ルカの福音書 24 – JCB & NCA

Japanese Contemporary Bible

ルカの福音書 24:1-53

24

イエスは復活した

1日曜日の明け方早く、待ちかねた女たちは香油を持って墓に急ぎました。 2着いてみると、どうしたことでしょう。墓の入口をふさいであった大きな石が、わきへ転がしてありました。 3中へ入って見ると、主イエスの体は影も形もありません。 4「いったい、どうなってるのかしら。」女たちは途方にくれました。すると突然、まばゆいばかりに輝く衣をまとった人が二人、目の前に現れました。 5女たちはもう恐ろしくて、地に伏したまま顔も上げられず、わなわな震えていました。その人たちは言いました。「なぜ生きておられる方を、墓の中で捜しているのです。 6-7あの方はここにはおられません。復活なさったのです。まだガリラヤにおられたころ、何と言われましたか。メシヤは悪者たちの手に売り渡され、十字架につけられ、それから三日目に復活する、と言われたではありませんか。」 8そう言われて女たちは、はっと思いあたりました。 9そして、すぐさまエルサレムに取って返し、十一人の弟子やほかの人たちに一部始終を話しました。 10そのとき墓へ行った女たちは、マグダラのマリヤとヨハンナ、ヤコブの母マリヤ、そのほか数人でした。 11ところが、男たちには、この話がまるで物語のようで、とても現実のこととは思えません。だれも、まともに信じようとしませんでした。 12しかしペテロは、それでも一応は確認しなければと墓へ行き、身をかがめて中をのぞき込みました。すると、どうでしょう。亜麻布のほかに何も見あたりません。それで、この出来事に驚いて家に戻りました。

13この同じ日曜日のことです。二人の弟子が、エルサレムから十一キロほど離れたエマオという村へ急いでいました。 14二人が道々話し合っていたのは、イエスの死のことでした。 15そこへ突然、当のイエスが近づき、彼らと連れ立って歩き始めました。 16しかし二人には、イエスだとはわかりません。神がそうなさったのです。 17イエスが尋ねました。「何やら熱心にお話しのようですね。いったい何がそんなに問題なのですか。」すると二人は、急に顔をくもらせ、思わず足を止めました。 18クレオパというほうの弟子があきれたように、「エルサレムにいながら、先週起こった、あの恐ろしい出来事を知らないとは。そんな人は、あなたぐらいのものでしょう」と言いました。 19「どんなことでしょうか?」「ナザレ出身のイエス様のことをご存じないのですか。この方は、信じられないような奇跡を幾つもなさった預言者で、すばらしい教師でもあったのです。神からも人からも重んじられていたのですが、 20祭司長やほかの宗教的指導者たちは、理不尽にもこの方をつかまえて、ローマ政府に引き渡し、十字架につけてしまったのです。 21-23私たちは、この方こそ栄光に輝くメシヤで、イスラエルを救うために来られたに違いないと考えていたのですが。ところが、話はそれで終わらないのです。弟子仲間の女たちが、なんとも奇妙なことを言いだしたのです。処刑があった日から、今日で三日目になりますが、今朝がた早く、その女たちが墓へ行ったところ、イエス様のお体は影も形もなかったというではありませんか。しかもその場に天使が現れて、イエス様は生きておられると語ったとか……。 24その話を聞いて、仲間のある者たちが墓へ駆けつけて確認したのですが、彼らも口をそろえて、墓は空っぽだったと証言しているのです。」 25「ああ、どうしてそんなに、心が鈍いのですか。預言者たちが聖書に書いていることを信じられないのですか。 26キリストは栄光の時を迎える前に、必ずこのような苦しみを受けるはずだと、預言者たちははっきり語ったではありませんか。」 27それからイエスは、創世記から始めて、聖書(旧約)全体にわたって次々と預言者のことばを引用しては、救い主についての教えを説き明かされました。

28そうこうするうち、エマオに近づきましたが、イエスはまだ旅を続ける様子です。 29二人は、じきに暗くなるから、今晩はここでいっしょに泊まってくださいと熱心に頼みました。それでイエスもいっしょに家に入りました。 30食卓に着くと、イエスはパンを取り、神に祝福を祈り求め、ちぎって二人に渡しました。 31その瞬間、二人の目が開かれ、その人がイエスだとわかりました。と同時に、イエスの姿はかき消すように見えなくなりました。 32二人はあっけにとられながらも、「そう言えば、あの方が歩きながら語りかけてくださった時も、聖書のことばを説明してくださった時も、不思議なほど私たちの心が燃えていたではないか」と語り合いました。 33-34そして、すぐエルサレムへ取って返しました。戻ってみると、十一人の弟子たちやほかの弟子たちが迎え、「主は、ほんとうに復活された。ペテロがお会いしたのだからまちがいない」と話していました。 35そこで二人も、エマオへ行く途中イエスと出会ったことや、パンをちぎられた時にはっきりイエスだとわかったことなどを話しました。

36これらの話をしている時、突然イエスが現れ、みんなの真ん中に立たれたのです。 37彼らは幽霊を見ているのだと勘違いし、ぶるぶる震えました。 38「なぜそんなに驚くのですか。どうしてそんなに疑うのですか。 39さあ、この手を、この足を、よくごらんなさい。わたしにまちがいないでしょう。さあ、さわってみなさい。これでも幽霊でしょうか。幽霊だったら、体などないはずです。」 40イエスはそう言いながら、手を差し出して釘の跡を見せ、また、足の傷もお示しになりました。 41弟子たちは、うれしいけれども、まだ半信半疑です。心を決めかねて、ぼう然としていました。それでイエスは、「何か食べ物がありますか」とお尋ねになりました。 42焼き魚を一切れ差し上げると、 43イエスはみんなの見ている前で召し上がりました。

44イエスは言われました。「以前、いっしょにいた時、モーセや預言者の書いたこと、それに聖書の詩篇にあることは、必ずそのとおりになると話して聞かせたはずです。忘れてしまったのですか。」 45イエスが弟子たちの心の目を開いてくださったので、彼らはやっと理解しました。 46イエスは、さらに続けられました。「キリストは苦しめられ、殺され、そして三日目に復活することが、ずっと昔から記されていたのです。 47悔い改めてわたしのもとに立ち返る人は、だれでも罪が赦されます。この救いの知らせは、エルサレムから始まり、世界中に伝えられるのです。 48あなたがたはこのことの証人です。初めから何もかも見てきたのですから。 49わたしは、父が約束してくださった聖霊をあなたがたに送ります。しかし、聖霊が来て、天からの力で満たしてくださるまでは、都にとどまっていなさい。」

50それからイエスは、彼らをベタニヤまで連れて行き、手を上げて祝福してから、 51彼らから離れて行かれました。 52彼らは喜びに胸を躍らせて、エルサレムに戻り、 53いつも宮にいて神を賛美していました。

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

लूका 24:1-53

यीसू के जी उठई

(मत्ती 28:1-10; मरकुस 16:1-8; यूहन्ना 20:1-10)

1हप्‍ता के पहिली दिन बड़े बिहनियां, ओ माईलोगनमन जऊन मसाला के लेप तियार करे रिहिन, ओला लेके यीसू के कबर करा गीन। 2ओमन पथरा ला कबर के मुंहाटी ले ढलन्‍गे पाईन। 3पर जब ओमन कबर के भीतर गीन, त ओमन उहां परभू यीसू के देहें ला नइं पाईन। 4जब ओमन ए बात ला देखके अचम्भो करत रिहिन, त अचानक दू झन बहुंत चमकिला कपड़ा पहिरे ओमन करा आके ठाढ़ हो गीन। 5ओमन बहुंत डर्रा गीन अऊ अपन चेहरा ला तरी करके ठाढ़ हो गीन, तब ओ मनखेमन ओमन ला कहिन, “जऊन ह जीयत हवय, ओला तुमन मरे मन के बीच म काबर खोजत हवव? 6ओह इहां नइं ए। ओह जी उठे हवय। सुरता करव, जब ओह तुम्‍हर संग गलील प्रदेस म रिहिस, त तुमन ला का कहे रिहिस: 7‘मनखे के बेटा ह पापी मनखेमन के हांथ म सऊंपे जाही अऊ ओह कुरुस म चघाय जाही, पर तीसरा दिन ओह फेर जी उठही।’ ” 8तब ओ माईलोगनमन यीसू के बात ला सुरता करिन।

9जब ओमन कबर ले वापिस आईन, त ओमन ए जम्मो बात गियारह चेला अऊ दूसर जम्मो झन ला बताईन। 10ए माईलोगनमन मरियम मगदलिनी, योअन्ना अऊ याकूब के दाई मरियम रिहिन। एमन अऊ आने माईलोगनमन ए बात प्रेरितमन ला बताईन। 11पर ओमन माईलोगनमन के बात ला बिसवास नइं करिन काबरकि ओमन ला एह बेकार के बात लगिस। 12पर पतरस ह उठिस अऊ दऊड़त कबर म गीस। जब ओह निहरके देखिस, त उहां सिरिप कपड़ा ह पड़े रहय। तब जऊन कुछू होय रिहिस, ओकर बारे म अचम्भो करत, ओह अपन घर लहुंट गीस।

इम्माऊस के डहार म

(मरकुस 16:12-13)

13ओहीच दिन, यीसू के चेलामन ले दू झन इम्माऊस नांव के एक गांव ला जावत रिहिन, जऊन ह यरूसलेम सहर ले करीब गियारह किलोमीटर दूरिहा रिहिस। 14जऊन कुछू होय रिहिस, ओकर बारे म ओ दूनों गोठियावत जावत रिहिन। 15जब ओमन आपस म गोठियावत अऊ बिचार करत जावत रिहिन, त यीसू ह खुदे आईस अऊ ओमन के संग हो लीस; 16पर ओमन ओला चिन्हे नइं सकिन।

17यीसू ह ओमन ले पुछिस, “तुमन रेंगत-रेंगत काकर बारे म गोठियावत हवव?”

उदास होके ओमन ठाढ़े रह गीन। 18ओम ले एक झन के नांव क्‍लियुपास रिहिस, ओह कहिस, “का तेंह यरूसलेम म रहइया एके झन मनखे अस, जऊन ह नइं जानस कि ए दिनमन म यरूसलेम म का होय हवय?”

19यीसू ह पुछिस, “का होय हवय?”

ओमन यीसू ला कहिन, “नासरत के यीसू के बारे म। ओह एक अगमजानी रिहिस अऊ ओकर बात अऊ काममन परमेसर अऊ जम्मो मनखेमन के नजर म बहुंत सामरथी रिहिन। 20मुखिया पुरोहित अऊ हमर अधिकारीमन मिरतू दंड बर यीसू ला सऊंप दीन, अऊ ओमन ओला कुरुस म चघा दीन। 21पर हमन ला आसा रिहिस कि एह ओहीच ए, जऊन ह इसरायली मनखेमन ला बचाही। ए जम्मो के अलावा एक बात अऊ ए कि ए बात ला होवय आज तीसरा दिन ए। 22हमर संग के कुछू माईलोगनमन हमन ला अचम्भो म डार दे हवंय। ओमन आज बड़े बिहनियां कबर म गे रिहिन। 23पर ओमन ला उहां यीसू के देहें ह नइं मिलिस। ओमन आके हमन ला बताईन कि ओमन ला स्वरगदूतमन दरसन देके कहिन कि यीसू ह जी उठे हवय। 24तब हमर कुछू संगवारीमन कबर म गीन अऊ जइसने माईलोगनमन कहे रिहिन, वइसनेच पाईन; पर ओमन यीसू ला उहां नइं देखिन।”

25यीसू ह ओमन ला कहिस, “तुमन बहुंत मुरुख मनखे अव। अगमजानीमन जऊन बात कहे हवंय, ओ जम्मो ला बिसवास करे म तुमन बहुंत मंदमति अव। 26का एह जरूरी नइं रिहिस कि मसीह ह ए जम्मो दुःख भोगय अऊ तब परमेसर ओकर बहुंत महिमा करय।” 27मूसा अऊ जम्मो अगमजानीमन के किताबमन ले सुरू करके परमेसर के जम्मो बचन म ओकर खुद के बारे म का कहे गे हवय – यीसू ह ओ जम्मो बात ओमन ला समझाईस।

28जब ओमन ओ गांव म हबरिन, जिहां ओमन ला जाना रिहिस, त यीसू ह अइसने देखाईस, जइसने ओला अऊ आघू जाना हवय। 29पर ओमन ओकर ले बहुंत बिनती करके कहिन, “हमर संग रूक जा, काबरकि दिन ह बहुंत ढर गे हवय, अऊ सांझ होवइया हे।” एकरसेति यीसू ह ओमन के संग रूके बर भीतर गीस।

30जब यीसू ह ओमन के संग खाय बर बईठिस, त ओह रोटी लीस अऊ परमेसर ला धनबाद दीस; अऊ रोटी ला टोरके ओमन ला देय लगिस। 31तब ओमन के आंखीमन खुल गीन अऊ ओमन यीसू ला चिन डारिन; पर ओह ओमन के नजर ले गायब हो गीस। 32ओमन एक-दूसर ला कहिन, “का हमर मन म एक किसम के उत्साह नइं होवत रिहिस, जब ओह डहार म हमर ले गोठियावत रिहिस अऊ हमन ला परमेसर के बचन समझावत रिहिस?”

33ओमन उठिन अऊ तुरते यरूसलेम वापिस चल दीन। उहां ओमन गियारह चेला अऊ आने मन ला एके ठऊर म पाईन, 34अऊ ओमन ए कहत रिहिन, “एह सच ए! परभू ह जी उठे हवय अऊ ओह सिमोन ला दिखे हवय।” 35तब ओ दूनों झन बताईन कि डहार म का होईस, अऊ ओमन कइसने यीसू ला चिनहिन, जब ओह रोटी टोरत रिहिस।

यीसू ह चेलामन ला दरसन देथे

(मत्ती 28:16-20; मरकुस 16:14-18; यूहन्ना 20:19-23; प्रेरितमन के काम 1:6-8)

36जब ओमन एकर बारे म गोठियावत रिहिन, त यीसू ह खुद ओमन के बीच आके ठाढ़ हो गीस अऊ ओमन ला कहिस, “तुमन ला सांति मिलय।”

37ओमन घबरा गीन अऊ डर गीन। ओमन समझिन कि ओमन कोनो भूत ला देखत हवंय। 38यीसू ह ओमन ला कहिस, “तुमन काबर घबरावत हव, अऊ तुम्‍हर मन म काबर संसो होवत हवय? 39मोर हांथ अऊ गोड़ मन ला देखव। इहां मेंह खुदे ठाढ़े हवंव। मोला छुके देखव। भूत के हाड़ा अऊ मांस नइं होवय, जइसने कि तुमन देखत हव, मोर हवय।”

40ए कहिके, यीसू ह ओमन ला अपन हांथ अऊ गोड़ मन ला देखाईस। 41अऊ जब आनंद अऊ अचम्भो के मारे ओमन अभी घलो बिसवास नइं करत रिहिन, त यीसू ह ओमन ले पुछिस, “का तुम्‍हर करा इहां कुछू खाय बर हवय?” 42ओमन ओला आगी म भूने मछरी के एक टुकड़ा दीन। 43यीसू ह ओला लीस अऊ ओमन के आघू म खाईस।

44तब यीसू ह ओमन ला कहिस, “जब मेंह तुम्‍हर संग रहत रहेंव, त मेंह तुमन ला ए बातमन ला कहे रहेंव। मोर बारे म जऊन बातमन मूसा के कानून, अगमजानीमन के किताब अऊ भजन-संहिता म लिखे हवय, ए जरूरी अय कि ओ जम्मो बात पूरा होवय।”

45तब यीसू ह ओमन के दिमाग ला खोल दीस ताकि ओमन परमेसर के बचन ला समझ सकंय। 46ओह ओमन ला कहिस, “परमेसर के बचन म ए लिखे हवय: ‘मसीह ह दुःख भोगही अऊ तीसरा दिन मरे म ले जी उठही, 47अऊ ओकर नांव म पछताप अऊ पाप छेमा के परचार जम्मो देस म करे जाही अऊ ए काम यरूसलेम ले सुरू होही।’ 48तुमन ए जम्मो बात के गवाह अव। 49मेंह तुम्‍हर करा ओला (पबितर आतमा) पठोहूं, जेकर वायदा मोर ददा ह करे हवय। पर तुमन ए सहर म ठहरे रहव, जब तक कि तुमन ला स्‍वरग ले सामरथ नइं मिल जावय।”

यीसू के स्‍वरग जवई

(मरकुस 16:19-20; प्रेरितमन के काम 1:9-11)

50तब यीसू ह ओमन ला सहर ले बाहिर बैतनियाह गांव के लकठा म ले गीस अऊ उहां ओह अपन हांथ उठाके ओमन ला आसिस दीस। 51यीसू ह आसिस देवत ओमन ले अलग हो गीस अऊ स्‍वरग म उठा लेय गीस। 52तब ओमन ओकर अराधना करिन अऊ बहुंत आनंद के संग यरूसलेम लहुंट गीन। 53अऊ परमेसर के इस्तुति करत, ओमन अपन पूरा समय मंदिर म बिताय करत रिहिन।