列王紀上 2 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

列王紀上 2:1-46

大衛對所羅門的叮囑

1大衛臨終時,叮囑他兒子所羅門說: 2「我要走世人都必走的那條路了。你要剛強,做大丈夫。 3你要遵從你的上帝耶和華的話,遵行祂的道,照摩西的律法遵守上帝的律例、誡命、典章和法度。這樣,你無論做什麼、去哪裡都必亨通, 4耶和華必履行給我的應許,祂對我說,『如果你的子孫謹慎自守,忠心地事奉我,你的王朝必世代相傳。』

5「你知道洗魯雅的兒子約押怎樣對我,他殺了以色列的兩名元帥——尼珥的兒子押尼珥益帖的兒子亞瑪撒。他在太平的時候把他們當作戰場的敵手殺害,腰帶和鞋子上沾滿了他們的血。 6你要用智慧處置他,不可讓他安享天年。

7「你要恩待基列巴西萊的眾子,讓他們成為你的座上賓,因為我逃避你哥哥押沙龍的時候,他們曾接待我。

8「別放過巴戶琳便雅憫基拉的兒子示每。我逃亡到瑪哈念的時候,他曾用惡毒的話咒罵我。後來他到約旦河迎接我的時候,我曾憑耶和華起誓不殺他。 9但你不要放過他。你是個聰明人,應該知道怎樣處置他。你要讓他白頭落地,不得善終。」

10大衛與祖先同眠後,葬在大衛城。 11他做以色列王四十年,在希伯崙做王七年,在耶路撒冷做王三十三年。 12所羅門繼承大衛的王位,國勢強盛。

所羅門鞏固王位

13一天,哈姬的兒子亞多尼雅來見所羅門的母親拔示芭拔示芭問他:「你是為平安而來嗎?」亞多尼雅說:「是為平安而來。」 14又說:「我有事稟告。」拔示芭說:「你說吧。」 15亞多尼雅說:「你知道,王位本該是我的,整個以色列原指望我做王。不料,王位歸了我兄弟,因為這是上帝的旨意。 16現在我有一個請求,請你不要推辭。」拔示芭說:「你說吧。」 17他說:「請你求所羅門王將那書念女子雅比莎賜我為妻,他不會拒絕你。」 18拔示芭說:「好吧,我會為你向王請求。」

19拔示芭就為亞多尼雅的事去見所羅門王,王離座迎接,向她下拜,然後坐回位上,命人在自己右邊為她擺設座位。 20拔示芭說:「我有一件小事求你,請你不要推辭。」王說:「母親請說,我必不推辭。」 21拔示芭說:「請將書念女子雅比莎賜給你哥哥亞多尼雅為妻。」

22所羅門王回答說:「為何只為亞多尼雅書念女子雅比莎呢?你也為他求整個國家吧!他是我哥哥,又有亞比亞他祭司和洗魯雅的兒子約押支持。」 23所羅門王就憑耶和華起誓說:「亞多尼雅若不為他這樣的要求付出性命,願上帝重重地懲罰我。 24耶和華讓我穩穩地坐在父親大衛的寶座上,照祂的應許為我建立了王朝,我憑永活的耶和華起誓,亞多尼雅今天必被處死。」 25於是,所羅門王命令耶何耶大的兒子比拿雅殺死亞多尼雅

26王對亞比亞他祭司說:「你回亞拿突的老家去吧。你本是該死的,但我念你在我父大衛面前抬過主耶和華的約櫃,曾經與我父親患難與共,才饒你一命。」 27所羅門就罷免了亞比亞他的職位,不許他再做耶和華的祭司。這事應驗了耶和華在示羅所說的有關以利家的預言。

28約押雖然沒有支持押沙龍,但卻支持了亞多尼雅。他聽見風聲,就逃進聖幕,抓住祭壇的角。 29有人把這消息告訴所羅門王,說約押已經逃進聖幕,躲在祭壇旁邊。所羅門就派耶何耶大的兒子比拿雅去殺他。 30比拿雅來到耶和華的聖幕,對約押說:「王吩咐你出來!」約押卻回答說:「不,我要死在這裡。」比拿雅回去稟告王。

31王說:「你就照他的話成全他吧,你要埋葬他,把他濫殺無辜的罪從我和我父親家清除。 32耶和華要讓他血債血還。因為他背著我父親殺了兩名比他良善正直的人,即尼珥的兒子以色列元帥押尼珥益帖的兒子猶大元帥亞瑪撒33所以,殺這二人的血債必永遠歸到約押和他後代身上。願耶和華的平安永遠伴隨大衛和他的後代、他的家、他的國。」 34耶何耶大的兒子比拿雅就去把約押殺死,葬在曠野約押自己的墓地。 35王委派耶何耶大的兒子比拿雅替代約押為元帥,命撒督祭司代替亞比亞他

36王又派人將示每召來,對他說:「你要在耶路撒冷建屋居住,不得出城去其他地方。 37你哪天越過汲淪溪,哪天必死無疑,你的死是咎由自取。」 38示每說:「好,僕人必照我主我王說的做。」示每就一直住在耶路撒冷39過了三年,示每的兩個僕人逃到迦特瑪迦的兒子亞吉那裡。示每知道後, 40就備上驢到迦特亞吉那裡找他的僕人,並把他們帶了回來。

41所羅門聽說示每耶路撒冷前往迦特,已經返回, 42就派人召來示每,問道:「我不是叫你憑耶和華起誓不離開耶路撒冷嗎?我警告過你,你哪天離開這裡,哪天必死無疑。當時你也同意。 43現在你為何不守你向耶和華起的誓,不遵行我的命令?」 44王又說:「你以前如何惡待我父大衛,你自己心裡明白,現在耶和華要追究你的罪行了。 45所羅門王必蒙祝福,大衛的王位在耶和華面前必永遠穩固。」

46於是,王命令耶何耶大的兒子比拿雅殺死示每。這樣所羅門的江山得以穩固。

Hindi Contemporary Version

1 राजा 2:1-46

शलोमोन के लिए दावीद के निर्देश

1जब दावीद की मृत्यु का समय निकट आया, उन्होंने अपने पुत्र शलोमोन को ये आदेश दिए:

2“संसार की रीति के अनुसार मैं जा रहा हूं, तुम्हें मजबूत होना होगा और तुम्हें पुरुषार्थ दिखाना होगा. 3परमेश्वर के नियमों के पालन की जो जवाबदारी याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें सौंपी है—उनके नियमों का पालन करने का, उनकी विधियों का पालन करने का, उनकी आज्ञा, चितौनियों और गवाहियों का पालन करने का, जैसा कि मोशेह की व्यवस्था में लिखा है; कि तुम्हारा हर एक काम जिसमें तुम लगे होते हो, चाहे वह कैसा भी काम हो; करते हो, समृद्ध हो जाओ; 4जिससे याहवेह मेरे बारे में ली गई अपनी इस शपथ को पूरा कर सकें: ‘यदि तुम्हारे पुत्रों का व्यवहार मेरे सामने उनके पूरे हृदय और प्राण से सच्चा रहेगा, इस्राएल के सिंहासन पर बैठने के लिए तुम्हें कभी कमी न होगी.’

5“इसके अलावा तुम्हें यह भी मालूम है कि ज़ेरुइयाह के पुत्र योआब ने मेरे साथ कैसा गलत व्यवहार किया था—उसने इस्राएल की सेना के दो सेनापतियों—नेर के पुत्र अबनेर और येथेर के पुत्र अमासा की किस प्रकार हत्या की थी. उसने मेल के समय में भी युद्ध के समान लहू बहाया था. ऐसा करके उसने अपने कमरबंध को और अपने जूतों को लहू से भिगो दिया. 6अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल करो और ध्यान रहे कि उसके लिए वह इस बुढ़ापे में पहुंचकर शांति से अधोलोक में प्रवेश न कर सके.

7“मगर गिलआदवासी बारज़िल्लई की संतान पर विशेष दया दिखाते रहना. ऐसा करना कि वे भोजन के लिए तुम्हारे साथ बैठा करें; क्योंकि जब मैं तुम्हारे भाई अबशालोम से छिपता हुआ भाग रहा था, उन्होंने मेरी बड़ी सहायता की थी.

8“यह न भूलना कि इस समय तुम्हें बहुरीम के रहनेवाले बिन्यामिन वंशज गेरा के पुत्र शिमेई के बारे में भी निर्णय लेना है. जब मैं माहानाईम की ओर बढ़ रहा था, उसने मुझे कड़े शाप दिए थे. मगर जब मैं लौट रहा था, वह मुझसे मिलने यरदन नदी के किनारे तक आया था. मैंने जीवित याहवेह की शपथ लेकर उसे आश्वासन दिया, ‘मेरी तलवार उस पर कभी न उठेगी.’ 9अब उसे दंड देने में ढिलाई न करना. तुम बुद्धिमान व्यक्ति हो, तुम्हें पता है कि सही क्या होगा. उसके बूढ़े शरीर को बिना लहू बहाए अधोलोक में उतरने न देना.”

10इसके बाद दावीद अपने पूर्वजों में जा मिले. उन्हें उन्हीं के नगर की कब्र में रख दिया गया. 11इस्राएल पर दावीद के शासन की अवधि चालीस साल थी. उन्होंने हेब्रोन में सात साल और येरूशलेम में तैंतीस साल शासन किया. 12शलोमोन अपने पिता दावीद के राज सिंहासन पर बैठे. उनका शासन इस समय बहुत बढ़िया तरीके से दृढ़ हो चुका था.

शलोमोन का सिंहासन स्थापित होता

13एक दिन हेग्गीथ का पुत्र अदोनियाह शलोमोन की माता बैथशेबा से मिलने आया. बथशेबा ने उससे पूछा, “सब कुशल तो है न?”

“जी हां, जी हां, सब कुशल है.” उसने उत्तर दिया. 14उसने आगे कहना शुरू किया, “मुझे आपसे एक विनती करनी है.”

बैथशेबा ने उत्तर दिया, “हां, कहो.”

15तब उसने कहा, “आपको तो इस बात का पता है ही कि वास्तव में यह राज्य मेरा था—पूरे इस्राएल की उम्मीद मुझसे ही थी. फिर पासा पलट गया और राज्य मेरे भाई का हो गया; क्योंकि यह याहवेह द्वारा उसी के लिए पहले से तय किया गया था. 16अब मैं आपसे सिर्फ एक विनती कर रहा हूं: कृपया मना न कीजिएगा.”

बैथशेबा ने उससे कहा, “हां, कहो.”

17अदोनियाह ने कहना शुरू किया, “आप कृपया राजा शलोमोन से विनती करें कि वह मुझे शूनामी अबीशाग से विवाह करने की अनुमति दे दें; वह आपका कहना नहीं टालेंगे.”

18“ठीक है!” बैथशेबा ने उत्तर दिया, “तुम्हारी यह विनती मैं महाराज तक ज़रूर पहुंचा दूंगी.”

19तब बैथशेबा अदोनियाह के इस विषय को लेकर राजा शलोमोन के सामने गई. उन्हें देखकर राजा उठ खड़े हुए, और उनसे मिलने के पहले झुककर उन्हें नमस्कार किया. फिर वह अपने सिंहासन पर बैठ गए, उन्होंने आदेश दिया कि एक आसन उनकी माता के लिए लाया जाए. बैथशेबा उनके दाईं ओर उस आसन पर बैठ गईं.

20बैथशेबा ने अपनी बात कहनी शुरू की, “मैं तुमसे एक छोटी सी विनती कर रही हूं; कृपया मना न करना.”

“मेरी माता, आप कहिए तो! मैं मना नहीं करूंगा.” राजा ने उन्हें आश्वासन दिया.

21तब बैथशेबा ने आगे कहा, “अपने भाई अदोनियाह को शूनामी अबीशाग से विवाह करने की अनुमति दे दो.”

22राजा शलोमोन ने अपनी माता को उत्तर दिया, “मां, आप अदोनियाह के लिए सिर्फ शूनामी अबीशाग की ही विनती क्यों कर रही हैं? आप तो उसके लिए पूरा राज्य ही मांग सकती थी; वह तो मेरा बड़ा भाई है. ऐसी ही विनती आप पुरोहित अबीयाथर और ज़ेरुइयाह के पुत्र योआब के लिए भी कर सकती हैं!”

23तब राजा शलोमोन ने याहवेह की शपथ लेते हुए कहा, “परमेश्वर मेरे साथ ऐसा ही, बल्कि इससे भी कहीं अधिक करें, यदि अदोनियाह अपनी इस बात का मूल्य अपने प्राणों से न चुकाए. 24क्योंकि जीवित याहवेह ने ही मुझे मेरे पिता दावीद के सिंहासन पर बैठाया है, उन्हीं ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार मुझे राजवंश दिया है. यह तय है कि आज ही अदोनियाह को प्राण-दंड दिया जाएगा.” 25राजा शलोमोन ने यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह को यह जवाबदारी सौंपी, और उसके वार से अदोनियाह की मृत्यु हो गई.

26इसके बाद राजा ने पुरोहित अबीयाथर से कहा, “आप अनाथोथ चले जाइए, जहां आपकी पैतृक संपत्ति है. सही तो यह था कि आपको मृत्यु दंड दिया जाता, मगर इस समय मैं आपकी हत्या नहीं करूंगा, क्योंकि आपने मेरे पिता दावीद के सामने प्रभु याहवेह की वाचा के संदूक को उठाया था, साथ ही आप मेरे पिता के बुरे समय में उनके साथ बने रहे.” 27यह कहते हुए शलोमोन ने अबीयाथर को याहवेह के पुरोहित के पद से हटा दिया, कि याहवेह का वह कहा हुआ वचन पूरा हो जाए, जो उन्होंने शीलो में एली के वंश के संबंध में कहा था.

28जब योआब को इसकी ख़बर मिली, वह दौड़कर याहवेह के मिलनवाले तंबू में जा पहुंचा, और उसने जाकर वेदी के सींग पकड़ लिए. ज़ाहिर है कि योआब अदोनियाह के पक्ष में था; हालांकि अबशालोम के पक्ष में नहीं. 29जब राजा शलोमोन को यह बताया गया, योआब याहवेह के मिलनवाले तंबू को भाग गया है, और वह इस समय वेदी पर है, तो शलोमोन ने यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह को आदेश दिया, “जाओ, उसे वहीं खत्म कर दो!”

30बेनाइयाह ने याहवेह के मिलनवाले तंबू के पास जाकर योआब से कहा, “यह महाराज का आदेश है, ‘आप मिलनवाले तंबू से बाहर आइए!’ ”

किंतु योआब ने उत्तर दिया, “नहीं, मैं यहीं अपने प्राण दे दूंगा.”

बेनायाह ने इसकी सूचना राजा को दे दी, “योआब ऐसा कर रहे हैं, और उन्होंने मुझे यह उत्तर दिया है.”

31राजा ने बेनायाह को उत्तर दिया, “वही करो, जैसा वह चाह रहा है. उसे खत्म करो, और उसका अंतिम संस्कार भी कर देना. यह करने के द्वारा तुम मेरे पिता के वंश और मुझ पर उस सारे बहाए गए लहू का दोष दूर कर दोगे, जो योआब द्वारा बेकार ही बहाया गया था. 32याहवेह ही उन सभी कुकर्मों को उसके सिर पर ला छोड़ेंगे; क्योंकि उसने बिना मेरे पिता के जाने, अपने से कहीं अधिक भले और सुयोग्य व्यक्तियों की तलवार से हत्या की, नेर के पुत्र अबनेर की, जो इस्राएल की सेना के सेनापति थे, और येथेर के पुत्र अमासा की, जो यहूदिया की सेना के सेनापति थे. 33तब उन दोनों की हत्या का दोष लौटकर योआब और उनके वंशजों पर हमेशा के लिए आता रहेगा; मगर दावीद, उनके वंशजों, उनके परिवार और सिंहासन पर याहवेह के द्वारा दी गई शांति हमेशा बनी रहे.”

34तब यहोयादा का पुत्र बेनाइयाह भीतर गया, और योआब पर वार कर उसका वध कर दिया, और उसे बंजर भूमि के पास उसके घर पर उसका अंतिम संस्कार कर दिया. 35राजा ने यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह को योआब की जगह पर सेनापति और अबीयाथर के स्थान पर सादोक को पुरोहित बना दिया.

36इसके बाद राजा ने शिमेई को बुलवाया और उसे आदेश दिया, “येरूशलेम में अपने लिए घर बनाइए और उसी में रहिए. ध्यान रहे कि आप यहां से और कहीं न जाएं, 37क्योंकि जिस दिन आप बाहर निकलेंगे, और किद्रोन घाटी पार करेंगे यह समझ लीजिए कि उस दिन आपकी मृत्यु तय होगी, और इसका दोष आपके ही सिर पर होगा.”

38शिमेई ने राजा को उत्तर दिया, “महाराज, मेरे स्वामी द्वारा दिए गए निर्देश सही ही हैं. जो कुछ महाराज, मेरे स्वामी ने कहा है, आपका सेवक उसका पालन ज़रूर करेगा.” तब शिमेई येरूशलेम में लंबे समय तक रहता रहा.

39तीन साल खत्म होते-होते शिमेई के दो सेवक भागकर गाथ के राजा माकाह के पुत्र आकीश के पास चले गए. शिमेई को यह सूचना दी गई: “सुनिए, आपके सेवक इस समय गाथ में हैं.” 40यह सुन शिमेई ने अपने गधे पर काठी कसी और गाथ के लिए निकल गया, कि आकीश के यहां जाकर अपने सेवकों को खोज सके. शिमेई वहां से अपने सेवकों को लेकर येरूशलेम लौट आया.

41शलोमोन को इस बात की सूचना दे दी गई कि शिमेई येरूशलेम से गाथ गया था और अब वह लौट चुका है. 42यह सुनकर राजा शिमेई को बुलाने का आदेश दिया. राजा ने शिमेई से प्रश्न किया, “क्या मैंने बड़ी गंभीरता से आपसे याहवेह की शपथ लेकर यह चेतावनी न दी थी, ‘जिस दिन आप येरूशलेम से बाहर निकलें, यह समझ लीजिए कि आपकी मृत्यु तय होगी’? जिसके उत्तर में आपने ही कहा था, ‘महाराज, मेरे स्वामी द्वारा दिए गए निर्देश सही ही हैं.’ 43इतना होने पर भी आपने याहवेह के सामने ली गई शपथ का सम्मान और मेरे आदेश का पालन क्यों नहीं किया?”

44राजा ने शिमेई से यह भी कहा, “आपको उन सारे बुरे व्यवहारों और गलतियों का अहसास है, जो आपने मेरे पिता दावीद के साथ की थी; इसलिये याहवेह आपके द्वारा किए गए इन दुरव्यवहारों को आपके ही ऊपर लौटा ले आएंगे. 45मगर राजा शलोमोन धन्य रहेंगे और दावीद का सिंहासन याहवेह के सामने हमेशा के लिए बना रहेगा.”

46राजा ने यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह को आदेश दिया, और उसने बाहर जाकर शिमाई पर ऐसा वार किया कि उसके प्राणपखेरु उड़ गए.

इस प्रकार शलोमोन के हाथों में आया राज्य दृढ़ हो गया.