには手、足の代わりには足で償われるのです。

Hindi Contemporary Version

व्यवस्था 19:1-21

शरण शहर संबंधित विधान

1जब याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर जनताओं को नाश करेंगे, जिनकी भूमि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें प्रदान कर रहे हैं, जिस भूमि से तुम उन्हें दूर कर दोगे, और उनके नगरों और घरों में जा बसोगे, 2तुम्हें उस देश में, जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें अधिकार करने के उद्देश्य से दे रहे हैं, अपने लिए तीन नगर अलग कर देने होंगे. 3तुम्हें अपने लिए मार्गों का निर्माण करना होगा. तुम पूरे भाग को, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें संपत्ति के रूप में प्रदान करेंगे, तीन भागों में बांटोगे, जिससे की हत्यारा पलायन कर यहां शरण ले सके.

4उस व्यक्ति के लिए, जो पलायन कर इन नगरों में आश्रय लेता है, कि वह जीवित रह सके, विधान यह है: यदि किसी व्यक्ति से अपने साथी की हत्या जानबूझकर नहीं होती, जिसके हृदय में उस साथी के प्रति घृणा नहीं थी. 5उदाहरणार्थ, जब कोई व्यक्ति अपने साथी के साथ कुल्हाड़ी ले वन में लकड़ी काटने गया हो, वह लकड़ी काटने के लिए कुल्हाड़ी का वार करता है और उसी समय कुल्हाड़ी बेंट से निकलकर उस साथी को जा लगती है, और उसकी मृत्यु हो जाती है, वह व्यक्ति पलायन कर इनमें से किसी एक नगर को चला जाए, कि उसके प्राण सुरक्षित रह सकें. 6नहीं तो, हत्या का बदला लेनेवाला क्रोध में उसका पीछा करे और मार्ग लंबा होने के कारण उसे पकड़कर उसकी हत्या ही कर डाले-जबकि वह मृत्यु दंड के योग्य नहीं था, क्योंकि उसके मन में मृतक के प्रति कोई बैर था ही नहीं. 7तब मेरा यह आदेश है, तुम्हें अपने लिए इस उद्देश्य से तीन नगर अलग करना ज़रूरी है.

8यदि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारी सीमा का आवर्धन करें; ठीक जैसी प्रतिज्ञा उन्होंने पूर्वजों से शपथ के साथ की थी, और वह तुम्हें वे सारे देश दे देते हैं, 9यदि तुम सावधानीपूर्वक इस पूरा आदेश का पालन करते हो, जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूं—याहवेह, अपने परमेश्वर से प्रेम करो और हमेशा उन्हीं की नीतियों का पालन करते रहो—तो तुम इन तीन नगरों के अलावा तीन अन्य नगर भी शामिल कर लोगे. 10परिणामस्वरूप तुम्हारे देश में, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें मीरास-स्वरूप प्रदान कर रहे हैं, तुम पर मनुष्य हत्या का दोष न आ पड़े और तुम्हारे बीच में किसी निर्दोष को मृत्यु दंड न दे दिया जाए.

11मगर यदि कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी के प्रति बैर के कारण घात लगाकर बैठकर उस पर प्रहार करके उसकी मृत्यु हो जाती है, तब वह इनमें से किसी एक नगर को पलायन कर जाता है, 12तब नगर के पुरनिए उसे वहां से लेकर मृत्यु दंड के लिए हत्या का बदला लेनेवाले को सौंप देंगे. 13तुम उस पर ज़रा भी कृपा नहीं करोगे. तुम्हें इस्राएल राष्ट्र में से निर्दोष की हत्या को शुद्ध करते हुए उसका दोष दूर करना है, कि तुम्हारा भला हो.

14उस देश में, जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें मीरास के रूप में दे रहे हैं, कि तुम इस पर अधिकार कर लो, तुम अपने पड़ोसी की उन सीमा-चिन्हों के साथ छेड़-छाड़ नहीं करोगे, जो पहले ही उनके पूर्वजों द्वारा तय की जा चुकी थी.

गवाही के नियम

15किसी व्यक्ति द्वारा किए गए किसी भी पाप के काम या पाप के बारे में सिर्फ एक व्यक्ति का गवाह होना स्वीकार नहीं हो सकता; एक बात की पुष्टि के लिए दो या तीन गवाहों की ज़रूरत होती है.

16यदि कोई झूठा गवाह उठकर किसी पर किसी गलत काम का आरोप लगाए, 17तो दोनों विवादी याहवेह के सामने और उन पुरोहितों और न्यायाध्यक्षों के सामने उपस्थित होंगे, जो उस अवसर पर न्यायी होंगे. 18न्यायाध्यक्ष बारीकी से पूछताछ करेंगे और यदि यह मालूम हो जाए, कि वह झूठा गवाह है और उसने अपने भाई पर झूठा आरोप लगाया है, 19तब तुम उसके साथ वही करोगे, जो उसके भाई के प्रति उसकी मंशा थी. अपने बीच की बुराई तुम इसी तरह से निकालोगे. 20बाकी लोग यह सुनकर डर जाएंगे और ऐसी स्थिति तुम्हारे बीच फिर कभी न होगी. 21इस विषय में कृपा दिखाई न जाए: प्राण का बदला प्राण से, आंख का आंख से, दांत का दांत से, हाथ का हाथ से, पैर का पैर से किया जाए.