耶利米書 29 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

耶利米書 29:1-32

致信給被擄的人

1-2耶哥尼雅王、太后、宮廷侍臣、猶大耶路撒冷的官員、技工和工匠被尼布甲尼撒王擄到巴比倫後,耶利米先知從耶路撒冷寄信給被擄之人中倖存的長老、先知和眾民。 3猶大西底迦沙番的兒子以利亞薩希勒迦的兒子基瑪利把這封信送給巴比倫尼布甲尼撒。以下是信的內容:

4以色列的上帝——萬軍之耶和華對所有從耶路撒冷被擄到巴比倫的人說: 5「你們要建造房子住下來,要耕種田園,吃田中的出產。 6你們要娶妻生子,也要給你們的兒女娶妻選夫,使他們生兒育女,你們好在那裡人丁興旺,不致人口減少。 7你們要為所住的城市謀求福祉,向耶和華禱告,因為你們的福祉有賴於那城的福祉。」 8以色列的上帝——萬軍之耶和華說:「不要被你們中間的先知和占卜者欺騙,不要聽信他們做的夢。 9他們以我的名義對你們說假預言,其實我並沒有差遣他們。這是耶和華說的。」

10耶和華說:「你們被擄到巴比倫七十年期滿後,我就要眷顧你們,成就我充滿恩典的應許,把你們帶回這地方。 11因為我知道我為你們安排的計劃。我的計劃不是要降禍給你們,而是要賜福給你們,使你們的未來充滿希望。這是耶和華說的。 12那時,你們必呼求我,向我禱告,我也必垂聽。 13你們尋求我,就必尋見。只要你們全心尋求我, 14我必讓你們尋見。這是耶和華說的。我必把你們從流放之地招聚起來,使你們回到故土。這是耶和華說的。

15「你們說耶和華在巴比倫為你們選立了先知, 16但論到坐在大衛寶座上的君王和這城裡的百姓,就是沒有與你們一同被擄的同胞, 17萬軍之耶和華這樣說,『看啊,我必使戰爭、饑荒和瘟疫臨到他們,使他們像爛得不能吃的無花果。 18我要使他們飽受戰爭、饑荒和瘟疫之災,使他們的遭遇令天下萬國驚懼。在我流放他們去的地方,他們必受凌辱、嘲笑、譏諷和咒詛。 19這都是因為他們不聽我的話。這是耶和華說的。我曾屢次差遣我的僕人——眾先知去警告他們,他們卻不肯聽。』這是耶和華說的。 20因此,你們這些從耶路撒冷被擄到巴比倫的人啊!要聽耶和華的話。 21以色列的上帝——萬軍之耶和華說:『哥賴雅的兒子亞哈瑪西雅的兒子西底迦以我的名義說假預言,我要把他們交在巴比倫尼布甲尼撒的手中,讓他當著你們的面處死他們。 22被擄到巴比倫猶大人咒詛人的時候會說,「願耶和華使你的下場像被巴比倫王燒死的西底迦亞哈一樣!」 23因為他們二人在以色列做了惡事,與他人的妻子通姦。我沒有差派他們,他們卻奉我的名說假預言。我知道他們的所作所為,我對這一切瞭若指掌。』這是耶和華說的。」

24耶和華吩咐我對尼希蘭示瑪雅說: 25以色列的上帝——萬軍之耶和華說,你曾以自己的名義寫信給住在耶路撒冷的眾民、瑪西雅的兒子西番雅祭司及其他祭司。你在信中對西番雅說, 26『耶和華已立你為祭司代替耶何耶大,管理耶和華的殿,負責拘捕妄自發預言的狂人,給他們戴上鐵鏈枷鎖。 27現在,亞拿突耶利米在你們當中自稱為先知,你為什麼不斥責他呢? 28他甚至寄信給我們這些在巴比倫的人,說被擄的日子還很長久,要我們建房子住下來,耕種田園,吃田中的出產。』」

29西番雅祭司就把示瑪雅的信讀給耶利米先知聽。 30耶和華對耶利米說: 31「你派人送信給所有被擄的人,說,『耶和華說祂沒有差遣尼希蘭示瑪雅,他卻說預言,誘使你們聽信謊言, 32所以耶和華必懲罰他和他的後代,使他斷子絕孫,看不到耶和華賜給祂子民的福祉,因為他說了悖逆耶和華的話。這是耶和華說的。』」

Hindi Contemporary Version

येरेमियाह 29:1-32

बंदियों को येरेमियाह का पत्र

1नबूकदनेज्ज़र द्वारा येरूशलेम से बाबेल बंदी उत्तरजीवी प्राचीनों, पुरोहितों, भविष्यवक्ताओं तथा सारे लोगों को संबोधित येरेमियाह द्वारा लिखित पत्र की विषय-वस्तु यह है. 2(यह उस समय का उल्लेख है जब राजा यकोनियाह, राजमाता, सांसद तथा यहूदिया तथा येरूशलेम के प्रशासक, कुशल मजदूर और शिल्पकार येरूशलेम से पलायन कर चुके थे.) 3यह पत्र शापान के पुत्र एलासाह तथा हिलकियाह के पुत्र गेमारियाह के हाथों में सौंप दिया गया, कि यह पत्र यहूदिया के राजा सीदकियाहू ने बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र को इन शब्दों में संबोधित करते हुए बाबेल में भेजा:

4सभी बंदियों के लिए, जिन्हें मैंने येरूशलेम से बाबेल में बंधुआई में भेजा है, सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है: 5“आवासों का निर्माण करो तथा उनमें निवास करो; वाटिकाएं रोपित करो तथा उनके उत्पाद का उपभोग करो. 6विवाह करो और पुत्र-पुत्रियों के जनक हो जाओ; तब अपने पुत्रों के लिए पत्नियां ले आओ तथा अपनी पुत्रियों का विवाह कर उन्हें विदा करो, कि वे संतान पैदा करें-उनका बढ़ना ही होता रहे, कमी नहीं. 7जिस नगर में मैंने तुम्हें बंदी बनाकर रखा है, तुम उस नगर के हित का यत्न करते रहना. उसकी ओर से तुम याहवेह से बिनती भी करते रहना, क्योंकि उस नगर की समृद्धि में ही तुम्हारा हित निहित होगा.” 8क्योंकि इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह का आदेश यह है: “सावधान रहना कि तुम अपने मध्य विद्यमान भविष्यवक्ताओं तथा पूर्वघोषकों के धोखे में न आ जाओ. वे अपने जिन स्वप्नों का उल्लेख करते हैं, उनकी ओर भी ध्यान न देना. 9क्योंकि वे मेरे नाम में तुमसे झूठी भविष्यवाणी कर रहे होंगे. वे मेरे द्वारा भेजे गये बर्तन नहीं हैं,” यह याहवेह की वाणी है.

10क्योंकि याहवेह की वाणी यह है: “जब बाबेल के सत्तर वर्ष पूरे हो जायेंगे, तब मैं तुम्हारी ओर आकर तुमसे की गई बात, तुम्हें इसी स्थान पर लौटा ले आने की वह रुचिर प्रतिज्ञा पूर्ण करूंगा. 11इसलिये कि मेरे द्वारा तुम्हारे लिए योजित अभिप्राय स्पष्ट हैं,” यह याहवेह की वाणी है, “तुम्हें एक प्रत्याशित भविष्य प्रदान करने के निमित, मैंने समृद्धि की योजना का विन्यास किया है, संकट का नहीं. 12उस समय तुम मेरी ओर उन्मुख होकर मुझे पुकारोगे, मुझसे बिनती करोगे और मैं तुम्हारी सुनूंगा. 13तुम मेरी खोज करोगे और मुझे प्राप्‍त कर लोगे, जब तुम अपने संपूर्ण हृदय से मेरी खोज करोगे. 14यह याहवेह की वाणी है, मैं तुम्हें उपलब्ध हो जाऊंगा, मैं तुम्हारे ऐश्वर्य को लौटाकर दूंगा तथा तुम्हें उन सभी राष्ट्रों तथा स्थानों से एकत्र करूंगा, जहां मैंने तुम्हें बंदी कर दिया है,” यह याहवेह की वाणी है, “तब मैं तुम्हें उसी स्थान पर लौटा ले आऊंगा, जहां से मैंने तुम्हें बंधुआई में भेज दिया था.”

15इसलिये कि तुम्हारा यह दावा है, “बाबेल में हमारे निमित्त भविष्यवक्ताओं का उद्भव याहवेह द्वारा किया गया है,” 16यह याहवेह का संदेश है, उस राजा के विषय में जो दावीद के सिंहासन पर विराजमान होता है तथा उन लोगों के विषय में, जो इस नगर में निवास कर रहे हैं, जो सहनागरिक तुम्हारे साथ बंधुआई में नहीं गए हैं— 17सेनाओं के याहवेह की यह वाणी है: “यह देख लेना मैं उन पर तलवार का प्रहार करवाऊंगा, अकाल तथा महामारी भेजूंगा. मैं उनका स्वरूप ऐसे फटे हुए अंजीरों के सदृश बना दूंगा, जो सड़न के कारण सेवन के योग्य ही नहीं रह गए हैं. 18मैं तलवार, अकाल तथा महामारी लेकर उनका पीछा करूंगा. मैं उन्हें पृथ्वी के सारे राज्यों के समक्ष भयावह बना दूंगा, कि वे उन राष्ट्रों के मध्य शाप, भय तथा उपहास का विषय बनकर रह जाएं, जहां मैंने उन्हें दूर किया है. 19क्योंकि उन्होंने मेरे आदेशों की ओर ध्यान नहीं दिया है,” यह याहवेह की वाणी है, “जो मैं अपने सेवकों, भविष्यवक्ताओं के द्वारा बार-बार भेज रहा हूं. किंतु तुमने उनकी सुनी ही नहीं,” यह याहवेह की वाणी है.

20इसलिये तुम याहवेह का आदेश सुनो, तुम सभी बंदियों, जिन्हें मैंने येरूशलेम से बाबेल बंदी किया है. 21यह इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह की कोलाइयाह के पुत्र अहाब तथा मआसेइयाह के पुत्र सीदकियाहू के विषय में, जो मेरे नाम में झूठी भविष्यवाणी कर रहे हैं यह वाणी है: “यह देखना कि मैं उन्हें बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र के हाथों में सौंप दूंगा, जो तुम्हारे देखते-देखते उनका वध कर देगा. 22उनके कारण उन सभी बंदी द्वारा, जिन्हें यहूदिया से बाबेल ले जाया गया है, इस प्रकार शाप दिया जाएगा: ‘याहवेह तुम्हें सीदकियाहू तथा अहाब सदृश बना दें, जिन्हें बाबेल के राजा ने अग्नि में झोंक दिया था.’ 23इस्राएल में उन्होंने जो किया है, वह मूर्खतापूर्ण था; उन्होंने अपने पड़ोसियों की पत्नियों के साथ व्यभिचार किया, उन्होंने मेरे नाम में झूठे वचन दिए हैं, जिनके विषय में मेरी ओर से कोई आदेश नहीं दिया गया था. मैं वह हूं, जिसे संज्ञान है, मैं प्रत्यक्षदर्शी हूं,” यह याहवेह की वाणी है.

शेमायाह के लिए संदेश

24नेहेलामी शेमायाह से तुम्हें कहना होगा, 25“इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह की वाणी यह है: इसलिये कि तुमने स्वयं अपने ही नाम में येरूशलेम में निवास कर रहे लोगों को, मआसेइयाह के पुत्र पुरोहित ज़ेफनियाह को तथा अन्य सभी पुरोहितों को पत्र प्रगट किए हैं, जिनमें यह लिखा गया था, 26‘याहवेह ने आपको पुरोहित यहोइयादा के स्थान पर पुरोहित नियुक्त किया है, कि आप याहवेह के भवन में भविष्यवाणी कर रहे हर एक विक्षिप्‍त व्यक्ति पर पर्यवेक्षक हो जाएं; कि उसे बेड़ी में तथा उसके गले को लौह गली में जकड़ दिया जाए. 27इसलिये आपने अनाथोथवासी येरेमियाह को फटकार क्यों नहीं लगाई, जो आपके समक्ष भविष्यवाणी करता रहता है? 28क्योंकि उसी ने तो हमें बाबेल में यह संदेश भेजा किया था: दीर्घकालीन होगी यह बंधुआई; अपने लिए आवास निर्मित करो और उनमें निवास करो, वाटिकाएं रोपित करो तथा उनके उत्पाद का उपभोग करो.’ ”

29पुरोहित ज़ेफनियाह ने यह पत्र भविष्यद्वक्ता येरेमियाह को पढ़ सुनाया. 30यह होते ही येरेमियाह को याहवेह का यह संदेश प्राप्‍त हुआ: 31“सभी बंदियों को यह संदेश प्रगट कर दो: ‘नेहेलामी शेमायाह के विषय में याहवेह का संदेश यह है: इसलिये कि शेमायाह ने तुम्हारे समक्ष भविष्यवाणी की है यद्यपि उसे मैंने प्रगट किया ही न था तथा उसने तुम्हें असत्य पर विश्वास करने के लिए उकसा दिया, 32इसलिये याहवेह का संदेश यह है: यह देखना कि मैं नेहेलामी शेमायाह तथा उसके वंशजों को दंड देने पर हूं. इन लोगों के मध्य में उसका कोई भी शेष न रह जाएगा, वह उस हित को देख न सकेगा, जो मैं अपनी प्रजा के निमित्त करने पर हूं, यह याहवेह की वाणी है, क्योंकि उसने याहवेह के विरुद्ध विद्रोह करना सिखाया था.’ ”