サムエル記Ⅰ 19 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

サムエル記Ⅰ 19:1-24

19

サウルから逃げるダビデ

1ついにサウル王は、側近や息子のヨナタンにまで、ダビデ殺害をそそのかすようになりました。しかしヨナタンは、ダビデと深い友情で結ばれていたので、 2父のたくらみをダビデに知らせました。「明日の朝、野に隠れ場所を見つけて潜んでいてほしい。 3父をそこまで連れ出すから。そこであなたのことについて話をする。何かわかったらすぐに知らせる。」

4翌朝、ヨナタンは父と話し合い、ダビデの正しさを力説して、敵視しないでほしいと頼みました。「ダビデは一つも害をもたらしたりしていません。それどころか、いつも精一杯、助けてくれました。 5彼が命がけでゴリヤテを倒した時のことを、お忘れになったのですか。その結果、主がイスラエルに大勝利をもたらしてくださったのではありませんか。あの時、父上はほんとうにお喜びになりました。それなのに、なぜ今になって罪もない者を殺害しようとなさるのです。そんなことをする理由など少しも見当たりません。」

6サウル王はうなずき、「主が生きておられる限り、彼を殺すことはない」と誓いました。 7あとでヨナタンはダビデを呼び、いきさつを話しました。そしてダビデを王のところへ連れて行き、すべてが元どおりに収まりました。

8まもなくして戦いが始まりましたが、ダビデは兵を率いてペリシテ人と戦い、多数の敵兵を討ち取りました。ペリシテ軍は軍旗を巻いて遁走したのです。

9-10ところが、ある日、サウル王は家で腰を下ろして、ダビデの奏でる竪琴に耳を傾けていました。とその時、急に、神からの災いの霊が王を襲い、あっという間もなく、王は手にしていた槍をダビデに投げつけ、刺し殺そうとしたのです。ダビデはとっさに身をかわして助かりましたが、夜になるのを待って逃げ出しました。槍は壁の横木に突き刺さったままでした。

11その晩、王は兵をやってダビデの家を見張らせました。朝になって出て来るところをねらって、彼を殺そうとしたのです。ミカルは夫ダビデに危険を知らせました。「逃げるなら、今夜のうちですわ。朝になったら殺されてしまいます。」

12ミカルはダビデを助けたい一心で、彼を窓からつり降ろして逃がしました。 13そして、代わりに偶像を寝床に入れ、すっぽりと毛布をかけました。頭はやぎの毛で編んだものを枕にのせました。 14そこへ、ダビデを捕らえて王のもとへ連行しようと、兵士たちが踏み込んで来ました。ミカルは、ダビデは病気でベッドから動かせないと告げたのですが、 15王は、ベッドごとでも連れて来るように命じました。そのまま殺してしまうつもりだったのです。 16しかし、運び出そうとした時、偶像であることがわかってしまいました。 17サウルはミカルにただしました。「なぜ、私をだまして彼を逃がしたのか。」

「しかたがありません。そうしなければ殺すと、あの人に脅されたのです。」

18ダビデはラマまで逃げ延び、サムエルに会って、サウル王の仕打ちを洗いざらい訴えました。サムエルはダビデを連れてナヨテに行き、そこでいっしょに住むことにしました。 19ところが、ダビデがラマのナヨテにいるという報告を受けると、 20王はダビデを捕らえようと兵を差し向けました。しかし、一行がナヨテに来て、預言をしていたサムエルはじめ預言者の一団を見た時、なんと神の霊がサウルの兵士たちにも下り、預言を始めたのです。 21この知らせに、王はほかの兵を遣わしましたが、彼らもまた預言に加わったのです。同じことが三度も起こりました。 22そこで、今度は王自身がラマへ出向き、セクにある大きな井戸まで来ると、「サムエルとダビデはどこにいるか」と尋ねました。尋ねられた人は、「ナヨテにいらっしゃるそうですよ」と答えました。 23ところが、ナヨテへ向かう途中のこと、神の霊が下り、王も預言を始めました。 24王は着物を脱ぎ、一昼夜、裸のまま地面に横たわって、サムエルの預言者たちとともに預言していました。家臣たちは、ただもう目をみはるばかりでした。思わず、「サウル王も預言者の一人なのか」と口走る者もいました。

Hindi Contemporary Version

1 शमुएल 19:1-24

शाऊल द्वारा दावीद की हत्या के प्रयास

1शाऊल ने अपने पुत्र योनातन तथा अपने सारा सेवकों के सामने यह प्रस्ताव रखा कि अनिवार्य है कि दावीद की हत्या कर दी जाए. मगर शाऊल के पुत्र योनातन को दावीद बहुत ही प्रिय थे. 2योनातन ने दावीद को इस विषय पर सचेत किया, “मेरे पिता तुम्हारी हत्या की कोशिश कर रहे हैं. तब कल प्रातः बहुत ही सतर्क रहना. मैदान में किसी अज्ञात स्थान पर जाकर छिप जाओ. 3मैं भी मैदान में जाकर अपने पिता के साथ खड़ा रहूंगा, जहां तुम छिपे होंगे मैं अपने पिता से तुम्हारे संबंध में वार्तालाप शुरू करूंगा. जब मुझे इस समस्या का मूल ज्ञात हो जाएगा, मैं वह तुम्हें बता दूंगा.”

4योनातन ने अपने पिता के सामने दावीद की प्रशंसा करते हुए कहना शुरू किया, “यह सही न होगा कि राजा अपने सेवक दावीद के विरुद्ध कोई पाप कर बैठें, क्योंकि दावीद ने तो आपके विरुद्ध कोई पाप नहीं किया है. इसके विपरीत दावीद के काम आपके लिए हितकर ही सिद्ध हुए हैं. 5दावीद ने अपने प्राणों पर खेलकर उस फिलिस्तीनी का संहार किया है, जिससे याहवेह ने सारा इस्राएल को उल्लेखनीय छुड़ौती प्रदान की है. स्वयं आपने यह देखा और आप इससे खुश भी हुए. तब अकारण दावीद की हत्या कर आप निर्दोष के लहू के अपराधी क्यों होना चाह रहे हैं?”

6शाऊल ने योनातन के द्वारा प्रस्तुत तर्कों पर विचार किया, और यह शपथ ली: “जीवित याहवेह की शपथ, उसकी हत्या न की जाएगी.”

7योनातन ने तब दावीद को बुलाकर उन्हें सारी बातें बता दीं. तब योनातन दावीद को शाऊल की उपस्थिति में ले गए और दावीद उनकी उपस्थिति में पहले के समान रहने लगे.

8एक बार फिर युद्ध शुरू हो गया. दावीद ने जाकर फिलिस्तीनियों से युद्ध किया और उन पर ऐसा प्रबल संहार किया कि उनके पैर उखड़ गए और वे पीठ दिखाकर भाग खड़े हुए.

9तब याहवेह द्वारा भेजी एक दुष्ट आत्मा शाऊल पर उतरी. वह अपने कमरे में बैठे हुए थे, उनके हाथ में उनका भाला था और दावीद वाद्य वादन कर रहे थे, 10शाऊल ने अपने भाले से दावीद को दीवार में नत्थी करना चाहा, मगर दावीद बड़ी चतुराई से बच निकले. शाऊल का भाला दीवार में जा धंसा. उस रात दावीद बचकर भाग निकले.

11रात में ही शाऊल ने दावीद के आवास पर इस आदेश के साथ पहरेदार चुन लिए, कि प्रातः होते ही दावीद की हत्या कर दी जाए. उनकी पत्नी मीखल ने उन्हें चेतावनी दी, “यदि आप रात ही रात में अपनी सुरक्षा का काम न करें, कल आप मरे हुए पाए जाएंगे.” 12तब मीखल ने दावीद को एक खिड़की से बाहर उतार दिया और दावीद अपने प्राण बचाकर भाग गए. 13उसके बाद मीखल ने एक मूर्ति को बिछौने पर लिटा दिया, उसके सिर पर बकरे के बालों से बनाया हुआ कंबल सजाकर और इन सबको बिछौने के वस्त्रों से ढांक दिया.

14जब शाऊल के सेवक दावीद को बंदी बनाने के उद्देश्य से वहां आए, मीखल ने उन्हें सूचित किया, “दावीद बीमार हैं.”

15शाऊल ने उन सेवकों को दोबारा दावीद के घर पर भेजा कि दावीद को देखें. शाऊल ने उन्हें यह आदेश दिया था, “दावीद को उसके पलंग सहित मेरे पास ले आओ, कि मैं उसको खत्म करूं.” 16सेवक उस पलंग को उठा लाए. उन्होंने पाया कि बिछौने पर मूर्ति थी तथा सिर के स्थान पर बकरे के बालों का बना कंबल.

17शाऊल ने मीखल से पूछा, “तुमने मेरे साथ छल किया है और क्यों मेरे शत्रु को इस रीति से भाग जाने दिया?”

मीखल ने उत्तर दिया, “उन्होंने मुझे धमकी दी थी, कि यदि मैं उन्हें भागने न दूं, तो वह मेरी ही हत्या कर देंगे!”

18जब दावीद वहां से बच निकले, वह सीधे रामाह में शमुएल के पास गए, और उनके विरुद्ध शाऊल द्वारा किए गए हर एक काम का उल्लेख प्रस्तुत किया. तब दावीद और शमुएल जाकर नाइयोथ नामक स्थान पर रहने लगे. 19जब शाऊल को यह समाचार प्राप्‍त हुआ, “दावीद रामाह के चराइयों19:19 चराइयों मूल में नाईओत में हैं”; 20तब शाऊल ने उन्हें बंदी बनाने के लिए अपने सेवक भेज दिए. वहां पहुंचकर उन्होंने शमुएल के नेतृत्व में भविष्यवक्ताओं के वृन्द को भविष्यवाणी के उन्माद में देखा, तो शाऊल के सेवक परमेश्वर के आत्मा से भर गए और वे भी भविष्यवाणी करने लगे. 21जब शाऊल को इसकी सूचना दी गई, उन्होंने अन्य सेवक वहां भेज दिए, मगर वे भी भविष्यवाणी करने लगे. तब शाऊल ने तीसरी बार अपने सेवक वहां भेजे, और वे भी भविष्यवाणी करने लगे. 22अंततः स्वयं शाऊल रामाह पहुंच गए. जब उन्होंने सेकू नामक स्थान पर विशाल कुएं के पास पहुंचकर यह पूछताछ की, “शमुएल और दावीद कहां मिलेंगे?”

उन्हें बताया गया, “रामाह के नाइयोथ में.”

23जब शाऊल रामाह के नाइयोथ के लिए निकले, परमेश्वर का आत्मा उस पर भी वेग और बलपूर्वक उतरा और वह रामाह के नाइयोथ पहुंचने तक भविष्यवाणी करते चला गया. 24यहां तक कि उसने अपने वस्त्र उतार फैंके और शमुएल के सामने उन्माद में विवस्त्र होकर दिन और रात भविष्यवाणी करते रहा. यही कारण है कि वहां यह लोकोक्ति प्रचलित हो गई: “क्या, शाऊल भी भविष्यवक्ताओं में से एक है?”