उत्पत्ति 3 – HCV & CCB

Hindi Contemporary Version

उत्पत्ति 3:1-24

मानव का पतन

1याहवेह परमेश्वर के बनाये सब जंतुओं में सांप सबसे ज्यादा चालाक था. उसने स्त्री से कहा, “क्या सच में परमेश्वर ने तुमसे कहा, ‘तुम इस बगीचे के किसी भी पेड़ का फल न खाना’?”

2तब स्त्री ने उत्तर दिया, “हम बगीचे के वृक्षों के फलों को खा सकते हैं, 3लेकिन बगीचे के बीच में जो पेड़ है, उसके बारे में परमेश्वर ने कहा है ‘न तो तुम उसका फल खाना और न ही उसको छूना, नहीं तो तुम मर जाओगे.’ ”

4सांप ने स्त्री से कहा, “निश्चय तुम नहीं मरोगे! 5परमेश्वर यह जानते हैं कि जिस दिन तुम इसमें से खाओगे, तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी तथा तुम्हें भले और बुरे का ज्ञान हो जाएगा और तुम परमेश्वर के समान हो जाओगे.”

6जब स्त्री ने उस पेड़ के फल की ओर देखा कि वह खाने में अच्छा तथा देखने में सुंदर और बुद्धि देनेवाला है, तब उसने उस पेड़ के फलों में से एक लेकर खाया. और उसने यह फल अपने पति को भी दिया, जो उसके पास ही था. उसने भी उसे खाया. 7तब उन दोनों की आंखें खुल गईं और उन्हें महसूस हुआ कि वे नंगे हैं. इसलिये उन्होंने अंजीर की पत्तियां जोड़कर कपड़े बनाए और अपने नंगेपन को ढक दिया.

8जब आदम और स्त्री ने दिन के ठण्डे समय में याहवेह परमेश्वर के आने की आवाज बगीचे में सुनी, तब आदम और उसकी पत्नी पेड़ों के बीच में छिप गये. 9किंतु याहवेह परमेश्वर ने आदम को बुलाया और पूछा, “तुम कहां हो?”

10आदम ने उत्तर दिया, “आपके आने का शब्द सुनकर हम डर गये और हम छिप गये क्योंकि हम नंगे हैं.”

11याहवेह ने कहा, “किसने तुमसे कहा कि तुम नंगे हो? कहीं ऐसा तो नहीं, कि तुमने उस पेड़ का फल खा लिया हो, जिसको खाने के लिए मैंने मना किया था?”

12आदम ने कहा, “साथ में रहने के लिए जो स्त्री आपने मुझे दी है, उसी ने मुझे उस पेड़ से वह फल दिया, जिसे मैंने खाया.”

13यह सुन याहवेह परमेश्वर ने स्त्री से पूछा, “यह क्या किया तुमने?”

स्त्री ने उत्तर दिया, “सांप ने मुझे बहकाया, इसलिये मैंने वह फल खा लिया.”

14याहवेह परमेश्वर ने सांप से कहा, तूने ऐसा करके गलत किया,

“इसलिये तू सभी पालतू पशुओं से

तथा सभी वन्य पशुओं से अधिक शापित है!

तू पेट के बल चला करेगा

और जीवन भर

मिट्टी चाटता रहेगा.

15मैं तेरे तथा स्त्री के बीच,

तेरी संतान तथा स्त्री की संतान के बीच

बैर पैदा करूंगा;

वह तेरे सिर को कुचलेगा,

तथा तू उसकी एड़ी को डसेगा.”

16स्त्री से परमेश्वर ने कहा,

“मैं तुम्हारी गर्भावस्था के दर्द को बहुत बढ़ाऊंगा;

तुम दर्द के साथ संतान को जन्म दोगी.

यह होने पर भी तुम्हारी इच्छा तुम्हारे पति की ओर होगी,

और पति तुम पर अधिकार करेगा.”

17फिर आदम से परमेश्वर ने कहा, “तुमने अपनी पत्नी की बात सुनकर उस पेड़ से फल खाया, ‘जिसे खाने के लिये मैंने तुम्हें मना किया था,’

“इस कारण यह पृथ्वी जिस पर तुम रह रहे हो, श्रापित हो गई है;

तुम जीवन भर

कड़ी मेहनत करके जीवन चलाओगे.

18तुम खेती करोगे लेकिन उसमें कांटे और जंगली पेड़ उगेंगे,

और तुम खेत की उपज खाओगे.

19तुम अपने पसीने ही की

रोटी खाया करोगे और अंततः

मिट्टी में मिल जाओगे क्योंकि

तुम मिट्टी ही हो, मिट्टी से ही बने हो.”

20आदम ने अपनी पत्नी को हव्वा3:20 हव्वा संभावित अर्थ जीवित. नाम दिया, क्योंकि वही सबसे पहली माता थी.

21आदम तथा उसकी पत्नी के लिए याहवेह परमेश्वर ने चमड़े के वस्त्र बनाकर उन्हें पहना दिये. 22फिर याहवेह परमेश्वर ने सोचा, “आदम और हव्वा ने भले और बुरे के ज्ञान का फल तो खा लिया, अब वे जीवन के पेड़ से फल खाकर सदा जीवित न रह जाएं.” 23इस कारण याहवेह परमेश्वर ने उन्हें एदेन के बगीचे से बाहर कर दिया, ताकि वे भूमि पर खेती करें, और फल उपजायें. 24तब उन्होंने आदम को एदेन के बगीचे से बाहर कर दिया तथा एदेन के बगीचे की निगरानी के लिए करूबों को और चारों ओर घूमनेवाली ज्वालामय तलवार को रख दिया ताकि कोई जीवन के वृक्ष को छू न सके.

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

创世记 3:1-24

始祖犯罪

1在耶和华上帝所造的田野的各种动物中,蛇最狡猾。蛇对女人说:“上帝真的说过不许你们吃园中所有树上的果子吗?” 2女人回答说:“我们可以吃园中树上的果子, 3只是不可以吃园子中间那棵树的果子。上帝曾经吩咐说,‘你们不可吃那果子,也不可摸,否则你们就会死。’” 4蛇对女人说:“你们一定不会死! 5上帝那样说是因为祂知道你们吃了那树的果子以后,眼睛就会明亮,像上帝一样懂得分辨善恶。” 6女人见那棵树上的果子可口,赏心悦目,可以使人有智慧,就摘下来吃了。她也把果子给跟她在一起的丈夫,他也吃了。 7二人的眼睛果然明亮起来,这才发觉自己原来赤身露体,便把无花果树的叶子编起来遮体。

8傍晚天凉时,夫妇二人听见耶和华上帝在园中行走的声音,就藏在园子的树丛中,想躲开耶和华上帝。 9耶和华上帝呼唤那人说:“你在哪里?” 10那人说:“我听见你在园中行走的声音,就害怕得躲了起来,因为我赤身露体!” 11耶和华上帝问:“谁说你赤身露体?难道你吃了我吩咐你不可吃的果子吗?” 12那人说:“你赐给我作伴的女人摘了那树上的果子给我,我就吃了。” 13耶和华上帝对女人说:“你这做的是什么事?”女人说:“是蛇诱骗我,我才吃的。”

上帝的审判

14耶和华上帝对蛇说:

“你既然做了这事,

你要比一切的牲畜和野兽受更重的咒诅,

你要用肚子爬行,

一生都要吃尘土。

15我要使你和女人结仇,

你的后代和女人的后代也要彼此为仇,

女人的后代必伤你的头,

你必伤他的脚跟。”

16耶和华上帝对女人说:

“我必大大加重你怀孕的痛苦,

你分娩时必受痛苦。

你必恋慕3:16 恋慕”或译“想控制”。自己的丈夫,

你的丈夫必管辖你。”

17耶和华上帝又对亚当说:

“因为你听从妻子的话,

吃了我吩咐你不可吃的果子,

地必因你而受咒诅。

你必终生艰辛劳苦,

才能吃到地里出产的食物。

18地必给你长出荆棘和蒺藜,

你要吃田间长出来的菜蔬。

19你必汗流满面,才有饭吃,

一直到你归回尘土。

因为你是尘土造的,

也必归回尘土。”

20亚当给他的妻子取名叫夏娃,因为她是众生之母。 21耶和华上帝做了皮衣给他们夫妇穿。 22耶和华上帝说:“看啊,那人已经与我们相似,能分辨善恶。现在,恐怕他会伸手去摘生命树的果子吃,那样他就会永远活着。” 23因此,耶和华上帝就把亚当赶出伊甸园,让他去开垦土地——他的本源。 24上帝赶走了亚当以后,就派遣基路伯天使驻守在伊甸园东边,又用一把旋转的火剑守护在通往生命树的路上。