民数記 16 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

民数記 16:1-50

16

コラの反逆

1ある日のこと、レビのひ孫で、ケハテの孫に当たるイツハルの子コラは、ルベン族のエリアブの子ダタンとアビラム、それにペレテの子オンとともに、 2人々をそそのかしてモーセに逆らわせました。その支持者には、名の知れた二百五十人の指導者たちもいたのです。

3彼らは徒党を組み、モーセとアロンのところに来て、二人に盾突きました。「分を越えるのもいいかげんにしてほしい。二人の説教はもうたくさんだ、大した人物でもないくせに。われわれだって主に選ばれた者ではないか。主はわれわれみなの主だ。二人だけが特別に偉いのだろうか。そんなに威張る権利がどこにあるんだ。」

4これを聞くとモーセは、地にひれ伏しました。 5それから、コラとその仲間に言いました。「明日の朝、主は、だれが主の選んだ正しい指導者か、だれがきよく、だれが祭司かをはっきりさせてくださる。 6-7あした香炉を持って来て、主にささげる香をたきなさい。そうすれば、主がだれをお選びになったかわかるはずだ。レビの子たちよ、あなたがたこそ分を越えている。」

8-9さらに、モーセはコラに言いました。「イスラエルの神があなたを選び、おそばで幕屋の仕事をさせ、人々の前で奉仕させてくださるだけでは不足なのか。 10この仕事ができるのはレビ族だけだというのに、それでも不満なのか。だから、祭司の職を求めるのか。 11祭司になりたいばかりに、あなたは主に背いているのだ。アロンに不平ばかり並べたてるが、いったい彼が何をしたというのか。」

12モーセは続けて、エリアブの子ダタンとアビラムを呼びつけましたが、二人は来ようともしません。 13そのうえ、モーセの口まねをして言い返したのです。「あんたこそ、美しいエジプトからわれわれを連れ出して、こんなひどい荒野でのたれ死にさせるだけでは不足なんですか。それだけでは不満で、王様にでもなろうというのですか。とんでもないことだ。 14あんたは約束の国とかいうけっこうな地に、ちっとも連れて行ってくれないではないか。畑やぶどう畑をくれるって? もうだまされないぞ。ついて来いと言ったって行くものか!」

15モーセは激しく怒り、主に願いました。「あの者たちのいけにえを受け入れないでください。これまで私は、彼らのろば一頭さえ取り上げたこともなく、彼らを傷つけたこともないのに、あんな言いがかりをつけてくるのです。」

16それからコラに言いました。「明日、あなたもあなたの仲間全員も、アロンとともに主の前に出なさい。 17香を入れた香炉を忘れてはいけない。一人一つずつ二百五十個を用意し、あなたもアロンも自分のものを持って来なさい。」

18彼らはそのとおりにしました。香炉を持ち、火をつけ、モーセとアロンといっしょに幕屋の入口に立ちました。 19事の成り行きを見ようと、民がみな集まって来ました。コラは人々をけしかけ、モーセとアロンに逆らわせようとしました。と、その時、さっとあたりが明るくなり、 20神の声がとどろきました。 21「モーセとアロン、この者たちから離れなさい。わたしは今すぐこの者たちを滅ぼす。」

22しかし、モーセとアロンは主の前にひれ伏して願いました。「ああ、神様。世界にただおひとりの神様。たった一人の罪のために、すべての人を罰するのですか。」

23-24すると主は、モーセに答えました。「わかった。それなら、人々にコラとダタンとアビラムの天幕から離れるように言いなさい。」

25モーセは長老たちを従え、ダタンとアビラムの天幕(テント)の方に走って行き、 26叫びました。「急いでその天幕を離れなさい。彼らの持ち物にさわるな。さもないと、仲間ということで殺されてしまうぞ。」

27驚いた人々は、コラとダタンとアビラムの天幕から離れました。ダタンとアビラムは、妻や子どもたちを連れて天幕を出て入口に立ちました。 28モーセは宣言しました。「これから起こることを見れば、主が私を遣わされたことが、はっきりわかるだろう。私はこれまで、自分の考えでやってきたのではない。 29いいか、もしこの者たちがよくある事故や病気で死んだのなら、うそをついたのは私のほうだ。 30しかし、主が奇跡を起こして地面を裂き、地が彼らを天幕もろとものみ込み、生きたまま地獄に落とされたなら、主を冒瀆したのは彼らのほうだ。」

31こう言い終わるか終わらないうちに、なんと、コラたちの足もとの地面がぱっくりと裂け、 32いっしょにいた家族、友人を、天幕もろとものみ込みました。 33彼らは一人残らず生きたまま地獄に落ち、地の底に閉じ込められたのです。 34彼らの回りにいた人々はみな、彼らの絶叫を聞いて、自分たちものみ込まれると思って、逃げ惑いました。 35その時、天から火が下り、香をささげていた二百五十人を焼き殺しました。

36-37主はモーセに命じました。「祭司アロンの子エルアザルに、香炉を火の中から取り出させなさい。その香炉はわたしにささげられた神聖なものだからだ。 38また、罪を犯して死んだ者たちの香炉から、火のついた香を取り出してまき散らすように言いなさい。次に、香炉を打ち延ばして一枚の板にし、それで祭壇を覆いなさい。この香炉は、わたしの前で使ったから神聖なものだ。こうしておけば、祭壇の覆いを見るたびにこの出来事を思い出すだろう。」

39祭司エルアザルは、命じられたとおり二百五十個の青銅の香炉を板金にし、祭壇に覆いをかけました。 40アロンの子孫でない者はだれも、神の前で香をたいてはならないこと、これを破ればコラと同じ目に会うことを思い出させるためでした。すべて主がモーセに命じたとおりです。

41ところが翌朝になると、人々はモーセとアロンを批判し始めたのです。「あなたたちは主の民を殺してしまったのだ。」

42批判のうずはたちまち広がり、険悪な雰囲気になっていきました。と、突然、雲がわき起こり、人々が振り返って幕屋を見ると、目もくらむばかりに輝いていました。 43-44モーセとアロンが幕屋の入口に立つと、主はモーセに命じました。 45「人々から離れなさい。今すぐ彼らを滅ぼす。」それを聞いて、モーセとアロンは主の前にひれ伏しました。

46モーセはアロンに言いました。「急いで香炉を持って来て、祭壇の火で香をたき、すぐ人々のところへ行って主の赦しを願ってくれ。早くしないと手遅れになる。見なさい、もう神罰が下って病気で倒れた者もいる。」

47アロンは言われたとおり、人々のところへ走って行きました。すでに疫病がはやりだしていたので、急いで香をたき、主の赦しを願いました。 48アロンが死者と生きている者の間に立っていると、ようやく疫病は収まりましたが、前日のコラの事件で死んだ者とは別に、 49死者はすでに一万四、七〇〇人にも達していたのです。 50疫病が収まると、アロンは幕屋の入口にいたモーセのところへ戻りました。

Hindi Contemporary Version

गणना 16:1-50

कोराह, दाथान और अबीराम का विद्रोह

1इस समय कोराह, जिसका पिता इज़हार था, जिसका पिता कोहाथ था, जो लेवी का पुत्र था; तथा दाथान और अबीराम, जो एलियाब के पुत्र थे, तथा ओन, जो पेलेथ का पुत्र था, आज्ञा न माननेवाले हो गए. 2इन्होंने मोशेह के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई. इनके साथ इस्राएल में से 250 व्यक्ति भी शामिल हो गए, जो सभा के चुने हुए तथा नामी प्रधान थे. 3ये सभी मोशेह एवं अहरोन के विरोध में एकजुट होकर उनसे कहने लगे, “आप लोग तो बहुत ऊंचे उड़ने लगे हैं! इस्राएली समाज में हममें से हर एक ही पवित्र व्यक्ति है तथा उन सभी के बीच परमेश्वर का वास है. फिर आप ही स्वयं को याहवेह की प्रजा में सबके ऊपर क्यों दिखाते हैं?”

4जब यह बातें मोशेह ने सुनी, वह मुंह के बल गिर पड़े. 5तथा उन्होंने कोराह एवं उसकी सारी मण्डली को संबोधित करते हुए कहा, “कल सुबह याहवेह यह स्पष्ट कर देंगे कि वह किसके पक्ष में हैं, कौन पवित्र है तथा वही उसे अपने निकट बुलाएंगे. याहवेह जिस किसी को चुनेंगे, उसे ही अपने निकट बुला लेंगे. 6तुम्हें यह करना होगा: तुम सभी कोराह के घराने के लोग धूपदान तैयार रखना, 7तुम कल याहवेह के सामने उनमें आग रख उस पर धूप डाल देना. जिस किसी को याहवेह चुनेंगे, वही होगा वह पवित्र व्यक्ति. ओ तुम लेवी के घराने, फूले जा रहे हो!”

8इसके बाद मोशेह ने यह कहा, “लेवी के घराने, अब यह सुन लो! 9क्या तुम्हारी समझ से यह कोई छोटा विषय है कि सारे इस्राएल के घराने में से इस्राएल के परमेश्वर ने तुम्हें अलग करना सही समझा है, कि वह तुम्हें अपने पास रखें, ताकि याहवेह के साक्षी तंबू संबंधी सेवा किया करें, तथा इस्राएल की सारी सभा के सामने उपस्थित होकर उनकी सेवा करें, 10तथा याहवेह ने तुम्हें और तुम्हारे सभी भाइयों को, जो लेवी के घराने के हैं, तुम्हारे साथ अपने पास रखा है? 11फिर तुम एवं तुम्हारे ये सारे साथी आज वस्तुतः स्वयं याहवेह के विरुद्ध खड़े हो गए हो. अहरोन है ही कौन, जो तुम उसके विरुद्ध बड़बड़ा रहे हो?”

12मोशेह ने आज्ञा दी कि एलियाब के पुत्र दाथान तथा अबीराम उनके सामने लाए जाएं. उन्होंने उत्तर दिया, “हम नहीं आएंगे! 13क्या यह कोई छोटा विषय है कि आप हमें एक ऐसे देश से, जिसमें दूध और मधु का भण्ड़ार है, निकालकर यहां निर्जन प्रदेश में मरने के लिए ले आए हैं, कि आप स्वयं को हम पर शासक बना बैठें? 14इसके अलावा, आप हमें ऐसे किसी देश में नहीं ले आए हैं, जहां दूध और मधु का भण्ड़ार है, और न ही आपने हमें ऐसी मीरास दी है, जहां खेत तथा अंगूरों के बगीचे हैं. क्या मतलब है आपका, आप इनकी आंखें निकालना चाह रहे हैं? हम वहां नहीं आएंगे!”

15मोशेह बहुत ही क्रोधित हो गए. उन्होंने याहवेह से कहा, “उनकी भेंट स्वीकार न कीजिए. मैंने न तो उनसे एक गधा भी लिया है, न मैंने उनमें से एक की भी कोई हानि की है.”

16मोशेह ने कोराह को आज्ञा दी, “कल तुम तथा तुम्हारे सभी साथी याहवेह के सामने उपस्थित होंगे—तुम तथा तुम्हारे साथी एवं अहरोन. 17तुममें से हर एक अपने-अपने धूपदान में धूप रखे और हर एक अपना अपना धूपदान याहवेह के सामने ले आए, ये सब 250 धूपदान होंगे, तुम्हारे और अहरोन के धूपदान भी होंगे.” 18तब इनमें से हर एक ने अपना अपना धूपदान लिया, उसमें आग रखी तथा आग पर धूप. तब वे सभी मोशेह एवं अहरोन के साथ मिलनवाले तंबू के सामने खड़े हो गए. 19कोराह ने मिलनवाले तंबू के सामने सारे इस्राएल के घराने को इकट्ठा कर लिया. तब याहवेह का प्रताप सारी इस्राएली सभा पर प्रकाशमान हुआ. 20याहवेह ने मोशेह तथा अहरोन को संबोधित किया, 21“तुम दोनों स्वयं को इस समूह से अलग कर लो कि मैं इन्हें पलक झपकते ही भस्म कर दूं.”

22यह सुन वे दोनों मुंह के बल गिर पड़े. उन्होंने याहवेह से विनती की, “परमेश्वर, आप, जो सभी मनुष्यों की आत्माओं के परमेश्वर हैं, क्या आप इस व्यक्ति के पाप का दंड पूरे समाज को दे देंगे?”

23याहवेह ने मोशेह को उत्तर दिया, 24“सारी इस्राएली सभा को आज्ञा दो, ‘वे कोराह, दाथान तथा अबीराम के तंबुओं से दूर चले जाएं.’ ”

25फिर मोशेह दाथान एवं अबीराम की ओर बढ़े और इस्राएल के पुरनिये उनके पीछे-पीछे चलने लगे. 26मोशेह ने इस्राएली सभा को आज्ञा दी, “कृपा कर इन दुष्ट व्यक्तियों के शिविरों से दूर हो जाओ तथा उनकी किसी भी वस्तु को नहीं छूना, नहीं तो तुम भी उनके सारे पापों के साथ समेट लिए जाओगे.” 27तब वे कोराह, दाथान तथा अबीराम के तंबुओं से दूर हट गए. दाथान तथा अबीराम बाहर आकर अपनी-अपनी पत्नियों तथा बच्चों के साथ शिविर के द्वार पर खड़े हो गए.

28मोशेह ने घोषणा की, “अब तुम्हें यह अहसास हो जाएगा, कि ये सारे काम करने की जवाबदारी मुझे स्वयं याहवेह द्वारा सौंपी गई है, यह मेरी बनाई योजना नहीं हैं. 29यदि इन व्यक्तियों का निधन अन्य मनुष्यों के समान स्वाभाविक रीति से हो जाए या इनकी नियति सारी मानव जाति के समान हो, तब समझ लेना कि मैं याहवेह का भेजा हुआ नहीं हूं. 30किंतु यदि याहवेह आज कुछ असाधारण काम कर दिखाते हैं, यदि आज भूमि अपना मुख खोल इन्हें, इनकी सारी संपत्ति को निगल लेती है, कि वे जीवित ही भूमि में समा जाएं, तब तुम्हें यह निश्चय हो जाएगा, कि इन लोगों ने याहवेह को तुच्छ समझा है.”

31जैसे ही मोशेह का यह कहना समाप्‍त हुआ, उनके नीचे भूमि फटकर खुल गई; 32पृथ्वी ने, मानो अपना मुंह खोल, उन्हें निगल लिया; उनके घर-परिवारों को, कोराह के सभी संबंधियों को उन सब की संपत्ति सहित. 33तब वे तथा उनकी सारी संपदा जीवित ही भूमि के गर्भ में समा गए और भूमि उनके ऊपर अपनी पहले की सी स्थिति में आ गई, वे इस्राएल की सभा के बीच से मिट गए. 34उनके आस-पास के सारे इस्राएली उनकी चिल्लाहट सुनकर वहां से भाग गए, इस भय से, “कहीं भूमि हमें भी अपना कौर न बना ले!”

35तब याहवेह की ओर से भेजी गई आग ने उन ढाई सौ व्यक्तियों को भस्म कर दिया, जो धूप भेंट कर रहे थे.

36याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी, 37“पुरोहित अहरोन के पुत्र एलिएज़र को आज्ञा दो, कि वह इस जलती हुई आग के बीच में से धूपदानों को इकट्ठा कर ले, क्योंकि वे पवित्र वस्तुएं हैं. उनमें के जलते हुए अंगारों को इधर-उधर बिखरा दो. 38उन व्यक्तियों ने अपने प्राणों के मूल्य पर यह पाप किया है, उनके धूपदानों को इकट्ठा कर उन्हें पीट-पीटकर पत्रक बना लो ताकि वे वेदी पर मढ़ने के लिए इस्तेमाल किए जाएं. वे पवित्र वस्तुएं हैं, क्योंकि उन्होंने इन्हें याहवेह को भेंट किया था. यह इस्राएल के घराने के सामने एक चिन्ह हो जाएगा.”

39तब उन व्यक्तियों के द्वारा भेंट धूपदानों को, जो इस आग में नाश हो चुके थे, एलिएज़र ने इकट्ठा किया और उन्होंने इन्हें पीट-पीटकर वेदी पर मढ़ने का पत्रक बना डाला. 40यह सारे इस्राएल के सामने एक चेतावनी थी, कि कोई भी व्यक्ति, जो अहरोन के वंश का नहीं है, वह याहवेह के सामने आकर धूप न चढ़ाए, कि उसकी दशा वह न हो जो कोराह एवं उसके साथियों की हुई, ठीक जैसी पूर्वघोषणा मोशेह के द्वारा याहवेह ने की थी.

41किंतु दूसरे ही दिन सारा इस्राएल का घराना मोशेह एवं अहरोन के विरोध में इस प्रकार बड़बड़ाने लगा. “तुम दोनों ही के कारण याहवेह के इन चुने हुओं की मृत्यु हुई है.”

42किंतु उसी समय हुआ यह, कि जब सारी सभा मोशेह एवं अहरोन के विरोध में खड़ी हो चुकी थी, वे मिलनवाले तंबू की दिशा में आगे बढ़ रहे थे, यह सामने देखा गया कि मिलनवाले तंबू पर वह बादल छा गया तथा वहां याहवेह का प्रताप प्रकट हो गया. 43फिर मोशेह एवं अहरोन मिलनवाले तंबू के सामने जा खड़े हुए. 44याहवेह ने मोशेह को संबोधित कर कहा, 45“इस सभा से दूर चले जाओ कि मैं इन्हें इसी क्षण भस्म कर दूं.” वे यह सुन मुंह के बल गिर पड़े.

46मोशेह ने अहरोन को आज्ञा दी, “अपने धूपदान में वेदी की आग डालकर उस पर धूप डाल दो और बिना देर किए इसे सभा के निकट लाकर उनके लिए प्रायश्चित करो, क्योंकि याहवेह का क्रोध उन पर भड़क चुका है, महामारी शुरू हो चुकी है.” 47अहरोन ने ठीक यही किया. वह दौड़ता हुआ सभा के बीच जा पहुंचा, क्योंकि यह दिख रहा था कि लोगों के बीच में महामारी शुरू हो चुकी थी. फिर अहरोन ने धूप जलाकर लोगों के लिए प्रायश्चित किया. 48वह मरे हुओं और जीवितों के बीच में खड़ा हो गया, जिससे महामारी शांत हो गई. 49किंतु फिर भी, जिनकी मृत्यु इस महामारी से हुई थी उनकी संख्या 14,700 हो चुकी थी. यह उनके अलावा थी, जो कोराह के कारण हो चुकी थी. 50फिर अहरोन मोशेह के पास लौट गया, जो इस समय मिलनवाले तंबू के द्वार पर खड़े हुए थे, क्योंकि अब महामारी शांत हो चुकी थी.