3 योहन 1 – HCV & NASV

Hindi Contemporary Version

3 योहन 1:1-15

1प्राचीन की ओर से,

प्रिय गायॉस को, जिससे मुझे वास्तव में प्रेम है.

2प्रिय भाई बहनो, मेरी कामना है कि जिस प्रकार तुम अपनी आत्मा में उन्‍नत हो, ठीक वैसे ही अन्य क्षेत्रों में भी उन्‍नत होते जाओ और स्वस्थ रहो. 3मुझसे भेंट करने आए साथी विश्वासियों द्वारा सच्चाई में तुम्हारी स्थिरता का विवरण अर्थात् सत्य में तुम्हारे स्वभाव के विषय में सुनकर मुझे बहुत ही खुशी हुई. 4मेरे लिए इससे बढ़कर और कोई आनंद नहीं कि मैं यह सुनूं कि मेरे बालकों का स्वभाव सच्चाई के अनुसार है.

5प्रिय भाई बहनो, जो कुछ तुम साथी विश्वासियों, विशेष रूप से परदेशी साथी विश्वासियों की भलाई में कर रहे हो, तुम्हारी सच्चाई का सबूत है. 6वे कलीसिया के सामने तुम्हारे प्रेम के गवाह हैं. सही यह है कि तुम उन्हें इसी भाव में विदा करो, जो परमेश्वर को ग्रहण योग्य हो, 7क्योंकि उन्होंने गैर-यहूदियों से बिना कोई सहायता स्वीकार किए प्रभु के लिए काम प्रारंभ किया था. 8इसलिये सही है कि हम ऐसे व्यक्तियों का सत्कार करें कि हम उस सत्य के सहकर्मी हो जाएं.

9मैंने कलीसिया को पत्र लिखा था परंतु दिओत्रिफ़ेस, जो उनमें हमेशा ही अगुआ बनना चाहता है, हमारी नहीं मानता. 10इसी कारण जब मैं वहां आऊंगा तो तुम्हारे सामने उसके द्वारा किए गए सभी कामों को स्पष्ट कर दूंगा अर्थात् सारे बुरे-बुरे शब्दों का प्रयोग करते हुए हम पर लगाए गए आरोपों का. इतना ही नहीं, वह न तो स्वयं उपदेशकों को स्वीकार करता है और न ही कलीसिया के सदस्यों को ऐसा करने देता है, जो ऐसा करने के इच्छुक हैं. वस्तुतः उन्हें वह कलीसिया से बाहर कर देता है.

11प्रिय भाई बहनो, बुराई का नहीं परंतु भलाई का अनुसरण करो क्योंकि भला करनेवाला परमेश्वर का है; जो बुराई करनेवाला है उसने परमेश्वर को नहीं देखा. 12देमेत्रियॉस की सभी प्रशंसा करते हैं. स्वयं सच उसका गवाह है. हम भी उसके गवाह हैं और तुम यह जानते हो कि हमारी गवाही सच है.

13हालांकि लिखने योग्य अनेक विषय हैं किंतु मैं स्याही और लेखनी इस्तेमाल नहीं करना चाहता. 14मेरी आशा है कि मैं तुमसे बहुत जल्द भेंटकर आमने-सामने आपस में बातचीत करूंगा.

15तुम्हें शांति मिले.

तुम्हें मित्रों का नमस्कार. व्यक्तिगत रूप से हर एक मित्र को नमस्कार करना.

New Amharic Standard Version

3 ዮሐንስ 1:1-15

1ሽማግሌው፤

በእውነት ለምወድደው ለውድ ወዳጄ ለጋይዮስ፤

2ወዳጅ ሆይ፤ ነፍስህ በመልካም ሁኔታ ላይ እንዳለች ሁሉ መልካም ጤንነት እንዲኖርህና በነገር ሁሉ እንዲሳካልህ እጸልያለሁ። 3ለእውነት ታማኝ እንደ ሆንህና የምትመላለሰውም በእውነት እንደ ሆነ አንዳንድ ወንድሞች መጥተው ስለ አንተ ሲመሰክሩልኝ እጅግ ደስ አለኝ። 4ልጆቼ በእውነት የሚመላለሱ መሆናቸውን ከመስማት የሚበልጥ ደስታ የለኝም።

5ወዳጅ ሆይ፤ ለአንተ እንግዶች ቢሆኑም እንኳ፣ ለወንድሞች በምታደርገው ነገር ሁሉ ታማኝ ነህ። 6እነርሱ አንተ ስላለህ ፍቅር በቤተ ክርስቲያን ፊት መስክረዋል፤ በመንገዳቸውም እግዚአብሔርን ደስ በሚያሰኝ ሁኔታ ብትረዳቸው መልካም ታደርጋለህ፤ 7ስለ ስሙ የወጡት ከአሕዛብ ምንም ሳይቀበሉ ነውና። 8እንግዲህ አብረን ለእውነት እንድንሠራ እንዲህ ያሉትን ሰዎች ልናስተናግድ ይገባናል።

9ለቤተ ክርስቲያኒቱ ጽፌ ነበር፤ ነገር ግን መሪ መሆን የሚወድደው ዲዮጥራጢስ አይቀበለንም። 10ስለዚህ እኔ ከመጣሁ እርሱ በክፉ ቃላት ስማችንን ለማጥፋት የሚያደርገውን ሁሉ ይፋ አወጣለሁ፤ ይህም አልበቃ ብሎት ወንድሞችን አይቀበልም፤ ሊቀበሏቸው የሚፈልጉትን ይከለክላቸዋል፤ ከቤተ ክርስቲያንም ያስወጣቸዋል።

11ወዳጅ ሆይ፤ መልካም የሆነውን እንጂ ክፉውን አትምሰል። መልካም የሆነውን የሚያደርግ ሁሉ ከእግዚአብሔር ነው። ክፉ የሚያደርግ ግን እግዚአብሔርን አላየውም። 12ለድሜጥሮስ፣ ሰው ሁሉ ይመሰክርለታል፤ እውነት ራሷም ትመሰክርለታለች፤ እኛ ደግሞ እንመሰክርለታለን፤ እናንተም ምስክርነታችን እውነት እንደ ሆነ ታውቃላችሁ።

13የምጽፍልህ ብዙ ነገር ነበረኝ፤ ይሁን እንጂ በቀለምና በብርዕ እንዲሆን አልፈልግም። 14በቅርቡ ላይህ ተስፋ አደርጋለሁ፤ ፊት ለፊትም እንነጋገራለን።

15ሰላም ለአንተ ይሁን፤ ወዳጆች ሰላምታ ያቀርቡልሃል። ለወዳጆች በየስማቸው ሰላምታ አቅርብልኝ።