撒母耳記上 4 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

撒母耳記上 4:1-22

約櫃被擄

1那時,以色列人去迎戰非利士人,他們在以便以謝紮營,非利士人在亞弗紮營。 2非利士人列陣與以色列人交戰,大敗以色列人,殺了他們四千人。 3軍隊回營後,以色列的長老說:「為什麼今天耶和華使我們敗在非利士人手下?我們從示羅把耶和華的約櫃抬來吧,讓它4·3 」或作「祂」。與我們同去,好從仇敵手中救我們。」

4於是,他們派人去示羅把那坐在基路伯天使上的萬軍之耶和華的約櫃抬來。以利的兩個兒子何弗尼非尼哈也隨上帝的約櫃同來。 5以色列人看見耶和華的約櫃到了營中,就高聲歡呼,聲音震天動地。 6非利士人聽見了喊聲就說:「希伯來人在營中喊什麼?」後來他們知道是耶和華的約櫃到了營中, 7就害怕起來,說:「有神明到了他們營中,我們大禍臨頭了,我們從來沒有遇過這種事情! 8我們大禍臨頭了!誰能從這些大能的神明手中救我們?在曠野用各種災禍毀滅埃及人的就是這些神明。 9非利士人啊,要剛強,做大丈夫。不然,我們就會成為希伯來人的奴隸,像他們做我們的奴隸一樣。我們要做大丈夫,奮力征戰。」

10非利士人和以色列人交戰,以色列人敗下陣來,紛紛逃回家中。他們傷亡慘重,損失了三萬步兵。 11上帝的約櫃被擄走了,以利的兩個兒子何弗尼非尼哈被殺身亡。

以利之死

12當天有一個便雅憫人逃出了戰場,他撕爛衣服,頭蒙灰塵,來到示羅13以利正坐在路旁的座位上觀望,因為他心裡為上帝的約櫃擔憂。那個從戰場回來的人進城報信後,全城的人都放聲大哭。 14以利聽見哭喊聲,就問:「人們為何喊叫?」那人趕忙告訴他。 15那時,以利已經九十八歲,眼睛因為年老而失明。 16報信的人對以利說:「我今天是從戰場逃回來的。」以利問:「我的孩子,情況怎麼樣?」 17報信的答道:「以色列人被非利士人擊潰,傷亡慘重,你的兩個兒子何弗尼非尼哈都死了,上帝的約櫃也被擄走了。」 18以利年老體胖,聽到約櫃被擄去,就從門邊的座位上向後跌倒,頸斷身亡。他做士師審理以色列人的事務共四十年。

19以利的兒媳婦、非尼哈的妻子當時懷孕在身,接近產期。她聽說上帝的約櫃被擄、公公和丈夫都死了,就突然陣痛,生下了孩子。 20在她彌留之際,身旁的婦人對她說:「不要怕,你生了一個男孩。」但她既不理會,也不回答。 21她給孩子取名叫以迦博,意思是:「榮耀離開以色列了」。這是因為上帝的約櫃被擄走,她的公公和丈夫都死了。 22她說:「榮耀離開了以色列,因為上帝的約櫃已經被擄走了。」

Hindi Contemporary Version

1 शमुएल 4:1-22

1शमुएल का वचन सारे इस्राएल राष्ट्र में पहुंच जाता था.

मंजूषा का अपहरण

यह वह समय था, जब इस्राएलियों को फिलिस्तीनियों से युद्ध करने जाना पड़ा. उन्होंने एबेन-एज़र नामक स्थान पर अपनी छावनी डाली तथा फिलिस्तीनियों ने अफेक नामक स्थान पर. 2फिलिस्तीनी इस्राएल के विरुद्ध मोर्चा बांधकर आगे बढ़े और जब युद्ध उग्र हुआ, इस्राएली फिलिस्तीनियों के सामने हार गए. उस समय युद्ध-भूमि में लगभग चार हज़ार इस्राएली मारे गए. 3जब सेना लौटकर छावनी में आई, इस्राएलियों के पुरनियों ने विचार किया, “क्या कारण है कि याहवेह ने आज हमें फिलिस्तीनियों से हार जाने दिया? ऐसा करें, हम शीलो से याहवेह की वाचा का संदूक ले आते हैं. संदूक के हमारे साथ रहने पर फिलिस्तीनी हमें हरा न सकेंगे.”

4तब कुछ लोगों को शीलो नगर भेजा गया कि वे सर्वशक्तिमान याहवेह परमेश्वर जो करूबों के बीच विराजमान हैं, उनकी वाचा के संदूक ले आएं. साथ एली के दो पुत्र होफ़नी और फिनिहास भी आये.

5जब याहवेह की वाचा का संदूक छावनी में पहुंचा, सारे इस्राएलियों ने उल्लास में ऐसा ऊंचा शब्द किया, कि धरती कांप उठी. 6जब फिलिस्तीनियों ने इस हर्षनाद को सुना, वे विचार करने लगे, “इब्रियों की छावनी में यह शोर क्या है?”

जब उन्हें यह अहसास हुआ कि शिविर में याहवेह का संदूक आ गया है, 7फिलिस्तीनी भयभीत हो कहने लगे, “शिविर में कोई देवता उतर आया है.” वे यह भी कहने लगे, “यह एक विपत्ति है हम पर! इसके पहले ऐसा कुछ देखा-सुना नहीं गया. 8विपत्ति है हम पर! किसमें सामर्थ्य है जो हमें इन बलशाली देवताओं से छुड़ा सके? ये ही हैं वे देवता, जिन्होंने मरुभूमि में मिस्रियों पर सब प्रकार की मुसीबतों का प्रहार किया था. 9फिलिस्तीनियों, पुरुषार्थ करो. साहस न छोड़ो. ऐसा न हो कि तुम्हें इब्रियों के दास बनकर रहना पड़े, ठीक जैसे वे तुम्हारे दास बनकर रहे थे. हिम्मत बांधो और युद्ध के लिए तैयार हो जाओ!”

10तब फिलिस्तीनी युद्धरत हो गए. इस्राएल हार गया. हर एक सैनिक ने भागकर अपने तंबू में शरण ली. उस दिन भयंकर नरसंहार हुआ; इस्राएलियों के तीस हज़ार सैनिक धराशयी हो गए. 11परमेश्वर की वाचा के संदूक शत्रुओं द्वारा छीन लिया गया. एली के दोनों पुत्र, होफ़नी और फिनिहास युद्ध में मारे गए.

एली का निधन

12उसी दिन बिन्यामिन वंश का एक व्यक्ति रणभूमि से दौड़ता हुआ शीलो नगर पहुंचा. उसके वस्त्र फट चुके थे तथा उसके सिर पर धूल समाई हुई थी. 13जब वह शीलो नगर पहुंचा, एली मार्ग के किनारे अपने आसन पर बैठे हुए उत्कण्ठापूर्वक मार्ग पर दृष्टि लगाए हुए थे, क्योंकि वह परमेश्वर की मंजूषा के विषय में बहुत चिंतित थे. जब इस व्यक्ति ने सूचना देने के लिए नगर में प्रवेश किया, संपूर्ण नगर में हाहाकार मच गया.

14जब एली ने यह रोने की आवाज सुनी, वह पूछने लगे, “यह कोलाहल क्या है?”

तब वह व्यक्ति तुरंत एली के पास आ गया और उन्हें स्थिति के बारे में बताया, 15इस समय एली की अवस्था अट्ठानवे वर्ष की थी. उनकी आंखें धुंधली हो चुकी थी और वह देख नहीं सकता था. 16उस व्यक्ति ने एली को सूचना दी, “मैं रणभूमि से भागकर आया हूं; मैं आज ही युद्ध से यहां पहुंचा हूं!”

एली ने उससे प्रश्न किया, “मेरे पुत्र, क्या-क्या हुआ है वहां?”

17दूत ने उत्तर दिया, “इस्राएल फिलिस्तीनियों के सामने पीठ दिखाकर भागा है, सेना की भारी हार हुई है, आपके दोनों पुत्र, होफ़नी और फिनिहास मारे गए हैं; परमेश्वर की वाचा का संदूक शत्रु द्वारा छीन लिया गया है.”

18जैसे ही उस व्यक्ति ने परमेश्वर की वाचा के संदूक का उल्लेख किया, एली अपने आसन के पीछे की ओर, द्वार के पास जा गिरे. इससे उनकी गर्दन टूट गई और उनकी मृत्यु हो गई, क्योंकि वह वृद्ध भी थे और भारी भी. वह चालीस वर्षों तक इस्राएल के अगुए रहे.

19उनकी पुत्र-वधू, फिनिहास की पत्नी, गर्भवती थी. उसका प्रसवकाल नज़दीक था. जैसे ही उसने यह सुना कि परमेश्वर की वाचा का संदूक छीन लिया गया है, तथा यह कि उसके ससुर और पति की भी मृत्यु हो चुकी है, उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई; वह झुकी और उसका प्रसव हो गया. मगर प्रसव पीड़ा उसके लिए असहनीय सिद्ध हुई! 20जब उसकी मृत्यु निकट आ रही थी, उसके निकट की स्त्रियों ने उससे कहा, “डरो मत; तुमने एक पुत्र को जन्म दिया है.” मगर उसने न तो उसका कोई उत्तर दिया और न ही इस समाचार पर कोई ध्यान ही दिया.

21उसने अपने पुत्र को इखाबोद4:21 इखाबोद अर्थ महिमा-रहित नाम दिया; उसका कथन था, “महिमा इस्राएल को छोड़कर जा चुकी है.” क्योंकि परमेश्वर का संदूक छीना जा चुका था, तथा उसके ससुर और पति की मृत्यु हो गई थी. 22उसने कहा, “इस्राएल से महिमा उठ चुकी है, क्योंकि परमेश्वर की वाचा के संदूक छीन लिया गया है.”