उत्पत्ति 31 – HCV & CCBT

Hindi Contemporary Version

उत्पत्ति 31:1-55

याकोब का गुप्‍त रूप से पलायन

1याकोब के कानों में यह समाचार पड़ा कि लाबान के पुत्र बड़बड़ा रहे थे, “याकोब ने तो वह सब हड़प लिया है, जो हमारे पिता का था और अब वह हमारे पिता ही की संपत्ति के आधार पर समृद्ध बना बैठा है.” 2यहां याकोब ने पाया कि लाबान की अभिवृत्ति उनके प्रति अब पहले जैसी नहीं रह गई थी.

3इस स्थिति के प्रकाश में याहवेह ने याकोब को आदेश दिया, “अपने पिता एवं अपने संबंधियों के देश को लौट जाओ. मैं इसमें तुम्हारे पक्ष में हूं.”

4इसलिये याकोब ने राहेल तथा लियाह को वहीं बुला लिया, जहां वे भेड़-बकरियों के साथ थे. 5उन्होंने उनसे कहा, “मैं तुम्हारे पिता की अभिवृत्ति स्पष्ट देख रहा हूं; अब यह मेरे प्रति पहले जैसी सौहार्दपूर्ण नहीं रह गई; किंतु मेरे पिता के परमेश्वर मेरे साथ रहे हैं. 6तुम दोनों को ही यह उत्तम रीति से ज्ञात है कि मैंने यथाशक्ति तुम्हारे पिता की सेवा की है. 7इतना होने पर भी तुम्हारे पिता ने मेरे साथ छल किया और दस अवसरों पर मेरे पारिश्रमिक में परिवर्तन किए हैं; फिर भी परमेश्वर ने उन्हें मेरी कोई हानि न करने दी. 8यदि उन्होंने कहा, ‘चित्तीयुक्त पशु तुम्हारे पारिश्रमिक होंगे,’ तो सभी भेड़ चित्तीयुक्त मेमने ही पैदा करने लगे; यदि उन्होंने कहा, ‘अच्छा, धारीयुक्त पशु तुम्हारा पारिश्रमिक होंगे,’ तो भेड़ धारीयुक्त मेमने उत्पन्‍न करने लगे. 9यह तो परमेश्वर का ही कृत्य था, जो उन्होंने तुम्हारे पिता के ये पशु मुझे दे दिए हैं.

10“तब पशुओं के समागम के अवसर पर मैंने एक स्वप्न देखा कि वे बकरे, जो संभोग कर रहे थे, वे धारीयुक्त, चित्तीयुक्त एवं धब्बे युक्त थे. 11परमेश्वर के दूत ने स्वप्न में मुझसे कहा, ‘याकोब,’ मैंने कहा, ‘क्या आज्ञा है, प्रभु?’ 12और उसने कहा, ‘याकोब, देखो-देखो, जितने भी बकरे इस समय संभोग कर रहे हैं, वे धारीयुक्त हैं, चित्तीयुक्त हैं तथा धब्बे युक्त हैं; क्योंकि मैंने वह सब देख लिया है, जो लाबान तुम्हारे साथ करता रहा है. 13मैं बेथेल का परमेश्वर हूं, जहां तुमने उस शिलाखण्ड का अभ्यंजन किया था, जहां तुमने मेरे समक्ष संकल्प लिया था; अब उठो. छोड़ दो इस स्थान को और अपने जन्मस्थान को लौट जाओ.’ ”

14राहेल तथा लियाह ने उनसे कहा, “क्या अब भी हमारे पिता की संपत्ति में हमारा कोई अंश अथवा उत्तराधिकार शेष रह गया है? 15क्या अब हम उनके आंकलन में विदेशी नहीं हो गई हैं? उन्होंने हमें बेच दिया है, तथा हमारे अंश की धनराशि भी हड़प ली है. 16निःसंदेह अब तो, जो संपत्ति परमेश्वर ने हमारे पिता से छीन ली है, हमारी तथा हमारी संतान की हो चुकी है. तो आप वही कीजिए, जिसका निर्देश आपको परमेश्वर दे चुके हैं.”

17तब याकोब ने अपने बालकों एवं पत्नियों को ऊंटों पर बैठा दिया, 18याकोब ने अपने समस्त पशुओं को, अपनी समस्त संपत्ति को, जो उनके वहां रहते हुए संकलित होती गई थी तथा वह पशु धन, जो पद्दन-अराम में उनके प्रवासकाल में संकलित होता चला गया था, इन सबको लेकर अपने पिता यित्सहाक के आवास कनान की ओर प्रस्थान किया.

19जब लाबान ऊन कतरने के लिए बाहर गया हुआ था, राहेल ने अपने पिता के गृहदेवता—प्रतिमाओं की चोरी कर ली. 20तब याकोब ने भी अरामी लाबान के साथ प्रवंचना की; याकोब ने लाबान को सूचित ही नहीं किया कि वे पलायन कर रहे थे. 21इसलिये याकोब अपनी समस्त संपत्ति को लेकर पलायन कर गए. उन्होंने फरात नदी पार की और पर्वतीय प्रदेश गिलआद की दिशा में आगे बढ़ गए.

लाबान द्वारा याकोब का पीछा करना

22तीसरे दिन जब लाबान को यह सूचना दी गई कि याकोब पलायन कर चुके हैं, 23तब लाबान ने अपने संबंधियों को साथ लेकर याकोब का पीछा किया. सात दिन पीछा करने के बाद वे गिलआद के पर्वतीय प्रदेश में उनके निकट पहुंच गए. 24परमेश्वर ने अरामी लाबान पर रात्रि में स्वप्न में प्रकट होकर उसे चेतावनी दी, “सावधान रहना कि तुम याकोब से कुछ प्रिय-अप्रिय न कह बैठो.”

25लाबान याकोब तक जा पहुंचा. याकोब के शिविर पर्वतीय क्षेत्र में थे तथा लाबान ने भी अपने शिविर अपने संबंधियों सदृश गिलआद के पर्वतीय क्षेत्र में खड़े किए हुए थे. 26लाबान ने याकोब से कहा, “यह क्या कर रहे हो तुम? यह तो मेरे साथ छल है! तुम तो मेरी पुत्रियों को ऐसे लिए जा रहे हो, जैसे युद्धबन्दियों को तलवार के आतंक में ले जाया जाता है. 27क्या आवश्यकता थी ऐसे छिपकर भागने की, मुझसे छल करने की? यदि तुमने मुझे इसकी सूचना दी होती, तो मैं तुम्हें डफ तथा किन्‍नोर की संगत पर गीतों के साथ सहर्ष विदा करता! 28तुमने तो मुझे सुअवसर ही न दिया कि मैं अपने पुत्र-पुत्रियों को चुंबन के साथ विदा कर सकता. तुम्हारा यह कृत्य मूर्खतापूर्ण है. 29मुझे यह अधिकार है कि तुम्हें इसके लिए प्रताड़ित करूं; किंतु तुम्हारे पिता के परमेश्वर ने कल रात्रि मुझ पर प्रकट होकर मुझे आदेश दिया है कि मैं तुमसे कुछ भी प्रिय-अप्रिय न कहूं. 30ठीक है, तुम्हें अपने पिता के निकट रहने की इच्छा है, मान लिया; किंतु क्या आवश्यकता थी तुम्हें मेरे गृह-देवताओं की चोरी करने की?”

31तब याकोब ने लाबान को उत्तर दिया, “मेरे इस प्रकार आने का कारण थी मेरी यह आशंका, कि आप मुझसे अपनी पुत्रियां बलात छीन लेते. 32किंतु आपको जिस किसी के पास से वे गृहदेवता प्राप्‍त होंगे, उसे जीवित न छोड़ा जाएगा. आपके ही संबंधियों की उपस्थिति में आप हमारी संपत्ति में से जो कुछ आपका है, ले लीजिए.” याकोब को इस तथ्य का कोई संज्ञान न था कि राहेल ने उन गृह-देवताओं की मूर्तियों को चुराई हैं.

33इसलिये लाबान याकोब के शिविर के भीतर गया, उसके बाद लियाह के शिविर में, और उसके बाद परिचारिकाओं के शिविर में. किंतु वह देवता उसे वहां प्राप्‍त न हुआ. तब वह लियाह के शिविर से निकलकर राहेल के शिविर में गया. 34राहेल ने ही वे गृहदेवता छिपाए हुए थे, जिन्हें उसने ऊंट की काठी में रखा हुआ था. वह स्वयं उन पर बैठ गई थी. लाबान ने समस्त शिविर में खोज कर ली थी, किंतु उसे कुछ प्राप्‍त न हुआ था.

35उसने अपने पिता से आग्रह किया, “पिताजी, आप क्रुद्ध न हों. मैं आपके समक्ष खड़ी होने के असमर्थ हूं; क्योंकि इस समय मैं रजस्वला हूं.” तब लाबान के खोजने पर भी उसे वे गृह-देवताओं की मूर्तियां नहीं मिलीं.

36तब याकोब का क्रोध उद्दीप्‍त हो उठा. वह लाबान से तर्क-वितर्क करने लगे, “क्या अपराध है मेरा?” क्या पाप किया है मैंने, जो आप इस प्रकार मेरा पीछा करते हुए आ रहे हैं? 37आपने मेरी समस्त वस्तुओं में उन देवताओं की खोज कर ली है, किंतु आपको कोई भी अपनी वस्तु प्राप्‍त हुई है? आपके तथा मेरे संबंधियों के समक्ष यह स्पष्ट हो जाए, कि वे हम दोनों के मध्य अपना निर्णय दे सकें.

38“इन बीस वर्षों तक मैं आपके साथ रहा हूं. आपकी भेड़ों एवं बकरियों में कभी गर्भपात नहीं हुआ. अपने भोजन के लिए मैंने कभी आपके पशुवृन्द में से मेढ़े नहीं उठाए. 39जब कभी किसी वन्य पशु ने हमारे पशु को फाड़ा, मैंने उसे कभी आपके वृन्द में सम्मिलित नहीं किया; इसे मैंने अपनी ही हानि में सम्मिलित किया था. चाहे कोई पशु दिन में चोरी हुआ अथवा रात्रि में, आपने मुझसे भुगतान की मांग की. 40मेरी स्थिति तो ऐसी रही कि दिन में मुझ पर ऊष्मा का प्रहार होता रहा तथा रात्रि में ठंड का. मेरे नेत्रों से निद्रा दूर ही दूर रही. 41इन बीस वर्षों में मैं आपके परिवार में रहा हूं; चौदह वर्ष आपकी पुत्रियों के लिए तथा छः वर्ष आपके भेड़-बकरियों के लिए. इन वर्षों में आपने दस बार मेरा पारिश्रमिक परिवर्तित किया है. 42यदि मेरे पिता के परमेश्वर, अब्राहाम तथा यित्सहाक के परमेश्वर का भय मेरे साथ न होता, तो आपने तो मुझे रिक्त हस्त ही विदा कर दिया होता. परमेश्वर ने मेरे कष्ट एवं मेरे हाथों के परिश्रम को देखा है, और उसका प्रतिफल उन्होंने मुझे कल रात में प्रदान कर दिया है.”

43यह सब सुनकर लाबान ने याकोब को उत्तर दिया, “ये स्त्रियां मेरी पुत्रियां हैं, ये बालक मेरे बालक हैं, ये भेड़-बकरियां भी मेरी ही हैं, तथा जो कुछ तुम्हें दिखाई दे रहा है, वह मेरा ही है; किंतु अब मैं अपनी पुत्रियों एवं इन बालकों का क्या करूं, जो इनकी सन्तति हैं? 44इसलिये आओ, हम परस्पर यह वाचा स्थापित कर लें, तुम और मैं, और यही हमारे मध्य साक्ष्य हो जाए.”

45इसलिये याकोब ने एक शिलाखण्ड को स्तंभ स्वरूप खड़ा किया. 46याकोब ने अपने संबंधियों से कहा, “पत्थर एकत्र करो.” इसलिये उन्होंने पत्थर एकत्र कर एक ढेर बना दिया तथा उस ढेर के निकट बैठ उन्होंने भोजन किया. 47लाबान ने तो इसे नाम दिया येगर-सहदूथा31:47 येगर-सहदूथा अरामी भाषा में साक्षी का ढेर किंतु याकोब ने इसे गलएद31:47 गलएद हिब्री भाषा में साक्षी का ढेर कहकर पुकारा.

48लाबान ने कहा, “पत्थरों का यह ढेर आज मेरे तथा तुम्हारे मध्य एक साक्ष्य है.” इसलिये इसे गलएद तथा मिज़पाह31:48 मिज़पाह अर्थ पहरे की मीनार नाम दिया गया, 49क्योंकि उनका कथन था, “जब हम एक दूसरे की दृष्टि से दूर हों, याहवेह ही तुम्हारे तथा मेरे मध्य चौकसी बनाए रखें. 50यदि तुम मेरी पुत्रियों के साथ दुर्व्यवहार करो अथवा मेरी पुत्रियों के अतिरिक्त पत्नियां ले आओ, यद्यपि कोई मनुष्य यह देख न सकेगा, किंतु स्मरण रहे, तुम्हारे तथा मेरे मध्य परमेश्वर साक्ष्य हैं.”

51लाबान ने याकोब से कहा, “इस ढेर को तथा इस स्तंभ को देखो, जो मैंने तुम्हारे तथा मेरे मध्य में स्थापित किया है. 52यह स्तंभ तथा पत्थरों का ढेर साक्ष्य है, कि मैं इसके निकट से होकर तुम्हारी हानि करने के लक्ष्य से आगे नहीं बढ़ूंगा, वैसे ही तुम भी इस ढेर तथा इस स्तंभ के निकट से होकर मेरी हानि के उद्देश्य से आगे नहीं बढ़ोगे. 53इसके लिए अब्राहाम के परमेश्वर, नाहोर के परमेश्वर तथा उनके पिता के परमेश्वर हमारा न्याय करें.”

इसलिये याकोब ने अपने पिता यित्सहाक के प्रति भय-भाव में शपथ ली. 54फिर याकोब ने उस पर्वत पर ही बलि अर्पित की तथा अपने संबंधियों को भोज के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने भोजन किया तथा पर्वत पर ही रात्रि व्यतीत की.

55बड़े तड़के लाबान उठा, अपने पुत्र-पुत्रियों का चुंबन लिया तथा उन्हें आशीर्वाद दिया. फिर लाबान स्वदेश लौट गया.

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

創世記 31:1-55

雅各逃離拉班

1雅各聽見拉班的兒子們說:「雅各奪去了我們父親的一切!他的財富都是從我們父親那裡得來的。」 2雅各發覺拉班對他的態度不如從前了。 3這時,耶和華對雅各說:「回到你的家鄉和親族那裡吧!我必與你同在。」 4於是,雅各就派人把拉結利亞叫到放羊的地方, 5對她們說:「我感到你們父親對我不如從前了,但我父親的上帝常與我同在。 6你們知道我是怎樣盡心盡力地替你們父親工作, 7他卻欺騙我,把我的工酬更改了十次。然而,上帝不讓他苦待我。 8如果他說把有斑點的羊給我當酬勞,羊群生的就都是有斑點的;如果他說把有條紋的給我,羊群生的就都是有條紋的。 9上帝就這樣把你們父親的牲畜奪過來給了我。

10「在羊群交配的季節,我夢見所有和母羊交配的公羊都是有條紋或有斑點的。 11在夢中,上帝的天使叫我,我說,『僕人在。』 12他說,『拉班對你的所作所為,我都看見了。現在你留心看看,與母羊交配的公羊都是有條紋或有斑點的。 13我就是你在伯特利遇見的上帝。你在那裡用油澆過柱子,向我許過願。現在,你要動身離開這裡,回到你的家鄉。』」

14拉結利亞說:「父親的家產沒有我們的份兒, 15我們早就被當作外人了,他賣了我們,把我們的身價全部吞了。 16上帝從我們父親那裡奪過來的一切財產,本來就屬於我們和我們的兒女。現在你只管照上帝的吩咐做吧!」

17雅各便起來讓兒女和妻子都騎上駱駝, 18帶著他在巴旦·亞蘭得到的所有牲畜和財物,啟程去迦南的父親以撒那裡。 19那時拉班正在外面剪羊毛,拉結偷了父親的家庭神像。 20雅各不辭而別,背著亞蘭拉班偷偷地跑了。 21他帶著所有的一切渡過幼發拉底河,逃往基列山區。

拉班追趕雅各

22到了第三天,拉班才知道雅各逃走了。 23於是,他帶著族人去追趕,追了七天,在基列山區追上了雅各24當天晚上,上帝在夢中對亞蘭拉班說:「你要當心,不可對雅各多說什麼。」

25拉班追上了雅各,那時雅各基列山搭起帳篷,拉班和他的族人也在那裡搭起帳篷。 26拉班雅各說:「你做的是什麼?你欺瞞我,把我的女兒像戰俘一樣帶走。 27你為什麼要偷偷地溜走?你為什麼不告訴我,我好擊鼓、彈琴、唱歌歡送你? 28你甚至不讓我親吻外孫和女兒,與他們道別,你這樣做真愚蠢。 29我有能力傷害你,但你父親的上帝昨夜對我說,『你要小心,不可對雅各多說什麼。』 30你思家心切,一定要走,但你為什麼要偷走我的神像呢?」

31雅各拉班說:「我逃跑是因為害怕你會奪回你的女兒。 32至於你的神像,你在誰身上搜出來,誰就是該死的。你可以當著眾弟兄的面察看,如果在我這裡有什麼物件是你的,你只管拿走。」雅各不知道拉結偷走了神像。

33拉班進入雅各利亞和兩個婢女的帳篷搜查,卻搜不出什麼。拉班離開利亞的帳篷進入拉結的帳篷, 34那時拉結已經把神像藏在駱駝的鞍座裡,自己坐在上面。拉班搜遍了整個帳篷什麼也找不到。 35拉結對父親說:「父親,請別生氣,我有月事在身,不便起來。」結果,拉班搜來搜去找不到神像。

36雅各發怒,斥責拉班說:「我做錯了什麼、犯了什麼罪以致你對我窮追不捨? 37你搜遍我所有的東西,搜到了什麼?現在就當著眾弟兄的面拿出來,讓他們評評理吧! 38我在你家這二十年,你的母綿羊、母山羊沒有掉過胎,我也沒有吃過你公羊的肉。 39我沒有把被野獸撕裂的羊帶來給你,而是自己賠上。無論在白晝或黑夜被偷去的,你都要我賠償。 40我白天受盡烈日煎熬,晚上飽嚐夜露寒霜,不得好睡。 41這二十年來,我為了你的兩個女兒,替你工作了十四年,又用了六年才從你那裡得到這些羊,你把我的工錢更改了十次。 42如果不是我父親以撒敬畏的上帝,就是亞伯拉罕的上帝與我同在,你肯定會讓我兩手空空地回家。但上帝看見了我的難處和勞苦,所以在昨夜責備了你。」

雅各和拉班立約

43拉班回答說:「女兒是我的,這些孩子是我的,羊群也是我的,你的一切都是我的,我又怎會傷害我的女兒和她們的孩子呢? 44來吧,你我立約為證。」 45於是,雅各拿來一塊石頭,立作柱子, 46又吩咐族人去收集石頭。他們把石頭堆成一堆,在旁邊吃喝。 47拉班稱那石堆為伊迦爾·撒哈杜他31·47 伊迦爾·撒哈杜他」意思是「做見證的石堆」。雅各卻稱那石堆為迦累得31·47 迦累得」意思是「以石堆為證」。

48拉班說:「今日,這石堆是你我之間的憑證。」因此,那地方名叫迦累得49又叫米斯巴,因為拉班說:「我們分手以後,願上帝親自鑒察我們。 50倘若你虐待我的女兒,或在她們以外另娶妻子,即使沒人知道,也有上帝在你我之間做見證。」

51拉班又說:「看我在你我之間立的這石堆和石柱。 52這石堆和石柱都是憑證,我一定不會越過石堆去害你,你也不可越過石堆和石柱來害我。 53亞伯拉罕拿鶴的上帝,就是他們父親的上帝,在你我之間判斷是非。」雅各便在他父親以撒敬畏的上帝面前起誓, 54又在山上獻祭,請眾弟兄吃飯。飯後,他們一同在山上過夜。

55拉班清早起來,親吻外孫和女兒,給他們祝福,然後回家去了。