אגרת פולוס השליח אל האפסיים 5 – HHH & NCA

Habrit Hakhadasha/Haderekh

אגרת פולוס השליח אל האפסיים 5:1-33

1עליכם ללכת בעקבות אלוהים, כי אתם ילדיו והוא אוהב אתכם. 2אהבו איש את רעהו, כשם שהמשיח אהב אותנו וביטא אהבה זאת בהקריבו את עצמו למעננו, כדי לסלוח על חטאינו, וקורבנו היה רצוי לאלוהים.

3בכל הנוגע למעשי זנות למיניהם, מעשי טומאה ואהבת בצע – אפילו אל תזכירו אותם! נושאים אלה אינם הולמים שיחת מאמינים משיחיים. 4הימנעו גם מניבול־פה, דברי שטות וליצנות – אין הם הולמים אתכם! לעומת זאת, הזכירו איש לרעהו את טוב־לבו של אלוהים והיו אסירי תודה.

5דעו לכם כי הזונים ואוהבי הבצע, שאינם אלא עובדי אלילים, לעולם לא יירשו את מלכות האלוהים והמשיח, כי הם אוהבים את דברי העולם הזה יותר מאשר את אלוהים. 6אל תניחו לאיש להתעות אתכם בנושא זה, כי בגלל חטאים כאלה ישפוך אלוהים את זעמו על מי שמורד בו. 7אף אל תתחברו עם אנשים כאלה! 8פעם חייתם בחשכה ובחטא, אך כעת אתם חיים באור אדוננו, והתנהגותכם צריכה להוכיח זאת. 9שכן פרי הרוח והאור הוא כל דבר טוב, צודק ואמיתי.

10השתדלו ללמוד מה רצוי בעיני אדוננו. 11אל תשתתפו במעשים רעים למיניהם שאינם מביאים כל תועלת, אלא הוקיעו אותם! 12בושה וחרפה היא מה שעושים הרשעים בסתר. 13כשאתה חושף אותם לאור נראים חטאיהם בבירור, ובמקום שבו ניתן לראות בבירור יש אור. 14על כן נֶאֱמַר: ”התעורר, אתה הישן, קום מן המתים והמשיח יאיר עליך!“

15‏-16לפיכך התנהגו בזהירות, שכן אלה הם ימים קשים. אל תהיו שוטים, אלא חכמים, ונצלו היטב כל הזדמנות לעשות מעשים טובים. 17אל תתנהגו בחוסר מחשבה, אלא השתדלו להבין מה רוצה האדון שתעשו, ועשו זאת! 18אל תרבו בשתיית יין, כי שתייה מרובה גורמת למעשים רעים. לעומת זאת, מלאו עצמכם ברוח הקודש והניחו לו לשלוט בכם.

19בפגשכם זה את זה שוחחו על אודות האדון, צטטו מזמורי תהלים, שירו שירים רוחניים וזמרו לאלוהים בלבבכם. 20הודו תמיד על כל דבר לאלוהים אבינו בשם ישוע המשיח אדוננו.

21כבדו את המשיח על־ידי כניעתכם איש לרעהו. 22נשים, עליכן להיכנע ולציית לבעליכן, כשם שאתן נכנעות ומצייתות למשיח. 23כי הבעל הוא ראש האישה, כשם שהמשיח הוא ראש הקהילה, שהיא גופו ואשר למענה הקריב את חייו, כדי להושיעה ולדאוג לה. 24אם כן, עליכן, הנשים, להיכנע ברצון לבעליכן בכל דבר, כשם שהקהילה נכנעת למשיח.

25אתם, הבעלים, אהבו את נשותיכם באותה מידה שאהב המשיח את הקהילה, כשהקריב את חייו למענה 26כדי לזכותה ולקדשה, לרחצה בדבר אלוהים, 27למען יוכל להעמידה לפניו כקהילה יפה וקדושה, חסרת־דופי, כתם או פגם. 28על הבעלים לאהוב את נשותיהם כמו את עצמם, כי הבעל ואשתו אחד הם. 29‏-30הרי איש אינו שונא את גופו, אלא מזין אותו ודואג לו באהבה, כשם שהמשיח דואג לקהילתו, ואנו הרי איברי גופו, בשר מבשרו. 31כפי שאומר הכתוב:5‏.31 ה 31 בראשית ב 24 ”על כן יעזוב איש את אביו ואת אמו, ודבק באשתו והיו לבשר אחד.“ 32קשר הנשואים הוא דבר מופלא, אך יש בו הקבלה לקשר שבין המשיח והקהילה.

33אם כן, אני חוזר ואומר: הבעל חייב לאהוב את אשתו כמו את עצמו, והאישה חייבת לכבד את בעלה ולציית לו.

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

इफिसुस 5:1-33

1एकरसेति, मयारू लइकामन सहीं परमेसर के अनुकरन (नकल) करव, 2अऊ मया के जिनगी जीयव, जइसने मसीह ह हमन ला मया करिस अऊ अपन-आप ला हमर बर महकत भेंट अऊ बलिदान के रूप म परमेसर ला दे दीस।

3पर तुम्‍हर बीच म छिनारी या कोनो किसम के असुध बात या लालच के चरचा तक झन होवय, काबरकि ए बातमन परमेसर के पबितर मनखेमन बर उचित नो हंय। 4अऊ तुम्‍हर बीच म न खराप बात, न मूर्खता के बात अऊ न खराप हंसी-ठट्ठा होवय, काबरकि ए बातमन तुम्‍हर बर ठीक नो हंय, पर तुम्‍हर बीच म धनबाद के बात होवय। 5तुमन ए निस्चित जानव कि जऊन ह छिनार, असुध या लालची मनखे अय, ओह एक मूरती-पूजक के सहीं अय अऊ अइसने मनखे बर मसीह के अऊ परमेसर के राज म कोनो भाग नइं ए। 6कोनो तुमन ला बेकार के बात करके धोखा झन देवय, काबरकि अइसने बात के कारन परमेसर के परकोप ओमन ऊपर भड़कथे, जऊन मन ओकर बात नइं मानंय। 7एकरसेति, ओमन के संग कोनो नाता झन रखव।

8काबरकि एक समय रिहिस, जब तुमन अंधियार म रहेव, पर अब तुमन परभू के चेला बने के कारन अंजोर म हवव। एकरसेति अंजोर के संतान सहीं जिनगी बितावव, 9(काबरकि जिहां अंजोर हवय, उहां जम्मो किसम के भलई, धरमीपन अऊ सच्‍चई होथे)। 10अऊ ए पता लगावव कि परभू ह कोन बात ले खुस होथे। 11अंधियार के बेकार के काम म भागी झन होवव; फेर ओमन के खरापी ला परगट करव। 12काबरकि जऊन काम ओमन गुपत म करथें, ओकर बारे म चरचा करई घलो सरम के बात अय। 13पर हर ओ चीज जऊन ह अंजोर के दुवारा परगट करे जाथे, ओह दिखे लगथे, 14काबरकि अंजोर ह हर एक चीज ला देखे के लइक बनाथे; एकरे कारन, ए कहे गे हवय:

“हे सोवइया, जाग,

मरे मन ले जी उठ,

अऊ मसीह ह तोर ऊपर चमकन लगही।”

15एकरसेति बहुंत सचेत रहव कि तुमन जिनगी म कइसने चलत हव – मुरुख मनखे सहीं नइं, पर बुद्धिमानमन सहीं चलव। 16तुमन ला मिले हर मऊका के जादा से जादा फायदा उठावव, काबरकि समय ह खराप हवय। 17एकरसेति, मुरुख झन बनव, पर जानव कि परभू के मनसा का हवय। 18मंद पीके मतवाल झन बनव, काबरकि एकर ले बहुंत खराप काममन होथें। एकर बदले अपन-आप ला पबितर आतमा ले भर लेवव। 19एक-दूसर ले परमेसर के भजन, इस्तुति अऊ आतमिक गीत के संग गोठियावव। परभू बर अपन जम्मो हिरदय ले गावव अऊ बजावव। 20अऊ हमेसा, हर एक बात बर, हमर परभू यीसू मसीह के नांव म परमेसर ददा ला धनबाद देवव।

घरवाला अऊ घरवाली

21मसीह के आदर म, एक-दूसर के अधीन रहव।

22हे घरवालीमन, अपन घरवालामन के अधीन रहव, जइसने कि परभू के अधीन रहिथव। 23काबरकि घरवाला ह घरवाली के मुड़ी अय, जइसने मसीह ह कलीसिया के मुड़ी अय। कलीसिया ह ओकर देहें अऊ ओह कलीसिया के उद्धार करइया ए। 24जइसने कलीसिया ह मसीह के अधीन रहिथे, वइसने घरवालीमन घलो हर एक बात म अपन घरवालामन के अधीन रहंय।

25हे घरवालामन, अपन-अपन घरवाली ला मया करव, जइसने मसीह ह कलीसिया ला मया करिस अऊ अपन-आप ला ओकर बर दे दीस, 26ताकि बचन के परचार के जरिये ओला पानी म धोके साफ करय अऊ ओला पबितर बनावय; 27अऊ ओला एक महिमामय कलीसिया के रूप म अपन-आप ला पेस करय, जऊन म न कोनो दाग, न झूर्री, न कोनो आने दोस रहय। पर ओह पबितर अऊ निरदोस होवय। 28एही किसम ले घरवालामन अपन-अपन घरवालीमन ले अपन खुद के देहें सहीं मया करंय। जऊन ह अपन घरवाली ले मया करथे, ओह अपन-आप ले मया करथे। 29कोनो मनखे अपन खुद के देहें ले घिन नइं करय, पर ओह ओकर पालन-पोसन करथे अऊ देख-रेख करथे, जइसने कि मसीह ह कलीसिया के संग करथे; 30काबरकि हमन ओकर देहें के अंग अन। 31परमेसर के बचन म लिखे हवय: “एकरे कारन मनखे ह अपन दाई-ददा ला छोंड़ दिही अऊ अपन घरवाली के संग मिले रहिही अऊ ओ दूनों एक तन हो जाहीं।”5:31 उतपत्ती 2:24 32एह एक बड़े भेद के बात अय – पर मेंह मसीह अऊ कलीसिया के बारे म कहत हवंव। 33पर जइसने घलो होवय, तुमन ले हर एक झन अपन घरवाली ला अपन सहीं मया करय, अऊ घरवाली ह अपन घरवाला के आदर-मान करय।