Apostelgeschichte 3 – HOF & NCA

Hoffnung für Alle

Apostelgeschichte 3:1-26

Die erste Gemeinde in Jerusalem und die beginnende Verfolgung

(Kapitel 3,1–8,3)

Gottes Wunder an einem Gelähmten

1An einem Nachmittag gegen drei Uhr gingen Petrus und Johannes zum Tempel. Sie wollten dort am öffentlichen Gebet teilnehmen. 2Zur selben Zeit brachte man einen Mann, der von Geburt an gelähmt war, und setzte ihn an eine der Tempeltüren, an das sogenannte Schöne Tor. Er wurde jeden Tag dorthin getragen, damit er die Leute, die in den Tempel gingen, um Almosen anbetteln konnte.

3Als Petrus und Johannes den Tempel betreten wollten, bat er auch sie um Geld. 4Sie blieben stehen, richteten den Blick auf ihn, und Petrus sagte: »Schau uns an!« 5Erwartungsvoll sah der Mann auf: Würde er etwas von ihnen bekommen? 6Doch Petrus sagte: »Geld habe ich nicht. Aber was ich habe, will ich dir geben. Im Namen von Jesus Christus aus Nazareth: Steh auf und geh!« 7Dabei fasste er den Gelähmten an der rechten Hand und richtete ihn auf. In demselben Augenblick konnte der Mann Füße und Gelenke gebrauchen. 8Er sprang auf und konnte sicher stehen, lief einige Schritte hin und her und ging dann mit Petrus und Johannes in den Tempel. Außer sich vor Freude rannte er umher, sprang in die Luft und lobte Gott.

9So sahen ihn die anderen Tempelbesucher. 10Sie erkannten, dass es der Bettler war, der immer an dem Schönen Tor des Tempels gesessen hatte. Fassungslos und voller Staunen starrten sie den Geheilten an. Wieso konnte er jetzt laufen? 11Alle drängten aufgeregt in die Halle Salomos. Dort umringten sie Petrus, Johannes und den Geheilten, der nicht von der Seite der Apostel wich.

Petrus predigt im Tempel

12Als Petrus die vielen Menschen sah, sprach er zu ihnen: »Ihr Leute aus Israel! Warum wundert ihr euch darüber, dass dieser Mann jetzt gehen kann? Und weshalb starrt ihr uns an? Glaubt ihr denn, wir hätten diesen Gelähmten aus eigener Kraft geheilt oder weil wir so fromm sind?

13Nein, es ist der Gott Abrahams, Isaaks und Jakobs, der Gott unserer Vorfahren, der uns mit dieser Wundertat die Macht und Ehre seines Dieners Jesus gezeigt hat. Diesen Jesus habt ihr an Pilatus ausgeliefert und verleugnet, obwohl Pilatus entschlossen war, ihn freizulassen. 14Für den, der ganz zu Gott gehörte und ohne jede Schuld war, habt ihr das Todesurteil verlangt, aber den Mörder habt ihr begnadigt. 15Ihr habt den getötet, von dem alles Leben kommt. Aber Gott hat ihn von den Toten auferweckt. Das können wir bezeugen. 16Das Vertrauen auf Jesus und die Macht seines Namens haben diesen Mann hier vollständig geheilt. Ihr alle kennt ihn und wisst, dass er gelähmt war. Doch nun ist er vor euren Augen gesund geworden durch den Glauben, den Jesus in ihm geweckt hat. 17Ich weiß, liebe Brüder und Schwestern, euch war nicht klar, was ihr damals getan habt, und auch eure führenden Männer wussten es nicht. 18Doch so hat Gott erfüllt, was er durch alle Propheten angekündigt hatte: Der von ihm versprochene Retter musste leiden.

19Jetzt aber kehrt um und wendet euch Gott zu, damit er euch die Sünden vergibt. 20Dann wird auch die Zeit kommen, in der Gott sich euch freundlich zuwendet. Er wird euch Jesus senden, den Retter, den er für euch bestimmt hat.

21Jesus musste zuerst in den Himmel zurückkehren und dort seine Herrschaft antreten, aber die Zeit wird kommen, in der alles neu wird. Davon hat Gott schon immer durch seine auserwählten Propheten gesprochen. 22Bereits Mose hat gesagt: ›Einen Propheten wie mich wird der Herr, euer Gott, zu euch senden, einen Mann aus eurem Volk. Ihr sollt alles befolgen, was er euch sagt. 23Wer aber nicht auf ihn hört, der soll aus dem Volk verstoßen werden.‹3,23 5. Mose 18,15

24Ebenso haben Samuel und alle Propheten nach ihm diese Zeit angekündigt. 25Was diese Männer gesagt haben, gilt auch für euch. Ihr habt Anteil an dem Bund, den Gott mit euren Vorfahren geschlossen hat. Denn Gott sprach zu Abraham: ›Durch deinen Nachkommen sollen alle Völker der Erde gesegnet werden.‹3,25 1. Mose 22,18

26Gott hat Jesus, seinen Diener, zuerst zu euch geschickt, nachdem er ihn in diese Welt gesandt hatte, und ihn beauftragt, euch zu segnen. Er wird euch helfen, umzukehren und euer Leben zu ändern.«

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

प्रेरितमन के काम 3:1-26

पतरस ह एक झन खोरवा भिखमंगा ला बने करथे

1एक दिन पतरस अऊ यूहन्ना मंझनियां के तीन बजे पराथना के बेरा मंदिर जावत रिहिन। 2मनखेमन एक जनम के खोरवा ला लावत रिहिन। ओमन ओला हर दिन मंदिर के सुन्‍दर नांव के दुवारी म बईठा देवंय कि ओह मंदिर म जवइयामन ले भीख मांगय। 3जब ओह पतरस अऊ यूहन्ना ला मंदिर म जावत देखिस, त ओमन ले भीख मांगिस। 4पतरस ह यूहन्ना के संग ओकर कोति एकटक देखके कहिस, “हमर कोति देख।” 5ओह ओमन ले कुछू पाय के आसा म ओमन कोति ताके लगिस।

6तब पतरस ह कहिस, “चांदी अऊ सोना तो मोर करा नइं ए, पर जऊन चीज मोर करा हवय, मेंह तोला देवत हंव। यीसू मसीह नासरी के नांव म, तेंह उठ अऊ रेंग।” 7पतरस ह ओकर जेवनी हांथ ला धरके ओला ठाढ़ होय म मदद करिस अऊ तुरते खोरवा के गोड़ अऊ एड़ी मन म बल आ गीस। 8ओह कूदके ठाढ़ हो गीस अऊ चले फिरे लगिस। ओह चलत, कूदत अऊ परमेसर के भजन करत ओमन के संग मंदिर म गीस। 9जब जम्मो मनखेमन ओला चलत-फिरत अऊ परमेसर के भजन करत देखिन, 10त ओमन ओला चिन डारिन कि एह ओहीच ए, जऊन ह मंदिर के सुन्‍दर नांव के दुवारी म बईठके भीख मांगे करत रिहिस, अऊ ओमन ओकर संग जऊन कुछू होय रिहिस, ओला देखके अचरज अऊ अचम्भो करिन।

पतरस ह भीड़ ले गोठियाथे

11जब ओ भिखमंगा ह पतरस अऊ यूहन्ना के संग रहय, त जम्मो मनखेमन बहुंत अचरज करत सुलेमान के मंडप म ओमन करा दऊड़त आईन। 12एला देखके पतरस ह मनखेमन ला कहिस, “हे इसरायलीमन, तुमन ए मनखे ला देखके काबर अचरज करत हव? तुमन हमर कोति अइसने काबर देखत हव कि मानो हमेच मन अपन सक्ति या भक्ति ले एला चले-फिरे के लइक बना दे हवन? 13अब्राहम, इसहाक, अऊ याकूब के परमेसर, हमर बाप-ददा मन के परमेसर ह अपन दास यीसू के महिमा करिस, जऊन ला तुमन मरवाय बर पकड़वाय रहेव। अऊ जब पीलातुस ह ओला छोंड़ देके फैसला करिस, त तुमन ओकर आघू म यीसू के इनकार करेव। 14तुमन ओ पबितर अऊ धरमी जन के इनकार करेव, अऊ पीलातुस ले ए बिनती करेव कि एक हतियारा ला तुम्‍हर खातिर छोंड़ देवय। 15तुमन जिनगी के देवइया ला मार डारेव, जऊन ला परमेसर ह मरे मन ले जियाईस, अऊ हमन ए बात के गवाह हवन। 16ओहीच यीसू के नांव म बिसवास के दुवारा, ए मनखे ह सक्ति पाईस, जऊन ला तुमन देखत अऊ जानत हवव। एह यीसू के नांव अऊ बिसवास, जऊन ह यीसू के दुवारा आथे, एला एकदम भला-चंगा कर दे हवय जइसने कि तुमन जम्मो देखत हवव।

17हे भाईमन हो, मेंह जानत हंव कि ए काम ला तुमन अगियानता म करेव अऊ वइसनेच तुम्‍हर अगुवामन घलो करिन। 18पर जऊन बातमन ला परमेसर ह जम्मो अगमजानीमन के दुवारा आघू ले बताय रिहिस कि ओकर मसीह ह दुःख उठाही, ओ बातमन ला ओह अइसने पूरा करिस। 19एकरसेति, अब तुमन अपन पापमन ले मन फिरावव अऊ परमेसर करा लहुंटव कि तुम्‍हर पापमन मिटाय जावय, अऊ परभू करा ले आनंद मिलय, 20अऊ ओह ओ मसीह यीसू ला पठोवय, जऊन ह तुम्‍हर बर आघूच ले ठहराय गे हवय। 21ए जरूरी ए कि ओह स्‍वरग म ओ बखत तक रहय, जब तक कि ओह जम्मो बातमन के सुधार नइं कर लेवय, जेकर बारे म परमेसर ह अपन पबितर अगमजानीमन के दुवारा बहुंत पहिली कहे रिहिस। 22जइसने मूसा ह कहे रिहिस, ‘परभू परमेसर ह तुम्‍हर अपन मनखेमन ले तुम्‍हर बर मोर सहीं एक अगमजानी ठाढ़ करही; जऊन कुछू ओह तुम्‍हर ले कहय, तुमन ओकर जरूर सुनव। 23पर जऊन मनखे ओ अगमजानी के बात ला नइं सुनही, ओह अपन मनखेमन ले पूरा-पूरी नास करे जाही।’3:23 ब्यवस्था 18:15, 18, 19

24वास्तव म, सामुएल अगमजानी ले लेके ओकर बाद अवइया जम्मो अगमजानीमन परमेसर के जऊन बचन कहे हवंय, ओ जम्मो झन इहीच दिनमन के बारे म कहे हवंय। 25तुमन अगमजानीमन के संतान अऊ ओ करार के संतान अव, जऊन ला परमेसर ह तुम्‍हर बाप-ददा संग करे रिहिस। ओह अब्राहम ले कहे रिहिस, ‘तोर बंस के दुवारा धरती के जम्मो मनखेमन आसिस पाहीं।’3:25 उतपत्ती 22:18 26जब परमेसर ह अपन दास ला जियाईस, त ओह ओला पहिली तुम्‍हर करा पठोईस कि ओह तुमन ले हर एक ला ओकर बुरई ले बचाय के दुवारा आसिस देवय।”