エレミヤ書 7 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

エレミヤ書 7:1-34

7

偽りの宗教

1主はエレミヤに、次のように語りました。 2「神殿の入口へ行き、そこで人々にこう言いなさい。神のことばを聞け。ここで礼拝している者はみな、耳を傾けよ。 3天の軍勢の主であるイスラエルの神は、こう言う。今からでも遅くはない。悪の道を離れさえすれば、おまえたちをこの地に住まわせよう。 4神殿のあるエルサレムが破壊されるのを、神が黙って見ているはずはないと言う者たちのことばにだまされてはならない。 5次の条件を満たさなければ、ここにいることはできない。悪い思いと行いを捨て、人には公平に接し、 6みなしご、やもめ、外国人をだましたりしないこと。人殺しをやめること。偶像を拝んで自分を傷つけるような愚かなまねはしないこと。 7以上の条件にかなったとき、先祖に永遠の相続地として与えたこの地に住むことができる。

8神殿があるから災いに会うはずはない、と考えて、自分をあざむいてはならない。 9おまえたちは平気で盗み、人を殺し、姦淫の罪を犯し、うそをつき、バアルや今まで知らなかった神々を拝んでいる。 10しかも、わたしの宮に入ってわたしの前に立ち、『われわれは救われています』と言いながら悪事をくり返すことができると、本気で考えているのか。 11わたしの宮は強盗の巣なのか。ありとあらゆる悪がはびこっていて、目も当てられない。

12わたしが初めにわたしの名にふさわしい町としたシロへ行きなさい。そこで、イスラエル人の悪のために、わたしがどんなことをしたかをよく見て来なさい。 13-14おまえたちの行ったもろもろの悪事のために、ここでも同じことをする。わたしは何度も語りかけ、しきりに呼び続けたのに、おまえたちは聞こうともせず、答えようともしなかった。だからシロでしたように、この神殿を壊す。おまえたちの心の拠り所である、わたしの名で呼ばれるこの神殿、おまえたちと先祖に与えたこの場所をだ。 15しかもおまえたちを、おまえたちの兄弟エフライム人(北のイスラエル王国)のように、捕虜として外国に追い払う。

16エレミヤよ、二度とこの国の民のために祈ってはならない。彼らのために泣くことも、彼らを助けるようにと、わたしに祈ったり哀願したりしてはならない。わたしは耳をふさぐからだ。 17彼らがユダの町々、エルサレムの通りで何をしているか、知らないとでも思うのか。 18わたしがこんなに怒っているのは、もっともなことではないか。子どもはたきぎを集め、父親は火をたき、女は粉をこね、愛の女神『天の女王』をはじめ、偶像の神々に供えるパン菓子を作っている。 19彼らが傷つけているのは、はたしてこのわたしだろうか。自分を傷つけ、自分の恥をさらしているだけではないのか。」 20だから、神である主はこう宣言します。「わたしは激しい怒りをこの地に注ぐ。人も家畜も木も穀物も、どんなことをしても消えないわたしの怒りの火によって焼き尽くされる。」

21イスラエルの神である天の軍勢の主は、こう命じます。「おまえたちの供え物といけにえを捨てなさい。 22わたしがおまえたちの先祖をエジプトから連れ出した時、彼らに求めたのは供え物やいけにえではなかった。わたしの戒めの真意は、そんなものではなかった。 23わたしの真意はこうだ。わたしに従いさえすれば、わたしはおまえたちの神となり、おまえたちはわたしの民となる。わたしの命令どおりにしさえすれば、何もかもうまくいく。 24ところが、彼らはわたしの言いつけを聞こうとせず、頑固で悪い思いをもって、したいほうだいのことをした。前進するどころか後退した。 25おまえたちの先祖がエジプトを出た日から今日に至るまで、わたしは毎日、預言者を彼らのもとに送り出した。 26ところがどうだ。彼らは耳を傾けるどころか、聞こうとするそぶりさえ見せなかった。先祖よりもさらに手のつけようもないくらいかたくなで反抗心が強く悪質だ。 27わたしがこれからすることを、一から十まで知らせても、彼らが聞くと思ってはならない。大声で警告しても、反応を示すと甘く考えてはならない。 28彼らに言ってやるのだ。おまえたちは、神である主に従うことを拒み、教えられることを拒む民だ。ひどい偽りの生活を続けている。

虐殺の谷

29エルサレムよ、深く恥じて頭をそり、

ひとり山の上で泣け。

わたしは憤って、この民を退け、捨てたからだ。

30それは、ユダの民がわたしの目の前で罪を犯したからだ。彼らはわたしの神殿に偶像を持ち込み、神殿を汚した。 31ベン・ヒノムの谷にトフェテという名の祭壇を築き、そこで、幼い息子や娘を神々へのいけにえとして焼き殺している。これは、わたしが思いもよらず、まして命じた覚えなど全くない恐ろしい行為だ。 32だから、この谷が『トフェテ』でも『ベン・ヒノムの谷』でもなく、『虐殺の谷』と呼ばれる時がくる。あまりにも多くの者が殺され、墓を作る場所がなくなり、遺体をこの谷に投げ捨てるようになるからだ。 33遺体は鳥や獣のえじきになるが、これを追い払う者は一人もいない。 34わたしはエルサレムとユダの町々から、楽しそうな歌声や笑い声を消し、花婿や花嫁のはずんだ声を絶やす。この国は廃墟となる。」

Hindi Contemporary Version

येरेमियाह 7:1-34

झूठी आराधना की व्यर्थता

1वह संदेश जो याहवेह द्वारा येरेमियाह के लिए प्रगट किया गया: 2“याहवेह के भवन के द्वार पर खड़े हो जाओ और वहां यह संदेश घोषित करो:

“ ‘संपूर्ण यहूदिया याहवेह का यह संदेश सुनो, तुम जो याहवेह की आराधना करने इस द्वार से प्रवेश किया करते हो. 3इस्राएल के परमेश्वर, स्वर्गीय याहवेह का आदेश यह है: अपने आचार-व्यवहार तथा अपने कार्यों की सुधारना करो, तब मैं तुम्हें इस स्थान पर निवास करने दूंगा. 4इस झूठे आश्वासन के धोखे में न रहना, “यह तो याहवेह का मंदिर है, याहवेह का मंदिर है, याहवेह का मंदिर है!” 5यदि तुम वास्तव में अपने आचारों को तथा कार्यों को सुधारोगे, यदि तुम एक दूसरे के साथ न्याय में व्यवहार करोगे, 6यदि तुम परदेशी, पितृहीन तथा विधवा पर अत्याचार न करोगे, इस स्थान पर निःसहायक का रक्तपात न करोगे और परकीय देवताओं का अनुसरण न करोगे, जो तुम्हारे अपने ही विनाश का कारण है, 7तब मैं तुम्हें इस स्थान पर निवास करने दूंगा, इस देश में, जो मैंने तुम्हारे पूर्वजों को सदा-सर्वदा के लिए प्रदान किया है. 8इस विषय पर ध्यान दो, कि तुम निरर्थक ही झूठे आश्वासनों के भरोसे पर बैठे हुए हो.

9“ ‘क्या तुम चोरी, हत्या, व्यभिचार करके ओर झूठी साक्ष्य देकर, बाल को बलि अर्पित करके तथा उन परकीय देवताओं का अनुसरण करने के बाद जिन्हें तुम जानते ही नहीं, 10इस भवन में, जो मेरे नाम से प्रख्यात है, आकर मेरे समक्ष इसलिये खड़े होकर यह कहते, “अब हम सुरक्षित हैं”—कि तुम इन घृणित कार्यों में स्थिर बने रह सको? 11क्या तुम्हारी दृष्टि में यह भवन, जो मेरे नाम से प्रख्यात है, डाकुओं की गुफा बन गया है? सुनो, मैंने, हां, मैंने सब देखा है! यह याहवेह की वाणी है.

12“ ‘किंतु अब तुम शीलो जाओ जो इसके पूर्व मेरी आराधना के लिए निर्धारित स्थल था, और देखो कि मैंने अपनी प्रजा इस्राएल की बुराई के कारण उसकी स्थिति कैसी बना दी है. 13और अब इसलिये कि तुमने ये सारे कुकृत्य किए हैं, यह याहवेह की वाणी है, मैंने तुमसे तुरंत उठकर बात की, किंतु तुमने मेरी ओर ध्यान ही न दिया; मैंने तुम्हारा आह्वान भी किया, किंतु तुमने प्रत्युत्तर ही न दिया. 14इसलिये मैं उस भवन के साथ जो मेरे नाम से प्रख्यात है, जिस पर तुमने अपनी आस्था रखी है तथा जो स्थान मैंने तुम्हें तथा तुम्हारे पूर्वजों को प्रदान किया है, वही करूंगा जो मैंने शीलो के साथ किया था. 15मैं तुम्हें अपनी दृष्टि से दूर कर दूंगा, जैसा मैंने तुम्हारे भाइयों को अपनी दृष्टि से दूर कर दिया है, अर्थात् एफ्राईम के सारे वंशजों को.’

16“जहां तक तुम्हारा प्रश्न है तुम इन लोगों के लिए प्रार्थना न करो; न उनके लिए गिड़गिड़ाने दो, न प्रार्थना में मुझसे उनकी मध्यस्थता ही करो, क्योंकि मैं तुम्हारी नहीं सुनूंगा. 17क्या तुम्हें यह नहीं दिख रहा कि वे यहूदिया के नगरों में तथा येरूशलेम की गलियों में क्या-क्या कर रहे हैं? 18बालक लकड़ियां एकत्र करते हैं और पितागण आग जलाते हैं, स्त्रियां आटा गूंधती हैं कि वे स्वर्ग की रानी के लिए मिष्ठान्‍न तैयार करें. वे परकीय देवताओं को पेय बलि भी अर्पित करते हैं कि वे मेरे कोप को उकसाएं. 19क्या वे इसके द्वारा मेरे प्रति अपना क्रोध व्यक्त कर रहे हैं? यह याहवेह की वाणी है. यह तो वे स्वयं अपनी ही लज्जा के लिए कर रहे हैं, अपनी ही लज्जा के लिए?

20“ ‘इसलिये प्रभु याहवेह का संदेश यह है: तुम देख लेना कि मेरा कोप और मेरा आक्रोश इस स्थान पर उंडेला जाएगा, चाहे मनुष्य हो अथवा पशु, मैदान के वृक्ष हों अथवा भूमि के फल, यह प्रज्वलित रहेगा तथा यह बूझ न सकेगा.

21“ ‘इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह का यह आदेश है: अपनी होमबलियों के साथ अन्य बलियों को भी सम्मिलित कर लो और तुम ही उस मांस को सेवन भी कर लो! 22क्योंकि मिस्र देश से तुम्हारे पूर्वजों को निराश करने के अवसर पर मैंने उनसे न तो होमबलियों का और न हनन बलियों का उल्लेख किया था और न ही इनके लिए आदेश ही दिया था, 23किंतु मैंने उन्हें आदेश यह दिया था: मेरे आदेशों का पालन करो, तो मैं तुम्हारा परमेश्वर बना रहूंगा तथा तुम मेरी प्रजा बनी रहोगी. मेरी नीतियों का आचरण करो जिनका मैंने तुम्हें आदेश दिया है, कि तुम्हारा कल्याण हो. 24फिर भी उन्होंने न तो मेरे आदेशों का पालन किया, न उनकी ओर ध्यान ही दिया. उन्होंने अपने बुरे दिलों की जिद्दी इच्छा का पालन किया. तब वे आगे बढ़ने की अपेक्षा में पीछे ही हटते चले गए. 25जिस दिन से तुम्हारे पूर्वज मिस्र देश से निराश हुए तब से आज तक, मैंने अपने सेवक अर्थात् भविष्यवक्ताओं को दिन-प्रतिदिन तुम्हारे लिए भेजा है. 26फिर भी न तो उन्होंने मेरी सुनी और न ही मेरे संदेश की ओर ध्यान ही दिया. बल्कि उन्होंने अपनी गर्दन और भी अधिक कठोर बना ली, उन्होंने तो अपने पूर्वजों से भी अधिक बुरे कार्य किए.’

27“अनिवार्य है कि तुम मेरा संपूर्ण वचन उनके समक्ष दोहराओ, हां, वे तुम्हारी सुनेंगे नहीं; तुम उनको आह्वान तो करोगे, किंतु वे इसका प्रत्युत्तर कदापि न देंगे. 28तुम्हें उनसे यह कहना होगा, ‘यह वह राष्ट्र है जिसने न तो याहवेह अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन किया और न ही उनके द्वारा किए जा रहे आदेश को स्वीकार किया. सत्यता नष्ट हो चुकी और उनके मुख से दूर की जा चुकी है.

29“ ‘अपने केश काट डालो और उन्हें फेंक दो; वनस्पतिहीन पर्वतों पर जाकर विलाप करो, क्योंकि याहवेह ने उस पीढ़ी को अस्वीकार करके उसका परित्याग कर दिया है और जिसने उनका कोप भड़काया है.

वध की घाटी

30“ ‘यहूदाह के वंशजों ने वह किया है जो मेरी दृष्टि में बुरा है, यह याहवेह की वाणी है. उन्होंने उन घृणास्पद वस्तुओं को उस भवन में प्रतिष्ठित कर रखा है जो मेरे नाम से प्रख्यात हैं और मेरा भवन अशुद्ध हो चुका है. 31उन्होंने तोफेथ के पूजा-स्थल निर्मित कर लिए हैं जो हिन्‍नोम के पुत्र की घाटी में हैं कि वे वहां अपने पुत्रों-पुत्रियों को होमबलि स्वरूप अर्पित करें, जिसको मैंने आदेश ही न दिया है, न ही यह कभी मेरे विचारों में आया था. 32इसलिये यह देखना, कि वे दिन आ रहे हैं, यह याहवेह की वाणी है, जब इसको तोफेथ-पूजास्थल अथवा हिन्‍नोम के पुत्र की घाटी कहा जाना समाप्‍त हो जाएगा, बल्कि यह नरसंहार घाटी हो जाएगी, वे अपने मृतकों को तोफ़ेथ में तब तक दफनाएंगे कि जब तक वहां कोई जगह ही शेष न हो. 33इन लोगों के शव आकाश के पक्षी को तथा पृथ्वी के पशुओं के आहार होने लगेंगे, इन्हें कोई भी शवों से दूर नहीं भगाएगा. 34तब मैं यहूदिया के नगरों और येरूशलेम के सड़कों में से उल्लास एवं आनंद का स्वर बंद कर दूंगा, वर एवं वधू के विवाहोत्सव की ध्वनि बंद हो जाएगी, क्योंकि सारे देश ही उजाड़ हो जाएंगे.