ヤコブの手紙 1 – JCB & NCA

Japanese Contemporary Bible

ヤコブの手紙 1:1-27

1

1神と主イエス・キリストに仕えているヤコブから、国外にいるユダヤ人クリスチャンの皆さんにごあいさつ申し上げます。

困難は人を忍耐強くする

2愛する皆さん。あなたがたの人生は、多くの困難と誘惑に満ちていますか。そうであれば喜びなさい。 3行く道が険しければ、それは忍耐を養う良いチャンスとなるからです。 4忍耐力を十分に養いなさい。さまざまな問題が持ち上がった時、そこから逃げ出そうともがいてはいけません。忍耐力が十分身につけば、完全に成長した、どんなことにもびくともしない、強い人になれるでしょう。

5神が何を望んでおられるか知りたいなら、遠慮なく、直接尋ねなさい。神は喜んで教えてくださいます。願い求める人には、神はいつでも惜しみなく、あふれるばかりの知恵を授けてくださるからです。そのことで、決してとがめたりはなさいません。 6-8ただ、その場合、神は必ず答えてくださると確信して願い求めなさい。疑う人の心は、風に波立つ水面のように不安定なものです。そんな疑いの心では、主に何を期待してもむだです。

9あなたがたの中で、貧しいために見下されている人は、そのことを喜びなさい。主が高く評価してくださるからです。 10-11また裕福な人は、主にとっては富が無に等しいことを知って、喜びなさい。裕福な人の一生は、美しく咲いては枯れる花のように、はかなく過ぎ去ってしまうからです。忙しく飛び回っていても、その働きの完成を見ないうちに死んでしまうのです。

12誘惑に負けて悪に走らない人は幸いです。なぜなら、神を愛する人に約束されたいのちの冠を、ほうびとしていただけるからです。 13悪に手を出しそうになった時、神から誘惑されたなどと言ってはなりません。神が悪を望まれるはずはありませんし、また、悪へ誘ったりするわけもないのです。 14人は、自分の欲や悪い考えに引かれて誘惑されるのです。 15その欲や悪い考えが悪へと駆り立て、ついには、神から永遠に引き離される死の刑罰へと追いやるのです。 16ですから、だまされてはいけません。

良いものは神から来る

17すべての良いもの、完全なものは、光を造られた神から来るのです。神にはわずかの変化もくもりもなく、いつまでも輝いています。 18神は御心のままに、真理のことばによって、私たちに新しいいのちを与えてくださいました。こうして私たちは、神の新しい家族の最初の子どもとされたのです。

19愛する皆さん。人のことばにまず耳を傾け、自分はあとから語り、怒るのは最後にしなさい。 20怒りは、神の義から私たちを遠く引き離すからです。 21ですから、自分の生活を総点検して、どんな悪をもすっかり取り除き、神のことばをすなおに受け入れなさい。神のことばには、私たちの心をとらえ、たましいを救う力があるからです。

22また聞くだけでなく、それを実行することも忘れてはなりません。みことばを聞くだけは聞いて、自分を偽った行動をとることがありませんように。 23聞いただけで実行に移さない人は、鏡に映る自分の顔をながめているようなものです。 24鏡から離れると、自分がどんな表情をしていたか、すっかり忘れてしまいます。 25しかし、〔完全な律法、自由の律法である〕神の教えを一心に見つめて離れない人は、すぐに忘れたりしないばかりか、その命令を実行します。神は、そのような人の行いに大きな祝福を与えてくださいます。

26もしも、「私はクリスチャンです」と言いながら、平気でとげのあることばを口にする人がいれば、その人は自分を偽っていることになります。そのような信仰には何の価値もありません。 27父なる神の目から見て、純粋で汚れのない信仰とは、みなしごや未亡人が困っていれば世話をし、この世から自分をきよく守ることです。

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

याकूब 1:1-27

1परमेसर अऊ परभू यीसू मसीह के सेवक याकूब कोति ले, ए चिट्ठी ओ बारह गोत्र के मनखेमन ला लिखे जावत हवय, जऊन मन संसार म एती-ओती बगर गे हवंय। तुमन जम्मो झन ला जोहार मिलय1:1 “बारह गोत्र” के मतलब जम्मो मसीही या यहूदी मसीही मन हो सकथे।

लोभ अऊ परिछा

2हे मोर भाईमन, जब तुम्‍हर ऊपर नाना किसम के परिछा आथे, त एला बड़ आनंद के बात समझव, 3काबरकि तुमन जानत हव कि तुम्‍हर बिसवास के परखे जाय ले तुम्‍हर धीरज ह बढ़थे। 4पर धीरज ला अपन काम करन देवव कि तुमन पूरा अऊ सिद्ध हो जावव अऊ तुमन म कोनो बने बात के कमी झन रहय।

5कहूं तुमन ले कोनो म बुद्धि के कमी हवय, त ओह परमेसर ले मांगय, जऊन ह बिगर गलती देखे, जम्मो झन ला खुला मन ले देथे अऊ एह ओला दिये जाही। 6पर ओह बिसवास के संग मांगय अऊ ओकर मन म कुछू संका झन रहय, काबरकि संका करइया ह समुंदर के लहरा के सहीं अय, जऊन ह हवा ले एती-ओती बहथे अऊ उछलथे। 7अइसने मनखे ह ए झन सोचय कि ओला परभू ले कुछू मिलही। 8ओह दुचित्ता मनखे ए अऊ ओह अपन जम्मो काम म चंचल ए।

9गरीब आदमी ए बात के घमंड करय कि ओह परमेसर के नजर म बड़े अय। 10अऊ धनवान मनखे ह खुस होवय कि परमेसर ह ओला दीन-हीन करे हवय। काबरकि ओह जंगली फूल सहीं खतम हो जाही। 11जब सूरज ह निकरथे, त अब्‍बड़ घाम पड़थे अऊ पौधा ला सूखा देथे; ओकर फूल ह झर जाथे अऊ ओकर सुघरपन ह खतम हो जाथे; ओहीच किसम ले, धनवान घलो अपन काम ला करत नास हो जाही।

12धइन ए ओ मनखे, जऊन ह जिनगी के परिछा म डोले नइं; काबरकि ओह चोखा निकरके जिनगी के ओ मुकुट ला पाही याने कि सदाकाल के जिनगी पाही, जेकर वायदा परभू ह अपन मया करइयामन ले करे हवय। 13जब काकरो परिछा होथे, त ओह ए झन कहय कि मोर परिछा परमेसर ह करत हवय, काबरकि न तो खराप बात ले परमेसर के परिछा हो सकथे अऊ न ही ओह काकरो परिछा खुद करथे।

14पर हर एक मनखे अपनेच खराप ईछा के कारन फंसथे अऊ परिछा म पड़थे। 15तब खराप ईछा ह बढ़के पाप ला जनमथे अऊ जब पाप ह बढ़ जाथे, त मनखे के आतमिक मिरतू हो जाथे।

16हे मोर भाईमन, भोरहा म झन रहव। 17काबरकि हर एक बने अऊ उत्तम बरदान स्‍वरग ले आथे अऊ परमेसर ददा, जऊन ह अंजोर ला बनाईस, ओकर कोति ले, ए बरदान ह मिलथे, अऊ ओह बदलत छइहां सहीं नइं बदलय। 18ओह अपन ईछा ले हमन ला सुघर संदेस के दुवारा नवां जिनगी दीस, ताकि हमन परमेसर बर ओकर बनाय जम्मो चीजमन ले अलग करे जावन।

सुनव अऊ करव

19हे मोर भाईमन, ए गोठ ला तुमन जान लेवव: हर एक मनखे पहिली धियान देके सुनय अऊ धीर धरके बोलय अऊ तुरते गुस्सा झन होवय। 20काबरकि मनखे के गुस्सा ह परमेसर के धरमीपन नइं लाने सकय। 21एकरसेति जम्मो गंदगी अऊ बईरता ला छोंड़ देवव, अऊ दीन-हीन होके ओ बचन ला गरहन कर लेवव, जऊन ह तुम्‍हर हिरदय म बोय गे हवय अऊ तुम्‍हर उद्धार कर सकथे। 22पर बचन के मुताबिक चलइया बनव अऊ बचन के सिरिप सुनइया बनके अपन-आप ला धोखा झन देवव। 23जऊन ह बचन ला सुनथे अऊ ओकर मुताबिक नइं चलय, त ओह ओ मनखे सहीं अय, जऊन ह अपन चेहरा ला दरपन म देखथे। 24अऊ ओह अपन-आप ला देखके चल देथे अऊ तुरते भुला जाथे कि ओह कइसने दिखथे। 25पर जऊन मनखे ह ओ सिद्ध कानून ऊपर धियान लगाथे, जऊन ह हमन ला सुतंतर करथे, ओ मनखे ह अपन काम म एकरसेति आसिस पाही, काबरकि ओह सुनके भूलय नइं, पर ओकर मुताबिक चलथे।

26कहूं कोनो अपन-आप ला धारमिक समझथे अऊ अपन जीभ ला अपन बस म नइं रखय, त ओह अपन-आप ला धोखा देथे अऊ ओकर धरम ह बेकार ए। 27हमर परमेसर ददा के नजर म सही अऊ बने धरम ए अय कि दुःख म अनाथ अऊ बिधवामन के देख-रेख करय, अऊ अपन-आप ला संसार के बुरई ले अलग रखय।