レビ記 20 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

レビ記 20:1-27

20

死刑に当たる罪

1-2主はイスラエルの民のために、さらに次のような指示をモーセに与えました。「イスラエル人でも在留外国人でも、わが子を異教の神モレクのいけにえとする者は、必ず同胞の手で石打ちの刑に処せられる。 3わたしもその者から顔をそむけ、イスラエルから断つ。わが子をモレクにささげることによって、わたしの名を汚し、わたしの聖所を汚したからだ。 4たとえ全国民がそのことに目をつぶり、処刑を拒んでも、 5わたしは決して赦さない。本人ばかりか家族からも顔をそむけ、モレクを求めて不道徳なことを行うすべての者を、イスラエルから断つ。

6わたしの代わりに霊媒や口寄せなどに頼る者からもわたしは顔をそむけ、イスラエルから断つ。 7だから、自分をきよめて聖なる者になりなさい。わたしはあなたがたの神、主だからだ。 8わたしのおきてを忠実に守りなさい。わたしはあなたがたを聖なる者とする主である。

9自分の両親をのろう者は必ず死刑に処せられる。それが当然の報いである。

10人妻と姦淫を犯せば、男も女も共に死刑に処せられる。 11父の妻(継母)と性的に関係する者は父を辱めたので、当然の報いとして男も女も死刑に処せられる。 12義理の娘と関係すれば二人とも死刑に処せられる。互いの責任で道ならぬことをし、この結果を招いたのである。 13同性愛にふける者は、二人とも死刑に処せられる。それは彼らの責任である。 14娘と母親の両方と関係することは、重い罪である。三人とも火あぶりにし、悪をぬぐい去りなさい。

15動物と性行為を行う者は死刑にし、動物も殺してしまいなさい。 16女の場合も同じだ。女も動物も殺しなさい。当然の報いである。

17たとえどちらかの親が違っても自分の姉妹と関係することは、恥ずべき行為である。二人とも公にイスラエルから追放される。それだけの罪を犯したからである。 18生理中の女と関係すれば、二人とも追放される。女の身の汚れを人前にさらしたからだ。

19父方でも母方でも、おばと関係してはならない。近親者だからだ。この戒めを破った者は必ず罰を受ける。 20おばと関係する者は、おじのものを奪うのである。二人は当然の罰を受け、子を残さずに死ぬ。 21兄弟の妻と結婚するのは恥ずべきことである。兄弟のものを奪うからだ。彼らには子は生まれない。

22わたしのすべてのおきてと定めに従わなければならない。きちんと守りさえすれば、新しく住む国から放り出されることはないだろう。 23これからあなたがたの前から追い出す国々の習慣に従ってはならない。彼らは、わたしがしてはならないと警告したことを平気な顔でやっている。わたしはそんな者たちを激しく嫌う。 24約束どおりあなたがたにあの国々を与えよう。そこは乳とみつの流れる地だ。あなたがたは、ほかのどんな国民とも違う。わたしが特別に選び、わたしがあなたがたの神、主となったからだ。

25鳥でも動物でもわたしの命令どおり、食べられるものと、そうでないものをはっきり区別しなさい。どれほどたくさんいても、禁じたものは食べてはならない。食べ物のことで身を汚し、わたしに嫌われないようにしなさい。 26主であるわたしが聖なる者だから、あなたがたも聖なる者となりなさい。あなたがたはほかの国民とは違う。わたしが選び出してわたしの国民としたからだ。

27霊媒や口寄せを行う者は、男であっても女であっても石で打ち殺される。それが当然の報いである。」

Hindi Contemporary Version

लेवी 20:1-27

मानव बलि तथा अनैतिकताओं के विषय

1याहवेह ने मोशेह को यह आज्ञा दी, 2“इस्राएल वंशजों को तुम ये आदेश भी देना: ‘इस्राएल वंशजों में से कोई भी व्यक्ति अथवा इस्राएल में रह रहे परदेशियों में से कोई भी, जो अपनी संतान में से किसी को भी मोलेख को भेंट करता है, निश्चयतः उसका वध कर दिया जाए; उस देश के निवासी उस पर पथराव करें. 3मैं भी उस व्यक्ति से मुंह फेर लूंगा और उसे प्रजा से निकाल बाहर कर दूंगा, क्योंकि उसने अपनी संतानों में से कुछ को मेरे पवित्र स्थान को अशुद्ध और मेरे पवित्र नाम को भ्रष्‍ट करने के लिए मोलेख के लिए भेंट किया है. 4यदि उस देश के निवासी उस व्यक्ति को अनदेखा कर दें, जिसने अपनी संतान में से किसी को मोलेख को भेंट किया है, और उसका वध न करें, 5तो मैं स्वयं उस व्यक्ति एवं उसके परिवार से मुंह फेर लूंगा और उन्हें प्रजा से निकाल बाहर कर दूंगा; उस व्यक्ति को और उन सभी लोगों को, जो मोलेख के प्रति श्रद्धा दिखा करके मेरे साथ विश्वास को तोड़ने में उस व्यक्ति का साथ देते हैं.

6“ ‘जहां तक उस व्यक्ति का प्रश्न है, जो तांत्रिकों और ओझाओं की ओर फिर गया हो, मेरे साथ विश्वास तोड़ने में उनका साथ देता है, मैं उस व्यक्ति से भी मुंह फेर लूंगा और उसे मेरी प्रजा से अलग कर दूंगा.

7“ ‘इसलिये तुम स्वयं को शुद्ध करो और पवित्र बनो, क्योंकि मैं याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं. 8तुम मेरी विधियों का पालन करते हुए उनको मानना; मैं ही वह याहवेह हूं, जो तुम्हें शुद्ध करता हूं.

9“ ‘यदि कोई ऐसा व्यक्ति है, जो अपने पिता अथवा अपनी माता को शाप देता है, तो निश्चय ही उसका वध कर दिया जाए; उसने अपने पिता और माता को शाप दिया है; उसके लहू का दोष उसी पर होगा.

10“ ‘यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी से व्यभिचार करता है, तो जिसने अपने मित्र की पत्नी के साथ व्यभिचार किया है, निश्चय ही उस व्यभिचारी और उस व्यभिचारिणी दोनों का वध किये जाए.

11“ ‘यदि कोई व्यक्ति अपने पिता की पत्नी से सहवास कर लेता है, तो उसने अपने पिता का अपमान किया है; इसलिये अवश्य है कि उन दोनों का वध कर दिया जाए; उन दोनों के लहू का दोष उन्हीं पर होगा.

12“ ‘यदि कोई व्यक्ति अपनी बहू से सहवास करता है, तो निश्चय ही उन दोनों का वध कर दिया जाए; उन्होंने पारिवारिक व्यभिचार किया है, उनके लहू का दोष उन्हीं पर होगा.

13“ ‘यदि कोई पुरुष किसी पुरुष के साथ वैसा ही सहवास करता है जैसा किसी स्त्री के साथ, तो उन्होंने एक घृणित काम किया है; निश्चित ही उन दोनों का वध कर दिया जाए. उनके लहू का दोष उन्हीं पर होगा.

14“ ‘यदि कोई पुरुष किसी स्त्री एवं उसकी माता से विवाह करता है, तो यह महापाप है; उसको एवं उन दोनों स्त्रियों को आग में जला दिया जाए, कि तुम्हारे बीच कोई महापाप न रह जाए.

15“ ‘यदि कोई व्यक्ति किसी पशु से सहवास करता है, तो निश्चित ही उस व्यक्ति का वध कर दिया जाए, और निश्चित ही उस पशु का भी.

16“ ‘यदि कोई स्त्री किसी पशु से सहवास करती है, तो तुम उस स्त्री एवं पशु का वध कर देना; निश्चित ही उनका वध कर दिया जाए. उनके लहू का दोष उन्हीं पर होगा.

17“ ‘यदि कोई अपनी बहन से अर्थात् अपने पिता की पुत्री अथवा अपनी सौतेली माता की पुत्री से विवाह करता है, जिसके कारण वह उस कन्या को बिना वस्त्र के देख लेता है, तथा वह कन्या उसको बिना वस्त्र के देख लेती है, तो यह लज्जा जनक कार्य है, और उन्हें लोगों के बीच में से निकाल दिया जाए. वह व्यक्ति, जिसने अपनी बहन की लज्जा को उघाड़ा है; अपने अधर्म का बोझ स्वयं उठाएगा.

18“ ‘यदि कोई व्यक्ति किसी ऋतुमती से संभोग कर उसकी लज्जा को उघाड़ता है, उसने उसके ऋतुस्राव के स्रोत को उघाड़ा है और उस स्त्री ने अपने रक्त प्रवाह को उघाड़ा है, उन दोनों को लोगों के बीच में से निकाल दिया जाए.

19“ ‘तुम अपनी मौसी अथवा अपनी फूफी की लज्जा को न उघाड़ना, क्योंकि ऐसे व्यक्ति ने अपने कुटुंबी को नग्न किया है; वे अपने अधर्म का बोझ स्वयं उठाएंगे.

20“ ‘यदि कोई व्यक्ति अपनी चाची से संभोग करता है, तो उसने अपने चाचा की लज्जा को उघाड़ा है; वे अपने पाप का बोझ स्वयं उठाएंगे. उनकी मृत्यु निसंतान होगी.

21“ ‘यदि कोई व्यक्ति अपनी भाभी से विवाह करता है, यह घिनौना काम है, उसने अपने भाई की लज्जा को उघाड़ा है. वे निसंतान ही रह जाएंगे.

22“ ‘तुम मेरी सभी विधियों और मेरे सभी नियमों का पालन करते हुए उनका अनुसरण करना, कि वह देश तुम्हें निकाल न फेंके, जिसमें मैं तुम्हें बस जाने के लिए ले जा रहा हूं. 23इसके अलावा तुम उन जनताओं की रीति रस्मों पर मत चलना, जिन्हें मैं तुम्हारे सामने से निकाल दूंगा, क्योंकि उन्होंने ये सब कुकर्म किए, इसलिये मैंने उनसे घृणा की है. 24अतःएव मैंने तुम्हें आदेश दिया, “तुम्हें उनके देश पर अधिकार कर लेना है, मैं स्वयं इस देश को तुम्हारे अधिकार में कर दूंगा, जहां दूध और शहद की बहुतायत है.” मैं याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं, जिसने तुम्हें उन लोगों से अलग किया है.

25“ ‘तुम्हें शुद्ध एवं अशुद्ध पशुओं, शुद्ध एवं अशुद्ध पक्षियों के बीच भेद स्पष्ट रखना होगा; किसी पशु, पक्षी अथवा कोई भी प्राणी, जो भूमि पर रेंगता है, जिसे मैंने उसकी अशुद्धता के कारण तुमसे अलग किया है, उसके कारण तुम स्वयं को अशुद्ध न करना. 26इस प्रकार ज़रूरी है कि तुम मेरे प्रति पवित्र रहो, क्योंकि मैं ही याहवेह हूं, जो पवित्र हूं; मैंने तुम्हें मेरी प्रजा होने के लिए लोगों से अलग किया है.

27“ ‘यदि कोई तांत्रिक एवं ओझा है, तो निश्चित ही उसका वध कर दिया जाए. उन पर पथराव किया जाए, उनके लहू का दोष उन्हीं पर है.’ ”