उत्पत्ति 26 – HCV & CCBT

Hindi Contemporary Version

उत्पत्ति 26:1-35

यित्सहाक तथा अबीमेलेक

1उस देश में अकाल पड़ा. ऐसा ही अकाल अब्राहाम के समय में भी पड़ा था. यित्सहाक गेरार में फिलिस्तीनियों के राजा अबीमेलेक26:1 अबीमेलेक राजाओं का एक सामान्य पदनाम; जिसका अर्थ मेरा पिता राजा है! के पास गया. 2याहवेह ने यित्सहाक को दर्शन देकर कहा, “मिस्र देश को मत जाओ; लेकिन उस देश में रहो, जहां मैं बताऊंगा. 3कुछ समय के लिये इस देश में रहो, और मैं तुम्हारे साथ रहूंगा और तुम्हें आशीष दूंगा. मैं यह पूरा देश तुम्हें और तुम्हारे वंश को दूंगा और तुम्हारे पिता अब्राहाम से किए अपने वायदे को मैं पूरा करूंगा, 4मैं तुम्हारे वंश को आकाश के तारों के समान अनगिनत करूंगा और यह पूरा देश उन्हें दूंगा, और तुम्हारे वंश के द्वारा पृथ्वी की सारी जनता आशीषित होंगी, 5क्योंकि अब्राहाम ने मेरी बात मानी और मेरी आज्ञाओं, नियमों और निर्देशों का ध्यान रखते हुए उसने वह सब किया जिसे मैंने उसे करने को कहा था.” 6इसलिये यित्सहाक गेरार में ही रहने लगे.

7जब उस स्थान के लोगों ने उससे उसके पत्नी के बारे में पूछा, तो उसने कहा, “वह मेरी बहन है,” क्योंकि वह यह कहने से डरता था, “वह मेरी पत्नी है.” वह सोचता था, “इस स्थान के लोग रेबेकाह के कारण शायद मुझे मार डालेंगे, क्योंकि वह सुंदर है.”

8जब यित्सहाक को वहां रहते हुए काफ़ी समय हो गया, तो एक दिन फिलिस्तीनियों के राजा अबीमेलेक ने खिड़की से नीचे झांककर देखा कि यित्सहाक अपनी पत्नी रेबेकाह से प्रेम कर रहा है. 9इसलिये अबीमेलेक ने यित्सहाक को बुलवाया और कहा, “निश्चय ही वह तुम्हारी पत्नी है! फिर तुमने यह क्यों कहा, ‘वह मेरी बहन है’?”

यित्सहाक ने उत्तर दिया, “क्योंकि मैंने सोचा कि उसके कारण कहीं मुझे अपनी जान गंवानी न पड़े.”

10तब अबीमेलेक ने कहा, “तुमने हमसे यह क्या किया? हमारी प्रजा में से कोई भी पुरुष तुम्हारी पत्नी के साथ सो सकता था, और तुम हमको पाप का भागीदार बनाते हो.”

11इसलिये अबीमेलेक ने सब लोगों को आज्ञा दी: “जो कोई इस पुरुष तथा उसकी पत्नी की हानि करेगा, वह निश्चित रूप से मार डाला जाएगा.”

12यित्सहाक ने उस देश में खेती की और उसे उसी वर्ष सौ गुणा उपज मिली, क्योंकि याहवेह ने उसे आशीष दी. 13वह धनवान हो गया; उसका धन बढ़ता गया और वह बहुत धनवान हो गया. 14उसके पास इतनी भेड़-बकरी, पशु और सेवक हो गये कि फिलिस्तीनी उससे जलन करने लगे. 15इसलिये उन सभी कुंओं को, जो उसके पिता अब्राहाम के सेवकों ने उसके पिता के समय में खोदे थे, फिलिस्तीनियों ने मिट्टी से पाटकर बंद कर दिया.

16तब अबीमेलेक ने यित्सहाक से कहा, “तुम हमारे पास से दूर चले जाओ, क्योंकि तुम हमसे बहुत ज्यादा बलवान हो गये हो.”

17इसलिये यित्सहाक वहां से चला गया और गेरार घाटी में तंबू खड़ा करके वहां रहने लगा. 18यित्सहाक ने उन कुंओं को फिर खोदवाया, जो उसके पिता के समय में खोदे गये थे, और जिन्हें फिलिस्तीनियों ने अब्राहाम की मृत्यु के बाद मिट्टी से पाट दिया था, और उसने उन कुंओं के वही नाम रखे जो उसके पिता ने रखे थे.

19यित्सहाक के सेवकों को घाटी में खुदाई करते समय वहां एक मीठे पानी का कुंआ मिला. 20इस पर गेरार के चरवाहों ने यित्सहाक के चरवाहों से झगड़ा किया और कहा, “यह पानी हमारा है!” इसलिये यित्सहाक ने उस कुएं का नाम ऐसेक26:20 ऐसेक अर्थात् झगड़ा रखा, क्योंकि उन्होंने उससे झगड़ा किया था. 21तब उन्होंने दूसरा कुंआ खोदा, पर उन्होंने उस पर भी झगड़ा किया; इसलिये यित्सहाक ने उस कुएं का नाम सितनाह26:21 सितनाह अर्थात् विरोध रखा. 22तब वह वहां से चला गया और एक और कुंआ खोदा, और इस पर किसी ने झगड़ा नहीं किया. यित्सहाक ने यह कहकर उस कुएं का नाम रेहोबोथ26:22 रेहोबोथ अर्थ बहुत जगह रखा, “अब याहवेह ने हमें बहुत स्थान दिया है और हम लोग इस देश में उन्‍नति करेंगे.”

23फिर यित्सहाक वहां से बेअरशेबा चला गया. 24उसी रात याहवेह ने उसे दर्शन देकर कहा, “मैं तुम्हारे पिता अब्राहाम का परमेश्वर हूं. मत डरो, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूं; मैं तुम्हें अपने सेवक अब्राहाम के कारण आशीष दूंगा और तुम्हारे वंश को बढ़ाऊंगा.”

25तब यित्सहाक ने वहां एक वेदी बनाई और याहवेह की आराधना की. वहां उसने अपना तंबू खड़ा किया और वहां उसके सेवकों ने एक कुंआ खोदा.

26इसी बीच अबीमेलेक गेरार से यित्सहाक से मिलने आये. उनके साथ उनका सलाहकार अहुज्ज़ाथ और उनकी सेना के सेनापति फीकोल भी थे. 27यित्सहाक ने उनसे पूछा, “आप लोग मेरे पास क्यों आये हैं, जबकि आपने मुझसे बैर करके मुझे दूर जाने को कहा था?”

28उन्होंने उत्तर दिया, “हमने साफ-साफ देखा कि याहवेह तुम्हारे साथ है; इसलिये हमने कहा, ‘तुम्हारे और हमारे बीच में शपथपूर्वक वाचा होनी चाहिये.’ इसलिये हम तुमसे एक संधि करना चाहते हैं 29कि तुम हमारी कोई हानि नहीं करोगे, जैसे कि हमने भी तुम्हारी कोई हानि नहीं की, पर हमेशा तुमसे अच्छा व्यवहार किया और शांतिपूर्वक तुम्हें जाने को कहा. और अब तुम याहवेह के आशीषित भी हो.”

30तब यित्सहाक ने उनके लिये एक भोज का आयोजन किया, और उन्होंने खाया और पिया. 31अगले दिन वे बड़े सबेरे उठकर एक दूसरे के साथ शपथ खाई. तब यित्सहाक ने उन्हें विदा किया, और वे शांतिपूर्वक चले गये.

32उस दिन यित्सहाक के सेवकों ने आकर उसे उस कुएं के बारे में बताया, जिसे उन्होंने खोदा था. उन्होंने कहा, “हमें पानी मिल गया है!” 33यित्सहाक ने उस कुएं का नाम शिबाह26:33 शिबाह अर्थात् शपथ या सात रखा, और आज तक उस नगर का नाम बेअरशेबा है.

याकोब एसाव के आशीर्वाद को छीन लेता है

34जब एसाव चालीस वर्ष के हुए, तो उसने हित्ती बएरी की बेटी यूदित, और हित्ती एलोन की पुत्री बसेमाथ से भी विवाह किया. 35ये स्त्रियां यित्सहाक और रेबेकाह के दुःख का कारण बनीं.

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

創世記 26:1-35

以撒寄居基拉耳

1亞伯拉罕在世的時候,那地方鬧過一次饑荒,這時又鬧饑荒。以撒就遷到基拉耳非利士亞比米勒那裡。 2耶和華向以撒顯現說:「不要下埃及去,要住在我指示你住的地方。 3你寄居在這裡,我必與你同在,賜福給你,因為我必把這些土地賜給你和你的後代,堅立我對你父親亞伯拉罕的誓約。 4我必使你的後代多如繁星,將這些土地都賜給他們,天下萬國必因你的後裔而蒙福。 5因為亞伯拉罕聽從我的話,遵守我的吩咐、命令、典章和律法。」

亞比米勒斥責以撒

6於是,以撒就在基拉耳住下來。 7那裡的人問起他的妻子時,他便說:「她是我妹妹。」他不敢說:「她是我妻子。」他擔心當地的人會因為利百加而害他,因為利百加長得非常美麗。 8以撒在那裡住了許久。一天,非利士亞比米勒從窗口看見以撒利百加親熱的情形, 9便召見以撒,問他:「她明明是你妻子,為什麼你說她是你妹妹呢?」以撒回答說:「我擔心別人為了她而殺害我!」 10亞比米勒說:「你怎麼可以這樣對我們呢?萬一百姓中有人想佔有她,你就使我們陷入罪中了。」 11於是,亞比米勒下令全國:凡傷害他們二人的,必被處死。

12以撒在那裡耕種,耶和華賜福給他,那一年他得了百倍的收成。 13他的財富越來越多,成了大富戶。 14他擁有很多的牛羊和僕婢,非利士人嫉妒他。 15他父親亞伯拉罕生前派人挖的那些水井,全被非利士人用土塞住了。 16亞比米勒以撒說:「請你離開我們吧,因為你太強盛了。」 17以撒就離開那裡,把帳篷遷往基拉耳谷居住。 18他的父親亞伯拉罕生前挖的水井都被非利士人塞住了,以撒便重新挖開,並沿用父親生前給那些水井起的名字。 19以撒的牧人在谷中挖得一口活水井, 20基拉耳的牧人與以撒的牧人爭吵起來,都說:「這口井是我們的。」於是,以撒便稱那口井為埃色26·20 埃色」意思是「相爭」。21後來,以撒的僕人又挖了一口井,他們雙方又為那口井發生爭執,以撒便稱那口井為西提拿26·21 西提拿」意思是「敵對」。22以撒離開那裡,又挖了一口水井。這次,他們沒有為那口井爭吵。所以,以撒稱那口井為利河伯26·22 利河伯」意思是「寬闊之地」。以撒說:「如今耶和華給了我們一個寬闊的地方,我們可以在這裡繁榮興旺。」

23以撒從那裡上別示巴去。 24當天晚上,耶和華向他顯現說:「我是你父親亞伯拉罕的上帝。你不用懼怕,因為我與你同在。為了我僕人亞伯拉罕的緣故,我必賜福給你,使你子孫眾多。」 25以撒在那裡築了一座壇求告耶和華,並且在那裡搭起帳篷住下來。他的僕人又在那裡挖了一口井。

以撒和亞比米勒起誓立約

26一天,亞比米勒帶著他的參謀亞戶撒、將領非各基拉耳來見以撒27以撒見到他們就說:「你們既然憎恨我,把我趕走,為什麼又來找我?」 28他們回答說:「我們清楚知道耶和華與你同在,我們雙方應該訂立誓約。 29請你起誓保證不會傷害我們,就像我們沒有侵犯你,總是善待你,讓你平安地離開一樣。你是蒙耶和華賜福的人。」 30於是,以撒為他們擺設宴席,一同吃喝。 31第二天早晨,以撒和他們互相起誓之後,送他們平安地離去。 32在同一天,以撒的僕人將挖井的事告訴他,說:「我們找到水了。」 33以撒便稱那口井為示巴26·33 示巴」意思是「誓約」。,因此那城叫別示巴,沿用至今。

以掃娶妻

34以掃四十歲時,娶了比利的女兒猶蒂以倫的女兒巴實抹35她們二人常使以撒利百加傷心。