哥林多後書 12 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

哥林多後書 12:1-21

保羅得到的異象和啟示

1自誇雖然無益,但我不得不繼續誇下去,談談主給我的異象和啟示。 2我知道一位基督徒12·2 此人就是保羅本人,他不願誇耀自己的經歷。在十四年前曾被提到第三層天上,是在肉身之內還是在肉身之外,我不知道,只有上帝知道。 3我認識這個人,是在肉身之內還是在肉身之外,我不知道,只有上帝知道。 4他曾被提到天上的樂園裡,聽見了人不可以言傳的隱祕事。 5我要為這人誇口。至於我自己,我除了誇耀自己的軟弱以外,別無可誇。 6就算我誇口,也不算狂妄,因為我所說的都是實話。只是我不會這樣做,恐怕有人把我看得太高,超過了他對我的所見所聞。

7為了使我不至於因所受的啟示太大而自高,有一根「刺」在我身上,就是有撒旦的爪牙攻擊我,免得我驕傲自大。 8我曾三次祈求主叫這根刺離開我, 9但祂說:「我的恩典足夠你用,因為我的能力在人的軟弱上更顯得全備。」所以,我更喜歡誇耀自己的軟弱,好讓基督的能力蔭庇我。 10因此,為了基督的緣故,我欣然面對軟弱、凌辱、迫害、艱難和困苦,因為我軟弱的時候也正是我剛強的時候。

保羅關懷哥林多人

11我成了「傻瓜」是被你們逼的!你們本該稱許我才對。我雖然算不了什麼,卻沒有一點比不上那些「超級使徒」。 12我在你們中間百般地忍耐,用神蹟、奇事、異能證明自己是使徒。 13你們什麼地方不及其他教會呢?我唯一「虧待」你們的地方就是沒有成為你們的負擔!希望各位原諒我的不公道!

14如今我打算第三次到你們那裡。我不會拖累你們的,因為我想得到的是你們,而不是你們的財物。兒女不必為父母積財,父母理當為兒女積財。 15為了你們的靈魂,我甘願付出,包括自己的生命。難道我越愛你們,就越得不到你們的愛嗎?

16算了!我沒有拖累過你們,但居然有人說我狡猾,用詭計騙你們。 17請問,在我派到你們那裡的人當中,我藉著誰佔過你們的便宜呢? 18我懇求提多去你們那裡,並派弟兄與他同去。難道提多佔過你們的便宜嗎?我們行事為人豈不是心靈相通,步調一致嗎?

19你們一直以為我們是替自己辯白,其實我們這番話是在基督裡、在上帝面前說的。親愛的弟兄姊妹,這一切都是為了造就你們。 20因為我怕到你們那裡的時候,我對你們的期望會落空,而你們對我也大失所望。我怕你們當中有紛爭、嫉妒、惱怒、仇恨、毀謗、閒話、狂傲和混亂。 21我怕再去你們那裡時,我的上帝會使我在你們面前感到羞愧,又怕看到許多從前犯罪、道德敗壞、淫亂放蕩的人仍然不肯悔改,便心裡悲傷。

Hindi Contemporary Version

2 कोरिंथ 12:1-21

पौलॉस का ईश्वरीय दर्शन तथा उनका कांटा

1अपनी बड़ाई करना मेरे लिए ज़रूरी हो गया है—हालांकि इसमें कोई भी लाभ नहीं है—इसलिये मैं प्रभु के द्वारा दिए गए दर्शनों तथा दिव्य प्रकाशनों के वर्णन की ओर बढ़ रहा हूं. 2मैं एक ऐसे व्यक्ति को, जो मसीह का विश्वासी है, जानता हूं. चौदह वर्ष पहले यह व्यक्ति तीसरे स्वर्ग तक उठा लिया गया—शरीर के साथ या बिना शरीर के, मुझे मालूम नहीं—यह परमेश्वर ही जानते हैं. 3मैं जानता हूं कैसे यही व्यक्ति—शरीर के साथ या बिना शरीर के, मुझे मालूम नहीं—यह परमेश्वर ही जानते हैं; 4स्वर्ग में उठा लिया गया. वहां उसने वे अवर्णनीय वचन सुने, जिनका वर्णन करना किसी भी मनुष्य के लिए संभव नहीं है. 5इसी व्यक्ति की ओर से मैं गर्व करूंगा—स्वयं अपने विषय में नहीं—सिवाय अपनी कमज़ोरियों के. 6वैसे भी यदि मैं अपनी बड़ाई करने ही लगूं तो इसे मेरी मूर्खता नहीं माना जा सकेगा क्योंकि वह सत्य वर्णन होगा. किंतु मैं यह भी नहीं करूंगा कि कोई भी मेरे स्वभाव, मेरे वर्णन से प्रभावित हो मुझे मेरे कथन अथवा करनी से अधिक श्रेय देने लगे. 7मेरे अद्भुत प्रकाशनों की श्रेष्ठता के कारण मुझे अपनी बड़ाई करने से रोकने के उद्देश्य से मेरे शरीर में एक कांटा लगाया गया है—मुझे कष्ट देते रहने के लिए शैतान का एक अपदूत—कि मैं अपनी बड़ाई न करूं. 8इसके उपाय के लिए मैंने तीन बार प्रभु से गिड़गिड़ाकर विनती की. 9प्रभु का उत्तर था: “कमज़ोरी में मेरा सामर्थ्य सिद्ध हो जाता है इसलिये तुम्हारे लिए मेरा अनुग्रह ही काफ़ी है.” इसके प्रकाश में मैं बड़े हर्ष के साथ अपनी कमज़ोरियों के विषय में गर्व करूंगा कि मेरे द्वारा प्रभु मसीह का सामर्थ्य सक्रिय हो जाए. 10मसीह के लिए मैं कमज़ोरियों, अपमानों, कष्टों, उत्पीड़नों तथा कठिनाइयों में पूरी तरह संतुष्ट हूं क्योंकि जब कभी मैं दुर्बल होता हूं, तभी मैं बलवंत होता हूं.

कोरिन्थॉस के विश्वासियों के लिए पौलॉस की हितचिंता

11यह करते हुए मैंने स्वयं को मूर्ख बना लिया है. तुमने ही मुझे इसके लिए मजबूर किया है. होना तो यह था कि तुम मेरी प्रशंसा करते. यद्यपि मैं तुच्छ हूं फिर भी मैं उन बड़े-बड़े प्रेरितों की तुलना में कम नहीं हूं. 12मैंने तुम्हारे बीच रहते हुए प्रेरिताई प्रमाण स्वरूप धीरज, चमत्कार चिह्न, अद्भुत काम तथा सामर्थ्य भरे काम दिखाए. 13भला तुम किस क्षेत्र में अन्य कलीसियाओं की तुलना में कम रहे, सिवाय इसके कि मैं कभी भी तुम्हारे लिए बोझ नहीं बना? क्षमा कर दो. मुझसे भूल हो गई.

14मैं तीसरी बार वहां आने के लिए तैयार हूं. मैं तुम्हारे लिए बोझ नहीं बनूंगा. मेरी रुचि तुम्हारी संपत्ति में नहीं, स्वयं तुममें है. संतान से यह आशा नहीं की जाती कि वे माता-पिता के लिए कमाएं—संतान के लिए माता-पिता कमाते हैं. 15तुम्हारी आत्माओं के भले के लिए मैं निश्चित ही अपना सब कुछ तथा खुद को खर्च करने के लिए तैयार हूं. क्या तुम्हें बढ़कर प्रेम करने का बदला तुम मुझे कम प्रेम करने के द्वारा दोगे? 16कुछ भी हो, मैं तुम पर बोझ नहीं बना. फिर भी कोई न कोई मुझ पर यह दोष ज़रूर लगा सकता है, “बड़ा धूर्त है वह! छल कर गया है तुमसे!” 17क्या वास्तव में इन व्यक्तियों को तुम्हारे पास भेजकर मैंने तुम्हारा गलत फायदा उठाया है? 18तीतॉस को तुम्हारे पास भेजने की विनती मैंने की थी. उसके साथ अपने इस भाई को भी मैंने ही भेजा था. क्या तीतॉस ने तुम्हारा गलत फायदा उठाया? क्या हमारा स्वभाव एक ही भाव से प्रेरित न था? क्या हम उन्हीं पद-चिह्नों पर न चले?

19यह संभव है तुम अपने मन में यह विचार कर रहे हो कि हम यह सब अपने बचाव में कह रहे हैं. प्रिय मित्रो, हम यह सब परमेश्वर के सामने मसीह येशु में तुम्हें उन्‍नत करने के उद्देश्य से कह रहे हैं. 20मुझे यह डर है कि मेरे वहां आने पर मैं तुम्हें अपनी उम्मीद के अनुसार न पाऊं और तुम भी मुझे अपनी उम्मीद के अनुसार न पाओ. मुझे डर है कि वहां झगड़ा, जलन, क्रोध, उदासी, बदनामी, बकवाद, अहंकार तथा उपद्रव पाऊं! 21मुझे डर है कि मेरे वहां दोबारा आने पर कहीं मेरे परमेश्वर तुम्हारे सामने मेरी प्रतिष्ठा भंग न कर दें और मुझे तुममें से अनेक के अतीत में किए गए पापों तथा उनके अशुद्धता, गैर-कानूनी तथा कामुकता भरे स्वभाव के लिए पश्चाताप न करने के कारण शोक करना पड़े.