उत्पत्ति 38 – HCV & NASV

Hindi Contemporary Version

उत्पत्ति 38:1-30

यहूदाह तथा तामार

1जब उन्हीं दिनों यहूदाह अपने भाइयों के बीच से निकलकर हीराह नामक अदुल्लामवासी व्यक्ति के साथ रहने चले गये. 2तब शुआ नामक एक कनानी व्यक्ति की पुत्री से मिले और उन्होंने उससे विवाह कर लिया और उससे प्रेम किया; 3और उसने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका एर नाम रखा. 4उसने एक और पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम ओनान रखा. 5उसने एक और पुत्र को जन्म दिया, जिसका शेलाह नाम रखा. तब यहूदाह केज़ीब में रहते थे.

6यहूदाह ने एर, का विवाह तामार नामक स्त्री से किया. 7यहूदाह का बड़ा बेटा याहवेह के दृष्टि में दुष्ट था; इसलिये याहवेह ने उसे मार डाला.

8यहूदाह ने ओनान से कहा, “अपने भाई की पत्नी के साथ देवर का कर्तव्य पूरा करके अपने भाई के लिए संतान पैदा करो.” 9ओनान ने कहा, ये संतान मेरी नहीं होगी; इसलिये जब कभी वह समागम करता, अपना वीर्य भूमि पर गिरा देता था कि उससे उसके भाई के लिए कोई संतान पैदा न हो सके. 10उसका यह काम याहवेह को अच्छा नहीं लगा, इसलिये याहवेह ने उसके प्राण ले लिए.

11यह देख यहूदाह ने अपनी बहू तामार से कहा, “जब तक मेरा पुत्र शेलाह, विवाह के योग्य न हो जाए, अपने पिता के घर विधवा बनकर रहना.” यहूदाह को डर था कि इस पुत्र की भी मृत्यु उसके भाइयों के समान हो जाए. इसलिये तामार अपने पिता के घर चली गई.

12बहुत समय बाद शुआ की पुत्री अर्थात् यहूदाह की पत्नी की मृत्यु हो गई. यहूदाह अपने शोक के समय के बाद अपनी भेड़ों के ऊन कतरने वालों के पास तिमनाह को गया. उसके साथ उसका मित्र अदुल्लामी हीराह भी था.

13जब तामार को यह बताया गया, “तुम्हारे ससुर तिमनाह जा रहे हैं,” 14तब तामार ने अपने विधवा के वस्त्र उतार दिए, और अपना मुंह घूंघट से छिपाकर एक चादर लपेट ली तथा तिमनाह के मार्ग पर एनाइम के प्रवेश द्वार पर बैठ गई. यह इसलिये किया क्योंकि उसका देवर शेलाह जवान हो चुका था तथा उससे उसका विवाह नहीं किया गया था.

15वहां से निकलते हुए उसे देख यहूदाह ने उसे वेश्या समझा, क्योंकि उसने मुंह ढक रखा था. 16इसलिये यहूदाह उसके पास गया और उससे कहा, “मुझे तुम्हारे साथ संभोग करना है.”

यहूदाह को यह मालूम नहीं था कि वह उसकी ही बहू थी. उसने पूछा, “क्या मजदूरी दोगे?”

17यहूदाह ने उत्तर दिया, “मैं तुम्हें अपने झुंड में से एक बकरी भिजवा दूंगा.”

तब तामार ने कहा, “उसे भिजवाने तक उसके बदले में क्या दोगे?”

18यहूदाह ने पूछा, “क्या चाहती हो?”

उसने उत्तर दिया, “तुम्हारी मुद्रामोहर, तुम्हारा बाजूबन्द तथा तुम्हारे हाथ की लाठी.” तब यहूदाह ने उसे ये देकर उससे संभोग किया और चला गया. तामार यहूदाह से गर्भवती हो गई. 19तामार ने घर जाकर अपना विधवा वस्त्र वापस पहन लिया.

20जब यहूदाह ने अपने अदुल्लामी मित्र के हाथ वह शावक बकरी उस स्त्री के लिए भेजी, तो वहां उसे वह स्त्री नहीं मिली. 21उसने आस-पास लोगों से पूछा, “वह वेश्या कहां है, जो एनाइम मार्ग पर बैठा करती है?”

उन्होंने कहा, “यहां कोई वेश्या कभी थी ही नहीं.”

22इसलिये वह यहूदाह के पास लौट गया और उसे बताया, “वह मुझे नहीं मिली. इतना ही नहीं, वहां लोगों ने बताया कि वहां तो कभी कोई वेश्या थी ही नहीं.”

23यह सुन यहूदाह ने उससे कहा, “तब तो उसे वे चीज़ें रख लेने दो अन्यथा तुच्छ हम ही बन जाएंगे. मैंने तो उसके लिए बकरी भिजवा दी थी, किंतु हम उसका पता नहीं लगा सके.”

24लगभग तीन माह बाद यहूदाह को बताया गया, “तुम्हारी बहू ने व्यभिचार किया है और वह गर्भवती है.”

यहूदाह ने कहा, “उसे बाहर लाओ ताकि उसे जला दें!”

25जब उसे बाहर ला रहे थे, तो उसने अपने ससुर को यह संदेश भेजा, “मैं उस व्यक्ति से गर्भवती हूं जिसकी ये वस्तुएं हैं.” तामार ने कहा, “देखो, कि यह मुद्रामोहर, बाजूबन्द तथा लाठी किसकी है?”

26यहूदाह ने ये वस्तुएं देखते ही पहचान लीं और कहा, “वह तो मुझसे कम दोषी है, क्योंकि मैंने ही उसे शेलाह की पत्नी होने से रोका था.” यहूदाह ने उससे पुनः संभोग नहीं किया.

27जब प्रसव का समय आया तब पता चला कि उसके गर्भ में जुड़वां बच्‍चे हैं. 28जब प्रसव पीड़ा हो रही थी एक ने हाथ बाहर निकाला तो धाय ने उसके हाथ में यह कहते हुए लाल डोरी बांध दी, “कि यह पहले जन्मा है.” 29लेकिन उसने अपना हाथ अंदर खींच लिया और उसके भाई का जन्म उससे पहले हुआ. तब धाय ने कहा, “तुम ही पहले बाहर निकलने में समर्थ हुए!” इसलिये उसका नाम पेरेज़38:29 पेरेज़ अर्थात् निकलने की दरार रखा. 30फिर उसके भाई का जन्म हुआ, जिसके हाथ पर वह लाल डोर बांधी गई थी. उसका नाम ज़ेराह38:30 ज़ेराह अर्थात् लालिमा या चमक रखा.

New Amharic Standard Version

ዘፍጥረት 38:1-30

ይሁዳና ትዕማር

1በዚያም ወራት ይሁዳ ከወንድሞቹ ተለይቶ፣ ኤራስ ወደ ተባለ ዓዶሎማዊ ሰው ወረደ፤ እርሱም ዘንድ ለመኖር ቤቱ ገባ። 2እዚያም ሳለ፣ ይሁዳ የከነዓናዊውን የሴዋን ሴት ልጅ አየ፤ እርሷንም አግብቶ አብሯት ተኛ፤ 3እርሷም ፀንሳ ወንድ ልጅ ወለደች፤ ስሙም ዔር ተባለ። 4እንደ ገናም ፀንሳ ወንድ ልጅ ወለደች፤ ስሙን አውናን አለችው። 5አሁንም ደግማ ወንድ ልጅ ወለደች፤ ስሙንም ሴሎም ብላ አወጣችለት፤ እርሱንም የወለደችው ክዚብ በተባለ ቦታ ነበር።

6ይሁዳ የበኵር ልጁን ዔርን፣ ትዕማር የምትባል ሚስት አጋባው። 7የይሁዳ የበኵር ልጅ ዔር ግን በእግዚአብሔር (ኤሎሂም) ፊት ክፉ ነበር፤ እግዚአብሔርም (ያህዌ) ቀሠፈው።

8በዚህ ጊዜ ይሁዳ አውናንን፣ “ዋርሳዋ እንደ መሆንህ ከወንድምህ ሚስት ጋር ሩካቤ ሥጋ በመፈጸም የወንድምህን ስም የሚያስጠራለት ዘር ተካለት” አለው። 9አውናን ግን የሚወለደው ልጅ የእርሱን ስም የሚያስጠራ እንደማይሆን ስላወቀ፣ ከወንድሙ ሚስት ጋር ሩካቤ ሥጋ በፈጸመ ቍጥር የወንድሙንም ስም የሚያስጠራ ልጅ እንዳይወልድ ዘሩን በምድር ላይ ያፈስስ ነበር። 10ይህም በእግዚአብሔር (ያህዌ) ፊት ክፉ አድራጎት ሆኖ ስለ ተገኘ፣ እርሱንም እግዚአብሔር (ያህዌ) በሞት ቀሠፈው።

11ከዚያም ይሁዳ ምራቱን ትዕማርን፣ “ልጄ ሴሎም ለአካለ መጠን እስኪደርስ ድረስ ወደ አባትሽ ቤት ሄደሽ መበለት ሆነሽ ብትኖሪ ይሻላል” አላት። ይህን ያለውም፣ ሴሎም እንደ ወንድሞቹ ተቀሥፎ ይሞትብኛል ብሎ ስለ ሠጋ ነበር። ትዕማርም እንዳላት ሄደች፤ በአባቷም ቤት ተቀመጠች።

12ከብዙ ጊዜ በኋላ የሹዓ ልጅ፣ የይሁዳ ሚስት ሞተች። ይሁዳ ከሐዘኑ ከተጽናና በኋላ ከዓዶላማዊው ከሒራ ጋር የበጎቹን ጠጕር የሚሸልቱ ሰዎች ወዳሉበት ወደ ተምና ሄደ።

13ሰዎቹም ለትዕማር፣ “ዐማትሽ የበጎቹን ጠጕር ወደሚሸልቱ ሰዎች ዘንድ ወደ ተምና እየሄደ ነው” አሏት። ይህን እንደ ሰማች 14የመበለትነት ልብሷን አውልቃ፣ ማንነቷ እንዳይታወቅ ፊቷን በሻሽ ተከናንባ ወደ ተምና በሚወስደው መንገድ ዳር ባለች ኤናይም በተባለች ከተማ መግቢያ ላይ ተቀመጠች፤ ይህን ያደረገችው፣ ሴሎም ለአካለ መጠን ቢደርስም፣ እርሷን እንዲያገባ አባቱ አለመፈለጉን ስላወቀች ነው።

15ፊቷ በሻሽ ተሸፋፍኖ ሲያያት፣ ይሁዳ ዝሙት ዐዳሪ መሰለችው። 16ምራቱ መሆኗን ባለማወቁ፣ እርሷ ወዳለችበት ወደ መንደሩ ዳር ጠጋ ብሎ፣ “እባክሽ አብሬሽ ልተኛ” አላት። እርሷም፣ “አብሬህ ብተኛ ምን ትሰጠኛለህ?” ብላ ጠየቀችው።

17“ከመንጋዬ መካከል አንድ የፍየል ጠቦት እልክልሻለሁ” አላት። እርሷም መልሳ፣ “ጠቦቱን እስክትልክልኝ ድረስ ምን መያዣ ትሰጠኛለህ?” ብላ ጠየቀችው።

18“ታዲያ ምን መያዣ ልስጥሽ?” አላት። እርሷም፣ “የማኅተም ቀለበትህን ከነማሰሪያው፣ እንደዚሁም ይህን በትርህን ስጠኝ” አለችው። የጠየቀችውን ሁሉ ሰጣትና አብሯት ተኛ፤ እርሷም ፀነሰች። 19ከዚያም ወደ መኖሪያዋ ተመልሳ፣ ሻሽዋን አውልቃ እንደ ወትሮዋ የመበለት ልብሷን ለበሰች።

20ይሁዳ በመያዣ ስም የሰጣትን ዕቃዎች ለማስመለስ የፍየሉን ጠቦት በዓዶሎማዊ ወዳጁ እጅ ላከላት፣ መልእክተኛው ግን ሴትየዋን ሊያገኛት አልቻለም። 21“በኤናይም ከተማ መግቢያ ከመንገዱ ዳር የነበረች ያቺ ዝሙት ዐዳሪ የት ደረሰች?” ሲል ጠየቃቸው። ሰዎቹም፣ “በዚህ አካባቢ ኧረ ምንም ዝሙት ዐዳሪ ታይታ አትታወቅም” አሉት።

22መልእክተኛውም ወደ ይሁዳ ተመልሶ፣ “ሴቲቱን ላገኛት አልቻልሁም፤ ነዋሪዎቹም ‘በዚህ አካባቢ እንደዚህች ያለች ዝሙት ዐዳሪ የለችም’ አሉኝ” ብሎ ነገረው።

23ይሁዳም፣ “እንግዲህ መያዣውን እንደ ያዘች ትቅር፣ አለዚያ መሣቂያ እንሆናለን። ለነገሩማ ይህን ፍየል ላክሁ፤ አንተም ፈልገህ አላገኘሃትም” አለ።

24ከሦስት ወር ያህል በኋላ፣ “ምራትህ ትዕማር ዘማዊ ሆናለች፤ ከዚህም የተነሣ አርግዛለች” ተብሎ ለይሁዳ ተነገረው።

ይሁዳም፣ “አውጧትና በእሳት ተቃጥላ ትሙት” አለ።

25እርሷም ተይዛ በምትወሰድበት ጊዜ ለዐማቷ፣ “እኔ ያረገዝሁት የእነዚህ ዕቃዎች ባለቤት ከሆነ ሰው ነው” ስትል ላከችበት፤ ደግሞም፣ “የማኅተሙ ቀለበት ከነማንጠልጠያውና በትሩ የማን እንደ ሆነ እስቲ ተመልከት” አለችው።

26ይሁዳም ዕቃዎቹን ዐውቆ፣ “ልጄ ሴሎም እንዲያገባት ባለማድረጌ፣ እርሷ ከእኔ ይልቅ ትክክል ናት” አለ። ከዚያም በኋላ ከእርሷ ጋር አልተኛም።

27የመውለጃዋ ጊዜ እንደ ደረሰም ፅንሷ መንታ መሆኑ ታወቀ። 28በምትወልድበትም ጊዜ አንደኛው እጁን አወጣ፤ አዋላጂቱም፣ “ይህኛው መጀመሪያ ወጣ” ስትል በእጁ ላይ ቀይ ክር አሰረችለት፤ 29ነገር ግን፣ እጁን መልሶ ሲያስገባ ወንድሙ ተወለደ። አዋላጂቱም “አንተ እንዴት ጥሰህ ወጣህ!” አለች፤ ከዚያም ስሙ ፋሬስ38፥29 ፋሬስ ማለት ጥሶ መውጣት ማለት ነው። ተባለ። 30ከዚያ በኋላ እጁ ላይ ቀይ ክር የታሰረለት ወንድሙ ተወለደ፤ ስሙም ዛራ38፥30 ዛራ የሚለው ደማቅ ቀይ ወይም ብሩህ እንደ ማለት ነው። ተባለ።