以西結書 3 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

以西結書 3:1-27

1祂對我說:「人子啊,你要把得到的吃下去,要吃下這書卷,然後去向以色列人傳講。」 2我張開口,祂就給我吃那書卷, 3對我說:「吃下我賜你的這書卷,讓它充滿你的肚腹。」我便吃了,書卷在我嘴裡甘甜如蜜。

4祂又對我說:「人子啊,現在你要到以色列人那裡,把我的話傳給他們。 5你不是奉命去語言不通的民族那裡,而是到以色列人當中。 6我不是派你到那些語言陌生、難懂、你聽不明白的民族中。我若果真派你到他們那裡,他們一定會聽你的話。 7然而以色列人卻不肯聽從你,因為他們頑固不化,不肯聽從我。 8不過,我要使你的臉像他們的臉一樣硬,使你的額像他們的額一樣硬。 9我要使你的額比火石更硬,如同金剛石。他們雖然是一群叛逆的人,你不要害怕,也不要因為他們的臉色而驚慌。」 10祂又說:「人子啊,你要留心聽我說的一切話,牢記在心。 11你要到你那些被擄的同胞那裡,不論他們聽不聽,你都要向他們宣告,『主耶和華這樣說。』」

12那時,靈把我舉起,我聽見後面有隆隆的聲音說:「耶和華的榮耀在祂的居所當受稱頌!」 13我聽見活物的翅膀相碰的聲音,以及他們旁邊的輪子發出的隆隆聲。 14靈把我舉起帶走了。我心裡苦悶,充滿憤怒,耶和華大能的手在我身上。 15我來到住在提勒·亞畢的被擄的人中,在迦巴魯河邊。我感到無比震驚,在他們中間坐了七天。

告誡以色列人

16過了七天,耶和華對我說: 17「人子啊,我立你做以色列人的守望者,你要把我告誡他們的話告訴他們。 18當我說某個惡人必滅亡時,如果你不告誡他,勸告他痛改前非,挽救他的性命,他必死在自己的罪中,而我要追究你的責任。 19如果你已經告誡他,他還是不肯離開自己的邪惡和罪行,他必死在罪惡之中,而你必免於罪責。 20如果一個義人偏離正道、犯罪作惡,我會使他跌倒,他必死亡。如果你不告誡他,他必死在罪惡之中,他以前的義行也不會被記念,而我要追究你的責任。 21如果你告誡他不要犯罪,他聽了你的告誡不再犯罪,他必保住性命,你也必免於罪責。」

22在那裡,耶和華的手按在我身上,對我說:「你起來前往平原,我要在那裡對你說話。」 23我到了平原,看見耶和華的榮耀停在那裡,那榮耀和我在迦巴魯河邊所見的一樣,我就俯伏在地。 24這時靈進入我裡面,使我站立起來。耶和華對我說:「你要把自己關在房子裡。 25人子啊,他們必把你捆綁起來,使你不能到百姓當中。 26同時,我要使你的舌頭緊貼上膛,使你不能開口責備他們,因為他們是一群叛逆的人。 27但當我對你說話的時候,我必開啟你的口,你要向他們宣告,『主耶和華這樣說。』肯聽的就讓他聽,不肯聽的就由他不聽,因為他們是一群叛逆的人。」

Hindi Contemporary Version

यहेजकेल 3:1-27

1और उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, तुम्हारे सामने जो है, उसे खाओ, इस पुस्तक को खाओ; और तब जाकर इस्राएल के लोगों से बातें करो.” 2इसलिये मैंने अपना मुंह खोला, और उसने मुझे खाने के लिये वह पुस्तक दिया.

3तब उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, जो पुस्तक मैं तुम्हें दे रहा हूं, उसे खाओ और अपना पेट भर लो.” अतः मैंने उसे खा लिया, और मेरे मुंह में वह शहद के जैसी मीठी लगी.

4तब उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, अब इस्राएल के लोगों के पास जाओ और उन्हें मेरी बातें बताओ. 5तुम्हें किसी ऐसे लोगों के पास नहीं भेजा जा रहा है, जिनकी बोली अस्पष्ट और भाषा अनोखी हो, पर तुम्हें इस्राएल के लोगों के पास भेजा जा रहा है— 6अस्पष्ट बोली और अनोखी भाषावाले बहुत से लोगों के पास नहीं, जिनकी बातें तू समझ न सके. निश्चित रूप से, यदि मैं तुम्हें इस प्रकार के लोगों के बीच भेजता, तो वे तुम्हारी सुनते. 7परंतु इस्राएल के लोग तुम्हारी बातों को सुनना नहीं चाहते क्योंकि वे मेरी बातों को सुनना नहीं चाहते; सारे इस्राएलियों ने अपने मन को कठोर और अपने आपको हठीला बना लिया है. 8पर मैं तुम्हें उनके जैसा न झुकनेवाला और कठोर बना दूंगा. 9मैं तुम्हारे माथे को बहुत कठोर बना दूंगा, चकमक पत्थर से भी कठोर. तुम उनसे न डरना या उनसे भयभीत न होना, यद्यपि वे एक विद्रोही लोग हैं.”

10फिर उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, जो बातें मैं तुमसे कहता हूं, उन्हें ध्यान से सुन और अपने हृदय में रख. 11बंधुआई में गये अपने लोगों के पास जाओ और उनसे बात करो. उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है,’ चाहे वे सुनें या न सुनें.”

12तब आत्मा ने मुझे ऊपर उठाया, और मैंने अपने पीछे एक तेज गड़गड़ाहट की आवाज सुनी, जब याहवेह का तेज उस जगह से उठा जहां वह था. 13यह उन जीवित प्राणियों के पंखों की आवाज थी, जो एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे और उन पहियों की आवाज थी, जो उनके बाजू में थे; यह एक तेज गड़गड़ाहट की आवाज थी. 14तब आत्मा ने मुझे ऊपर उठाया और दूर ले गया, और मेरा मन कड़वाहट एवं क्रोध से भर गया, और याहवेह का मजबूत हाथ मुझ पर था. 15मैं बंधुआ लोगों के पास आया, जो खेबर नदी के पास तेल-अबीब नगर में रहते थे. और जहां वे रहते थे, वहां मैं बहुत दुःखी होकर उनके बीच सात दिन तक बैठा रहा.

पहरेदार के रूप में यहेजकेल का काम

16सात दिन के अंत में याहवेह का यह वचन मेरे पास आया, 17“हे मनुष्य के पुत्र, मैंने तुम्हें इस्राएल के लोगों के लिये एक पहरेदार ठहराया है; इसलिये जो बात मैं कहता हूं, उसे सुन और उन्हें मेरी ओर से चेतावनी दे. 18जब मैं एक दुष्ट व्यक्ति से कहूं, ‘तुम निश्चय मरोगे,’ और तुम उसका प्राण बचाने के लिये उसे चेतावनी न दो या उसे उसके बुरे कार्यों को छोड़ने के लिये न कहो, तो वह दुष्ट व्यक्ति अपने पाप में तो मरेगा ही, पर मैं तुम्हें उसके खून का ज़िम्मेदार ठहराऊंगा. 19पर यदि तुम उस दुष्ट व्यक्ति को चेतावनी देते हो और वह अपनी दुष्टता या बुरे कार्यों को नहीं छोड़ता, तब तो वह अपने पाप में मरेगा, पर तुम अपने आपको बचा लोगे.

20“इसी प्रकार, जब कोई धर्मी व्यक्ति अपने धर्मीपन को छोड़कर बुरे कार्य करने लगे और मैं उसके सामने रोड़ा अटकाऊं, तो वह मर जाएगा. क्योंकि तुमने उसे नहीं चेताया, इसलिये वह अपने पाप में मर जाएगा, और जो धर्मी काम वह व्यक्ति किया होगा, वह याद किया नहीं जाएगा, और मैं तुमको उसके खून का ज़िम्मेदार ठहराऊंगा. 21पर यदि तुम उस धर्मी व्यक्ति को पाप न करने की चेतावनी देते हो और वह पाप नहीं करता है, तब वह निश्चित रूप से जीवित रहेगा, क्योंकि उसने चेतावनी पर ध्यान दिया और तुम अपने आपको बचा लोगे.”

22वहां याहवेह का हाथ मुझ पर था, और उसने मुझसे कहा, “उठकर मैदान में जा और वहां मैं तुमसे बातें करूंगा.” 23इसलिये मैं उठा और बाहर मैदान में चला गया. मैंने देखा कि याहवेह का तेज वहां था; यह तेज ठीक वैसा ही था, जैसा मैंने खेबर नदी के किनारे देखा था, और मैं मुख के बल गिर पड़ा.

24तब आत्मा मुझमें आया और मुझे मेरे पैरों पर खड़ा कर दिया. वह मुझसे कहने लगा: “जाओ और अपने आपको अपने घर के अंदर बंद कर लो. 25और हे मनुष्य के पुत्र, वे तुम्हें रस्सियों से बांध देंगे, ताकि तुम बाहर लोगों के बीच न जा सको. 26मैं तुम्हारे जीभ को तुम्हारे तालू से चिपका दूंगा ताकि तुम चुप रहो और उनको डांट न सको, क्योंकि वे एक विद्रोही लोग हैं. 27परंतु जब मैं तुमसे बातें करूंगा, तो मैं तुम्हारे मुंह को खोल दूंगा और तुम उनसे कहोगे, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है.’ जो कोई सुनना चाहे, वह सुने, और जो कोई सुनना न चाहे, वह न सुने; क्योंकि वे एक विद्रोही लोग हैं.