उत्पत्ति 33 – HCV & CCB

Hindi Contemporary Version

उत्पत्ति 33:1-20

याकोब एवं एसाव का मिलन

1याकोब ने देखा कि दूर एसाव अपने चार सौ साथियों के साथ आ रहे थे; याकोब ने अपने बालकों को लियाह, राहेल तथा दोनों दासियों को दो भागों में कर दिये. 2उन्होंने दोनों दासियों तथा उनके बालकों को सबसे आगे कर दिया, उनके पीछे लियाह और उसकी संतान तथा राहेल और योसेफ़ सबसे पीछे थे. 3याकोब सबसे आगे थे और एसाव को देखते ही सात बार भूमि पर गिरकर दंडवत किया और एसाव के पास पहुंचे.

4एसाव दौड़ते हुए आए और याकोब को गले लगाया और चुंबन किया. और दोनो रोने लगे. 5एसाव ने स्त्रियों एवं बालकों को देखा. उसने पूछा, “तुम्हारे साथ ये सब कौन हैं?”

याकोब ने कहा ये बालक, “जो परमेश्वर ने अपनी कृपा से आपके दास को दिये हैं.”

6और दासियां अपने-अपने बालकों के साथ पास आई और झुककर प्रणाम किया. 7वैसे ही लियाह अपने बालकों के साथ पास आई, उसने भी झुककर प्रणाम किया और फिर राहेल के साथ योसेफ़ भी आया और प्रणाम किया.

8एसाव ने याकोब से पूछा, “ये गाय, बैल मुझे क्यों दिया, समझ में नहीं आया.”

याकोब बोले, “मेरे अधिपति, मैं इसके द्वारा आपकी दया पाना चाहता हूं.”

9एसाव ने कहा, “हे मेरे भाई मेरे पास सब कुछ है. और जो कुछ तुम्हारा है, उसे अपने ही पास रहने दो.”

10याकोब ने कहा, “नहीं! यदि आपका अनुग्रह मुझ पर है, तो मेरी ओर से इन उपहारों को स्वीकार कर लीजिए; क्योंकि आपको देखकर लगा कि मैंने परमेश्वर के दर्शन पा लिये, और आपने मुझे दिल से स्वीकारा भी है. 11कृपा कर आप मेरे द्वारा प्रस्तुत इस भेंट को स्वीकार कर लीजिए, जो मैं आपके लिए लाया हूं, क्योंकि मेरे प्रति परमेश्वर अत्यंत कृपालु रहे हैं तथा मेरे पास बहुत है.” जब याकोब ने ज़बरदस्ती की, एसाव ने वह भेंट स्वीकार कर ली.

12फिर एसाव ने कहा, “चलो, यहां से अपने घर चलें. मैं तुम्हारे आगे-आगे चलूंगा.”

13इस पर याकोब ने एसाव से कहा, “मेरे स्वामी, आप जानते हैं कि बालक कमजोर हैं भेड़-बकरी एवं गायें जो दूध देनेवाली हैं, उनका ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है. 14इसलिये मेरे स्वामी, आप आगे चलिये और मैं आपके पीछे-पीछे धीरे से, भेड़-बकरी एवं गायों का ध्यान रखते हुए उनकी रफ़्तार में चलूंगा.”

15तब एसाव ने याकोब से कहा, “मैं अपने साथियों को आपके पास छोड़ देता हूं.”

तब याकोब ने कहा, “क्या इसकी ज़रूरत है? मुझ पर मेरे स्वामी की दया बनी रहे, यही काफ़ी है.”

16इसलिये एसाव उसी दिन सेईर चले गये. 17याकोब सुक्कोथ की दिशा में आगे बढ़े. वहीं उन्होंने अपने लिए एक घर बनाया तथा पशुओं के रहने के लिए प्रबंध किया. इसलिये इस स्थान का नाम सुक्कोथ33:17 सुक्कोथ अर्थ मंडप पड़ गया.

18पद्दन-अराम से यात्रा करते हुए याकोब कनान देश के शेकेम नगर पहुंचे और उन्होंने नगर के पास तंबू खड़े किए. 19जिस स्थान पर उन्होंने तंबू खड़े किए, उस ज़मीन को उन्होंने शेकेम के पिता, हामोर के पुत्रों से एक सौ चांदी की मुद्राएं देकर खरीदा था. 20फिर याकोब ने वहां एक वेदी बनाई, जिसे उन्होंने एल-एलोहे-इस्राएल33:20 अर्थात् इस्राएल के परमेश्वर शक्तिशाली हैं या इस्राएल के परमेश्वर ही परमेश्वर हैं. नाम रखा.

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

创世记 33:1-20

弟兄重逢

1雅各远远看见以扫带着四百人迎面而来,便把孩子们分别交给利亚拉结和两个婢女, 2又吩咐两个婢女和她们的孩子走在前面,利亚和她的孩子跟在后面,拉结约瑟走在最后。 3他自己则走在他们前面,接连俯伏下拜七次,直到他哥哥跟前。

4以扫见到雅各,就跑上去拥抱他,亲吻他,二人抱头痛哭。 5以扫看见跟在雅各后面的妇女和孩子,就问:“这些和你同行的是谁?”雅各说:“这些孩子是上帝施恩赐给你仆人的。” 6雅各的两个婢女和她们的孩子上前下拜, 7利亚也和她的孩子上前下拜,最后约瑟拉结也上前向以扫下拜。

8以扫说:“我在路上遇见的那一群群牲畜是怎么回事?”雅各回答说:“我带来这些是要得到我主的恩待。” 9以扫说:“弟弟,我已经有很多了,你自己留着吧!” 10雅各说:“不,你若赏脸,就请收下!我见了你的面就像见了上帝的面,因为你这样善侍我。 11请你收下我的礼物吧,因为上帝恩待了我,使我富足。”雅各再三恳求,以扫才收下。

12以扫说:“我们走吧!我陪你们走。” 13雅各却说:“我主知道孩子们还小,而且,我还要照料正在哺乳的牛羊,如果整天赶路,牛羊会累死。 14倒不如请我主先走,我迁就牲畜和孩子慢慢走,我在西珥与我主会合。”

15以扫说:“让我给你留几个帮手吧。”雅各说:“不用了,能得到我主的恩待就够了。” 16于是,以扫在当天先回西珥去了, 17雅各却去了疏割,在那里为自己建造房屋,为牲畜搭起棚子。因此那地方叫疏割33:17 疏割”意思是“棚子”。

18这样,雅各巴旦·亚兰平安地回到迦南示剑城,在城外搭营居住。 19他搭营居住的这块地是他用一百块银子向示剑的父亲哈抹的子孙买的。 20雅各在那里筑了一座坛,称之为伊利·伊罗伊·以色列33:20 伊利·伊罗伊·以色列”意思是“以色列的上帝”。