उत्पत्ति 25 – HCV & JCB

Hindi Contemporary Version

उत्पत्ति 25:1-34

अब्राहाम की मृत्यु

1अब्राहाम ने केतुराह नामक एक और स्त्री से विवाह कर लिया था. 2उससे अब्राहाम के जो पुत्र हुए, उनका नाम था ज़िमरान, योकशान, मेदान, मिदियान, इशबक और शुआह. 3योकशान शीबा तथा देदान के पिता थे. देदान के वंश में असशुरिम, लेतुशिम तथा लेउम्मिम लोगों का जन्म हुआ. 4मिदियान के पुत्र: एफाह, एफ़र, हनोख, अविदा तथा एलदाह थे. ये सब केतुराह से पैदा हुए थे.

5अब्राहाम ने अपनी पूरी संपत्ति यित्सहाक को सौंप दी थी. 6किंतु अब्राहाम ने अपनी रखैलों की संतानों को अपने जीवनकाल में ही उपहार देकर उन्हें अपने पुत्र यित्सहाक से दूर पूर्व के देश में भेज दिया था.

7अब्राहाम की उम्र एक सौ पचहत्तर साल की थी. 8तब अब्राहाम ने अपनी पूरी वृद्धावस्था में आखिरी सांस ली, एक वृद्ध व्यक्ति के रूप में उनकी पूरी आयु में मृत्यु हुई; और वे अपने लोगों में जा मिले. 9उनके पुत्र यित्सहाक और इशमाएल ने उन्हें ममरे के पास माखपेलाह के गुफा में मिट्टी दी, जो हित्ती ज़ोहार के पुत्र एफ्रोन के खेत में थी, 10यह वही खेत था, जिसे अब्राहाम ने हित्तियों से खरीदा था. वहां उनकी पत्नी साराह के पास अब्राहाम दफनाया गया. 11अब्राहाम की मृत्यु के बाद, परमेश्वर ने उनके पुत्र यित्सहाक को आशीष दी, जो उस समय बएर-लहाई-रोई में रहता था.

इशमाएल के वंशज

12अब्राहाम के पुत्र इशमाएल, जो साराह के मिस्र की दासी हागार से पैदा हुआ था, उसकी वंशावली इस प्रकार है.

13जन्म के अनुसार इशमाएल के बेटों का नाम इस प्रकार है:

इशमाएल का बड़ा बेटा नेबाइयोथ,

फिर केदार, अदबील, मिबसाम,

14मिशमा, दूमाह, मास्सा,

15हदद, तेमा, येतुर,

नाफिश और केदेमाह.

16ये इशमाएल के पुत्र थे, और ये उन बारह जाति के प्रधानों के नाम हैं जो उनके बंदोबस्त और छावनियों के अनुसार रखे गये.

17इशमाएल एक सौ सैंतीस वर्ष तक जीवित रहा. तब उसकी मृत्यु हो गई, और वह अपने लोगों में जा मिला. 18उसके वंशज मिस्र देश के पूर्वी सीमा के नजदीक अश्शूर की दिशा में हाविलाह से लेकर शूर तक के क्षेत्र में बस गए और वे उनसे संबंधित सभी गोत्रों से बैर रखते थे.

याकोब और एसाव

19अब्राहाम के पुत्र यित्सहाक की वंशावली इस प्रकार है:

अब्राहाम से यित्सहाक का जन्म हुआ. 20पद्दन-अरामवासी अरामी बेथुएल की पुत्री और अरामी लाबान की बहन रेबेकाह से विवाह करते समय यित्सहाक की आयु चालीस वर्ष थी.

21यित्सहाक ने अपनी पत्नी की ओर से याहवेह से प्रार्थना की, क्योंकि वह बांझ थी. याहवेह ने उसकी प्रार्थना सुन ली और उसकी पत्नी रेबेकाह गर्भवती हुई. 22बच्‍चे उसके गर्भ में एक दूसरे को धक्का देते रहते थे. तब रेबेकाह ने कहा, “यह क्या हो रहा है मेरे साथ?” और वह याहवेह से पूछने गई.

23याहवेह ने उससे कहा,

“तुम्हारे गर्भ में दो जातियां हैं,

तुममें से दो जनता के लोग निकलकर अलग होंगे;

एक समूह के लोग दूसरे से अधिक बलवान होंगे,

और बड़ा छोटे की सेवा करेगा.”

24जब उसके प्रसव का समय आया. उसके गर्भ में जुड़वां बच्‍चे थे. 25जो पहला बेटा हुआ वह लाल था, और उसका पूरा शरीर बालों से भरा था; इस कारण उसका नाम एसाव25:25 एसाव अर्थात्बालदार रखा गया. 26इसके बाद, उसके भाई का जन्म हुआ, जो अपने हाथ से अपने भाई एसाव की एड़ी पकड़े हुए था; तब उसका नाम याकोब रखा गया. जब रेबेकाह ने बच्चों को जन्म दिया, तब यित्सहाक की उम्र साठ वर्ष थी.

27दोनों बच्‍चे बड़े होते गये, और एसाव खुले मैदान का एक कुशल शिकारी बन गया, जबकि याकोब घर में तंबुओं के बीच रहकर संतुष्ट रहता था. 28एसाव यित्सहाक का प्रिय था क्योंकि यित्सहाक को आखेट का मांस बहुत अच्छा लगता था, पर याकोब रेबेकाह का प्रिय था.

29एक बार जब याकोब धीमी आंच में कुछ पका रहा था, तब एसाव बाहर मैदान से आया और वह बहुत भूखा था. 30उसने याकोब से कहा, “मुझे बहुत भूख लगी है; तुम जो पका रहे हो, जल्दी करके उसमें से मुझे कुछ खाने को दो.” (यही कारण है कि उसे एदोम भी कहा गया.)

31किंतु याकोब ने उससे कहा, “पहले आप अपने पहलौठे का अधिकार मुझे दे दो.”

32एसाव ने कहा, “देख, भूख से मेरे प्राण निकल रहे हैं; पहलौठे के अधिकार से मुझे क्या फायदा है?”

33पर याकोब ने कहा, “तो पहले आप मुझसे शपथ खाईये.” तब एसाव ने शपथ खाकर अपने पहलौठे का अधिकार याकोब के हाथ बेच दिया.

34तब याकोब ने एसाव को कुछ रोटी और पकाई हुई दाल दी. एसाव ने खाया पिया, और उठकर चला गया.

इस प्रकार एसाव ने अपने पहलौठे के अधिकार को तुच्छ समझा.

Japanese Contemporary Bible

創世記 25:1-34

25

アブラハムの再婚と子どもたち

1-2さて、アブラハムは再婚しました。新しい妻はケトラという名で、子どもも何人か生まれました。ジムラン、ヨクシャン、メダン、ミデヤン、イシュバク、シュアハです。

3ヨクシャンには、シェバとデダンという二人の息子が生まれました。デダンの子孫は、のちにアシュル人、レトシム人、レウミム人となりました。 4ミデヤンの子はエファ、エフェル、エノク、アビダ、エルダアです。

5アブラハムは全財産をイサクに譲りました。 6しかし、そばめの子どもたちを放っておいたわけではありません。それぞれに贈り物を与えて東の国へ行かせ、イサクから遠く引き離したのです。

アブラハムの最期

7-8アブラハムは幸せな老後を過ごし、天寿を全うして、百七十五歳で死にました。 9-10息子イサクとイシュマエルは父を、マムレに近いマクペラのほら穴に葬りました。アブラハムがヘテ人ツォハルの息子エフロンから買い求めた、あの土地、アブラハムの妻サラを葬った所です。 11アブラハムの死後、神の祝福はイサクに向けられました。イサクはネゲブのベエル・ラハイ・ロイの近くに移り住みました。

イシュマエルの子孫

12-15サラの女奴隷だったエジプト人ハガルとアブラハムとの子イシュマエルにも、子どもが生まれました。生まれた順に名前をあげると、次のとおりです。ネバヨテ、ケダル、デベエル、ミブサム、ミシュマ、ドマ、マサ、ハダデ、テマ、エトル、ナフィシュ、ケデマ。

16この十二人は十二の氏族の先祖となり、各氏族にはそれぞれの名がつけられました。 17イシュマエルは百三十七歳で死に、先に死んだ一族の仲間入りをしました。 18イシュマエルの子孫たちは、東はハビラから、西はエジプトとの国境を北東のアッシリヤ方面に少し行ったシュルに至る地域に住み、兄弟同士で戦争に明け暮れていました。

エサウとヤコブ

19イサクの子孫たちはどうでしょう。 20イサクが、パダン・アラムに住むアラム人ベトエルの娘で、ラバンの妹リベカと結婚したのは、四十歳の時でした。 21イサクは、リベカに子どもが与えられるようにと、主に祈りました。結婚して何年もたつのに、なかなか子どもが生まれなかったからです。主はその祈りを聞き、ようやく彼女は妊娠しました。 22ところが、まるで二人の子がお腹の中でけんかしているように動き回るのです。「こんなことでは、この先どうなるのかしら」と不安になったリベカは、主に祈り、お心を尋ねました。

23神は答えられました。「あなたのお腹にいる二人の子は、二つの国へと分かれ、互いにライバルとなる。一方がより強くなり、兄は弟に仕えるようになる。」

24言われたとおり、ふたごが生まれました。 25最初の子は、体中が赤い毛で覆われ、まるで毛皮を着ているようだったので、エサウ〔「毛」の意〕と名づけました。 26次に生まれた弟は、エサウのかかとをつかんでいました。そこでヤコブ〔「つかむ人」の意〕と呼ばれました。ふたごが生まれた時、イサクは六十歳でした。

長男の権利

27やがて子どもたちは成長し、野性味のあるエサウは腕のいい猟師となりましたが、ヤコブのほうは穏やかな性格で、家にいるのを好みました。 28イサクのお気に入りは兄のエサウです。イサクの好きな鹿肉をよく取って来たからです。リベカは、弟ヤコブのほうをかわいがりました。

29ある日、ヤコブがシチューを作っているところへ、エサウが疲れきった様子で猟から帰って来ました。

30「ああ、腹ぺこで死にそうだ。その赤いシチューを一口くれないか」と言ったので、このことから、エサウは「エドム」〔「赤いもの」の意〕とも呼ばれるようになりました。

31「ああ、いいよ。兄さんの持っている長男の権利と引き換えなら。」

32「今にも飢え死にしそうなんだよ。長男の権利なんか何の役に立つんだい。」

33「それなら兄さん、その権利を僕に譲るって誓ってくれよ。」

言われたとおりエサウは誓い、長男の権利を弟に売りました。 34わずかばかりのパンと豆のシチューと引き換えにしたのです。エサウは、腹を満たすことしか頭にありませんでした。長男の権利など、軽く考えていたのです。