出エジプト記 40 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

出エジプト記 40:1-38

40

幕屋の完成

1主はモーセに告げました。 2「第一の月の一日(ユダヤ暦による。太陽暦では三月中旬)に、神の幕屋を組み立てなさい。 3そこに、十戒を納めた契約の箱を安置しなさい。至聖所に箱を置き、その前には仕切りの垂れ幕をしつらえる。 4次に、供えのパンのテーブルを運び入れ、その上に用具類を並べる。燭台を持って来て、ともしび皿を載せる。

5箱の前には金の香の祭壇を置き、天幕の入口に幕を垂らす。 6入口の前に、焼き尽くすいけにえ用の祭壇を置く。 7天幕と祭壇との間に洗い鉢を置き、水を満たす。 8それがすんだら天幕の回りに庭を設け、庭の入口には幕をかけなさい。

9組み立てが終わったら、きよめのための注ぎの油を幕屋とその中にある物全部に注ぎなさい。いろいろな用具類、すべての調度品にも注いで、それらをきよめる。 10焼き尽くすいけにえ用の祭壇とその用具類も同じようにする。これで、祭壇は最も神聖なものとなる。 11洗い鉢とその台も同様である。

12次に、アロンと息子たちを幕屋の入口に連れて来て沐浴させ、 13アロンに聖なる装束を着せて油を注ぎなさい。祭司としてわたしに仕えることができるように、彼をきよめなさい。 14次に、彼の息子たちを連れて来て祭司の式服を着せ、 15父親と同じように彼らにも油を注いで祭司とする。その『油注ぎ』は何代にもわたり、永遠に続く。息子たちも、そのまた息子たちも、永遠にわたしの祭司となるからだ。」

16そこでモーセは、主に命じられたことをすべて実行に移しました。 17二年目の第一の月の一日に、幕屋が組み立てられました。 18モーセはまず、わく組みの板を土台にはめ込み、横木をつけました。 19それから、屋根の覆いをかけ、さらに幕を重ねました。すべて主に命じられたとおりです。

20契約の箱の中に十戒を刻んだ二枚の石板を入れ、環にかつぎ棒を通しました。箱の上には、『恵みの座』と呼ばれる金のふたを載せました。 21それから箱を幕屋に入れ、仕切りの垂れ幕をかけました。すべて主に命じられたとおりです。

22次に、供えのパンのテーブルを垂れ幕の外の北側に置き、 23供えのパンを主に供えました。これも、すべて主に命じられたとおりです。

24天幕の南側、テーブルの反対側に燭台を置きました。 25次に、指示されたとおり、主の前にともしび皿を整えました。 26それから、垂れ幕のすぐ前に金の香の祭壇を置き、 27香りの高い香料で作った香をたきました。すべて主に命じられたとおりです。

28天幕の入口には垂れ幕を取りつけました。 29そして、外に出た所に焼き尽くすいけにえ用の祭壇を置き、その上でいけにえと穀物のささげ物を供えました。すべて主に命じられたとおりです。

30次は洗い鉢です。幕屋と祭壇の間に置き、水を満たしました。祭司たちがその水で手足を洗えるようにしたのです。 31モーセとアロンとアロンの息子たちは、そこで手足を洗いました。 32天幕に入るために祭壇のところを通って行くときは、いつもそこで立ち止まり、手足を洗うのです。すべて主に命じられたとおりです。

33それから、幕屋と祭壇を囲む庭を造りました。庭の入口にも幕を垂らしました。こうして、ついにモーセはいっさいの仕事を終わったのです。

34すると、雲が幕屋にかかり、神の栄光が輝きわたりました。 35あまりの神々しさに、モーセは中に入れませんでした。 36雲が幕屋から離れて動き出した時には、イスラエル人はいつもそのあとに従って旅をしました。 37雲が動くのをやめると一行もそこに止まり、雲が動き出すまでじっと待ちました。 38昼間は雲が幕屋にかかり、夜は雲の中に赤々と火が輝き、人々はみなその有様を見ました。この光景は旅の間ずっと絶えることがありませんでした。

Hindi Contemporary Version

निर्गमन 40:1-38

पवित्र स्थान की संस्थापना

1फिर याहवेह ने मोशेह से कहा: 2“पहले महीने के पहले दिन मिलनवाले तंबू के पवित्र स्थान को खड़ा कर देना. 3उसमें साक्षी पत्र के संदूक को रखकर बीचवाले पर्दे के पीछे रख देना. 4मेज़ का सारा सामान लेकर उसे अंदर ले आना, फिर दीप स्तंभों को ले आना और दीयों को जला देना. 5साक्षी पत्र के संदूक के सामने सोने की वेदी को, जो धूप के लिए है, उसे रखना और पवित्र स्थान के पर्दे को लगा देना.

6“और पवित्र स्थान के प्रवेश द्वार पर, अर्थात् मिलनवाले तंबू के सामने, होमबलि की वेदी को रखना. 7मिलनवाले तंबू और वेदी के बीच हौद में पानी भरकर रखना. 8तुम इसके चारों तरफ आंगन बनाना और आंगन के द्वार पर पर्दा लगाना.

9“फिर अभिषेक का तेल लेकर पवित्र स्थान और जो कुछ उसमें हैं, सबका अभिषेक करना और पवित्र करना. 10तुम होमबलि की वेदी और उसके सब सामान को अभिषेक करना, तब वेदी महा पवित्र हो जायेगी. 11और पाए समेत हौदी का भी अभिषेक करके पवित्र करना.

12“फिर अहरोन एवं उनके पुत्रों को मिलनवाले तंबू के द्वार पर नहलाना. 13और अहरोन को पवित्र वस्त्र पहनाना, और उनका अभिषेक करके उनको पवित्र करना, ताकि वह मेरे लिए पुरोहित होकर मेरी सेवा करे. 14फिर उनके पुत्रों को उनके वस्त्र पहनाना. 15और उनका भी अभिषेक उसी प्रकार करना, जिस प्रकार उनके पिता का किया था, ताकि वे भी मेरी सेवा कर सकें. उनका यह अभिषेक उनकी पीढ़ी से पीढ़ी तक पुरोहित होकर मेरी सेवा का चिन्ह रहेगा.” 16मोशेह ने सब काम वैसे ही किया, जैसा याहवेह ने उनको आज्ञा दी थी.

17दूसरे साल के पहले महीने के पहले दिन में पवित्र स्थान को खड़ा किया गया. 18मोशेह ने जब पवित्र स्थान को खड़ा किया, तब कुर्सियों पर तख्ते रखकर उनमें कड़े डाले और मीनारों को खड़ा किया. 19मोशेह ने पवित्र स्थान के ऊपर तंबू बिछाया और तंबू के ऊपर ओढ़नी लगाई जैसे याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी थी.

20मोशेह ने साक्षी पट्टियों को संदूक में रखा और संदूक में डंडों को लगाकर उसके ऊपर करुणासन से ढंका. 21मोशेह ने संदूक को पवित्र स्थान में रखवाया और बीचवाले पर्दे को टांग दिया और साक्षी पत्र के संदूक को अंदर पर्दे की आड़ में किया, जैसे याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी थी.

22फिर मिलनवाले तंबू में पवित्र स्थान के उत्तर दिशा पर बीच के पर्दे के बाहर मेज़ लगवाया. 23मेज़ पर मोशेह ने रोटियों को याहवेह के सम्मुख जमाया, जैसा याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी थी.

24मोशेह ने मिलनवाले तंबू में मेज़ के सामने दक्षिण दिशा में दीपस्तंभ को रख दिया. 25और दीयों को याहवेह के सामने जला दिया, जैसा याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी थी.

26फिर मोशेह ने मिलनवाले तंबू के भीतर, बीच के पर्दे के सामने, सोने की वेदी को रखा. 27और उस पर सुगंधित धूप जलाया, जैसा याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी थी.

28मोशेह ने फिर पवित्र स्थान के द्वार पर पर्दा लगाया, 29और मिलनवाले तंबू के पवित्र स्थान के द्वार पर होमबलि की वेदी रखकर उस पर होमबलि और अन्‍नबलि चढ़ाई, जैसी याहवेह ने उन्हें आज्ञा दी थी.

30मिलनवाले तंबू और वेदी के बीच हौदी रखी, और उसमें पानी भर दिया. 31इसमें से पानी लेकर मोशेह, अहरोन तथा उनके पुत्र अपने हाथ एवं पांव धोते थे. 32जब भी वे मिलनवाले तंबू तथा वेदी के पास जाते थे, वे अपना हाथ-पांव धोकर ही जाते थे, जैसी याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी थी.

33पवित्र स्थान और वेदी के चारों ओर आंगन बनाया और आंगन के द्वार पर पर्दा लगाया. इस प्रकार मोशेह ने काम पूरा किया.

याहवेह का प्रताप

34तब बादल मिलनवाले तंबू पर फैल गया और याहवेह का तेज पवित्र स्थान में भर गया. 35मोशेह तंबू में न जा सके, क्योंकि मिलनवाले तंबू के ऊपर बादल था और याहवेह का तेज पवित्र स्थान में भरा हुआ था.

36इस्राएलियों की पूरी यात्रा में, जब-जब बादल पवित्र स्थान के ऊपर से उठता, तब-तब वे वहां से निकलते. 37अगर बादल पवित्र स्थान से नहीं हटता, तब तक इस्राएली लोग कुछ नहीं करते; जब तक बादल उठ नहीं जाता. 38इस्राएलियों की सारी यात्राओं में याहवेह उनके लिए दिन में पवित्र स्थान के ऊपर बादल से उनको छाया देते, और रात में बादल में आग से उन्हें रोशनी दिखाई देती थी.