הבשורה על-פי לוקס 15 – HHH & NCA

Habrit Hakhadasha/Haderekh

הבשורה על-פי לוקס 15:1-32

1לעיתים קרובות התקבצו סביב ישוע פושעים למיניהם ופקידי מכס (שבזמנו היו ידועים לשמצה בגלל חוסר הגינות ושחיתות), על מנת להקשיב לדבריו. 2הדבר לא מצא־חן בעיני הסופרים והפרושים שהתלוננו: ”הביטו בישוע, הוא מתחבר עם הפושעים האלה ואף אוכל בחברתם!“

3ישוע ענה להם במשל: 4”אילו היו לך מאה כבשים ואחת מהן הייתה הולכת לאיבוד, האם לא היית נוטש את תשעים־ותשע הכבשים, והולך לחפש את הכבשה האחת עד שתמצא אותה? 5וכשתמצא אותה, האם לא תשא אותה בשמחה על כתפיך, 6ובהגיעך הביתה, האם לא תקרא לכל השכנים והחברים ותשתף אותם בשמחה שבמציאת הכבשה האובדת?

7”אני אומר לכם שכך יהיה גם בשמים: השמחה על חוטא אחד החוזר בתשובה תהיה גדולה הרבה יותר מאשר על תשעים ותשעה הצדיקים שאינם צריכים לחזור בתשובה.“

8ישוע המשיך: ”אתן לכם דוגמה נוספת: נניח שלאישה אחת היו עשרה מטבעות כסף ומטבע אחד אבד לה. האם היא לא תדליק אור בכל הבית, תטאטא את הרצפה ותחפש בכל פינה עד שתמצא את המטבע? 9ולאחר שתמצא את המטבע, האם היא לא תרוץ לשכנותיה ולחברותיה, ותספר להן בשמחה שמצאה את המטבע? 10כך גם מלאכי אלוהים שמחים על חוטא אחד שחוזר בתשובה.“

11ישוע סיפר להם משל אחר: ”לאיש אחד היו שני בנים. 12יום אחד בא אליו הבן הצעיר ואמר: ’אבא, אני רוצה שתתן לי עכשיו את חלקי בירושה המגיעה לי, במקום שאחכה עד מותך‘. האב הסכים וחילק את רכושו בין שני בניו.

13”לאחר זמן קצר ארז הבן הצעיר את חפציו ונסע לארץ רחוקה, שם בזבז את כל כספו בחיי הוללות. 14כאשר נותר חסר פרוטה התפשט רעב נורא באותה ארץ, והוא נהיה רעב ללחם. 15הוא הלך אל איכר מקומי ושידל אותו להעסיקו כרועה חזירים. 16הרעב היה חזק כל־כך, עד כי חשק חרובים שניתנו לחזירים, אולם הוא לא קיבל דבר. 17כשלבסוף עשה חשבון נפש ואמר לעצמו: ’בבית אבי לא רק שהפועלים אוכלים לשובע, הם אף משאירים אוכל בצלחת, ואילו אני כאן גווע ברעב! 18אשוב לבית אבי ואומר: ”אבא, חטאתי לאלוהים ולך, 19ואיני ראוי להיקרא בנך. אנא, קבל אותי לעבודה כאחד מפועליך“‘.

20”הבן קם וחזר לבית אביו. עוד לפני שהגיע אל הבית אביו זיהה אותו מרחוק ורץ לקראתו בהתרגשות רבה, חיבק ונישק אותו באהבה.

21” ’אבא‘, פתח הבן, ’חטאתי לאלוהים ולך, ואיני ראוי להיקרא בנך‘.

22”אולם האב קרא למשרתיו ואמר: ’הביאו מיד את הגלימה היקרה ביותר שיש לנו, טבעת יקרה ונעלים יקרות. 23לאחר מכן שחטו את העגל שפיטמנו; עלינו לחגוג את המאורע! 24כי בני היה מת ועתה קם לתחייה‘. וכך החלו בחגיגה.

25”באותה שעה עבד הבן הבכור בשדה. בשובו הביתה שמע את כל השירה והריקודים, 26ולכן שאל את אחד המשרתים: ’מה קורה כאן?‘

27” ’אחיך חזר הביתה‘, הסביר לו המשרת, ’ואביך שחט לכבודו את העגל שפיטמנו. עתה הוא עורך חגיגה גדולה לרגל שובו הביתה בשלום‘.

28”הבן הבכור כעס מאוד וסרב להיכנס הביתה. אביו יצא אליו וניסה לדבר איתו, 29אבל הבן השיב: ’כל השנים האלה עבדתי קשה כל כך למענך ומעולם לא חטאתי נגדך, ומה נתת לי? לא נתת לי אף גדי אחד קטן כדי שאחגוג עם חברי. 30ואילו כשבנך זה, שבזבז את כל כספך על זונות, חוזר הביתה, אתה שוחט לכבודו את העגל המשובח ביותר שיש לנו!‘

31” ’בני היקר‘, אמר האב, ’אתה ואני קרובים זה אל זה, וכל מה ששייך לי שייך לך. 32כיצד יכולים אנחנו שלא לשמוח היום? אחיך היה מת ועכשיו הוא קם לתחייה; אחיך הלך לאיבוד ועתה הוא נמצא!‘ “

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

लूका 15:1-32

गंवाय मेढ़ा के पटं‍तर

(मत्ती 18:12-14)

1एक बार जम्मो लगान लेवइया अऊ पापी मनखेमन यीसू करा जूरत रिहिन कि ओमन ओकर बात ला सुनंय। 2पर फरीसी अऊ कानून के गुरू मन ए कहिके कुड़कुड़ाय लगिन, “ए मनखे ह पापीमन के सुवागत करथे अऊ ओमन के संग खाथे।”

3एकरसेति यीसू ह ओमन ला ए पटं‍तर कहिस, 4“मान लव, तुमन ले एक झन करा एक सौ भेड़ हवंय अऊ ओम ले एक ठन गंवा जाथे, त का ओह ओ निनान्‍बे भेड़मन ला मैदान म छोंड़के ओ गंवाय भेड़ ला तब तक नइं खोजही, जब तक कि ओह मिल नइं जावय? 5अऊ जब ओला भेड़ ह मिल जाथे, त ओह ओला खुसी के मारे अपन कंधा म उठा लेथे, 6अऊ अपन घर जाथे। अऊ तब ओह अपन संगवारी अऊ पड़ोसी मन ला बलाथे अऊ कहिथे, ‘मोर संग आनंद मनावव, काबरकि मोर गंवाय भेड़ ह मोला मिल गीस।’ 7मेंह तुमन ला कहत हंव कि ओही किसम ले एक पापी मनखे के पछताप करे ले स्‍वरग म बहुंत आनंद मनाय जाथे, जतेक कि निनान्‍बे धरमी मनखेमन बर नइं मनाय जावय, जऊन मन ला पछताप करे के जरूरत नइं ए।”

गंवाय सिक्‍का के पटं‍तर

8“या मान लव, एक माईलोगन करा दस ठन चांदी के सिक्‍का हवय अऊ ओम ले एक ठन गंवा जाथे, त का ओह दीया बारके घर ला नइं बहारे अऊ मन लगाके खोजय जब तक कि ओह मिल न जावय। 9अऊ जब ओला सिक्‍का ह मिल जाथे, त ओह अपन संगवारी अऊ पड़ोसी मन ला बलाथे अऊ कहिथे, ‘मोर संग आनंद मनावव, काबरकि मोर गंवाय सिक्‍का ह मोला मिल गे हवय।’ 10मेंह तुमन ला कहत हंव कि ओही किसम ले, जब एक पापी मनखे पछताप करथे, त उहां स्‍वरग म परमेसर के स्वरगदूतमन के आघू म आनंद मनाय जाथे।”

गंवाय बेटा के पटं‍तर

11यीसू ह ए घलो कहिस, “एक मनखे के दू झन बेटा रिहिन। 12छोटे बेटा ह अपन ददा ला कहिस, ‘ददा! मोर बांटा के संपत्ति ला मोला देय दे।’ अऊ ओ मनखे ह अपन दूनों बेटा के बीच म संपत्ति के बंटवारा कर दीस।

13कुछू दिन के बाद, छोटे बेटा ह अपन बांटा के संपत्ति ला बेंच दीस अऊ पईसा ला लेके घर छोंड़के चल दीस। ओह बहुंत दूरिहा एक देस म गीस, जिहां ओह फालतू काम म अपन पईसा ला उड़ा दीस। 14जब ओह जम्मो ला खरचा कर डारिस, त उहां ओ जम्मो देस म एक भयंकर अकाल पड़िस, अऊ ओकर करा कुछू नइं बचिस। 15एकरसेति ओह ओ देस के रहइया एक मनखे करा काम करे बर गीस, जऊन ह ओला अपन खेत म, सुरामन ला चराय बर पठोईस। 16ओकर ईछा होवय कि ओह ओ फली ले अपन पेट भरय, जऊन ला सुरामन खावत रहंय, पर कोनो ओला खाय बर कुछू नइं देवंय।

17जब ओह अपन होस म आईस, त कहन लगिस, ‘मोर ददा के घर बनी-भूती करइयामन करा जरूरत ले जादा खाय बर हवय, अऊ इहां मेंह भूखन मरथंव। 18मेंह उठके अपन ददा करा वापिस जाहूं अऊ ओला ए कहिहूं, “हे ददा, मेंह परमेसर के बिरोध अऊ तोर बिरोध म पाप करे हवंव। 19मेंह तोर बेटा कहाय के लइक नो हंव; मोला अपन एक बनिहार मनखे सहीं रख ले।” ’ 20अऊ ओह उठिस अऊ अपन ददा करा चल पड़िस।

पर जब ओह अभी दूरिहाच म ही रिहिस, त ओकर ददा ह ओला देख डारिस, अऊ ओकर हिरदय ह दया ले भर गे। ओह अपन बेटा करा दऊड़के गीस अऊ ओला अपन बाहां म पोटार के चूमिस।

21बेटा ह ओला कहिस, ‘हे ददा, मेंह परमेसर के बिरोध अऊ तोर बिरोध म पाप करे हवंव। मेंह तोर बेटा कहाय के लइक नो हंव।’

22पर ददा ह अपन सेवकमन ला बलाके कहिस, ‘जल्दी करव। सबले बढ़िया कपड़ा लानव अऊ एला पहिरावव। एकर अंगरी म मुंदी अऊ एकर गोड़ म पनही पहिरावव। 23मोटा-ताजा पसु लानके काटव, ताकि हमन खावन अऊ खुसी मनावन। 24काबरकि मोर ए बेटा ह मर गे रिहिस, पर अब जी गे हवय; एह गंवा गे रिहिस, पर अब मिल गे हवय।’ अऊ ओमन खुसी मनाय लगिन।

25ओही बेरा म ओकर बड़े बेटा ह खेत म रिहिस। जब ओह लहुंटत रिहिस अऊ घर के लकठा म आईस, त ओह गाय-बजाय अऊ नाचे के अवाज सुनिस। 26ओह एक सेवक ला बलाईस अऊ ओकर ले पुछिस, ‘का होवत हवय?’ 27ओ सेवक ह कहिस, ‘तोर भाई ह आय हवय, अऊ तोर ददा ह मोटा-ताजा पसु कटवाय हवय, काबरकि ओह ओला सही-सलामत पाय हवय।’

28एला सुनके बड़े भाई ह गुस्सा करिस अऊ घर के भीतर जाय नइं चाहिस। एकरसेति ओकर ददा ह बाहिर आईस अऊ भीतर आय बर ओकर ले बिनती करे लगिस। 29पर ओह अपन ददा ला जबाब दीस, ‘देख, अतेक साल तक मेंह तोर गुलाम के सहीं काम करे हवंव अऊ मेंह तोर हुकूम ला कभू नइं टारेंव। तभो ले तेंह मोला एक छेरी के पीला तक कभू नइं देय कि मेंह अपन संगवारीमन संग आनंद मना सकंव। 30पर जब तोर ए बेटा ह घर आईस, जऊन ह कि तोर संपत्ति ला बेस्‍यामन संग उड़ा दे हवय, त तेंह ओकर बर मोटा-ताजा पसु कटवाय हवस।’

31तब ददा ह ओला कहिस, ‘मोर बेटा! तेंह सदा मोर संग हवस, अऊ जऊन कुछू मोर करा हवय, ओ जम्मो तोर ए। 32पर हमन ला आनंद मनाना अऊ खुस होना चाही, काबरकि तोर ए भाई ह मर गे रिहिस, पर अब जी उठे हवय; एह गंवा गे रिहिस, पर अब मिल गे हवय।’ ”