へブル人への手紙 3 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

へブル人への手紙 3:1-19

3

キリストの声を聞きなさい

1そういうわけですから、神によって天国の市民として選び出された、愛する皆さん。お願いです。どうか、私たちが告白する信仰の使徒であり、大祭司であるイエスに目をとめてください。 2「神の家」で忠実に奉仕したモーセと同じように、イエスも、大祭司としてご自分を任命された神に忠実な方です。 3しかしイエスは、モーセよりはるかにまさった栄光をお受けになりました。豪華な家よりも、その家を建てる人のほうが賞賛されるのです。 4家を建てる人はたくさんいますが、世界のすべてのものを造られたのは神です。 5確かにモーセは、神の家のために賞賛に値する仕事をしましたが、モーセの果たした役割は後に起こることを指し示すことでした。 6しかし、キリストは神の忠実な御子として、神の家のいっさいを治められるのです。もし、最後まで揺るがない確信を持ち続け、喜びと主への信頼を失わなければ、私たちも神の家となるのです。そして、神がそこに住んでくださるのです。

7-8ですから、聖霊はこう警告します。キリストの声に注意深く耳を傾けなさい。今日その声を聞いたら、昔のイスラエル人のように心を閉ざしてはいけません。彼らは荒野で試練を与えられた時、神の愛にそむき、心を鋼鉄のように固くして、文句を言い続けたのです。 9彼らは何度も反抗しましたが、四十年の間、神は忍耐され、彼らの目の前で驚くべき奇跡を行い続けてくださいました。 10しかし、とうとう神がこう宣言される時が来たのです。「わたしの怒りは極に達した。彼らはわたしに心を向けたことがなく、いつもほかを見ていた。そんな彼らに、わたしの用意した道が見いだせるはずがない。」 11神は怒りをもって、決して彼らを安息(神による休息)の地に導かないと誓われました詩篇95・7-11

神に心を閉ざさないために

12皆さん。心が悪に染まって信仰をなくし、生ける神から離れることがないように、自分の心を見張りなさい。 13まだ時間があるうちに、日々、互いにこのことを確かめ合いなさい。そうすれば、罪に惑わされて神に心を閉ざす人は一人も出ないでしょう。 14もし私たちが、初めてキリストを信じた時と同じ気持ちで神に信頼し、最後まで忠実であれば、キリストにある祝福を受けることができるのです。 15ですから、今この時がかんじんなのです。次の警告を、片時も忘れてはなりません。「今日、語られる神の声を聞いたなら、神の怒りを招いた時のように、心をかたくなにしてはいけない。」(詩篇) 16神の声を聞きながら反抗した人たちとは、いったいだれでしょう。指導者モーセに率いられてエジプトを出たイスラエル人すべてです。 17四十年もの間、神の怒りを買ったのは、いったいだれでしたか。罪のために荒野で死に果てた、あのイスラエル人ではありませんか。 18神が誓って約束の地に入らせないと断言されたのは、だれに対してでしたか。従うことを拒んだ、あの人たち全員です。 19彼らが約束の地に入れなかったのは、神を信頼しなかったからです。

Hindi Contemporary Version

इब्री 3:1-19

मसीह येशु विश्वासयोग्य तथा करुणामय पुरोहित

1इसलिये स्वर्गीय बुलाहट में भागीदार पवित्र प्रिय भाई बहनो, मसीह येशु पर ध्यान दो, जो हमारे लिए परमेश्वर के ईश्वरीय सुसमाचार के दूत तथा महापुरोहित हैं. 2वह अपने चुननेवाले के प्रति उसी प्रकार विश्वासयोग्य बने रहे, जिस प्रकार परमेश्वर के सारे परिवार में मोशेह. 3मसीह येशु मोशेह की तुलना में ऊंची महिमा के योग्य पाए गए, जिस प्रकार भवन की तुलना में भवन निर्माता. 4हर एक भवन का निर्माण किसी न किसी के द्वारा ही किया जाता है किंतु हर एक वस्तु के बनानेवाले परमेश्वर हैं. 5जिन विषयों का वर्णन भविष्य में होने पर था, “उनकी घोषणा करने में परमेश्वर के सारे परिवार में मोशेह एक सेवक के रूप में विश्वासयोग्य थे,”3:5 गण 12:7 6किंतु मसीह एक पुत्र के रूप में अपने परिवार में विश्वासयोग्य हैं. और वह परिवार हम स्वयं हैं, यदि हम दृढ़ विश्वास तथा अपने आशा के गौरव को अंत तक दृढतापूर्वक थामे रहते हैं.

अविश्वास के प्रति चेतावनी

7इसलिये ठीक जिस प्रकार पवित्र आत्मा का कहना है:

“यदि आज, तुम उनकी आवाज सुनो,

8तो अपने हृदय कठोर न कर लेना,

जैसा तुमने मुझे उकसाते हुए बंजर भूमि,

में परीक्षा के समय किया था,

9वहां तुम्हारे पूर्वजों ने चालीस वर्षों तक,

मेरे महान कामों को देखने के बाद भी चुनौती देते हुए मुझे परखा था.

10इसलिये मैं उस पीढ़ी से क्रोधित रहा;

मैंने उनसे कहा, ‘हमेशा ही उनका हृदय मुझसे दूर हो जाता है,

उन्हें मेरे आदेशों का कोई अहसास नहीं है.’

11इसलिये मैंने अपने क्रोध में शपथ ली,

‘मेरे विश्राम में उनका प्रवेश कभी न होगा.’ ”3:11 स्तोत्र 95:7-11

12प्रिय भाई बहनो, सावधान रहो कि तुम्हारे समाज में किसी भी व्यक्ति का ऐसा बुरा तथा अविश्वासी हृदय न हो, जो जीवित परमेश्वर से दूर हो जाता है. 13परंतु जब तक वह दिन, जिसे आज कहा जाता है, हमारे सामने है, हर दिन एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहो, ऐसा न हो कि तुममें से कोई भी पाप के छलावे के द्वारा कठोर बन जाए. 14यदि हम अपने पहले भरोसे को अंत तक सुरक्षित बनाए रखते हैं, हम मसीह के सहभागी बने रहते हैं. 15जैसा कि वर्णन किया गया है:

“यदि आज तुम उनकी आवाज सुनो

तो अपने हृदय कठोर न कर लेना,

जैसा तुमने उस समय मुझे उकसाते हुए किया था.”3:15 स्तोत्र 95:7, 8

16कौन थे वे, जिन्होंने उनकी आवाज सुनने के बाद उन्हें उकसाया था? क्या वे सभी नहीं, जिन्हें मोशेह मिस्र देश से बाहर निकाल लाए थे? 17और कौन थे वे, जिनसे वह चालीस वर्ष तक क्रोधित रहे? क्या वे ही नहीं, जिन्होंने पाप किया और जिनके शव बंजर भूमि में पड़े रहे? 18और फिर कौन थे वे, जिनके संबंध में उन्होंने शपथ खाई थी कि वे लोग उनके विश्राम में प्रवेश नहीं पाएंगे? क्या ये सब वे ही नहीं थे, जिन्होंने आज्ञा नहीं मानी थी? 19इसलिये यह स्पष्ट है कि अविश्वास के कारण वे प्रवेश नहीं पा सके.