האיגרת אל-העברים 2 – HHH & HCV

Habrit Hakhadasha/Haderekh

האיגרת אל-העברים 2:1-18

1עלינו להקדיש תשומת־לב רבה לאמת אשר שמענו, כדי שלא נסטה ממנה בשום פנים ואופן! 2שכן אם דברי התורה שמסרו המלאכים למשה רבנו הוכחו כדברי אמת, וכל מי שלא ציית להם קיבל את העונש שמגיע לו, 3כיצד נימלט אנחנו מעונש, אם נתעלם מהישועה הנפלאה הזאת שהוכרזה על־ידי האדון, ושסופרה לנו מפי עדים אשר שמעוה מפיו? 4אלוהים עצמו העיד עליה והראה לנו שזוהי בשורת אמת, באמצעות אותות, נסים, נפלאות ועל־ידי העובדה שהעניק, כרצונו, מתנות וכישרונות מאת רוח הקודש לכל המאמינים בבשורה.

5העולם הבא שעליו אנו מדברים לא יהיה בשליטת המלאכים, 6שהרי דוד אומר לאלוהים:2‏.6 ב 6 תהלים ח 5‏-7

”מה אנוש כי תזכרנו,

ובן־אדם כי תפקדנו?

7ותחסרהו מעט ממלאכים,

וכבוד והדר תעטרהו,

8כל שתה (הנחת) תחת רגליו“.

שימו לב שכתוב כי אלוהים הניח לרגליו הכול; אין דבר שלא הוכנע והונח לרגלי המשיח!

עדיין לא ראינו את הכול מונח לרגליו, 9אך אנו רואים את ישוע – שלזמן מה נהיה נחות מהמלאכים – מעוטר על־ידי אלוהים בהדר ובכבוד, משום שסבל למעננו עד מוות. כן, על־שום חסדו של אלוהים טעם המשיח מוות בעד כל אדם בעולם. 10האלוהים, שעל־ידו ולכבודו קיים הכול, מצא לנכון להביא סבל על ישוע, כי במעשה זה הושיע אנשים רבים מספור. ובאמצעות הסבל נעשה ישוע, שר ישועתנו, מושלם וראוי לתפקידו.

11אנחנו שקודשנו על־ידי ישוע, כולנו בנים לאותו אב ולכן ישוע אינו מתבייש לקרוא לנו אחים, 12כפי שאמר:2‏.12 ב 12 תהלים כב 23

”אספרה שמך לאחי,

בתוך קהל אהללך“.

13במקום אחר הוא אומר:2‏.13 ב 13 ישעיהו ח 17 ”קויתי לו“. והוא גם אומר:2‏.13 ב 13 ישעיהו ח 18 ”הנה אנכי והילדים אשר נתן לי ה׳“.

14מכיוון שאנחנו, הילדים, עשויים בשר ודם, גם המשיח לבש דמות בשר ודם, כדי שעל־ידי מותו יכריע את השטן אשר לו שליטה על המוות. 15בדרך זאת שיחרר המשיח את כל אלה שהיו משועבדים לפחד מן המוות במשך כל ימי חייהם.

16כולנו יודעים שהמשיח לא בא בדמות מלאך, אלא בצורת אדם מזרע אברהם – כיהודי. 17ישוע צריך היה להידמות לאחיו בכל דבר, כדי שיוכל להיות כוהן גדול, רחמן ונאמן, שמכפר על חטאינו בעיני אלוהים. 18מכיוון שהמשיח עצמו סבל והתענה כשהשטן ניסה לפתותו, הוא יכול לעזור עתה לכל אלה שעומדים בניסיונות ובפיתויים.

Hindi Contemporary Version

इब्री 2:1-18

उत्तम उद्धार के प्रति चेतावनी

1इसलिये ज़रूरी है कि हमने जो सुना है, उस पर विशेष ध्यान दें. ऐसा न हो कि हम उससे दूर चले जाएं. 2क्योंकि यदि स्वर्गदूतों द्वारा दिया गया संदेश स्थिर साबित हुआ तथा हर एक अपराध तथा अनाज्ञाकारिता ने सही न्याय-दंड पाया, 3तब भला हम इतने उत्तम उद्धार की उपेक्षा करके आनेवाले दंड से कैसे बच सकेंगे, जिसका वर्णन सबसे पहले स्वयं प्रभु द्वारा किया गया, इसके बाद जिसकी पुष्टि हमारे लिए उनके द्वारा की गई, जिन्होंने इसे सुना? 4उनके अलावा परमेश्वर ने चिह्नों, चमत्कारों और विभिन्‍न अद्भुत कामों के द्वारा तथा अपनी इच्छानुसार दी गई पवित्र आत्मा की क्षमताओं द्वारा भी इसकी पुष्टि की है.

उद्धार स्वर्गदूतों द्वारा नहीं, मसीह द्वारा लाया गया

5परमेश्वर ने उस भावी सृष्टि को, जिसका हम वर्णन कर रहे हैं, स्वर्गदूतों के अधिकार में नहीं सौंपा. 6किसी ने इसे इस प्रकार स्पष्ट किया है:

“मनुष्य है ही क्या, कि आप उसको याद करें या मनुष्य की संतान,

जिसका आप ध्यान रखें?

7आपने उसे सिर्फ थोड़े समय के लिए स्वर्गदूतों से थोड़ा ही नीचे रखा;

आपने उसे प्रताप और सम्मान से सुशोभित किया.

8आपने सभी वस्तुएं उसके अधीन कर दीं.”2:8 स्तोत्र 8:4-6

सारी सृष्टि को उनके अधीन करते हुए परमेश्वर ने ऐसा कुछ भी न छोड़ा, जो उनके अधीन न किया गया हो; किंतु सच्चाई यह है कि अब तक हम सभी वस्तुओं को उनके अधीन नहीं देख पा रहे. 9हां, हम उन्हें अवश्य देख रहे हैं, जिन्हें थोड़े समय के लिए स्वर्गदूतों से थोड़ा ही नीचे रखा गया अर्थात् मसीह येशु को, क्योंकि मृत्यु के दुःख के कारण वह महिमा तथा सम्मान से सुशोभित हुए कि परमेश्वर के अनुग्रह से वह सभी के लिए मृत्यु का स्वाद चखें.

10यह सही ही था कि परमेश्वर, जिनके लिए तथा जिनके द्वारा हर एक वस्तु का अस्तित्व है, अनेक संतानों को महिमा में प्रवेश कराने के द्वारा उनके उद्धारकर्ता को दुःख उठाने के द्वारा सिद्ध बनाएं. 11जो पवित्र करते हैं तथा वे सभी, जो पवित्र किए जा रहे हैं, दोनों एक ही पिता की संतान हैं. यही कारण है कि वह उन्हें भाई कहते हुए लज्जित नहीं होते. 12वह कहते हैं,

“मैं अपने भाई बहनों के सामने आपके नाम की घोषणा करूंगा,

सभा के सामने मैं आपकी वंदना गाऊंगा.”2:12 स्तोत्र 22:22

13और दोबारा,

“मैं उनमें भरोसा करूंगा.”2:13 यशा 8:17

और दोबारा,

“मैं और वे, जिन्हें संतान के रूप में परमेश्वर ने मुझे सौंपा है, यहां हैं.”2:13 यशा 8:18

14इसलिये कि संतान लहू और मांस की होती है, मसीह येशु भी लहू और मांस के हो गए कि मृत्यु के द्वारा वह उसे अर्थात् शैतान को, जिसमें मृत्यु का सामर्थ्य था, बलहीन कर दें 15और वह उन सभी को स्वतंत्र कर दें, जो मृत्यु के भय के कारण जीवन भर दासत्व के अधीन होकर रह गए थे. 16यह तो सुनिश्चित है कि वह स्वर्गदूतों की नहीं परंतु अब्राहाम के वंशजों की सहायता करते हैं. 17इसलिये हर एक पक्ष में मसीह येशु का मनुष्य के समान बन जाना ज़रूरी था, कि सबके पापों के लिए वह प्रायश्चित बलि2:17 प्रायश्चित बलि: कोप-शमन-बलि वह बलि जिससे परमेश्वर का कोप शांत हो. होने के लिए परमेश्वर के सामने कृपालु, और विश्वासयोग्य महापुरोहित बन जाएं. 18स्वयं उन्होंने अपनी परख के अवसर पर दुःख उठाया, इसलिये वह अब उन्हें सहायता प्रदान करने में सक्षम हैं, जिन्हें परीक्षा में डालकर परखा जा रहा है.