הבשורה על-פי מתי 3 – HHH & HCV

Habrit Hakhadasha/Haderekh

הבשורה על-פי מתי 3:1-17

1בימים ההם, כשישוע והוריו גרו בנצרת, החל יוחנן המטביל להטיף במדבר יהודה. 2”חיזרו בתשובה!“ קרא יוחנן. ”שובו אל ה׳ כי מלכות השמים קרובה!“ 3ישעיהו הנביא ניבא על פעילותו של יוחנן כשאמר:3‏.3 ג 3 ישעיהו מ 3 ”קול קורא במדבר פנו דרך ה׳, ישרו מסילותיו.“

4בגדיו היו עשויים שער גמלים והייתה לו חגורת עור; הוא נהג לאכול ארבה ודבש־בר. 5אנשים מירושלים, עמק־הירדן וכל אזור יהודה יצאו למדבר כדי לשמוע את דבריו, 6ולאחר שהתוודו על חטאיהם, יוחנן הטביל אותם בנהר הירדן.

7אולם כשראה יוחנן שפרושים וצדוקים רבים באים להיטבל, הוא דחה אותם. ”בני נחשים אתם!“ אמר להם יוחנן. ”מי אמר לכם שתוכלו להימלט מהעונש שה׳ עתיד להביא עליכם? 8לפני שתיטבלו אתם חייבים להוכיח במעשים שבאמת התחרטתם על חטאיכם. 9אל תחשבו בלבכם: ’אלוהים לא יעניש אותנו כי אנחנו יהודים, בני אברהם‘. הרי אלוהים יכול לעשות מהאבנים האלה בנים לאברהם!

10”כבר עכשיו מוכן גרזן המשפט של אלוהים לכרות כל עץ חסר תועלת שאינו נושא פרי. עצים חסרי תועלת ייכרתו ויישרפו!

11”אני כרגע מטביל במים את אלה שבאמת מתחרטים על מעשיהם הרעים, אולם בקרוב יבוא אדם גדול ונעלה ממני שאני לא ראוי אפילו לשאת את נעליו, והוא יטביל אתכם ברוח הקודש ובאש. 12הוא יפריד בין המוץ לבין גרגירי החיטה – את המוץ ישרוף באש נצחית, ואילו את החיטה ישמור באסם.“

13באותו זמן בא ישוע מן הגליל אל נהר הירדן, כדי להיטבל על־ידי יוחנן.

14יוחנן ניסה לשכנע אותו ואמר: ”אתה צריך להטביל אותי, ולא אני אותך!“

15אולם ישוע עמד על דעתו ואמר: ”הטבל אותי, בבקשה. עלי לעשות את כל הדרוש.“ ויוחנן הטביל אותו.

16מיד לאחר הטבילה, כשישוע יצא מהמים, השמים נפתחו מעליו והוא ראה את רוח אלוהים יורדת עליו בדמות יונה. 17קול קרא מהשמים: ”זהו בני אהובי, ובו אני חפץ.“

Hindi Contemporary Version

मत्तियाह 3:1-17

बपतिस्मा देनेवाले योहन का उपदेश

1कालांतर में यहूदिया प्रदेश के बंजर भूमि में बपतिस्मा देनेवाला योहन आकर यह प्रचार करने लगे, 2“मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग-राज्य पास आ गया है.” 3यह वही हैं जिनके विषय में भविष्यवक्ता यशायाह ने अपने अभिलेख में इस प्रकार संकेत दिया है:

“वह आवाज, जो बंजर भूमि में पुकार-पुकारकर कह रही है,

‘प्रभु का रास्ता सीधा करो,

उनका मार्ग सरल बनाओ.’ ”3:3 यशा 40:3

4बपतिस्मा देनेवाले योहन का परिधान ऊंट के रोम से निर्मित वस्त्र और उसके ऊपर चमड़े का कमरबंध था,3:4 2 राजा 1:8 और उनका भोजन था टिड्डियां तथा जंगलीमधु. 5येरूशलेम नगर, सारे यहूदिया प्रदेश और यरदन नदी के नज़दीकी क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग उनके पास आने लगे. 6पापों को मानने के बाद योहन उन्हें यरदन नदी में बपतिस्मा दिया करते थे.

7जब योहन ने देखा कि अनेक फ़रीसी3:7 फ़रीसी यहूदियों के एक संप्रदाय था, जो कानून-व्यवस्था के सख्त पालन में विश्वास करता था और सदूकी3:7 सदूकी यहूदी धर्म के एक संप्रदाय था जो अज्ञेयवादी थे, जो मृत्यु के बाद जीवन, स्वर्गदूत आदि में विश्वास नहीं करते थे बपतिस्मा लेने आ रहे हैं, उन्होंने उनकी उल्लाहना करते हुए कहा, “विषैले सांपों की संतान! समीप आ रहे क्रोध से भागने की चेतावनी तुम्हें किसने दे दी? 8सच्चे मन फिराने का प्रमाण दो 9और ऐसा मत सोचो कि आप कह सकते हैं, ‘हम तो अब्राहाम की संतान हैं!’ क्योंकि मैं तुम्हें बताता हूं कि परमेश्वर में इन पत्थरों तक से अब्राहाम की संतान पैदा करने का सामर्थ्य है. 10कुल्हाड़ी पहले ही वृक्षों की जड़ पर रखी हुई है. हर एक पेड़, जो उत्तम फल नहीं फलता, काटा जाता और आग में झोंक दिया जाता है.

11“मैं तो तुम्हें पश्चाताप के लिए पानी से बपतिस्मा दे रहा हूं किंतु वह, जो मेरे बाद आ रहे हैं, मुझसे अधिक शक्तिशाली हैं. मैं तो इस योग्य भी नहीं कि उनकी जूतियां उठाऊं. वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग में बपतिस्मा देंगे. 12सूप उनके हाथ में है. वह अपने खलिहान को अच्छी तरह साफ़ करेंगे, गेहूं को भंडार में इकट्ठा करेंगे और भूसी को कभी न बुझनेवाली आग में भस्म कर देंगे.”

मसीह येशु का बपतिस्मा

13येशु गलील प्रदेश से यरदन नदी पर योहन के पास आए कि उनके द्वारा बपतिस्मा3:13 बपतिस्मा जल-संस्कार, एक व्यक्ति को पानी में डुबोने की धार्मिक विधि लें 14किंतु योहन ने इसका इनकार करते हुए कहा, “आवश्यक तो यह है कि मैं आपसे बपतिस्मा लूं. यहां तो आप मुझसे बपतिस्मा लेने आए हैं!”

15मसीह येशु ने इसके उत्तर में कहा, “इस समय तो यही होने दो. हम दोनों के लिए परमेश्वर द्वारा निर्धारित धार्मिकता इसी रीति से पूरी करना सही है.” इस पर योहन सहमत हो गए.

16बपतिस्मा के बाद जैसे ही मसीह येशु जल में से बाहर आए, उनके लिए स्वर्ग खोल दिया गया और योहन ने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते हुए तथा येशु पर ठहरते देखा. 17उसी समय स्वर्ग से यह शब्द सुना गया, “यह मेरा पुत्र है—मेरा परम प्रिय—जिससे मैं पूरी तरह प्रसन्‍न हूं.”