使徒の働き 8 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

使徒の働き 8:1-40

8

1パウロは、ステパノを殺すことに大賛成でした。その日から、激しい迫害の嵐がエルサレムの教会を襲い、使徒たち以外の者はみな、ユダヤやサマリヤへ散らされました。 2ステパノの遺体は、敬虔なユダヤ人たちの手で、悲しみのうちに埋葬されました。 3一方、パウロは教会を荒らし回り、家々に押し入っては男女を問わず引きずり出し、留置場にぶち込みました。

ピリポ、サマリヤへ

4しかし、エルサレムから逃げ出したクリスチャンたちは、どこへ行っても、神のことばを伝えて歩きました。 5ピリポはサマリヤの町へ行き、人々にキリストのことを話しました。 6ピリポが奇跡を行ったので、みな彼の話に熱心に耳を傾けたのです。 7悪霊どもは大声でわめきながら人々から出て行き、中風(脳出血などによる半身不随、手足のまひ等の症状)の人や足の不自由な人たちも、次々に治りました。 8今や、町中が喜びにわき返り、大騒ぎです。

9-11さてこの町には、長年、魔術を行ってきた人がいました。シモンと言い、持ち前の不思議な力で人々を驚かせていたので、サマリヤ地方でたいへんな影響力を持っていました。メシヤではないかと言われたこともしばしばでした。 12しかし今は、だいぶ様子が違ってきました。ピリポが来て、イエスこそメシヤだと教えたからです。彼が神の国について話すのを聞き、大ぜいの人が信じ、男も女もみなバプテスマ(洗礼)を受けました。 13そのうちにシモンも信じ、バプテスマを受けることになりました。彼はピリポの行くところはどこへでもついて行き、その奇跡に驚いていました。

14エルサレムにとどまっていた使徒たちは、サマリヤ人が神の教えを信じたと伝え聞き、ペテロとヨハネを派遣しました。 15二人はサマリヤに来ると、さっそく、新しいクリスチャンたちが聖霊を受けるようにと祈りました。 16主イエスの名によってバプテスマを受けただけで、まだ聖霊が下っていなかったからです。 17二人が信者たちに手を置いて祈ると、みな聖霊を受けました。

18使徒たちが手を置くと聖霊が与えられるのを見たシモンは、この力を買い取ろうと、お金を持ってやって来ました。 19「お願いです。手を置けば、だれでも聖霊が受けられるように、私にもその力を下さい。」彼はしきりに頼みました。

20しかし、ペテロは答えました。「その金もろとも滅んでしまいなさい! 金で神の賜物が買えるとでも思っているのか。とんでもない見当違いだ。 21心が神の前に正しくないのに、この特権がいただけるはずがない。 22こんなことは二度としてはいけない。悔い改めて祈りなさい。あなたのような不心得者でも、まだ赦していただけるかもしれない。 23私にはちゃんとわかっている。あなたの心の中は、ねたみと罪でいっぱいだ。」 24シモンは驚いて叫びました。「ああ、そんな恐ろしいことが起こらないように祈ってください!」

25ペテロとヨハネは、このサマリヤの町で、イエスのことを証言したり語ったりしてから、サマリヤ人のあちこちの村へ行って福音(イエス・キリストによる救いの知らせ)を伝えながら、エルサレムへ戻りました。

26ところで、ピリポはどうしたでしょう。主の使いが現れて、「さあ、エルサレムからガザの荒野へ通じる道に出なさい」と言うではありませんか。 27言われたとおりにすると、エチオピヤの女王カンダケのもとで、大きな権力を持ち、女王の財政を管理していたエチオピヤ人の宦官(宮殿や支配者の後宮に仕える、去勢された男性の役人)が向こうから来ます。この人は、神殿で礼拝するためにエルサレムへ行き、 28いま馬車で帰るところで、ちょうど預言者イザヤの書を声に出して読んでいました。

29聖霊がピリポをうながしました。「さあ、あの馬車に近づいて、いっしょに行きなさい。」 30ピリポが走り寄ると、イザヤの書を読んでいるのが聞こえます。そこで、「失礼ですが、その意味がおわかりですか」と尋ねました。 31「残念ながら、だれかが教えてくれないとわかりません。」こう答えると、その人はピリポに、馬車に乗ってそばに座ってほしいと頼みました。

32-33読んでいたのは、こういうところでした。

「その方は、

殺されるために引かれて行く羊のように、

また、

毛を刈る者たちの前で黙っている小羊のように、

口を開かなかった。

その方は卑しい者と見なされ、

正しいさばきも受けなかった。

だれが、この時代の人々の邪悪さを語れよう。

その方のいのちが地上から取り去られたからには。」イザヤ53・7-9

34宦官はピリポに尋ねました。「その方とは、いったいだれのことですか。イザヤは自分のことを言っているのでしょうか。それとも、だれかほかの人のことを言っているのでしょうか。」

35ピリポはこのイザヤのことばから始めて、旧約聖書のあちこちを引用し、イエスのことをくわしく説明しました。

36さて、道を進んで行くうちに、水のある所に来ました。すると宦官は、「見てください。水があります。ここでバプテスマを受けることはできないでしょうか」と言いました。

37「心から信じておられるなら、もちろんかまいませんよ。」「私はイエス・キリストを神の子と信じます。」

38宦官がはっきり告白したので、馬車を止めさせ、二人して水の中に入り、ピリポはバプテスマを授けました。 39二人が水から上がった時、主の霊が、あっという間にピリポを連れ去りました。宦官はもう二度とピリポの姿を見ることはできませんでしたが、喜びに胸をはずませ、旅を続けました。 40一方、ピリポはアゾトの町に姿を現し、そこから町々で福音を伝えながら、カイザリヤに向かいました。

Hindi Contemporary Version

प्रेरितों 8:1-40

1स्तेफ़ानॉस की हत्या में पूरी तरह शाऊल सहमत था.

कलीसिया का सताया जाना और बिखराव

उसी दिन से येरूशलेम नगर की कलीसियाओं पर घोर सताना शुरू हो गया, जिसके फलस्वरूप प्रेरितों के अलावा सभी शिष्य यहूदिया तथा शमरिया के क्षेत्रों में बिखर गए. 2कुछ श्रद्धालु व्यक्तियों ने स्तेफ़ानॉस के शव की अंत्येष्टि की तथा उनके लिए गहरा शोक मनाया. 3शाऊल कलीसिया को सता रहा था; वह घरों में घुस, स्त्री-पुरुषों को घसीटकर कारागार में डाल रहा था.

दीकन फ़िलिप्पॉस शमरिया नगर में

4वे, जो यहां वहां बिखर गए थे, शुभ संदेश सुनाने लगे. 5फ़िलिप्पॉस शमरिया के एक नगर में जाकर मसीह के विषय में शिक्षा देने लगे. 6फ़िलिप्पॉस के अद्भुत चिह्नों को देख भीड़ एक मन होकर उनके प्रवचन सुनने लगी. 7अनेक दुष्टात्माओं के सताए हुओं में से दुष्टात्मा ऊंचे शब्द में चिल्लाते हुए बाहर आ रहे थे. अनेक अपंग और लकवे के पीड़ित भी स्वस्थ हो रहे थे. 8नगर में आनंद की लहर दौड़ गई थी.

शिमओन टोनहा

9उसी नगर में शिमओन नामक एक व्यक्ति था, जिसने शमरिया राष्ट्र को जादू-टोने के द्वारा चकित कर रखा था. वह अपनी महानता का दावा करता था. 10छोटे-बड़े सभी ने यह कहकर उसका लोहा मान रखा था: “यही है वह, जिसे परमेश्वर की महाशक्ति कहा जाता है.” 11उसके इन चमत्कारों से सभी अत्यंत प्रभावित थे क्योंकि उसने उन्हें बहुत दिनों से अपनी जादूई विद्या से चकित किया हुआ था. 12किंतु जब लोगों ने परमेश्वर के राज्य और मसीह येशु के नाम के विषय में फ़िलिप्पॉस का संदेश सुनकर विश्वास किया, स्त्री और पुरुष दोनों ही ने बपतिस्मा लिया. 13स्वयं शिमओन ने भी विश्वास किया, बपतिस्मा लिया और फ़िलिप्पॉस का शिष्य बन गया. वह अद्भुत चिह्न और सामर्थ्य से भरे महान कामों को देखकर हैरान था.

14जब येरूशलेम नगर में प्रेरितों को यह मालूम हुआ कि शमरिया नगर ने परमेश्वर के वचन को स्वीकार कर लिया है, उन्होंने पेतरॉस तथा योहन को वहां भेज दिया. 15वहां पहुंचकर उन्होंने उनके लिए प्रार्थना की कि वे पवित्र आत्मा प्राप्‍त करें 16क्योंकि वहां अब तक किसी पर भी पवित्र आत्मा नहीं उतरा था. उन्होंने प्रभु येशु के नाम में बपतिस्मा मात्र ही लिया था. 17तब प्रेरितों ने उन पर हाथ रखे और उन्होंने पवित्र आत्मा प्राप्‍त किया.

18जब शिमओन ने यह देखा कि प्रेरितों के मात्र हाथ रखने से पवित्र आत्मा प्राप्‍ति संभव है, उसने प्रेरितों को यह कहते हुए धन देना चाहा, 19“मुझे भी यह अधिकार प्रदान कर दीजिए कि मैं जिस किसी पर हाथ रखूं उसे पवित्र आत्मा प्राप्‍त हो जाए.”

20किंतु पेतरॉस ने उससे कहा, “सर्वनाश हो तेरा और तेरे धन का! क्योंकि तूने परमेश्वर का वरदान धन से प्राप्‍त करना चाहा. 21इस सेवा में तेरा न कोई भाग है न कोई हिस्सेदारी, क्योंकि तेरा हृदय परमेश्वर के सामने सच्चा नहीं है. 22इसलिये सही यह होगा कि तू अपनी दुर्वृत्ति से पश्चाताप करे और प्रार्थना करे कि यदि संभव हो तो प्रभु तेरे दिल की इस बुराई को क्षमा करें, 23क्योंकि मुझे यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि तू कड़वाहट से भरा हुआ और पूरी तरह पाप में जकड़ा हुआ है.”

24यह सुन टोनहे शिमओन ने उनसे विनती की “आप ही प्रभु से मेरे लिए प्रार्थना कीजिए कि आपने जो कुछ कहा है, उसमें से कुछ भी मुझ पर असर न करने पाए.”

25पेतरॉस तथा योहन परमेश्वर के वचन की शिक्षा और गवाही देते हुए येरूशलेम लौट गए. वे शमरिया क्षेत्र के अनेक गांवों में ईश्वरीय सुसमाचार सुनाते गए.

फ़िलिप्पॉस द्वारा वित्तमंत्री का बपतिस्मा

26प्रभु के एक दूत ने फ़िलिप्पॉस से कहा, “उठो, दक्षिण दिशा की ओर उस मार्ग पर जाओ, जो येरूशलेम से अज्जाह8:26 या गाज़ा नगर को जाता है.” यह बंजर भूमि का मार्ग है. 27फ़िलिप्पॉस इस आज्ञा के अनुसार चल पड़े. मार्ग में उनकी भेंट एक खोजे से हुई, जो इथियोपिया की रानी कन्दाके की राज्यसभा में मंत्री था. वह आराधना के लिए येरूशलेम आया हुआ था. 28वह स्वदेश लौटते समय अपने रथ में बैठे हुए भविष्यवक्ता यशायाह का लेख पढ़ रहा था. 29पवित्र आत्मा ने फ़िलिप्पॉस को आज्ञा दी, “आगे बढ़ो और रथ के साथ साथ चलते जाओ.”

30फ़िलिप्पॉस दौड़कर रथ के पास पहुंचे. उन्होंने उस व्यक्ति को भविष्यवक्ता यशायाह के ग्रंथ से पढ़ते हुए सुना तो उससे प्रश्न किया, “आप जो पढ़ रहे हैं, क्या उसे समझ रहे हैं?”

31“भला मैं इसे कैसे समझ सकता हूं जब तक कोई मुझे ये सब न समझाए?” मंत्री ने उत्तर दिया. इसलिये उसने फ़िलिप्पॉस से रथ में बैठने की विनती की.

32खोजे जो भाग पढ़ रहा था, वह यह था:

“वध के लिए ले जाए जा रहे मेमने के समान उसको ले जाया गया,

तथा जैसे ऊन कतरनेवाले के सामने मेमना शांत रहता है,

वैसे ही उसने भी अपना मुख न खोला.

33अपने अपमान में वह न्याय से वंचित रह गए.

कौन उनके वंशजों का वर्णन करेगा?

क्योंकि पृथ्वी पर से उनका जीवन समाप्‍त कर दिया गया.”8:33 यशा 53:7, 8

34खोजे ने फ़िलिप्पॉस से विनती की, “कृपया मुझे बताएं, भविष्यवक्ता यह किसका वर्णन कर रहे हैं—अपना, या किसी और का?” 35तब फ़िलिप्पॉस ने पवित्र शास्त्र के उसी भाग से प्रारंभ कर मसीह येशु के विषय में ईश्वरीय सुसमाचार स्पष्ट किया.

36जब वे मार्ग में ही थे, एक जलाशय को देख खोजे ने फ़िलिप्पॉस से पूछा, “यह देखिए, जल! मेरे बपतिस्मा लेने में क्या कोई बाधा है?”

[37फ़िलिप्पॉस ने उत्तर दिया, “यदि आप सारे हृदय से विश्वास करते हैं तो आप बपतिस्मा ले सकते हैं.”

खोजे ने कहा, “मैं विश्वास करता हूं कि मसीह येशु ही परमेश्वर के पुत्र हैं.”]8:37 कुछ प्राचीनतम मूल हस्तलेखों में यह पाया नहीं जाता 38तब फ़िलिप्पॉस ने रथ रोकने की आज्ञा दी और स्वयं फ़िलिप्पॉस व खोजे दोनों जल में उतर गए और फ़िलिप्पॉस ने उसे बपतिस्मा दिया. 39जब वे दोनों जल से बाहर आए, सहसा फ़िलिप्पॉस प्रभु के आत्मा के द्वारा वहां से उठा लिए गए. वह खोजे को दोबारा दिखाई न दिए. आनंद से भरकर खोजा स्वदेश लौट गया, 40जबकि फ़िलिप्पॉस अज़ोतॉस नगर में देखे गए. कयसरिया नगर पहुंचते हुए वह मार्ग पर सभी नगरों में ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार करते गए.