但以理書 4 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

但以理書 4:1-37

尼布甲尼撒的第二個夢

1尼布甲尼撒王傳諭天下各族、各邦、各語種的人:「願你們大享平安! 2我樂意向你們述說至高的上帝對我所行的神蹟奇事。

3「祂的神蹟何其偉大!

祂的奇事何其可畏!

祂的國度永遠長存,

祂的統治直到萬代。

4「我尼布甲尼撒安居在家,在宮中享受榮華。 5但我做了一個夢,令我害怕。我躺在床上的時候,腦中出現的情景和異象使我恐懼。 6我便召巴比倫所有的智者來為我解夢。 7術士、巫師、占星家和占卜者都來了,我將夢告訴他們,他們卻不能給我解夢。 8最後但以理來到我面前,他又名伯提沙撒——取自我神明的名,他有聖潔神明的靈。我將夢告訴他,說, 9『術士的首領伯提沙撒啊,我知道你有聖潔神明的靈,任何奧秘都難不倒你。請你為我解釋我夢中所見的異象。

10「『以下是我躺在床上時腦中出現的異象:我看見大地中央有棵非常高大的樹。 11這樹長得蒼勁有力,高可參天,從地極都能看見。 12它的葉子美麗,果實纍纍,可作眾生的食物。野獸在它的蔭下躺臥,飛鳥在它的枝頭棲息,一切生靈都從它那裡得到食物。

13「『我躺在床上時腦中出現了異象,我看見一位聖潔的守望者從天而降。 14他大聲說,砍倒那棵樹,削掉它的枝子,剝光它的葉子,拋散它的果子,使野獸逃離樹下,飛鳥離開枝頭。 15但把樹丕留在地裡,用鐵環和銅環箍住他留在野地的青草中,讓他被天上的露水浸濕,與野獸一起吃草。 16要改變他的人心,給他一個獸心,達七年之久。 17這是守望者的命令,是聖者的決定,要讓眾生知道至高者主宰世上萬國,祂要把國賜給誰就賜給誰,即使是最卑微的人。』

18「這就是我尼布甲尼撒王所做的夢。伯提沙撒啊,你要為我解夢,因為我國中所有的智者都不能為我解夢。但是你能,因為你有聖潔神明的靈。」

但以理解夢

19但以理,又名伯提沙撒,一時非常驚訝,惶恐不安。王說:「伯提沙撒啊,不要因為這夢和夢的意思而惶恐不安。」伯提沙撒回答說:「我主啊,願這夢發生在恨你的人身上,夢的意思應驗在你的仇敵身上。 20你夢見的樹蒼勁有力,高可參天,從地極都能看見。 21它的葉子美麗,果實纍纍,可作眾生的食物。野獸住在它的蔭下,飛鳥宿在它的枝頭。 22王啊,這蒼勁有力的樹就是你,你的威名高達穹蒼,你的權柄延至地極。 23王看見聖潔的守望者從天而降,說,『將這樹砍倒、毀滅,但把樹丕用鐵環和銅環箍住留在野地的青草中,讓他被天上的露水浸濕,與野獸一起吃草,達七年之久。』

24「王啊,以下是夢的意思,是至高者裁定要臨到我主我王的事: 25你必從人群中被趕走,與野獸同住,像牛一樣吃草,被天上的露水浸濕,達七年之久,直到你知道至高者主宰世上萬國,祂要把國賜給誰就賜給誰。 26守望者命令留下樹丕,表示等到你承認上天掌權後,你將重掌國權。 27王啊,請接受我的勸諫,你要秉公行義,以斷絕罪惡;憐憫窮人,以除掉罪過。這樣,你的國運也許可以延續。」

夢兆應驗

28這一切事果然發生在尼布甲尼撒王身上。 29十二個月後,他在巴比倫王宮的屋頂散步時, 30說:「這宏偉的巴比倫豈不是我用大能建立為京都,以顯我的威嚴和榮耀嗎?」 31話未說完,天上就有聲音說:「尼布甲尼撒王啊,你聽著,你已失去王權。 32你必從人群中被趕走,與野獸同住,像牛一樣吃草,達七年之久,直到你知道至高者主宰世上萬國,祂要把國賜給誰就賜給誰。」 33這話立刻應驗在尼布甲尼撒身上。他從人群中被趕走,像牛一樣吃草,身體被天上的露水浸濕,直到他的頭髮長如鷹毛,指甲長如鳥爪。

34「七年後,我尼布甲尼撒舉目望天,恢復了神智,便稱頌至高者,讚美、尊崇永活者。

「祂的統治永無窮盡,

祂的國度直到萬代。

35世人都微不足道,

祂在天軍和世人中獨行其道,

無人能攔阻祂的手,

或質問祂的作為。

36「那時,我恢復了神智,也恢復了我的威嚴和榮耀,重現我國度的輝煌。我的謀士和大臣都來朝見我,我重掌國權,勢力比以前更大。 37現在我尼布甲尼撒頌讚、尊崇、敬奉天上的王,因為祂的作為公正,祂行事公平,能夠貶抑行為驕傲的人。」

Hindi Contemporary Version

दानिएल 4:1-37

नबूकदनेज्ज़र का एक पेड़ का स्वप्न

1राजा नबूकदनेज्ज़र की ओर से,

सारी पृथ्वी पर रहनेवाले जाति-जाति और हर भाषा के लोगों को यह वचन:

आप सब की बहुत उन्‍नति हो!

2सर्वोच्च परमेश्वर द्वारा मेरे लिये किए गए उन अद्भुत चिन्हों और आश्चर्य कर्मों के बारे में तुम्हें बताते हुए मुझे खुशी हो रही है.

3क्या ही बड़े हैं उसके दिखाए चिन्ह,

क्या ही महान हैं उसके आश्चर्यकर्म!

उसका राज्य एक सदाकाल का राज्य है;

उसकी प्रभुता पीढ़ी-पीढ़ी तक बनी रहती है.

4मैं, नबूकदनेज्ज़र अपने महल में संतुष्ट और सम्पन्‍न था. 5मैंने एक स्वप्न देखा, जिससे मैं भयभीत हो गया. जब मैं अपने पलंग पर लेटा हुआ था, तो जो चित्र और दर्शन मेरे मन में आये, उनसे मैं भयभीत हो गया. 6इसलिये मैंने आज्ञा दी कि बाबेल के सारे बुद्धिमान लोग मेरे सामने लाए जाएं कि वे मेरे स्वप्न का अर्थ बताएं. 7जब जादूगर, टोन्हे, तांत्रिक, ज्योतिषी और दैवीय शक्तिवाले मेरे पास आये, तो मैंने उन्हें अपना स्वप्न बताया, पर वे मुझको उसका अर्थ नहीं बता सके. 8आखिर में, दानिएल मेरे सामने आया और मैंने उसे अपना स्वप्न बताया. (उसका नाम मेरे देवता के नाम से बैलशत्सर रखा गया है, और पवित्र देवताओं की आत्मा उसमें है.)

9मैंने कहा, “हे बैलशत्सर, जादूगरों का मुखिया, मैं जानता हूं कि पवित्र देवताओं की आत्मा तुममें है और कोई भी रहस्य तुम्हारे लिये कठिन नहीं है. यह मेरा स्वप्न है; मुझे इसका अर्थ बताओ. 10ये वे दर्शन हैं जिन्हें मैंने पलंग पर लेटे हुए देखा: मैंने देखा कि पृथ्वी के बीच एक पेड़ लगा है. वह बहुत ऊंचा था. 11वह पेड़ बड़ा होकर मजबूत हो गया और इसका सिरा आकाश को छूने लगा; इसे सारी पृथ्वी के छोर से भी देखा जा सकता था. 12इसकी पत्तियां सुंदर थी और इसमें बहुत सारे फल लगे थे, और इसमें सबके लिये भोजन था. इसके नीचे जंगली जानवर रहते थे, और आकाश के पक्षी इसकी शाखाओं पर बसेरा करते थे; इसमें से हर एक जीव-जन्तु भोजन पाते थे.

13“पलंग पर लेटे हुए मैंने दर्शन में देखा कि स्वर्ग से एक पवित्र जन, एक संदेशवाहक नीचे आ रहा था. 14उसने ऊंची आवाज में कहा: ‘काट डालो इस पेड़ को और इसकी शाखाओं को अलग कर दो; इसकी पत्तियों को गिरा दो और इसके फल को बिखरा दो. जानवर इसके नीचे से भाग जाएं और चिड़िया इसकी शाखाओं से उड़ जाएं. 15पर पेड़ के ठूंठ और इसकी जड़ों को लोहे और कांसा से बंधे रहकर ज़मीन के घास पर, भूमि में रहने दो.

“ ‘उसे आकाश की ओस से भीगने दो, और उसे पृथ्वी के पौधों के बीच जानवरों के साथ रहने दो. 16उसका मन बदल दिया जाए और एक मनुष्य के समान उसका मन न रहे और उसे सात कालखण्ड4:16 कालखण्ड अर्थात् साल बीतने तक एक जानवर का मन दिया जाए.

17“ ‘इस निर्णय का ऐलान संदेशवाहकों के द्वारा किया जाता है, पवित्र जन इस निर्णय की घोषणा करते हैं, ताकि जीवित लोग इस बात को जानें कि वह जो सर्वोच्च हैं, वे ही पृथ्वी पर सब राज्यों के ऊपर परम प्रधान हैं और वे जिसे चाहते हैं, उसे उन राज्यों को दे देते हैं और छोटे से छोटे व्यक्ति को उनके ऊपर नियुक्त कर देते हैं.’

18“यही है वह स्वप्न जिसे मैं, राजा नबूकदनेज्ज़र ने देखा. अब, हे बैलशत्सर, मुझे बताओ कि इसका क्या अर्थ है, क्योंकि मेरे राज्य का कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति मुझे इसका अर्थ नहीं बता सकता. पर तुम बता सकते हो, क्योंकि तुममें पवित्र देवताओं की आत्मा है.”

दानिएल स्वप्न का अर्थ बताता है

19तब दानिएल (जिसे बैलशत्सर भी कहा जाता था) थोड़ी देर के लिये व्याकुल हो गया, और उसके विचार उसे भयभीत करने लगे. इसलिये राजा ने कहा, “हे बैलशत्सर, मेरे स्वप्न या इसके अर्थ से भयभीत न हो.”

बैलशत्सर ने उत्तर दिया, “हे मेरे प्रभु, काश, यह स्वप्न सिर्फ आपके शत्रुओं और इसका अर्थ आपके विरोधियों पर लागू होता! 20वह पेड़ जिसे आपने देखा, जो बड़ा होकर मजबूत हो गया, जिसका सिरा आकाश को छूने लगा था, और जिसे सारी पृथ्वी से देखा जा सकता था, 21जिसकी पत्तियां सुंदर और जिसमें बहुत सारे फल थे, जिससे सबको भोजन मिलता था, जो जंगली जानवरों को आश्रय देता था, और चिड़ियां जिसकी शाखाओं पर घोंसला बनाती थीं— 22हे महाराज, वह पेड़ आप हैं! आप बड़े और मजबूत हो गये हैं; आपकी महानता इतनी हो गई है कि यह आकाश को छूने लगी है, और आपका राज्य पृथ्वी में दूर-दूर तक फैल गया है.

23“हे महाराज, आपने एक पवित्र जन, एक संदेशवाहक को स्वर्ग से नीचे उतरते हुए देखा जो यह कह रहा था, ‘इस पेड़ को काट डालो और इसे नष्ट कर दो, पर इसके ठूंठ को, लोहा और कांसा से बंधे हुए ज़मीन के घांस में रहने दो तथा इसके जड़ों को भूमि में छोड़ दो. उसे आकाश की ओस से भीगने दो; उसे जंगली जानवरों के साथ रहने दो, जब तक कि उसके लिये सात कालखण्ड पूरे न हो जाएं.’

24“हे महाराज, यह उसका अर्थ है, और यह वह फैसला है, जिसे सर्वोच्च परमेश्वर ने मेरे प्रभु राजा के विरुद्ध दिया है: 25आपको लोगों के बीच से भगा दिया जाएगा और आप जंगली जानवरों के साथ रहेंगे; आप बैल की तरह घांस खाएंगे और आकाश की ओस से भीगेंगे. सात कालखण्ड के बीतने तक आप इसी स्थिति में रहेंगे, और तब आप यह मान लेंगे कि पृथ्वी पर सारे राज्यों के ऊपर सर्वोच्च परमेश्वर ही परम प्रधान हैं और वे जिसे चाहते हैं उसे ये राज्य दे देते हैं. 26पेड़ के ठूंठ को इसके जड़ों सहित छोड़ने की जो आज्ञा दी गई है, उसका अर्थ यह है कि आपको आपका राज्य लौटा दिया जाएगा, जब आप यह बात मान लेंगे कि स्वर्ग ही शासन करता है. 27इसलिये, हे महाराज, खुशी से मेरी सलाह को मान लीजिये: आप अपने पापों को छोड़कर भले काम करिये, और दुष्टता को छोड़कर सताये हुए लोगों पर दया कीजिये. तब यह हो सकता है कि आपकी समृद्धि होने लगे.”

स्वप्न पूरा होता है

28ये सब बातें राजा नबूकदनेज्ज़र के साथ हुई. 29बारह महीनों के बाद, जब राजा बाबेल के राजमहल के छत पर टहल रहा था, 30तब उसने कहा, “क्या यह वह बड़ा बाबेल नहीं है, जिसे मैंने अपने बड़े शक्ति से शाही निवास के रूप में अपने वैभव की महिमा के लिये बनाया है?”

31अभी राजा के ये वचन उसके मुंह से निकले भी नहीं थे कि स्वर्ग से एक आवाज आई, “हे राजा नबूकदनेज्ज़र, तुम्हारे लिए यह फैसला किया जाता है: तुम्हारा शाही अधिकार तुमसे छीन लिया गया है. 32तुम्हें लोगों के बीच से भगा दिया जाएगा और तुम जंगली जानवरों के साथ रहोगे; तुम बैल की तरह घांस खाओगे. इसी स्थिति में तुम्हारे लिये सात कालखण्ड बीतेगा और तब तुम यह मान लोगे कि सर्वोच्च परमेश्वर ही पृथ्वी पर सब राज्यों के ऊपर परम प्रधान हैं और वे जिसे चाहते हैं उसे इन राज्यों को दे देते हैं.”

33नबूकदनेज्ज़र के बारे में जो बात कही गई, वह उसी घड़ी पूरी हो गई. उसे लोगों के बीच से भगा दिया गया और वह बैल की तरह घांस खाने लगा. उसका शरीर आकाश की ओस से भीगता था, यहां तक कि उसके बाल बढ़कर गरुड़ के पंखों के समान और उसके नाखून चिड़ियों के पंजों के समान हो गये.

34निर्धारित समय के अंत में, मैं, नबूकदनेज्ज़र ने स्वर्ग की ओर अपनी दृष्टि उठाई, और मेरी मानसिक अवस्था फिर पहले जैसे हो गई. तब मैंने सर्वोच्च परमेश्वर की महिमा की; मैंने उसका आदर और प्रशंसा किया, जो सदाकाल तक जीवित रहता है.

उसकी प्रभुता सदाकाल की है;

उसका राज्य पीढ़ी-पीढ़ी तक बना रहता है.

35पृथ्वी के सारे लोगों का

कोई महत्व नहीं है.

वह जैसा चाहता है

वैसा स्वर्ग की शक्तियों

और पृथ्वी के लोगों के साथ करता है.

उसे कोई भी रोक नहीं सकता

या यह कह नहीं सकता: “आपने यह क्या कर डाला?”

36जिस समय मेरी मानसिक अवस्था पहले जैसी हो गई, उसी समय मेरा सम्मान और वैभव भी मेरे राज्य के गौरव हेतु मेरे पास लौट आया. मेरे सलाहकारों और कुलीन लोगों ने मुझे ढूंढ़ निकाला, और मुझे फिर से मेरे सिंहासन पर बैठाया गया और मैं पहले से भी ज्यादा महान हो गया. 37अब मैं, नबूकदनेज्ज़र स्वर्ग के राजा की स्तुति, महिमा और प्रशंसा करता हूं, क्योंकि वे जो भी करते हैं, सही करते हैं और उनके सब युक्तियां न्याय संगत होती हैं. और जो घमंड से चलते हैं, उन्हें वह नम्र बनाने में समर्थ है.