撒迦利亞書 11 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

撒迦利亞書 11:1-17

羊群必遭殺戮

1黎巴嫩啊,打開你的門吧,

好讓火焰吞噬你的香柏樹。

2松樹啊,哀號吧,

因為香柏樹已經倒下,

挺拔的樹木已被毀壞。

巴珊的橡樹啊,哀號吧,

因為茂密的樹林已被砍倒。

3聽啊,牧人在哀號,

因為他們肥美的草場已被毀壞。

聽啊,獅子在吼叫,

因為約旦河畔的叢林已被毀壞。

4我的上帝耶和華說:「你去牧養這群待宰的羊吧。 5買羊宰羊的不受懲罰,賣羊的說,『耶和華當受稱頌!我發財了。』牠們的牧人不憐憫牠們。 6因此,我不再憐憫這地方的居民,我要使他們落在鄰人及其君王手中,任這地方被摧毀,必不從敵人手中拯救他們。這是耶和華說的。」

7於是,我牧養這群最困苦的待宰之羊。我拿了兩根杖,一根叫「恩惠」,一根叫「聯合」,開始牧養羊群。 8我在一個月之內除掉了三個牧人。

然而,我厭煩羊群,他們也厭惡我。 9於是我說:「我不再牧養你們了。要死的就死吧,要滅亡的就滅亡吧,讓剩下的互相吞吃吧。」 10然後,我拿起那根叫「恩惠」的杖,把它折斷,以廢除我與萬民所立的約。 11約就在當天廢除了,那些注視著我的困苦羊便知道這是上帝的話。

12我對他們說:「你們若認為好,就給我工錢,不然就算了。」於是,他們給了我三十塊銀子作工錢。 13耶和華對我說:「把這一大筆錢丟給窯戶吧,這就是我在他們眼中的價值!」我便把三十塊銀子丟給聖殿中的窯戶。 14我又把那根叫「聯合」的杖折斷,以斷開猶大以色列之間的手足之情。

15耶和華又對我說:「你再拿起愚昧牧人的器具, 16因為我要使一位牧人在地上興起,他不照顧喪亡的,不尋找失散的,不醫治受傷的,不牧養健壯的,反而吃肥羊的肉,撕掉牠們的蹄子。

17「丟棄羊群的無用牧人有禍了!

願刀砍在他的臂膀和右眼上!

願他的臂膀徹底枯槁,

他的右眼完全失明!」

Hindi Contemporary Version

ज़करयाह 11:1-17

1हे लबानोन, अपने दरवाजों को खोलो,

कि आग तुम्हारे देवदार के पेड़ों को भस्म कर दे!

2हे सनोवर के पेड़, तुम विलाप करो, क्योंकि देवदार का पेड़ गिर गया है;

भव्य पेड़ नष्ट हो गये हैं!

हे बाशान के बलूत पेड़, विलाप करो;

क्योंकि घने जंगल काट डाले गये हैं!

3चरवाहों के विलाप को सुनो;

उनके अच्छे चरागाह नष्ट हो गये हैं!

सिंहों के गर्जन को सुनो;

क्योंकि यरदन नदी की रसदार झाड़ियां नष्ट हो गयी हैं!

दो चरवाहे

4याहवेह, मेरे परमेश्वर का यह कहना है: “वध के लिए चिन्हित पशुओं के झुंड की रखवाली करो. 5उनके खरीददार उनका वध करते हैं, और उन्हें कोई दंड नहीं मिलता. जो उन्हें बेचते हैं वे कहते हैं, ‘याहवेह की स्तुति हो, मैं धनी हो गया हूं!’ उनके खुद के चरवाहे उन पर दया नहीं करते. 6मैं अब इस देश के लोगों पर कोई दया नहीं करूंगा,” याहवेह की यह घोषणा है. “मैं हर एक को उनके पड़ोसी और उनके राजा के अधीन कर दूंगा, हर एक व्यक्ति राजा के अधीन हो जाएगा. वे उस देश को नाश कर देंगे, और मैं किसी को उनके हाथ से नहीं बचाऊंगा.”

7अतः मैंने वध के लिये चिन्हित पशुओं के झुंड की रखवाली की, विशेष रूप से झुंड के उन पशुओं की जिनके ऊपर अत्याचार किया जा रहा था. तब मैंने दो लाठियां लीं, और उनमें से एक नाम अनुग्रह और दूसरे का नाम एकता रखा, और मैं ही झुंड की देखभाल करने लगा. 8उसके बाद मैंने एक माह के भीतर ही तीन चरवाहों को काम से अलग कर दिया.

वह झुंड मुझसे बहुत घृणा करने लगे, और मैं उनसे ऊब गया 9और कहा, “मैं अब तुम्हारी देखभाल नहीं करूंगा. जो मर रहा है वह मरे, और जो नाश हो रहा है वह नाश हो, और जो बच जाते हैं वे एक दूसरे का मांस खाएं.”

10तब वह वाचा जिसे मैंने सब जाति के लोगों के साथ बांधी थी, उसे तोड़ते हुए मैंने अपने अनुग्रह नाम की लाठी को लिया और उसे तोड़ दिया. 11वह वाचा उसी दिन तोड़ दी गयी, और झुंड के पीड़ित पशु जो मेरी ओर ताक रहे थे, वे जान गये कि यह याहवेह का वचन है.

12तब मैंने उनसे कहा, “यदि तुमको यह अच्छा लगे, तो तुम मुझे मेरी मजदूरी दे दो; पर यदि नहीं देना चाहते, तो कोई बात नहीं.” तब उन्होंने मेरी मजदूरी के तीस चांदी के टुकड़े मुझे दिये.

13तब याहवेह ने मुझसे कहा, “इस राशि को कुम्हार के आगे फेंक दो”—यह अच्छा मूल्य है जिसे उन्होंने मेरा ठहराया है! अतः मैंने चांदी के उन तीस टुकड़ों को लेकर याहवेह के भवन में कुम्हार के आगे फेंक दिया.

14तब मैंने यहूदिया और इस्राएल के बीच पारिवारिक संबंध को तोड़ते हुए, मैंने एकता नाम के अपनी दूसरी लाठी को तोड़ा.

15तब याहवेह ने मुझसे कहा, “एक मूर्ख चरवाहा के साज-सामान को फिर से लो. 16क्योंकि मैं इस देश में एक ऐसा चरवाहा ठहरानेवाला हूं, जो खोये हुओं की चिंता नहीं करेगा, न जवानों को ढूंढ़ेगा, न घायलों को चंगा करेगा, न ही तंदुरुस्तों को खिलायेगा, पर वह अच्छे भेड़ के मांस को खायेगा, और उनके खुरों को फाड़ डालेगा.

17“उस निकम्मे चरवाहे पर हाय,

जो पशुओं के झुंड को छोड़कर भाग जाता है!

ऐसा हो कि उसकी भुजा और दायीं आंख पर तलवार चले!

उसकी भुजा पूरी तरह सूख जाए,

और वह अपनी दायीं आंख से पूरी तरह अंधा हो जाए!”