撒母耳記下 24 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

撒母耳記下 24:1-25

大衛統計人口

1耶和華又向以色列人發怒,祂促使大衛來對付他們,讓大衛統計以色列猶大的人口。 2大衛對統領軍隊的約押說:「你去走遍以色列各支派,從別示巴,統計以色列猶大的人口,讓我知道國民的數目。」 3約押說:「我主我王,願你的上帝耶和華使國民增加百倍,讓你親眼看到。但我主我王為什麼要統計人口呢?」 4大衛不聽約押和其他將領的規勸。他們只好去統計以色列的人數。 5他們過了約旦河,在谷中亞羅珥城南面安營,又經過迦得前往雅謝6然後,他們到基列他停·合示地區、但·雅安,繞到西頓7再去泰爾的堡壘及希未人和迦南人的城邑。最後,他們到了猶大南部的別示巴8他們花了九個月零二十天的時間,走遍全國,最後回到耶路撒冷9約押把統計的人數奏告大衛:「以色列有八十萬英勇的刀兵,猶大有五十萬。」

10大衛統計了人口以後,內心不安,就對耶和華說:「我做這事犯了大罪。耶和華啊,求你赦免僕人的罪,我做了極其愚昧的事。」 11第二天早上,耶和華對大衛的先見——迦得先知說: 12「你去告訴大衛,耶和華說,『我有三樣災禍,你可以選擇讓我降哪一樣給你。』」 13迦得就來見大衛,對他說:「你願意國內有七年饑荒呢?還是被敵人追殺三個月呢?還是國內發生三天瘟疫呢?請你考慮好後告訴我,我好回覆那差我來的。」 14大衛說:「我實在為難!不過我寧願落在耶和華的手中,也不願落在人的手中,因為耶和華有無限的憐憫。」

15於是,那天早晨,耶和華在以色列降下瘟疫,瘟疫持續了三天,從別示巴共有七萬人死亡。 16當天使準備伸手毀滅耶路撒冷的時候,耶和華心生憐憫,就對滅命天使說:「夠了,住手吧!」當時,耶和華的天使正站在耶布斯亞勞拿的麥場上。 17大衛看見滅命天使,就對耶和華說:「是我犯了罪,做了惡事,這些百姓有什麼過錯呢?願你的手懲罰我和我的家族。」

18就在那天,迦得來見大衛,對他說:「你要去耶布斯亞勞拿的麥場,在那裡為耶和華築一座壇。」 19大衛就照耶和華藉迦得所說的話去了亞勞拿的麥場。 20亞勞拿看見王及他的臣僕來了,就上前俯伏在地,向王跪拜, 21說:「我主我王到僕人這裡有什麼事?」大衛說:「我要買你的麥場,好在這裡為耶和華築一座壇,使百姓當中的瘟疫止住。」 22亞勞拿說:「我主我王喜歡什麼,就拿去獻祭吧。這裡有牛可以作燔祭,還有麥場的工具和牛軛可以作柴。 23王啊,僕人亞勞拿願意把這一切都獻給你,願你的上帝耶和華悅納你。」 24王卻說:「不可,我一定要出錢買,我不願意用白白得來之物作為燔祭獻給我的上帝耶和華。」大衛就用六百克銀子買了亞勞拿的麥場和牛。 25大衛在麥場上為耶和華建了一座壇,獻上燔祭和平安祭,耶和華垂聽了他的禱告,瘟疫就在以色列止住了。

Hindi Contemporary Version

2 शमुएल 24:1-25

दावीद जनगणना कराता है

1इस्राएल के विरुद्ध याहवेह का क्रोध एक बार फिर भड़क उठा. उन्होंने दावीद को ही इस्राएल के विरुद्ध कर दिया. उन्होंने दावीद को उकसाया, “इस्राएल और यहूदिया की गिनती करो.”

2तब राजा ने सेना के आदेशक योआब और उनके सहयोगियों को आदेश दिया, “दान से लेकर बेअरशेबा तक जाकर इस्राएल के सारे गोत्रों की जनगणना करो, कि मुझे जनसंख्या का पता चल सके.”

3मगर योआब ने राजा से कहा, “जब तक आपकी आंखों में ज्योति है, याहवेह आपके परमेश्वर वर्तमान जनसंख्या की सौ गुणा वृद्धि करें, मगर महाराज, मेरे स्वामी, ऐसा करना क्यों चाह रहे हैं?”

4मगर राजा के आदेश के आगे योआब और अन्य प्रधानों का तर्क विफल ही रहा. तब योआब और सेना के प्रधान संसद भवन से निकलकर इस्राएल की जनगणना के लिए चल पड़े.

5उन्होंने यरदन नदी पार कर अरोअर नामक स्थान पर शिविर डाले. यह स्थान याज़र की ओर, गाद की तराई के बीच में है. 6इसके बाद वे गिलआद आ गए, और हित्तियों के क्षेत्र के कादेश में तब वे दान यअन पहुंचे. दान यअन के बाद वे सीदोन के निकट जा पहुंचे. 7फिर वे सोर के गढ़ पहुंचे, जहां से उन्होंने हिव्वियों और कनानियों के सभी नगरों में गिनती पूरी की. इसके बाद वे बेअरशेबा में यहूदिया के नेगेव पहुंचे.

8जब वे संपूर्ण देश में गिनती का काम पूरा कर चुके, वे येरूशलेम आ गए. अब तक नौ महीने और बीस दिन पूरे हो चुके थे.

9योआब ने राजा के सामने राज्य की जनगणना का लेखा प्रस्तुत किया: इस्राएल में आठ लाख वीर योद्धा थे, और यहूदिया में पांच लाख, जिनमें तलवार के कौशल की क्षमता थी.

10जनगणना के परिणाम स्पष्ट होते ही दावीद का मन उन्हें कचोटने लगा. सुबह जागने पर दावीद ने याहवेह से कहा, “यह करके मैंने घोर पाप किया है. मगर याहवेह, अपने सेवक का अपराध दूर कर दीजिए, क्योंकि यह मेरी बड़ी मूर्खता थी.”

11सुबह जागने पर दावीद को याहवेह का यह संदेश भविष्यद्वक्ता गाद को भेज दिया गया. वह दावीद के लिए नियुक्त दर्शी थे: 12“जाओ और दावीद से यह कहो, ‘याहवेह का यह संदेश है, मैं तुम्हारे सामने तीन विकल्प प्रस्तुत कर रहा हूं. इनमें से तुम एक चुन लो, कि मैं उसे तुम पर इस्तेमाल कर सकूं.’ ”

13तब गाद दावीद के सामने आए और उनसे यह कहा, “क्या तुम्हारे देश में तीन वर्ष के लिए अकाल भेजा जाए? या तुम तीन महीने तक उन शत्रुओं से बचकर भागते रहो, जो तुम्हारा पीछा कर रहे थे? या क्या देश में तीन दिन की महामारी हो? अब विचार करके निर्णय करो कि मैं अपने भेजनेवाले को उत्तर दे सकूं.”

14तब दावीद ने गाद को उत्तर दिया, “मैं बड़ी मुसीबत में हूं. हमें याहवेह के हाथ से दिया गया दंड ही सहने दीजिए, क्योंकि अपार है उनकी कृपा. मुझे किसी मनुष्य के हाथ में न पड़ने दें.”

15तब याहवेह ने उस समय से तय अवधि तक के लिए इस्राएल देश पर महामारी भेज दी. दान से बेअरशेबा तक 70,000 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई. 16जब विनाशक स्वर्गदूत ने येरूशलेम को ध्वस्त करने के उद्देश्य से उसकी ओर हाथ बढ़ाया, याहवेह ने विनाश का विचार त्याग दिया. उन्होंने उस स्वर्गदूत को, जो मनुष्यों को मार रहा था, कहा, “बस करो अब! अपना हाथ रोक दो!” इस समय स्वर्गदूत यबूसी औरनन के खलिहान के निकट था.

17जब दावीद ने मनुष्यों का संहार कर रहे स्वर्गदूत को देखा, उन्होंने याहवेह को संबोधित कर कहा, “पाप सिर्फ मैंने किया है. सिर्फ मैं ही हूं अपराधी; मगर ये भेड़ें; क्या दोष है उनका? आपका यह दंड देता हुआ हाथ मुझ पर और मेरे पिता के परिवार के विरुद्ध उठने दीजिए.”

दावीद वेदी बनाता है

18तब गाद उसी दिन दावीद के पास पहुंचे और उन्हें आदेश दिया, “यबूसी औरनन के खलिहान में जाकर याहवेह के लिए वेदी बनाओ.” 19दावीद ने गाद का आदेश पालन कर वैसा ही किया, जैसा याहवेह ने उन्हें आदेश दिया था. 20जब औरनन ने दृष्टि की, तो यह देखा कि राजा और उनके सेवक उसी की ओर बढ़ते चले आ रहे थे. औरनन ने जाकर दंडवत हो उनको नमस्कार किया.

21औरनन ने विनती की, “क्या कारण है कि महाराज, मेरे स्वामी को इस सेवक के यहां आने की आवश्यकता हुई है?”

दावीद ने उत्तर दिया, “तुमसे खलिहान खरीदने, कि मैं याहवेह के लिये वेदी बना सकूं. तब बीमारी रुक जायेगी.”

22यह सुन औरनन ने दावीद से कहा, “महाराज, मेरे स्वामी को जो कुछ सही लगे, ले लें और भेंट चढ़ा दें. अग्निबलि के लिए ये बैल हैं, और बलि के लिए आवश्यक लकड़ी के लिए भूसी निकालने के ये हथियार और जूआ प्रस्तुत हैं. 23महाराज, यह सब औरनन महाराज को भेंट में प्रस्तुत कर रहा है.” औरनन ने राजा से यह भी कहा, “याहवेह, आपके परमेश्वर, आपको स्वीकार करें.”

24मगर राजा ने औरनन को उत्तर दिया, “नहीं, मैं तुम्हें इनका मूल्य देकर ही इन्हें स्वीकार करूंगा. मैं, याहवेह मेरे परमेश्वर को ऐसी भेंट नहीं चढ़ा सकता, जिसका मैंने मूल्य नहीं चुका दिया है.”

दावीद ने चांदी के पचास मुद्राएं देकर खलिहान और बैल मोल ले लिए. 25दावीद ने वहां याहवेह के निमित्त वेदी बनाई और उस पर अग्निबलि और मेल बलियां चढ़ाईं. तब याहवेह ने देश के लिए इस प्रार्थना को स्वीकार किया जिससे इस्राएल देश से महामारी जाती रही.