उत्पत्ति 34 – HCV & NASV

Hindi Contemporary Version

उत्पत्ति 34:1-31

याकोब के पुत्रों का विश्वास हनन

1लियाह की पुत्री दीनाह उस देश की लड़कियों के साथ स्त्रियों को देखने के लिए बाहर गई. 2उस देश के शासक हिव्वी हामोर के पुत्र शेकेम ने उसे देखा, वह उसे अपने साथ ले गया उसने उसे पकड़ लिया और उसने उसके साथ बलात्कार किया. 3याकोब की पुत्री दीनाह से उसे प्रेम था और उसके प्रति उसका व्यवहार अच्छा था. 4शेकेम ने अपने पिता हामोर से कहा, “मेरा विवाह इस युवती से कर दीजिए.”

5जब याकोब को पता चला कि शेकेम ने उनकी पुत्री को दूषित कर दिया है, उस समय उनके पुत्र पशुओं के साथ मैदान में थे; इसलिये याकोब उनके लौटने तक शांत रहे.

6इसी समय शेकेम का पिता हामोर याकोब से मिलने आये. 7जब याकोब के पुत्र लौटे और उन्हें सब बात पता चली तब वे बहुत उदास और नाराज हुए, क्योंकि उसने याकोब की पुत्री से संभोग द्वारा इस्राएल में मूर्खता का काम कर डाला था, एक ऐसा काम, जो अनुचित था.

8किंतु हामोर ने उनसे कहा, “मेरा पुत्र शेकेम आपकी पुत्री को चाहता है. कृपया उसका विवाह मेरे पुत्र से कर दीजिए. 9हमारे साथ वैवाहिक संबंध बना लीजिए आप हमें अपनी पुत्रियां दीजिए और आप हमारी पुत्रियां लीजिए. 10इस प्रकार आप हमारे साथ इस देश में मिलकर रह पायेंगे. आप इस देश में रहिये, व्यवसाय34:10 व्यवसाय या आज़ादी से घूम फिरना कीजिए तथा संपत्ति प्राप्‍त करते जाइए.”

11शेकेम ने दीनाह के पिता तथा उसके भाइयों से यह भी कहा, “यदि मैंने आपकी कृपादृष्टि प्राप्‍त कर ली है, तो आप अपने मन की बात कह दीजिए कि मैं उसे पूरा कर सकूं. 12आप वधू के लिए जो भी मांगेंगे उसे मैं पूरा करूंगा. किंतु मेरा विवाह उसी युवती से कीजिए.”

13तब याकोब के पुत्रों ने शेकेम को तथा उसके पिता हामोर को छलपूर्ण उत्तर दिया, क्योंकि शेकेम ने उनकी बहन दीनाह को दूषित कर दिया था. 14उन्होंने उन्हें उत्तर दिया, “यह हमारे लिए संभव नहीं है कि हम किसी ख़तना रहित को अपनी बहन दे सकें. क्योंकि यह हमारे लिए शर्मनाक है. 15एक ही शर्त पर यह बात हो सकती है: आपके देश के हर एक पुरुष का ख़तना किया जाए, ताकि आप हमारे समान हो जाएं. 16तब हममें पुत्रियों का लेना देना हो सकेगा और हम आपके बीच रह सकेंगे, और हम एक ही लोग बन जाएंगे. 17यदि आपको हमारी बात सही नहीं लगी, तो हम अपनी पुत्री को लेकर यहां से चले जाएंगे.”

18उनकी यह बात हामोर तथा उसके पुत्र शेकेम को पसंद आई. 19याकोब की पुत्री शेकेम को बहुत पसंद थी कि उसने इस काम को करने में देरी नहीं की. अपने पिता के परिवार में वह सम्मानित व्यक्ति था. 20इसलिये हामोर एवं उसके पुत्र शेकेम ने नगर में जाकर नगर के सब लोगों से कहा, 21“ये लोग हमारे साथ हैं, इसलिये हम इन्हें इस देश में रहने देंगे, इनके साथ व्यापार करेंगे, क्योंकि हमारा देश इनके लिए पर्याप्‍त है. हम इनकी कन्याएं लें तथा अपनी कन्याएं इन्हें दे. 22ये एक ही शर्त पर हमारे साथ रहने के लिए सहमत हुए हैं, कि हम सभी पुरुषों का ख़तना किया जाए, जैसा उनका किया जाता है कि हम सभी एक हो जाएं. 23तब इनका पशु धन, इनकी संपत्ति तथा इनके समस्त पशु हमारे ही तो हो जाएंगे न? बस, हम उनसे यहां सहमत हो जाएं, कि वे हमारे साथ ही निवास करने लगें.”

24उन सभी ने, जो नगर से निकल रहे थे, हामोर तथा उसके पुत्र शेकेम की बात मान ली. उस नगर द्वार से बाहर निकलते हुए हर एक पुरुष का ख़तना कर दिया गया.

25तीन दिन बाद, जब नगर का हर एक पुरुष पीड़ा में था, याकोब के दोनों बेटे शिमओन और लेवी ने, जो दीनाह के भाई थे, अचानक हमला कर दिया तथा हर एक पुरुष की हत्या कर दी. 26उन्होंने तलवार से हामोर तथा उसके पुत्र शेकेम की हत्या की और शेकेम के घर से दीनाह को लेकर आये. 27और याकोब के अन्य पुत्रों ने नगर को लूट लिया, क्योंकि उन्होंने उनकी बहन को दूषित कर दिया था. 28उन्होंने नगर के लोग भेड़-बकरी, उनके पशु, गधे, नगर में जो कुछ उनका था जो कुछ खेतों में था, सभी कुछ ले लिया. 29उन्होंने उनकी पूरी संपत्ति पर अधिकार करके उसे लूट लिया, यहां तक कि उन्होंने उनकी पत्नियों एवं उनके बालकों को बंदी बनाकर सभी कुछ, जो उनके घरों में था, लूट लिया.

30यह सब देख याकोब ने शिमओन तथा लेवी से कहा, “तुमने तो मुझे इन देशवासियों के लिए दुश्मन बनाकर कनानियों एवं परिज्ज़ियों के बीच विपत्ति में डाल दिया है. यदि वे सब एकजुट होकर मुझ पर आक्रमण कर देंगे, तो मैं नष्ट हो जाऊंगा, मैं और मेरा संपूर्ण परिवार, क्योंकि हम गिनती में कम हैं.”

31उन्होंने कहा, “क्या हमारी बहन से उन्होंने जो एक वेश्या के समान बर्ताव किया; क्या वह सही था?”

New Amharic Standard Version

ዘፍጥረት 34:1-31

የያዕቆብ ልጅ ተደፈረች

1ልያ ለያዕቆብ የወለደችለት ሴት ልጅ ዲና፣ አንድ ቀን የዚያን አገር ሴቶች ለማየት ወጣች። 2ሴኬም የተባለው የአገሩ ገዥ የኤዊያዊ የኤሞር ልጅ ባያት ጊዜ ይዞ በማስገደድ ደፈራት። 3ልቡ በያዕቆብ ልጅ በዲና ተማረከ፤ ልጂቷንም በጣም ወደዳት፤ በጣፈጠም አንደበት አናገራት። 4ሴኬምም አባቱን ኤሞርን፣ “ይህችን ልጅ አጋባኝ” አለው።

5ያዕቆብ፣ ልጁን ዲናን ሴኬም እንዳስነወራት ሰማ፤ በዚህ ጊዜ ወንዶች ልጆቹ ከብቶቹን በመስክ ያግዱ ነበር፤ ያዕቆብም ልጆቹ እስኪመለሱ ድረስ ታግሦ ቈየ።

6ከዚያም የሴኬም አባት ኤሞር፣ ያዕቆብን ሊያነጋግረው ወጣ። 7የያዕቆብ ወንዶች ልጆችም የተፈጸመውን ድርጊት እንደ ሰሙ ወዲያውኑ ከመስክ መጡ፤ ሴኬም መደረግ የማይገባውን አስነዋሪ ነገር በእስራኤል ላይ በመፈጸም፣ የያቆብን ልጅ ስለ ደፈረ ዐዘኑ፤ ክፉኛም ተቈጡ።

8ኤሞር ግን እንዲህ አላቸው፤ “ልጄ ሴኬም ልቡ በልጃችሁ ፍቅር ተነድፏል፤ እባካችሁ እንዲያገባት ፍቀዱለት። 9በጋብቻ እንተሳሰር፤ ሴት ልጃችሁን ስጡን፤ የእኛንም ሴቶች አግቡ። 10አብራችሁንም መኖር ትችላላችሁ፤ አገራችን አገራችሁ ናት፤ ኑሩባት፤ ነግዱባት፤34፥10 ወይም በነጻነት መንቀሳቀስ፤ በ21 ላይ እንዳለው፤ ሀብት ንብረትም አፍሩባት።”

11ሴኬም ደግሞ የዲናን አባትና ወንድሞቿን እንዲህ አላቸው፤ “በእናንተ ዘንድ ሞገስ ላግኝ እንጂ የተጠየቅሁትን ሁሉ እሰጣለሁ፤ 12ጥሎሽ ብትሉኝ ጥሎሽ፣ ስጦታ ብትሉም የፈለጋችሁትን ያህል እሰጣለሁ፤ ብቻ ልጂቱን እንዳገባ ፍቀዱልኝ።”

13የያዕቆብ ወንዶች ልጆችም፣ በእኅታቸው በዲና ላይ ስለ ተፈጸመው ነውር፣ የሆዳቸውን በሆዳቸው ይዘው፣ ለሴኬምና ለአባቱ ለኤሞር መልስ ሰጡ፤ 14እንዲህም አሏቸው፤ “እኅታችንን ላልተገረዘ ሰው ብንሰጥ ውርደት ስለሚሆንብን፣ እንዲህ ያለውን ነገር አናደርገውም። 15ሆኖም የምንስማማበት አንድ መንገድ ብቻ አለ፤ ይህም ወንዶቻችሁን ሁሉ ገርዛችሁ እኛን የመሰላችሁ እንደ ሆነ ነው። 16ከዚያ በኋላ ሴቶች ልጆቻችንን እንድርላችኋለን፤ አብረን እንኖራለን፤ አንድ ሕዝብም እንሆናለን። 17በመገረዙ የማትስማሙ ከሆነ ግን ልጃችንን34፥17 በዕብራይስጥ ሴት ልጅን ያመለክታል። ይዘን እንሄዳለን።”

18ያቀረቡትም ሐሳብ ለኤሞርና ለልጁ ለሴኬም መልካም መስሎ ታያቸው። 19ከአባቱ ቤተ ሰብ ሁሉ እጅግ የተከበረው ይህ ወጣት የያዕቆብን ልጅ እጅግ ወድዷት ስለ ነበር፣ ያሉትን ለማድረግ ጊዜ አልወሰደበትም። 20ስለዚህ ኤሞርና ልጁ ሴኬም ይህንኑ ለወገኖቻቸው ለመንገር ወደ ከተማቸው በር ሄዱ፤ 21እንዲህም አሏቸው፤ “እነዚህ ሰዎች ወዳጆቻችን ናቸው፤ በአገራችን እንዲኖሩ፣ ተዘዋውረውም እንዲነግዱ እንፍቀድላቸው፤ ምድሪቱ እንደሆን ለእኛም ለእነርሱም ትበቃለች። ሴቶች ልጆቻቸውን እናገባለን፤ እነርሱም የእኛን ሴቶች ያገባሉ። 22ሆኖም ሰዎቹ ከእኛ ጋር እንደ አንድ ሕዝብ ሆነው አብረውን ለመኖር ፈቃደኞች የሚሆኑት፣ የእኛ ወንዶች እንደ እነርሱ የተገረዙ እንደ ሆነ ብቻ ነው። 23ታዲያ እንዲህ ብናደርግ ከብታቸው ንብረታቸው፣ እንስሶቻቸው ሁሉ የእኛው ይሆኑ የለምን? ስለዚህ ባሉት እንስማማ፤ እነርሱም አብረውን ይኑሩ።”

24ከከተማዪቱ በር ውጪ የተሰበሰቡት ሁሉ በኤሞርና በልጁ በሴኬም ሐሳብ ተስማሙ፤ በከተማዪቱም ያሉት ወንዶች ሁሉ ተገረዙ።

25በሦስተኛውም ቀን የሁሉም ቍስል ገና ትኵስ ሳለ ከያዕቆብ ልጆች ሁለቱ፣ የዲና ወንድሞች ስምዖንና ሌዊ፣ ሰይፋቸውን መዝዘው ሳይታሰብ ወደ ከተማዪቱ ገብተው ወንዶቹን በሙሉ ገደሏቸው። 26ኤሞርንና ሴኬምንም በሰይፍ ገድለው፣ እኅታቸውን ዲናን ከሴኬም ቤት አውጥተው ይዘዋት ተመለሱ። 27የያዕቆብ ልጆች ሁሉ በሬሳ ላይ እየተረማመዱ እኅታቸው የተደፈረችበትን ከተማ34፥27 ወይም እኅታቸው ተደፍራለችና የያዕቆብ ልጆች ዘረፉ። 28የበግና የፍየል መንጎቻቸውን፣ ከብቶቻቸውንና አህዮቻቸውን እንዲሁም በከተማዪቱና በአካባቢው የሚገኘውን ንብረታቸውን ሁሉ ወሰዱባቸው፤ 29ሀብታቸውን ሁሉ ዘርፈው ሴቶቻቸውንና ሕፃኖቻቸውን ሁሉ ማርከው በየቤቱ ያገኙትን ሁሉ ይዘው ሄዱ።

30ያዕቆብም ስምዖንና ሌዊን እንዲህ አላቸው፤ “በዚህ አገር በሚኖሩት በከነዓናውያንና በፌርዛውያን ዘንድ እንደ ጥንብ አስቈጠራችሁኝ፤ ጭንቀትም እንዲደርስብኝ አድርጋችኋል። እኛ በቍጥር አነስተኞች ነን፤ ተባብረው ቢነሡብኝና ቢያጠቁኝ እኔና ቤተ ሰቤ መጥፋታችን አይደለምን?”

31እነርሱ ግን፣ “ታዲያ፣ እኅታችንን እንደ ዝሙት ዐዳሪ ይድፈራት?” አሉት።