4. Mose 33 – HOF & HCV

Hoffnung für Alle

4. Mose 33:1-56

Die Lagerplätze Israels beim Zug durch die Wüste

1-2Mose hatte auf Anweisung des Herrn alle Lagerplätze der Israeliten aufgeschrieben, seit sie unter seiner und Aarons Führung von Ägypten aufgebrochen waren. An folgenden Orten hatten sie, nach Heeresverbänden geordnet, das Lager aufgeschlagen:

3Am 15. Tag des 1. Monats, am Morgen nach der Passahfeier, zogen die Israeliten von Ramses los. Die Ägypter mussten zusehen, wie das Volk voller Zuversicht das Land verließ. 4Der Herr hatte sein Urteil an den ägyptischen Göttern vollstreckt und die erstgeborenen Söhne der Ägypter umgebracht. Während man die Toten begrub, 5zogen die Israeliten von Ramses nach Sukkot. Hier schlugen sie ihr erstes Lager auf. 6Dann ging es weiter nach Etam am Rand der Wüste. 7Dort bogen sie nach Pi-Hahirot bei Baal-Zefon ab und lagerten vor Migdol. 8Von hier aus zogen sie mitten durchs Meer. Auf der anderen Seite führte ihr Weg drei Tagereisen lang durch die Wüste Etam bis nach Mara, dem nächsten Lagerplatz. 9Von dort ging es weiter nach Elim, einer Oase mit zwölf Quellen und siebzig Palmen. Nachdem sie hier gelagert hatten, 10brachen sie zum Ufer des Roten Meers auf. 11Danach kamen sie in die Wüste Sin.

12Ihre nächsten Haltepunkte waren: Dofka, 13Alusch, 14Refidim, wo sie kein Trinkwasser hatten, 15dann die Wüste Sinai, 16Kibrot-Taawa, 17Hazerot, 18Ritma, 19Rimmon-Perez, 20Libna, 21Rissa, 22Kehelata, 23der Berg Schefer, 24Harada, 25Makhelot, 26Tahat, 27Tarach, 28Mitka, 29Haschmona, 30Moserot, 31Bene-Jaakan, 32Hor-Gidgad, 33Jotbata, 34Abrona, 35Ezjon-Geber, 36Kadesch in der Wüste Zin 37und der Berg Hor an der Grenze des Landes Edom.

38Der Herr befahl dem Priester Aaron, auf den Berg Hor zu steigen. Dort starb Aaron am 1. Tag des 5. Monats, vierzig Jahre nachdem die Israeliten Ägypten verlassen hatten. 39Er wurde 123 Jahre alt.

40Um diese Zeit erfuhr der Kanaaniterkönig, der in Arad im Süden von Kanaan regierte, dass die Israeliten auf sein Land zukamen.

41Vom Berg Hor zogen sie nach Zalmona weiter. 42Ihre nächsten Lagerplätze waren Punon, 43Obot, 44Ije-Abarim im Gebiet von Moab, 45Dibon-Gad, 46Almon-Diblatajim 47und das Gebirge Abarim nahe der Stadt Nebo. 48Von hier aus stiegen sie ins Jordantal hinab und schlugen in der moabitischen Steppe gegenüber von Jericho ihr Lager auf. 49Es erstreckte sich von Bet-Jeschimot bis nach Abel-Schittim.

Alle Bewohner von Kanaan sollen vertrieben werden

50Dort sprach der Herr zu Mose: 51»Sag den Israeliten: Wenn ihr über den Jordan zieht und ins Land Kanaan eindringt, 52sollt ihr alle Bewohner vertreiben. Zerstört ihre Götterfiguren aus Stein und Metall! Reißt die Opferstätten ab, die sie auf den Bergen und Hügeln gebaut haben! 53Nehmt das ganze Land in Besitz und lasst euch dort nieder, denn es ist mein Geschenk an euch. 54Teilt die einzelnen Gebiete durch das Los unter euch auf! Dabei sollt ihr den großen Stämmen mehr Land geben als den kleinen. 55Wenn ihr aber nicht alle Bewohner des Landes vertreibt, werden euch die Zurückgebliebenen das Leben schwer machen. Sie werden euch quälen wie Splitter im Auge und Dornen unter den Füßen. 56Dann werde ich mit euch tun, was ich mit ihnen vorhatte.«

Hindi Contemporary Version

गणना 33:1-56

मिस्र से यरदन तक यात्रा का सिंहावलोकन

1यह उस यात्रा का वर्णन है, जो इस्राएलियों द्वारा मिस्र देश से निकलकर उनकी सेना के द्वारा मोशेह तथा अहरोन के नेतृत्व में की गई थी. 2याहवेह के आदेश पर मोशेह ने उनकी यात्रा के प्रारंभिक स्थानों का लेखा रखा था. ये यात्राएं उनके प्रारंभिक स्थानों के अनुसार लिख दी गई हैं:

3उन्होंने पहले महीने की पन्द्रहवीं तारीख पर रामेसेस से अपनी यात्रा शुरू की. दूसरे दिन, फ़सह उत्सव के बाद इस्राएलियों ने सारे मिस्रवासियों के देखते-देखते बड़ी निडरता से कूच कर दिया. 4इस समय मिस्रवासी याहवेह द्वारा मारे गए अपने सारे पहलौंठों को मिट्टी देने में व्यस्त थे; याहवेह ने मिस्रवासियों के देवताओं पर भी दंड दिए थे.

5इसके बाद इस्राएलियों ने रामेसेस से यात्रा शुरू कर सुक्कोथ में अपने डेरे डाले.

6उन्होंने सुक्कोथ से यात्रा की और एथाम में डेरे डाले, यह स्थान निर्जन प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है.

7उन्होंने एथाम से यात्रा शुरू की और पी-हाहीरोथ की दिशा में लौटे, जो बाल-जेफोन के सामने है. उन्होंने मिगदोल में डेरे डाले.

8उन्होंने पी-हाहीरोथ से यात्रा शुरू की और लाल सागर से होते हुए निर्जन प्रदेश में जा पहुंचे, और उन्होंने एथाम के निर्जन प्रदेश में तीन दिन की यात्रा की और माराह में डेरे डाल दिए.

9माराह से यात्रा शुरू कर वे एलिम पहुंचे. एलिम में बारह जल के सोते तथा सत्तर खजूर के पेड़ थे. उन्होंने वहीं डेरा डाल दिया.

10एलिम से यात्रा शुरू कर उन्होंने लाल सागर तट पर डेरे डाले.

11लाल सागर तट से यात्रा शुरू कर उन्होंने सिन के निर्जन प्रदेश में डेरे डाले.

12सिन के निर्जन प्रदेश से कूच कर उन्होंने दोफकाह में डेरे डाले.

13दोफकाह से यात्रा शुरू कर उन्होंने अलूष में डेरे डाले.

14अलूष से यात्रा शुरू कर उन्होंने रेफीदीम में डेरे डाले. यही वह स्थान था, जहां उनके लिए पीने का पानी उपलब्ध न था.

15उन्होंने रेफीदीम से यात्रा शुरू कर सीनायी के निर्जन प्रदेश में डेरे डाले.

16उन्होंने सीनायी के निर्जन प्रदेश से यात्रा शुरू की और किबरोथ-हत्ताआवह में डेरे डाले.

17उन्होंने किबरोथ-हत्ताआवह से यात्रा शुरू की और हाज़ोरौथ में डेरे डाले.

18उन्होंने हाज़ोरौथ से यात्रा शुरू की तथा रिथमाह में डेरे डाले.

19उन्होंने रिथमाह से यात्रा शुरू की और रिम्मोन-पेरेज़ में डेरे डाले.

20उन्होंने रिम्मोन-पेरेज़ से यात्रा शुरू की और लिबनाह में डेरे डाल दिए.

21लिबनाह से यात्रा शुरू कर उन्होंने रिस्साह पहुंचकर वहां डेरे डाल दिए.

22रिस्साह से यात्रा शुरू कर उन्होंने केहेलाथाह पहुंचकर डेरे डाल दिए.

23उन्होंने केहेलाथाह से कूच किया, यात्रा करते हुए शेफर पर्वत पहुंचकर वहां डेरे डाल दिए.

24शेफर पर्वत से यात्रा शुरू कर हारादाह पहुंचे, और वहां उन्होंने डेरे डाल दिए.

25उन्होंने हारादाह से यात्रा शुरू की, और मखेलौथ पहुंचकर डेरे डाल दिए.

26उन्होंने मखेलौथ से यात्रा शुरू की और ताहाथ पहुंचकर डेरे डाल दिए.

27उन्होंने ताहाथ से यात्रा शुरू की और तेराह पहुंचकर डेरे डाल दिए.

28उन्होंने तेराह से यात्रा शुरू की और मितखाह पहुंचकर डेरे डाल दिए.

29उन्होंने मितखाह से यात्रा शुरू की और हाषमोनाथ पहुंचकर डेरे डाल दिए.

30हाषमोनाथ से यात्रा शुरू कर वे मोसेराह पहुंचे, और वहां उन्होंने डेरे डाल दिए.

31मोसेराह से यात्रा शुरू कर उन्होंने बेने-जाआकन पहुंचकर डेरे डाल दिए.

32उन्होंने बेने-जाआकन से यात्रा शुरू कर होर-हग्गीदगाद पहुंचकर डेरे डाल दिए.

33उन्होंने होर-हग्गीदगाद से कूच कर योतबाथाह पहुंचकर डेरे डाल दिए.

34उन्होंने योतबाथाह से यात्रा शुरू की और आबरोनाह पहुंचकर डेरे डाल दिए.

35उन्होंने आबरोनाह से यात्रा शुरू की और एज़िओन-गेबेर में डेरे डाल दिए.

36उन्होंने एज़िओन-गेबेर से यात्रा शुरू की और ज़िन के निर्जन प्रदेश अर्थात् कादेश में पहुंचकर डेरे डाल दिए.

37उन्होंने कादेश से यात्रा शुरू की और होर पर्वत पहुंचकर वहां डेरे डाल दिए. यह स्थान एदोम की सीमा पर है. 38इसके बाद पुरोहित अहरोन याहवेह के आदेश पर होर पर्वत पर चढ़ गया और वहीं उसकी मृत्यु हो गई. यह इस्राएलियों के मिस्र देश से निकलने का चालीसवां वर्ष था. यह पांचवें महीने की पहली तारीख थी. 39अहरोन की आयु इस अवसर पर एक सौ तेईस वर्ष थी, जब होर पर्वत पर उसकी मृत्यु हुई.

40इसी समय कनान देश के नेगेव में कनानी राजा अराद को यह मालूम हो चुका था कि इस्राएली इस दिशा में आ रहे हैं.

41फिर उन्होंने होर पर्वत से प्रस्थान किया, और ज़ालमोनाह में डेरे डाल दिए.

42उन्होंने ज़ालमोनाह से यात्रा शुरू की और पुनोन में डेरे डाल दिए.

43उन्होंने पुनोन से यात्रा शुरू की और ओबोथ में डेरे डाल दिए.

44ओबोथ से यात्रा शुरू कर उन्होंने मोआब देश की सीमा पर स्थित स्थान इये-आबारिम पर डेरे डाल दिए.

45इय्यीम-आबारिम33:45 यानी इये-आबारिम से कूच कर उन्होंने दीबोन-गाद में डेरे डाले.

46दीबोन-गाद से यात्रा शुरू कर उन्होंने आलमोन-दिबलाथाइम में डेरे डाले.

47आलमोन-दिबलाथाइम से यात्रा शुरू कर उन्होंने नेबो के पास वाले अबारिम पर्वतों के पास डेरा डाला.

48अबारिम पर्वतों से कूच कर येरीख़ो के सामने मोआब में यरदन के मैदानों में डेरे डाल दिए. 49मोआब के मैदानों में उन्होंने यरदन तट पर डेरे डाले थे, जिसका फैलाव बेथ-यशिमोथ से लेकर आबेल-शित्तिम तक था.

50फिर याहवेह यरदन तट पर येरीख़ो के सामने मोआब के मैदानों में मोशेह के सामने आए और उनसे यह बातें की: 51“इस्राएलियों पर यह स्पष्ट कर दो, ‘जब तुम यरदन पार कर कनान देश में प्रवेश करोगे, 52तुम अपने सामने आए हर एक कनानवासी को खदेड़ दोगे, उनकी ढाली हुई सारी धातु की मूर्तियों को नष्ट कर दोगे तथा उनके सभी पूजा स्थलों को भी. 53तुम इस देश को अधिकार में करके इसमें बस जाओगे; क्योंकि यह देश मैंने तुम्हें अधिकार करने के लक्ष्य से दिया है. 54तुम अपने-अपने परिवारों के अनुसार पासा फेंक देश को बांट लेना. बड़े गोत्र को भूमि का बड़ा भाग तथा छोटे को भूमि का छोटा भाग. पासा, जो भी दिखाए वही उसका अंश होगा. तुम्हारा उत्तराधिकार तुम्हारे पितरों के कुलों के अनुसार ही होगा.

55“ ‘किंतु यदि तुम उस देश के निवासियों को वहां से न खदेड़ोगे, तब तो वे, जो वहां रह जाएंगे, तुम्हारी आंखों की किरकिरी तथा तुम्हारे पंजरों में कीलों के समान साबित हो जाएंगे. तब उस देश में, जहां तुम बस जाओगे, वे ही तुम्हारे संकट का कारण साबित होंगे. 56जो कुछ मैंने उनके साथ करने का वचन किया है, मैं वही सब तुम्हारे साथ करूंगा.’ ”