民数記 5 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

民数記 5:1-31

5

汚れた者を遠ざける

1-2主はさらにモーセに告げて言われました。「ツァラアト(皮膚が冒され、汚れているとされた当時の疾患)の人、傷口のふさがらないけが人、死体にさわって汚れた者は、野営地から追放するように言いなさい。 3野営地が汚れないように、そのような者は男でも女でも遠ざけなさい。わたしがあなたがたの中に住んでいるからだ。」 4このことも、命じられたとおりに行われました。

罪の償い

5-6それから、主はまたモーセに告げて言われました。「男でも女でも、神を欺き、人に罪を犯した者は、 7罪を告白し、全額を被害者に弁償したうえで、さらに盗んだ額の二割を加えて支払わなければならない。 8被害者が死に、近親者もいない場合、その金は神のものであり、罪過を償うためにささげる雄の子羊とともに祭司に差し出す。 9-10イスラエルの人々が祭司のもとに持って来るささげる物はみな、祭司のものとなる。」

姦淫の疑いがある妻に関する指示

11-12また主は、こうも命じました。「人々に言いなさい。人妻が姦淫したにもかかわらず、 13現場を押さえることができず、証拠もなく証人もいない場合、 14また、夫が嫉妬のあまり妻を疑った場合、 15彼女を祭司のところへ連れて行きなさい。そのとき、油や香料を混ぜない大麦の粉を十分の一エパ(二・三リットル)持って行きなさい。それは、彼女が白か黒かをはっきりさせるためにささげる穀物の供え物である。

16祭司は彼女を主の前に連れて行きなさい。 17それから、土の器にきよい水を取り、それに幕屋の床のちりを混ぜる。 18さらに女の髪をほどかせ、夫の疑いが正しいかどうかを決めるために、女の手に供え物を載せる。そして、のろいをかける苦い水の入った水がめを持って女の前に立ち、 19女に身の潔白を誓わせてから、こう言いなさい。『夫以外の男と寝たことがなければ、この水を飲んでも何ともない。 20だが、もし姦淫したのであれば、 21-22あなたは主にのろわれる。その証拠に、ももは腐り、腹はふくれ上がるだろう。』そのとき、女は『それでもかまいません』と答える。

23祭司はのろいのことばを書きつけ、苦い水の中に洗い落とす。 24もし罪を犯していたなら、祭司が女にその水を飲ませると、彼女の体内で苦くなる。 25そのあと祭司は、女の手から供え物を取り、主に向かって揺り動かし、祭壇にささげなさい。 26それを一つかみ祭壇の上で焼き、女に水を飲ませなさい。 27女が罪を犯して身が汚れていれば、水は腹の中で苦くなり、腹はふくれ、ももは腐りだす。こうして、のろわれたことがはっきりする。 28しかし潔白であれば、害も受けず、まもなく子を宿すようになる。

29以上は、妻が姦淫したとき、 30または夫が嫉妬して妻を疑ったときの指示である。夫は妻を主の前に連れて行き、祭司は彼女を指示のとおりにさばくのだ。 31その結果、妻が恐ろしい病気にかかっても、それは妻の責任だから、夫はさばかれない。」

Hindi Contemporary Version

गणना 5:1-31

दूषण के संबंध में

1याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी, 2“इस्राएल के घराने को यह आज्ञा दो कि वे हर एक कुष्ठरोगी, हर एक ऐसे व्यक्ति को, जिसे स्राव हो रहा हो तथा हर एक को, जो किसी शव को छूने के कारण अशुद्ध हो चुका है, 3उसे शिविर के बाहर कर दें, चाहे वह स्त्री हो अथवा पुरुष; तुम इन्हें शिविर के बाहर इसलिये कर दोगे कि वह शिविर, जहां मैं इनके बीच निवास करता हूं, दूषित न हो जाए.” 4इस्राएल के घराने ने यही किया तथा ऊपर लिखे व्यक्तियों को शिविर के बाहर कर दिया; ठीक जैसा याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी थी. इस्राएल के घराने ने इस आज्ञा का पालन किया.

भूल के लिए प्रायश्चित

5याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी, 6“इस्राएल के घराने को यह सूचित करो: ‘जब कोई स्त्री अथवा पुरुष किसी के साथ गलत व्यवहार करता है, जो याहवेह के विरुद्ध विश्वासघात है, अर्थात् वह व्यक्ति दोषी है, 7तब वह अपना पाप स्वीकार करे, अपनी इस भूल की पूरी-पूरी भरपाई करे, तथा इसके अलावा उस राशि में उसका पांचवा अंश भी जोड़े और उस व्यक्ति को सौंप दे, जिसके साथ उसने यह दुर-व्यवहार किया है. 8किंतु उस स्थिति में, जब उस व्यक्ति का कोई संबंधी नहीं हो, जिसके साथ दुर-व्यवहार हुआ है, तब भरपाई याहवेह को दी जाए जिसे पुरोहित स्वीकार करेगा. यह उस मेढ़े के अतिरिक्त होगी, जो प्रायश्चित के लिए ठहराया जाता है. 9सारी पवित्र भेंट वस्तुओं से संबंधित सारा दसवां अंश, जो इस्राएल का घराना पुरोहित को दिया करता है, वह पुरोहित का होगा. 10इस प्रकार हर एक व्यक्ति द्वारा चढ़ाई गई पवित्र भेंटें पुरोहित की होंगी, जो कुछ कोई भी व्यक्ति पुरोहित को भेंट करता है, वह पुरोहित ही का हो जाता है.’ ”

व्यभिचार का परीक्षण

11इसके बाद याहवेह ने मोशेह को यह आज्ञा दी, 12“इस्राएल के घराने को यह सूचित करो: यदि किसी व्यक्ति की पत्नी बुरी चाल चलकर वैवाहिक जीवन में विश्वासघात कर देती है, 13किसी ने उससे संभोग किया है, और उसके पति को इस बात की कोई भी जानकारी नहीं है, तथा वह उजागर नहीं है, जबकि वह अपवित्र हो चुकी है, (किंतु इस विषय में कोई गवाह भी नहीं है. उसे संभोग करते हुए किसी ने भी नहीं देखा है), 14यदि पति को पत्नी पर संदेह हो जाता है, क्योंकि उसने स्वयं को अपवित्र कर लिया है. दूसरी स्थिति में, पति अपनी पत्नी पर संदेह करने लगता है, उसे पत्नी पर संदेह हो जाता है, जबकि पत्नी ने स्वयं को दूषित किया ही नहीं है, 15तब पति अपनी पत्नी को पुरोहित के सामने लाएगा. वह अपनी पत्नी से संबंधित भेंट चढ़ाने के लिए एक एफाह5:15 एक एफाह करीब 16 किलोग्राम का दसवां भाग जौ का आटा साथ लाएगा. वह इस पर न तो तेल उण्डेलेगा और न लोबान डालेगा, क्योंकि यह संदेह के लिए अर्पित की जा रही बलि है. यह स्मरण अन्‍नबलि है, अधर्म के स्मरण की बलि.

16“ ‘इसके बाद वह स्त्री को अपने निकट बुलाकर याहवेह के सामने खड़ा कर देगा. 17पुरोहित मिट्टी के पात्र में पवित्र जल लेकर साक्षी तंबू की भूमि पर से कुछ धूल लेकर उस जल में मिला देगा. 18फिर पुरोहित उस स्त्री को याहवेह के सामने खड़ा करेगा तथा उस स्त्री के बाल खोल देने की आज्ञा देगा. इसके बाद वह स्मरण की अन्‍नबलि उसके हाथों में दे देगा, जो वास्तव में संदेह की बलि है. पुरोहित के हाथों में इस समय वह कड़वाहट का जल होगा, जो शाप लगने का कारण होता है. 19पुरोहित उस स्त्री को शपथ लेने का आदेश देकर कहेगा, “अपने पति के साथ वैवाहिक जीवन में रहते हुए यदि किसी पराए पुरुष ने तुम्हारे साथ संभोग नहीं किया है तथा तुम यदि कुकर्म में अपवित्र नहीं हुई हो, तो इस कड़वाहट के जल से आनेवाले शाप का तुम पर कोई प्रभाव न होगा. 20किंतु, यदि अपने पति के साथ होते हुए भी, वैवाहिक जीवन में भ्रष्‍ट हो चुकी हो, यदि तुमने अपने पति के अलावा किसी पराए पुरुष से संभोग करने के द्वारा स्वयं को अपवित्र कर लिया है”— 21फिर पुरोहित उस स्त्री को शाप की शपथ लेने का आदेश देगा, और उससे कहेगा, “याहवेह लोगों के बीच तुम्हें इस झूठी शपथ का शाप बना दें, याहवेह तुम्हारी जांघ को गला दें, तुम्हारा पेट फूल जाए, 22जब तुम यह जल जो श्राप लानेवाला है, पियोगी तो तुम्हारा पेट फूल जाएगा, तथा तुम्हारी जांघ गल जाएगी.”

“ ‘वह स्त्री कहेगी, “आमेन, आमेन5:22 आमेन, आमेन अर्थ ऐसा ही हो, ऐसा ही हो.”

23“ ‘तब वह पुरोहित ये शाप एक चमड़े के पत्र पर लिख देगा और इन्हें उस कड़वाहट के जल में धो देगा. 24इसके बाद वह यह शाप लानेवाला कड़वाहट का जल उस स्त्री को पीने के लिए दे देगा; वह इसे पी लेगी और यह जल कड़वाहट पैदा कर देगा. 25फिर पुरोहित उस स्त्री के हाथों से वह संदेह की अन्‍नबलि ले लेगा तथा इसे याहवेह के सामने हिलाएगा और इसे वेदी पर ले जाएगा. 26वह इसमें से एक मुट्ठी भर स्मरण अन्‍नबलि लेकर वेदी की आग में डालकर इसे जलाएगा तथा उस स्त्री को वह जल पीने की आज्ञा देगा. 27जब वह उसे जल पिलाया जा चुके तब यह होगा, कि यदि उसने अपने वैवाहिक जीवन में विश्वासघात किया है; वह शाप लानेवाला जल उसके पेट में जाकर कड़वाहट पैदा करेगा, उसका पेट फूल जाएगा तथा उसकी जांघ गल जाएगी और वह स्त्री अपने लोगों के बीच शापित घोषित हो जाएगी. 28किंतु यदि उस स्त्री ने स्वयं को अपवित्र नहीं किया है, वह शुद्ध है, वह इससे निर्दोष होकर गर्भधारण करती रहेगी.

29“ ‘संदेह से संबंधित विधि यही होगी: यदि वैवाहिक जीवन में होते हुए कोई स्त्री भ्रष्‍ट होकर स्वयं को अपवित्र कर लेती है, 30अथवा यदि किसी पुरुष में अपनी पत्नी के प्रति संदेह के भाव पैदा हो जाते हैं, वह स्त्री को याहवेह के सामने उपस्थित करेगा तथा पुरोहित यह सारी प्रक्रिया की विधि उसके साथ पूरी करेगा. 31इसके अलावा, वह पुरुष दोष मुक्त रहेगा, किंतु वह स्त्री अपने अधर्म का भार स्वयं उठाएगी.’ ”