ネヘミヤ 記 1 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

ネヘミヤ 記 1:1-11

1

ネヘミヤの祈り

1ハカルヤの子ネヘミヤの記録――

ペルシヤのアルタシャスタ王の時代、第二十年の第三の月のこと、私はシュシャンの宮殿で王に仕えていましたが、 2そこにハナニという名の同胞が、ユダヤから来た人々といっしょに訪ねて来ました。この時とばかり、私はエルサレムの様子を尋ねてみました。「捕囚の地からエルサレムに戻った人々は元気にやっていますか。」 3「実は、大変な目に会っています。城壁はくずされたまま、門も焼き払われたままです。」

4私はそれを聞いて、座りこんで泣きました。そしてそれから何日も断食して、天の神にひたすら祈り続けました。 5「ああ、主なる神様。あなたを愛し、あなたに従う者に対して約束されたことを果たし、愛と思いやりを示してくださる、畏れかしこむべき神様。どうか、この祈りをお聞きください。 6-7私の訴えに耳を傾けてください。夜も昼もイスラエル国民のために祈っている私に、目を留めてください。確かに私たちは罪を犯しました。あなたがあなたのしもべモーセによってお与えくださった戒めを破るという恐ろしい罪を犯してしまったのです。 8しかし神様。あなたはモーセに、こうお語りになったではありませんか。『もしあなたがたが罪を犯すなら、わたしはあなたがたを国々に散らす。 9しかし、わたしのもとに立ち返り、わたしのおきてに従うなら、たとえ地の果てからでも、あなたがたをエルサレムへ連れ戻そう。エルサレムこそ、わたしが住む場所として選んだ地だからだ。』

10私たちはあなたに仕える者です。あなたの偉大な御力によって救われた国民です。 11主よ、どうか私の祈りを聞き入れてください。神様を敬うことを喜びとする者の祈りに、耳を傾けてください。王のもとに行き、嘆願をしますので、どうかお助けください。王が寛容な処置をしてくれるよう、王の心に働きかけてください。」当時、私は王の献酌官(王に酌をする重要な官吏)をしていました。

Hindi Contemporary Version

नेहेमियाह 1:1-11

नेहेमियाह की प्रार्थना

1यह हाकालियाह के पुत्र नेहेमियाह के वचन हैं.

यह घटना बीसवें वर्ष के किसलेव महीने की है, जब मैं राजधानी शूशन में था, 2यहूदिया से कुछ लोग मेरे एक रिश्तेदार हनानी के साथ आए; मैंने उनसे येरूशलेम के बारे में और उन यहूदियों के बारे में जानकारी पाई, जो बंधुआई से बच निकले थे और जो अब जीवित थे.

3उन्होंने मुझे बताया, “वह बचे हुए यहूदी, जो बंधुआई से जीवित बच निकल आये हैं और जो इस समय उस प्रदेश में रह रहे हैं, वे बड़े दर्द में और निंदनीय अवस्था में हैं. येरूशलेम की शहरपनाह टूट चुकी है और उसके प्रवेश फाटक जला दिए जा चुके हैं.”

4यह सुनकर मैं बैठकर रोने लगा और मैं बहुत दिन रोता रहा; कुछ दिन तक मैं स्वर्ग के परमेश्वर के सामने उपवास और प्रार्थना करता रहा. 5मैंने कहा:

“याहवेह, स्वर्ग के परमेश्वर यह मेरी प्रार्थना है, आप जो महान और आदरणीय परमेश्वर हैं, आप, जो उनके प्रति अपनी वाचा और अपनी करुणा रखते हैं, जो आपके प्रति अपने प्रेम में अटल और आज्ञापालन करते हैं, 6आपके सेवक की प्रार्थना की ओर आपके कान लगे रहें और आपकी आंखें खुली रहें, कि आप अपने सेवक की प्रार्थना सुनें, मैं आपके चरणों में आपके सेवक इस्राएल वंशजों की ओर से दिन-रात यह प्रार्थना कर रहा हूं. इस्राएलियों ने और हमने जो पाप आपके विरुद्ध किए हैं, उन्हें मैं स्वीकार कर रहा हूं. मैंने और मेरे पिता के परिवार ने पाप किए हैं. 7हमारा आचरण आपके सामने बहुत ही दुष्टता से भरा रहा है. हमने आपके आदेशों का पालन नहीं किया है, न ही हमने आपके नियमों और विधियों का पालन ही किया है, जिनका आदेश आपने अपने सेवक मोशेह को दिया था.

8“आप अपने उस आदेश को याद कीजिए, जो आपने अपने सेवक मोशेह को इस प्रकार दिया था: ‘यदि तुम अविश्वासी हो जाओगे तो मैं तुम्हें देशों के बीच बिखरा दूंगा. 9मगर यदि तुम मेरी ओर फिरकर मेरे आदेशों का पालन करके उनका अनुसरण करोगे, तो तुममें से बिखरे हुए लोगों को यदि दूर आकाश के नीचे तक कर दिया गया है, मैं वहां से भी उस जगह पर ले आऊंगा, जिस जगह को मैंने अपनी प्रतिष्ठा की स्थापना के लिए सही समझा है.’

10“वे आपके ही सेवक हैं, आपकी ही प्रजा, जिन्हें आपने अपने असाधारण सामर्थ्य और बलवंत हाथ से छुड़ा लिया था. 11प्रभु, आपसे मेरी प्रार्थना है, अपने सेवक की विनती पर कान लगाएं और उन सेवकों की प्रार्थनाओं पर, जो आपका भय मानते हैं. आज अपने सेवक को सफलता देकर उसके प्रति इस व्यक्ति पर दया कीजिए.”

मैं इस समय राजा के लिए पिलाने वाले के पद पर था.