ヨブ 記 17 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

ヨブ 記 17:1-16

17

1私の病は重く、死の一歩手前です。

墓は口を開いて私を迎えます。

2あざける者が私を取り巻き、

右を見ても左を見ても、彼らの姿が目につきます。

3-4私の潔白を証明してくれる者は、

どこにもいないのでしょうか。

ああ神よ、だれも私を理解しないよう仕向けたのは、

あなたです。

だから、お願いします。

彼らが勝ち誇らないようにしてください。

5わいろをもらって友人を告発するような者の

子どもたちは、目が衰えて見えなくなる。

6神は私を物笑いの種にした。

人々は私の顔につばを吐く。

7あまりの情けなさに、目は涙にかすむ。

今の私は昔の影にすぎない。

8公正な人がいたら、私を見て驚くだろう。

しかし最後には、潔白な人は不信心な者の先頭に立つ。

9正しい人は躍進を続け、

心のきよい人はいっそう力を増し加える。

10みんな、頼むから帰ってくれないか。

だれも、理解できていないのだ。

11私の古き良き時代は終わった。

希望は失せ、夢は破れた。

12夜を昼、昼を夜だと人は言う。

とんでもない錯覚だ。

13-14死ねば、暗闇の中に入り、

墓をわが父と言い、うじ虫をわが母、わが姉妹と呼ぶ。

15そうなったら、私の望みはどうなるのだ。

だれが、望みを見つけてくれるのか。

16それは、私とともに墓に下る。

ちりの中で共に憩うようになるのだ。」

Hindi Contemporary Version

अय्योब 17:1-16

1मेरा मनोबल टूट चुका है,

मेरे जीवन की ज्योति का अंत आ चुका है,

कब्र को मेरी प्रतीक्षा है.

2इसमें कोई संदेह नहीं, ठट्ठा करनेवाले मेरे साथ हो चुके हैं;

मेरी दृष्टि उनके भड़काने वाले कार्यों पर टिकी हुई है.

3“परमेश्वर, मुझे वह ज़मानत दे दीजिए, जो आपकी मांग है.

कौन है वह, जो मेरा जामिन हो सकेगा?

4आपने तो उनकी समझ को बाधित कर रखा है;

इसलिए आप तो उन्हें जयवंत होने नहीं देंगे.

5जो लूट में अपने अंश के लिए अपने मित्रों की चुगली करता है,

उसकी संतान की दृष्टि जाती रहेगी.

6“परमेश्वर ने तो मुझे एक निंदनीय बना दिया है,

मैं तो अब वह हो चुका हूं, जिस पर लोग थूकते हैं.

7शोक से मेरी दृष्टि क्षीण हो चुकी है;

मेरे समस्त अंग अब छाया-समान हो चुके हैं.

8यह सब देख सज्जन चुप रह जाएंगे;

तथा निर्दोष मिलकर दुर्वृत्तों के विरुद्ध हो जाएंगे.

9फिर भी खरा अपनी नीतियों पर अटल बना रहेगा,

तथा वे, जो सत्यनिष्ठ हैं, बलवंत होते चले जाएंगे.

10“किंतु आओ, तुम सभी आओ, एक बार फिर चेष्टा कर लो!

तुम्हारे मध्य मुझे बुद्धिमान प्राप्‍त नहीं होगा.

11मेरे दिनों का तो अंत हो चुका है, मेरी योजनाएं चूर-चूर हो चुकी हैं.

यही स्थिति है मेरे हृदय की अभिलाषाओं की.

12वे तो रात्रि को भी दिन में बदल देते हैं, वे कहते हैं, ‘प्रकाश निकट है,’

जबकि वे अंधकार में होते हैं.

13यदि मैं घर के लिए अधोलोक की खोज करूं,

मैं अंधकार में अपना बिछौना लगा लूं.

14यदि मैं उस कब्र को पुकारकर कहूं,

‘मेरे जनक तो तुम हो और कीड़ों से कि तुम मेरी माता या मेरी बहिन हो,’

15तो मेरी आशा कहां है?

किसे मेरी आशा का ध्यान है?

16क्या यह भी मेरे साथ अधोलोक में समा जाएगी?

क्या हम सभी साथ साथ धूल में मिल जाएंगे?”