歷代志下 25 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

歷代志下 25:1-28

猶大王亞瑪謝

1亞瑪謝二十五歲登基,在耶路撒冷執政二十九年。他母親叫約耶但,是耶路撒冷人。 2他做耶和華視為正的事,只是沒有全心去做。 3他鞏固了王位後,立即處死了殺他父王的臣僕, 4但沒有處死他們的孩子,遵行了耶和華在摩西律法書中的吩咐:「不可因孩子犯罪而處死父親,也不可因父親犯罪而處死孩子。各人要自負罪責。」

與西珥人交戰

5亞瑪謝召集猶大人,按著猶大便雅憫宗族設立千夫長和百夫長,並數點二十歲以上、能使用盾牌矛槍且有作戰能力的精兵,共有三十萬人。 6他又用三點四噸銀子從以色列雇來十萬精兵。 7一位上帝的僕人來對他說:「王啊,不要讓以色列的軍隊與你同去,因為耶和華不與以色列人——以法蓮的子孫同在。 8你若一定要去,即使你奮勇爭戰,上帝也必使你敗在敵人面前,因為上帝有能力幫助,也有能力傾覆。」 9亞瑪謝問上帝的僕人:「我付給以色列軍隊的三點四噸銀子怎麼辦?」上帝的僕人回答說:「耶和華能賜給你更多的銀子。」 10於是,亞瑪謝解散從以法蓮雇來的軍隊,讓他們回家去。他們非常惱怒猶大人,怒氣沖沖地回家去了。

11亞瑪謝鼓起勇氣,率領本國軍隊去鹽谷,殺了一萬西珥人, 12又把生擒的一萬人推下山崖摔得粉身碎骨。 13可是,那些被亞瑪謝遣返、未能出征的以色列軍隊侵入從撒瑪利亞伯·和崙一帶的猶大各城,殺了三千人,搶了大批財物。

14亞瑪謝殺敗以東25·14 以東人又稱西珥人。後,帶回了他們的神像,立為自己的神明,向它們祭拜燒香。 15因此,耶和華向亞瑪謝發怒,祂派一個先知去見他,說:「這些神明既然不能從你手中救自己的人民,你為什麼還要祭拜它們呢?」 16先知的話還沒有說完,王就打斷他,說:「住口!誰立你做王的謀士了?你要自取滅亡嗎?」先知停了一下,又說:「我知道上帝已定意要毀滅你,因為你做了這事,不聽我的忠告。」

與以色列交戰

17猶大亞瑪謝與群臣商議後,就派人對耶戶的孫子、約哈斯的兒子、以色列約阿施說:「來,我們戰場上見。」 18以色列約阿施派人回覆猶大亞瑪謝說:「黎巴嫩的蒺藜派使者去對黎巴嫩的香柏樹說,『將你的女兒嫁給我兒子吧。』後來黎巴嫩的一隻野獸經過,把那蒺藜踐踏在腳下。 19你打敗了以東人就趾高氣揚。你還是待在家裡吧,何必惹禍上身,使你和猶大一同滅亡呢?」

20亞瑪謝不理會他的勸告。原來這事出於上帝,要把他們交在約阿施手中,因為他們求告以東的神明。 21於是,以色列約阿施起兵攻打猶大亞瑪謝,兩王會戰於猶大伯·示麥22猶大人被以色列人打敗,兵將都各自逃回家去了。 23以色列約阿施伯·示麥擒獲約哈斯的孫子、約阿施的兒子、猶大亞瑪謝,把他帶到耶路撒冷,又拆毀從以法蓮門到角門約一百八十米長的耶路撒冷城牆, 24搶走俄別·以東在上帝殿中看守的所有金銀和器皿以及王宮裡的財寶,並帶著人質返回撒瑪利亞

25約哈斯的兒子以色列約阿施死後,約阿施的兒子猶大亞瑪謝又活了十五年。 26亞瑪謝其他的事自始至終都記在猶大以色列的列王史上。 27亞瑪謝背棄耶和華後,耶路撒冷有人謀反,他就逃到拉吉,但叛黨派人追到那裡殺了他。 28有人用馬將他的屍體馱回耶路撒冷,葬在猶大城他的祖墳裡。

Hindi Contemporary Version

2 इतिहास 25:1-28

अमाज़्याह यहूदिया का राजा

1यहूदिया पर अमाज़्याह का शासन: शासन शुरू करते समय आमज़ियाह की उम्र पच्चीस साल की थी. येरूशलेम में उसने उनतीस साल शासन किया. उसकी माता का नाम येहोआद्दीन था वह येरूशलेम की वासी थी. 2अमाज़्याह ने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में सही था फिर भी पूरे मन से नहीं. 3उसके हाथों में राज्य मजबूत होते ही उसने अपने सेवकों की हत्या कर डाली, जिन्होंने उसके पिता की हत्या की थी. 4मगर मोशेह द्वारा लिखी व्यवस्था की पुस्तक में याहवेह ने आदेश दिया था, “पुत्र के पाप का दंड उसके पिता को न मिले और न पिता के कारण पुत्र मार डाला जाए, जिसने पाप किया हो वही उस पाप के कारण मार डाला जाए.” उसके अनुसार,25:4 व्यव 24:16 उसने उनकी संतानों की हत्या नहीं की.

5राजा अमाज़्याह ने यहूदाह और बिन्यामिन गोत्र के सभी पुरुषों को अनेक कुलों के अनुसार सैन्य टुकड़ियों में इकट्ठा कर दिया. तब उसने उन पर सहस्र पति और शतपति अधिकारी नियुक्त कर दिए. इस प्रक्रिया में सभी बीस साल या इससे अधिक आयु के पुरुष शामिल किए गए थे, इनकी कुल गिनती तीन लाख पहुंची. ये सभी चुने हुए पुरुष थे, बर्छी और ढाल से लैस, युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार कुशल सैनिक. 6उसने इस्राएल के राजा से साढ़े तीन हज़ार किलो चांदी का दाम देकर एक लाख वीर सैनिक ले लिए.

7परमेश्वर का एक दूत उसके पास यह संदेश लेकर आया, “महाराज, इस्राएल की इस सेना को अपने साथ न ले जाइए; क्योंकि याहवेह न तो इस्राएल की सेना की ओर हैं और न ही एफ्राईम के वंशजों में से किसी के. 8यदि आप जाते ही है तो आप अवश्य जाइए और युद्ध में जीत कर आइए. नहीं तो परमेश्वर आपको शत्रु के सामने धूल चटा देंगे. परमेश्वर में यह क्षमता है कि वे सहायता करें या गिरा दें.”

9यह सुन अमाज़्याह ने परमेश्वर के दूत से प्रश्न किया, “उस साढ़े तीन हज़ार किलो चांदी का क्या होगा, जो इस्राएल को दी जा चुकी है?”

परमेश्वर के दूत ने उत्तर दिया, “याहवेह ने आपको इससे कहीं अधिक देने की इच्छा की है.”

10तब अमाज़्याह ने उन सैनिकों को लौट जाने का आदेश दिया. ये सैनिक एफ्राईम से आए थे. वे यहूदिया के प्रति बहुत ज्यादा गुस्सा करते हुए लौटे.

11तब अमाज़्याह ने साहस जुटाया और अपनी सेना का संचालन करते हुए नमक की घाटी में जा पहुंचा और वहां उसने सेईर के दस हज़ार वंशजों को मार गिराया. 12यहूदाह के वंशजों ने जीवित दस हज़ार को बंदी बनाया और उन्हें ऊंची चट्टान की चोटी पर ले जाकर वहां से नीचे फेंक दिया. इस कारण उनके शरीर के चिथड़े उड़ गए.

13मगर उन क्रोधित सैनिकों ने जिन्हें अमाज़्याह ने युद्ध-भूमि न ले जाकर घर लौटा दिया था, यहूदिया के नगरों में जाकर लूटमार की और शमरिया से लेकर बेथ-होरोन तक तीन हज़ार व्यक्तियों को मार गिराया और बड़ी मात्रा में लूट लेकर चले गए.

14जब अमाज़्याह एदोमवासियों को मारकर लौटा, वह अपने साथ सेईरवासियों के देवताओं की मूर्तियां भी ले आया. उसने उन्हें अपने देवता बनाकर प्रतिष्ठित कर दिया, उनकी पूजा करने लगा, उनके सामने धूप जलाने लगा. 15याहवेह का क्रोध अमाज़्याह पर भड़क उठा. याहवेह ने उसके लिए एक भविष्यद्वक्ता भेजा, जिसने उससे कहा, “तुम इन विदेशी देवताओं की पूजा क्यों करने लगे हो, जो अपने ही लोगों को तुम्हारे सामर्थ्य से न बचा सके हैं?”

16जब वह यह कह ही रहा था, राजा ने उससे कहा, “बस करो! क्या हमने तुम्हें अपना मंत्री बनाया है? क्यों अपनी मृत्यु को बुला रहे हो?”

भविष्यद्वक्ता रुक गया और फिर उसने कहना शुरू किया, “आपने मेरी सलाह को ठुकराया और आपने यह सब किया है. मैं समझ गया हूं कि परमेश्वर आपके विनाश का निश्चय कर चुके है.” इस्राएल द्वारा यहूदिया की पराजय:

17सलाह-मशवरा के बाद यहूदिया के राजा अमाज़्याह ने येहू के पोते, यहोआहाज़ के पुत्र इस्राएल के राजा यहोआश को यह संदेश भेजा: “आइए, हम एक दूसरे का सामना करें.”

18इस्राएल के राजा यहोआश ने यहूदिया के राजा अमाज़्याह को उत्तर भेजा: “लबानोन की एक कंटीली झाड़ी ने लबानोन के केदार को यह संदेश भेजा, ‘अपनी पुत्री को मेरे पुत्र की पत्नी होने के लिए दे दो.’ तब एक जंगली पशु वहां से निकलते हुए कंटीली झाड़ी को कुचलते हुए निकल गया. 19तुमने कहा कि, तुमने एदोम को हराया है! तुम घमण्ड़ में चूर होकर ऐसा कह रहे हो. पर घर में शांति से बैठे रहो! क्यों मुसीबत को बुला रहे हो? तुम्हारा तो पतन होगा ही, साथ ही तुम्हारे साथ यहूदिया का भी पतन हो जाएगा.”

20मगर अमाज़्याह ने उसकी एक न सुनी; इस प्रकार यह सब याहवेह की ही योजना थी, कि वह उसे यहोआश के अधीन कर दें, क्योंकि वह एदोम के देवताओं की पूजा करने लगा था. 21तब इस्राएल के राजा यहोआश ने हमला कर दिया. अमाज़्याह और यहोआश का सामना यहूदिया के बेथ-शेमेश नामक स्थान पर हुआ. 22इस्राएल ने यहूदिया को हरा दिया. सैनिक पीठ दिखाकर अपने-अपने तंबुओं को लौट गए. 23इस्राएल के राजा यहोआश ने यहूदिया के राजा योआश के पुत्र और यहोआहाज़25:23 यहोआहाज़ नाम का दूसरा रूप अहज़्याह के पौत्र अमाज़्याह को बेथ-शेमेश में ही पकड़ लिया और उसे येरूशलेम ले गया. उसने एफ्राईम फाटक से कोने के फाटक तक लगभग एक सौ अस्सी मीटर शहरपनाह गिरा दी. 24ओबेद-एदोम की देखरेख में रखे परमेश्वर के भवन के सभी सोने और चांदी के बर्तन और राजघराने का सारा खजाना और बंदियों को लेकर शमरिया लौट गया.

25यहूदिया के राजा योआश का पुत्र अमाज़्याह इस्राएल के राजा यहोआहाज़ के पुत्र यहोआश की मृत्यु के बाद पन्द्रह साल जीवित रहा. 26पहले से लेकर आखिरी तक के कामों का ब्यौरा यहूदिया और इस्राएल के राजा की पुस्तक में दिया गया है. 27जब से अमाज़्याह याहवेह का अनुसरण करने से दूर हो गया, येरूशलेम में लोगों ने उसके विरुद्ध षड़्‍यंत्र रचा, तब वह लाकीश को भाग गया; किंतु उन्होंने लाकीश में जाकर उसकी खोज की और वहीं उसकी हत्या कर दी. 28घोड़ों पर लादकर उसका शव लाया गया और उसके पूर्वजों के साथ दावीद के नगर में उसे गाड़ दिया गया.