ルカの福音書 13 – JCB & NCA

Japanese Contemporary Bible

ルカの福音書 13:1-35

13

救われる人は少ない

1そのころ、ガリラヤ出身のユダヤ人が数名、エルサレムの神殿で供え物をしていた時、ピラトに殺害されたというニュースが、イエスに伝えられました。 2これを聞いたイエスは言われました。「この人たちが、ほかのどのガリラヤ出身の人よりも罪が深かったから、こんな災難に会ったと思いますか。 3それは違います。あなたがたも、悔い改めて神に立ち返らなければ、同じように滅びるのです。 4また、シロアムの塔の下敷きになって、十八人が死にました。彼らのことはどう思いますか。エルサレムで一番罪深い人たちだったのでしょうか。 5そんなことはありません。あなたがたも罪を悔い改めないなら、同じように滅びるのです。」

6そして、次のようなたとえを話されました。「ある人が、ぶどう園にいちじくの木を植えました。そして、実がなっているかどうか、何度も見に行きました。ところが、期待はいつも裏切られてばかりです。 7とうとう主人は怒って、『こんなろくでもない木は切り倒してしまいなさい』と番人に命じました。『三年も待ったのに、一つも実がなったためしがない。もうこれ以上、手をかけることはない。何のために土地をふさいでいるのか。』 8すると番人は、何とか思いとどまらせようと、なだめにかかりました。『ご主人様。もう一年だけお待ちください。念入りに肥料をやってみましょう。 9それで来年実がなれば、もうけものです。だめなら、それから切り倒しても遅くはありません。』」

10ある安息日のこと、イエスは会堂で教えておられました。 11そこに、十八年もの間、病で腰が曲がったきりで伸ばすことのできない女がいました。 12イエスが女をそばへ呼び、「さあ、あなたの病気は治りました」とおっしゃって、 13手をふれると、女の腰は伸びました。女は喜びを抑えきれず、神をあがめ、賛美しました。 14ところが、会堂の責任を持っていた、この地方のユダヤ人指導者は、それが安息日だというので腹を立て、群衆に怒りをぶちまけました。「よりによって安息日に病気を治してもらうなど、もってのほかだ! 仕事のできる日は、一週間に六日もあるのだから、その間に治してもらえばいいのだ。」 15しかし、イエスは言われました。「いいえ、あなたがたこそ偽善者です。安息日に働いていないと言いきれるのですか。安息日でも、家畜を小屋から出して、水を飲ませに連れて行くではありませんか。 16わたしは今、十八年もの間サタンに束縛されていた、ユダヤ人の女を解放してあげたのです。たまたまそれが安息日だったからといって、どこがいけないのですか。」 17このイエスのことばに、敵対する者たちは恥じ入り、群衆はみな、イエスの行ったすばらしいみわざを喜びました。

18そこでイエスは、神の国について教え始められました。「神の国は何に似ているでしょう。どういうふうに説明したらいいでしょう。 19神の国は、畑にまいた小さなからし種のようです。やがて大きな木に成長し、鳥が枝に巣をかけるほどになるのです。

20-21また神の国は、パン種のようだとも言えます。目には見えないけれども、少しずつ確実に作用して、パン全体を大きくふくらませるのです。」

22イエスは町々村々を通り、人々に教えながら、ひたすらエルサレムへと進んで行かれました。 23ある人がイエスに、「救われる人は少ないのでしょうか」と尋ねました。イエスはお答えになりました。 24「天国への門は狭いのです。できるかぎりの努力をして、そこから入りなさい。よく言っておきますが、入ろうとしても、入れない人がたくさんいるのです。 25家の主人が戸を閉めてからでは遅すぎます。外に立ち、どんどんたたきながら、『ご主人様! 開けてください、お願いでございます』と、なりふりかまわず頼んでも、中からは、『おまえたちなど全然知らない』と、冷たい返事が返ってくるだけです。 26あなたがたはそれでもあきらめず、『何かのまちがいでは? 私たちは、あなたと食事をごいっしょしたこともありますし、大通りで教えをいただきました』と食い下がるでしょう。 27けれども主人は、けんもほろろに答えるのです。『おまえたちなど知らないと言うのが、聞こえないのか。おまえたちのような者は、ここには入れないのだ。とっとと行ってしまいなさい。』

28アブラハム、イサク、ヤコブ、それに預言者たちもみな神の国に入っているのに、あなたがたはいつまでも外に立ち尽くして、泣きわめき、歯ぎしりするのです。 29人々は、あちらからもこちらからも来て、神の国に迎え入れられ、席に着きます。 30いいですか。このことを肝に銘じておきなさい。今は軽んじられている者が、その時には大いにほめたたえられ、今は重んじられている者が、その時には最も軽んじられるのです。」

31ちょうどその時、数人のパリサイ人が近寄って来て、イエスに忠告しました。「いのちが惜しかったら、ここから出て行きなさい。ヘロデ王があなたを殺そうとねらっています。」

32イエスはお答えになりました。「あのきつねにこう言ってやりなさい。今日も、明日も、わたしは悪霊を追い出し、病人をいやし、そして三日目に目的を果たします。 33今日も、明日も、その次の日も、わたしは進んで行くのです。神から遣わされた預言者が、エルサレム以外の場所で殺されることはありえないからです。

34ああ、エルサレムよ。なんという町でしょう。預言者たちを殺し、町を救うために遣わされた人たちを石で打ち殺すとは。めんどりがひなを翼の下にかばうように、わたしは何度あなたの子どもたちを集めようとしたことでしょう。しかし、あなたがたはそれを拒んだのです。 35だから今、あなたがたの家は荒れ果てたまま見捨てられます。はっきり言いましょう。あなたがたが、『主の名によって来られる方、祝福あれ』と言うその日まで、わたしの姿を二度と見ることはないのです。」

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

लूका 13:1-35

पाप ले पछताप करव या नास होवव

1ओ समय उहां कुछू मनखेमन रिहिन। ओमन यीसू ला ओ गलील के मनखेमन के बारे म बताईन, जेमन ला पीलातुस ह मरवाय रिहिस, जब ओमन परमेसर ला बलिदान चघावत रिहिन। 2ए सुनके यीसू ह ओमन ला जबाब दीस, “का तुमन ए सोचथव कि ए गलीलीमन आने जम्मो गलीली मनखेमन ले जादा पापी रिहिन, काबरकि ओमन ए किसम ले मारे गीन? 3नइं! पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि यदि तुमन अपन पाप ले पछताप नइं करहू, त तुमन जम्मो झन घलो ओमन सहीं नास होहू। 4या ओ अठारह झन के बारे म का सोचथव, जऊन मन मर गीन, जब ओमन के ऊपर सीलोह म गुम्मट ह गिरिस, का ओमन यरूसलेम म रहइया अऊ आने जम्मो झन ले जादा कसूरदार रिहिन? 5नइं! मेंह तुमन ला कहत हंव कि यदि तुमन अपन पाप ले पछताप नइं करहू, त तुमन जम्मो झन घलो ओमन सहीं नास होहू।”

6तब यीसू ह ए पटं‍तर कहिस, “एक मनखे के अंगूर के बारी म एक ठन अंजीर के रूख रिहिस। एक दिन ओ मनखे ह ओ रूख म फर देखे बर गीस, पर ओह एको ठन फर नइं पाईस। 7एकरसेति ओह अपन बारी के माली ला कहिस, ‘देख, तीन साल ले मेंह ए अंजीर के रूख म फर देखे बर आवत हवंव पर एको ठन नइं पाय हवंव। ए रूख ला काट डार। एह काबर भुइयां ला घेरे रहिही।’ 8पर बारी के माली ह कहिस, ‘हे मालिक, एला एक बछर अऊ रहन दे; मेंह एकर चारों अंग माटी ला कोड़हूं अऊ ओम खातू डालहूं। 9कहूं एह अगले साल फरही, त ठीक। कहूं नइं फरही, त तेंह काट डारबे।’ ”

यीसू ह एक अपंग माईलोगन ला बिसराम दिन म बने करथे

10एक बिसराम के दिन, यीसू ह एक ठन सभा घर म उपदेस देवत रिहिस। 11उहां एक माईलोगन रिहिस, जऊन ला परेत आतमा ह अठारह साल ले अपंग कर दे रिहिस। ओह कुबड़ी हो गे रिहिस अऊ कइसने करके घलो सीधा ठाढ़ नइं हो सकत रिहिस। 12जब यीसू ह ओला देखिस, त ओला आघू म बलाईस अऊ ओकर ले कहिस, “हे नारी! तोर बेमारी ह दूर हो जावय।” 13तब यीसू ह ओकर ऊपर अपन हांथ रखिस, अऊ तुरते ओ माईलोगन ह सीधा ठाढ़ हो गीस अऊ परमेसर के महिमा करिस।

14काबरकि यीसू ह ओ माईलोगन ला बिसराम दिन म बने करे रिहिस, एकरसेति सभा घर के अधिकारी ह खिसियाईस अऊ मनखेमन ला कहिस, “काम करे बर छै दिन हवय। एकरसेति ओ दिनमन म आवव अऊ बने होवव, पर बिसराम दिन म नइं।”

15परभू ह ओला ए जबाब दीस, “हे ढोंगी मनखेमन, का तुमन ले हर एक मनखे बिसराम दिन म अपन बइला या गदहा ला कोठा ले ढिल के पानी पीयाय बर नइं ले जावय? 16तब ए माईलोगन जऊन ह अब्राहम के संतान अय, अऊ जऊन ला सैतान ह अठारह साल ले बांधके रखे रिहिस। का एह ठीक नो हय कि ओला बिसराम दिन म ए बंधन ले छुटकारा मिलय?”

17जब यीसू ह ए बात कहिस, त ओकर जम्मो बिरोधीमन के बेजत्ती होईस, पर जऊन अद्भूत काम ओह करत रिहिस, ओकर ले मनखेमन खुस होईन।

सरसों बीजा अऊ खमीर के पटं‍तर

(मत्ती 13:31-32, 33; मरकुस 4:30-32)

18तब यीसू ह पुछिस, “परमेसर के राज ह काकर सहीं अय? मेंह एकर तुलना काकर संग करंव? 19एह ओकर सहीं अय, जब एक मनखे ह एक ठन सरसों के बीजा ला लीस अऊ अपन बारी म बोईस। ओह बाढ़िस, अऊ बाढ़के एक ठन रूख हो गीस, अऊ अकास के चिरईमन एकर थांघामन म बसेरा करिन।”

20यीसू ह फेर पुछिस, “मेंह परमेसर के राज के तुलना काकर संग करंव? 21एह खमीर सहीं अय, जऊन ला एक माईलोगन ह लीस अऊ ओला बहुंत अकन आंटा म मिलाके तब तक गुंथिस, जब तक कि आंटा ह फूल नइं गीस।”

संकरा कपाट

(मत्ती 7:13-14, 21-23)

22यीसू ह यरूसलेम सहर जावत बेरा, डहार म ओह सहर अऊ गांव मन म उपदेस करत गीस। 23एक झन ओकर ले पुछिस, “हे परभू, का सिरिप थोरकन मनखेमन उद्धार पाहीं?”

24यीसू ह ओमन ला कहिस, “संकरा कपाट ले होके जाय के भरसक कोसिस करव; काबरकि मेंह तुमन ला कहत हंव कि बहुंते मनखेमन एम ले जाय के कोसिस करहीं, पर जाय नइं सकहीं। 25जब एक बार घर के मालिक ह उठही अऊ कपाट ला बंद कर दिही, त तुमन बाहिर म ठाढ़े रहि जाहू अऊ कपाट ला खटखटावत ए बिनती करहू, ‘हे परभू, हमर बर कपाट ला खोल दे।’

पर ओह तुमन ला ए जबाब दिही, ‘मेंह नइं जानंव कि तुमन कहां ले आय हवव।’

26तब तुमन ह कहिहू, ‘हमन तोर संग खाय पीये रहेंन, अऊ तेंह हमर गली म उपदेस दे हवस।’

27पर ओह जबाब दिही, ‘मेंह नइं जानंव कि तुमन कहां ले आय हवव। हे कुकरमीमन! तुमन जम्मो झन मोर ले दूरिहा हटव।’

28जब तुमन अब्राहम, इसहाक, याकूब अऊ जम्मो अगमजानीमन ला परमेसर के राज म बईठे अऊ अपन-आप ला बाहिर फेंके हुए देखहू, त तुमन रोहू अऊ अपन दांत पीसहू। 29मनखेमन पूरब, पछिम अऊ उत्तर, दक्खिन, चारों दिग ले आहीं अऊ परमेसर के राज के भोज म सामिल होहीं। 30अऊ देखव! जऊन मन आखिरी म हवंय, ओमन पहिली हो जाहीं; अऊ जऊन मन पहिली हवंय, ओमन आखिरी म हो जाहीं।”

यरूसलेम सहर बर यीसू के दुःख

(मत्ती 23:37-39)

31ओतकी बेरा कुछू फरीसीमन यीसू करा आईन अऊ ओला कहिन, “तेंह ए जगह ला छोंड़के कहीं अऊ चल दे; काबरकि हेरोदेस राजा ह तोला मार डारे बर चाहथे।”

32यीसू ह ओमन ला कहिस, “जावव अऊ ओ कोलिहा ले कहव; आज अऊ कल मेंह परेत आतमामन ला निकारहूं अऊ बेमार मनखेमन ला बने करहूं, अऊ तीसरा दिन मोर काम ह पूरा हो जाही। 33कुछू घलो होवय, मोला आज, कल अऊ परसों चलते रहना जरूरी ए – काबरकि एह नइं हो सकय कि एक अगमजानी ह यरूसलेम सहर के बाहिर म मरय।

34हे यरूसलेम के मनखेमन! तुमन अगमजानीमन ला मार डारथव अऊ तुमन ओ संदेसियामन ऊपर पथरा फेंकथव, जऊन मन ला परमेसर ह तुम्‍हर करा पठोथे। कतको बार मेंह चाहेंव कि तुमन ला एक संग संकेलंव, जइसने एक कुकरी ह अपन चियांमन ला अपन डेना खाल्‍हे म संकेलथे, पर तुमन मोला अइसने करन नइं देवव। 35देखव, ओ जगह जिहां तुमन रहिथव, ओह उजाड़ छोंड़े जावथे। मेंह तुमन ला कहत हंव कि तुमन मोला तब तक नइं देखहू, जब तक कि तुमन ए नइं कहिहू, ‘धइन ए ओ, जऊन ह परभू के नांव म आथे।’13:35 भजन-संहिता 118:26