路加福音 19 – CCBT & NCA

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

路加福音 19:1-48

撒該悔改

1耶穌進了耶利哥,正從城裡經過。 2有個人名叫撒該,是稅吏長,家財豐厚。 3他想看看耶穌,可是因為周圍人多,他身材矮小,無法看見。 4他便跑到前面,爬上一棵桑樹觀看,因為耶穌會從那裡經過。

5耶穌走到那裡,抬頭招呼他說:「撒該,快下來!今天我要住在你家。」

6撒該連忙爬下來,興高采烈地帶耶穌回家。 7百姓見狀,都埋怨說:「祂怎麼到一個罪人家裡作客?」

8撒該站起來對主說:「主啊,我要把我一半的財產分給窮人。我欺騙過誰,就還誰四倍。」

9耶穌說:「今天救恩臨到這家了,因為他也是亞伯拉罕的子孫。 10人子來是要尋找和拯救迷失的人。」

十個奴僕的比喻

11眾人在聽的時候,耶穌又為他們講了一個比喻,因為祂快到耶路撒冷了,人們以為上帝的國馬上就要降臨了。

12耶穌說:「有一位貴族要到遠方去受封為王,然後返回。 13臨行前,他召集了十個奴僕,發給每人一千個銀幣,吩咐他們,『你們在我出門期間要用這些錢做生意。』

14「可是他的人民卻憎恨他,他們隨後派一個代表團去請願說,『我們不要這人作我們的王。』

15「那貴族受封為王回來後,召齊十個奴僕,想知道他們做生意賺了多少。 16第一個奴僕上前稟告說,『主啊,我用你給我的一千個銀幣賺了一萬個銀幣。』

17「主人說,『好,你真是個好奴僕!你既然在小事上忠心,就派你管理十座城。』

18「第二個奴僕上前說,『主啊,我用你給我的一千個銀幣賺了五千個銀幣。』

19「主人說,『我派你管理五座城。』

20「另一個奴僕上前說,『主啊,這是你先前給我的一千個銀幣,我一直把它包在手帕裡。 21因為你很嚴厲,沒有存還要取,沒有種還要收,所以我怕你。』

22「主人聽了,對那奴僕說,『你這個惡奴僕!我要按你自己的話定你的罪。你既然知道我很嚴厲,沒有存還要取,沒有種還要收, 23為什麼不把我的銀幣存進錢莊,到我回來時可以連本帶利收回來?』

24「接著,他吩咐站在旁邊的奴僕,『收回他那一千個銀幣,賞給那個賺了一萬銀幣的。』

25「他們說,『主啊,那個人已經有一萬銀幣了。』

26「主人答道,『我告訴你們,凡有的,還要給他更多;凡沒有的,連他僅有的也要奪走。 27至於那些反對我作王的仇敵,把他們捉回來,在我面前處決。』」

騎驢進耶路撒冷

28耶穌說完這個比喻,就走在眾人前面上耶路撒冷去。

29快到橄欖山附近的伯法其伯大尼時,耶穌派了兩個門徒,說: 30「你們去前面的村莊,進村的時候,必看見一頭從來沒有人騎過的驢駒拴在那裡,你們把牠解開牽來。 31若有人問你們為什麼把牠解開,就說,『主要用牠。』」

32兩個門徒出去後,所遇見的情形正如耶穌所說的。 33當他們解開驢駒時,主人果然問他們:「你們為什麼解開驢駒?」

34他們說:「主要用牠。」

35他們牽著驢駒回去見耶穌,又把自己的外衣搭在驢背上,扶耶穌上驢。

36耶穌騎著驢前行,眾人用外衣為祂鋪路。 37祂正走下橄欖山,將近耶路撒冷的時候,眾門徒因為以往所見的神蹟奇事,就歡騰起來,高聲讚美上帝:

38「奉主名來的王當受稱頌!

天上有平安,至高處有榮耀!」

39百姓中有幾個法利賽人對耶穌說:「老師,你要責備你的門徒。」

40耶穌說:「我告訴你們,如果他們閉口不言,這些石頭都要呼喊了!」

為耶路撒冷哀哭

41耶穌快到耶路撒冷時,看見那城就哀哭, 42說:「今天你若知道那能帶給你平安的事就好了!可惜這事現在是隱藏的,你看不見! 43因為有一天敵人要在你周圍築起壁壘把你團團圍住,四面攻擊你。 44他們要把你夷為平地,毀滅你城牆裡的兒女,不會留下兩塊疊在一起的石頭,因為你沒有認識到上帝眷顧你的時刻。」

耶穌潔淨聖殿

45耶穌進入聖殿趕走裡面做買賣的人, 46並對他們說:「聖經上說,『我的殿要成為禱告的殿』,你們竟把它變成了賊窩。」

47祂天天在聖殿教導人,祭司長、律法教師和百姓的官長都想殺祂, 48只是無從下手,因為百姓都十分喜愛聽祂講道。

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

लूका 19:1-48

लगान लेवइया – जक्कई

1यीसू ह यरीहो सहर म ले होके जावत रिहिस। 2उहां जक्कई नांव के एक मनखे रहय। ओह लगान लेवइयामन के मुखिया रहय अऊ धनी मनखे रहय। 3ओह ए देखे चाहत रहय कि यीसू ह कोन ए, पर बुटरा होय के कारन भीड़ के मारे ओह यीसू ला नइं देखे सकत रिहिस। 4एकरसेति ओह भीड़ के आघू दऊड़िस अऊ यीसू ला देखे बर एक ठन डूमर के रूख म चघ गीस, काबरकि यीसू ह ओही डहार म आवत रहय।

5जब यीसू ह ओ जगह म हबरिस, त ओह ऊपर देखिस अऊ जक्कई ला कहिस, “हे जक्कई, तुरते खाल्‍हे उतर आ काबरकि आज मोला तोर घर म रूकना जरूरी ए।” 6ओह तुरते खाल्‍हे उतरिस अऊ खुस होके यीसू ला अपन घर ले गीस।

7एला देखके जम्मो मनखेमन कुड़कुड़ाय लगिन अऊ कहिन, “यीसू ह एक पापी मनखे के घर म पहुना होय बर गे हवय।”

8पर जक्कई ह ठाढ़ होईस अऊ परभू ला कहिस, “हे परभू, अब मेंह अपन आधा संपत्ति गरीबमन ला देवत हवंव, अऊ यदि मेंह काकरो ले कुछू ठगके ले हवंव, त मेंह ओकर चार गुना लहुंटाहूं।”

9यीसू ह ओला कहिस, “आज परमेसर ह ए मनखे अऊ एकर परिवार ला उद्धार दे हवय, काबरकि ए मनखे ह घलो अब्राहम के एक संतान ए। 10मनखे के बेटा ह एकर सहीं गंवायमन ला खोजे बर अऊ ओमन के उद्धार करे बर आय हवय।”

दस ठन सोन के सिक्‍का के पटं‍तर

(मत्ती 25:14-30)

11जब मनखेमन ए बात ला सुनत रहंय, तब यीसू ह ओमन ला एक पटं‍तर कहिस, काबरकि ओह यरूसलेम सहर के लकठा म हबर गे रिहिस अऊ मनखेमन सोचत रहंय कि परमेसर के राज ह तुरते सुरू होवइया हवय। 12एकरसेति ओह कहिस, “एक ऊंच कुल के मनखे ह एक बहुंत दूरिहा देस ला गीस कि ओह उहां राजपद पावय अऊ फेर लहुंटके आवय। 13जाय के पहिली, ओह अपन दस झन सेवक ला बलाईस अऊ ओमन ला दस ठन सोन के सिक्‍का देके कहिस, ‘मोर वापिस लहुंटत तक ए पईसा ले लेन-देन करत रहव।’

14पर ओ देस के मनखेमन ओला बिलकुल ही पसंद नइं करत रिहिन, एकरसेति ओमन कुछू झन ला ओकर पाछू ए कहे बर पठोईन, ‘हमन नइं चाहत हवन कि ए मनखे ह हमर राजा बनय।’

15तभो ले, ओह राजा बनाय गीस अऊ फेर घर लहुंटिस। तब ओह जऊन सेवकमन ला पईसा दे रिहिस, ओमन ला बलाईस अऊ ए जाने चाहिस कि ओमन कतेक कमाय हवंय।

16पहिली सेवक ह आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, तोर दिये सोन के सिक्‍का ले मेंह दस ठन अऊ सोन के सिक्‍का कमाय हवंव।’

17ओकर मालिक ह कहिस, ‘बहुंत बने करय। तेंह बने सेवक अस, काबरकि तेंह थोरकन चीज म ईमानदार रहय, मेंह तोला दस ठन सहर के अधिकारी बनावत हंव।’

18दूसरा सेवक ह आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, तोर दिये सिक्‍का ले मेंह पांच ठन अऊ सोन के सिक्‍का कमाय हवंव।’

19ओकर मालिक ह कहिस, ‘मेंह तोला पांच ठन सहर के अधिकारी बनावत हंव।’

20तब एक दूसर सेवक आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, ए हवय तोर सोन के सिक्‍का, मेंह एला एक ठन कपड़ा के टुकड़ा म छुपा के रखे रहेंव। 21मेंह तोर ले डरत रहेंव, काबरकि तेंह एक कठोर मनखे अस। तेंह ओला ले लेथस, जऊन ह तोर नो हय, अऊ जऊन ला तेंह नइं बोय रहस, ओला लूथस।’

22ओकर मालिक ह कहिस, ‘हे दुस्‍ट सेवक! मेंह तोर नियाय तोर कहे बचन के मुताबिक करहूं। तेंह जानत रहय कि मेंह एक कठोर मनखे अंव; मेंह ओला ले लेथंव, जऊन ह मोर नो हय, अऊ ओला लू लेथंव, जऊन ला मेंह नइं बोय रहंव। 23तब तेंह मोर पईसा ला बैंक म काबर जमा नइं कर देवय, ताकि वापिस आके मेंह एला बियाज सहित ले लेतेंव?’

24तब जऊन मन उहां ठाढ़े रिहिन, ओमन ला ओह कहिस, ‘एकर ले सोन के सिक्‍का ला ले लेवव अऊ एला ओ सेवक ला दे देवव, जेकर करा दस ठन सिक्‍का हवय।’ 25ओमन कहिन, ‘हे मालिक, ओकर करा तो आघू ले दस ठन सिक्‍का हवय।’

26ओह जबाब देवत कहिस, ‘मेंह तुमन ले कहत हंव कि हर एक झन जेकर करा हवय, ओला अऊ दिये जाही, पर जेकर करा नइं ए, ओकर ले ओ चीज घलो ले लिये जाही, जऊन ह ओकर करा बांचे हवय। 27पर मोर ओ बईरीमन ला इहां लानव, जऊन मन नइं चाहत रिहिन कि मेंह ओमन के राजा बनंव अऊ ओमन ला मोर आघू म मार डारव।’ ”

बिजय उल्लास के संग यीसू के यरूसलेम म परवेस

(मत्ती 21:1-11; मरकुस 11:1-11; यूहन्ना 12:12-19)

28जब यीसू ह ए कह चुकिस, त ओह यरूसलेम कोति ओमन के आघू-आघू गीस। 29जब यीसू ह जैतून पहाड़ करा बैतफगे अऊ बैतनियाह गांव के लकठा म आईस, त ओह अपन चेलामन ले दू झन ला ए कहिके पठोईस, 30“अपन आघू के गांव म जावव, अऊ जइसने तुमन गांव म हबरहू, तुमन ला उहां एक ठन गदही के बछरू मिलही, जेकर ऊपर कभू कोनो सवारी नइं करे हवंय। ओला ढीलके इहां ले आवव। 31कहूं कोनो तुम्‍हर ले पुछय, ‘एला काबर ढीलत हवव?’ त ओला कहव, ‘परभू ला एकर जरूरत हवय।’ ”

32जऊन चेलामन यीसू के दुवारा पठोय गे रिहिन, ओमन उहां जाके वइसनेच पाईन, जइसने यीसू ह ओमन ला कहे रिहिस। 33जब ओमन गदही के बछरू ला ढीलत रिहिन, त ओकर मालिकमन ओमन ले पुछिन, “तुमन ए गदही के बछरू ला काबर ढीलत हवव?”

34ओमन कहिन, “परभू ला एकर जरूरत हवय।”

35ओमन गदही के बछरू ला यीसू करा लानिन। तब ओमन अपन ओन्ढामन ला गदही के बछरू ऊपर डालिन अऊ यीसू ला ओकर ऊपर बईठा दीन। 36जब यीसू ह गदही के बछरू म बईठके जावत रिहिस, त मनखेमन अपन ओन्ढा ला सड़क म दसावत जावत रहंय।

37जब यीसू ह ओ जगह के लकठा म आईस, जिहां सड़क ह खाल्‍हे जैतून पहाड़ कोति जावत रिहिस, त ओकर चेलामन के जम्मो भीड़ ह आनंद मनाय लगिस अऊ ओमन जऊन चमतकार के काम देखे रिहिन, ओकर सेति चिचिया-चिचियाके परमेसर के महिमा करके कहिन:

38“धइन ए ओ राजा, जऊन ह परभू के नांव म आथे!19:38 भजन-संहिता 118:26 स्‍वरग म सांति अऊ परमेसर के महिमा होवय।”

39भीड़ म के कुछू फरीसीमन यीसू ला कहिन, “हे गुरू! अपन चेलामन ला दबकार।”

40यीसू ह कहिस, “मेंह तुमन ला कहत हंव कि यदि एमन चुप रहिहीं, त पथरामन चिचिया उठहीं।”

41जब यीसू ह यरूसलेम सहर के लकठा म आईस, त ओह सहर ला देखके रोईस, 42अऊ कहिस, “बने होतिस कि कहूं तेंह आज के दिन सिरिप ए जान गे रहितय कि का बात म तोला सांति मिलही। पर अब ओ चीजमन तोर आंखी ले छिपाय गे हवंय।

43ओ समय ह तोर ऊपर आही, जब तोर बईरीमन तोर चारों अंग घेरा बनाहीं अऊ तोला घेरहीं अऊ तोला जम्मो कोति ले बंद कर दिहीं। 44ओमन तोला अऊ तोर घेरा के भीतर रहइया मनखेमन ला पूरापूरी नास कर दिहीं; ओमन एको ठन पथरा ला अपन जगह म नइं छोड़हीं, काबरकि तेंह ओ समय ला नइं चिनहय, जब परमेसर ह तोर करा आईस।”

यीसू ह मंदिर म

(मत्ती 21:12-17; मरकुस 11:15-19; यूहन्ना 2:13-22)

45तब यीसू ह मंदिर म गीस अऊ ओमन ला निकारे के सुरू करिस, जऊन मन उहां सामान बेचत रिहिन, 46अऊ ओह ओमन ला कहिस, “परमेसर के बचन म ए लिखे हवय, ‘मोर घर ह पराथना के घर होही।’ पर तुमन एला डाकूमन के अड्डा बना ले हवव।”19:46 यसायाह 56:7

47यीसू ह हर दिन मंदिर म उपदेस करत रिहिस। अऊ मुखिया पुरोहित, कानून के गुरू अऊ मनखे मन के अगुवामन ओला मार डारे के कोसिस करत रिहिन। 48पर ओमन ला अइसने करे बर कोनो उपाय नइं मिलिस, काबरकि जम्मो मनखेमन बड़े लगन से यीसू के बात ला सुनंय।