以西結書 27 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

以西結書 27:1-36

為泰爾唱哀歌

1耶和華對我說: 2「人子啊,你要為泰爾唱哀歌, 3告訴位於海口、跟沿海各民族通商的泰爾,主耶和華這樣說,

泰爾啊,

你曾誇耀自己完美無瑕。

4你的勢力在大海上,

你的建造者把你造得完美無瑕。

5他們用示尼珥的松木做你的船板,

黎巴嫩的香柏木做桅杆,

6巴珊的橡木做你的槳,

把象牙鑲嵌在基提沿岸的黃楊木上做甲板,

7埃及來的繡花細麻布做你的帆,

成為你的旗號,

伊利沙島來的藍布和紫布做船篷。

8西頓亞發的居民是你的船夫,

你的智者在船上為你掌舵。

9迦巴勒的老手和智者在船上為你修補船篷,

所有海洋的船隻和水手都來與你做生意。

10「『你軍隊中的戰士有波斯人、路德人、人,他們在你的牆上掛起盾牌和頭盔,展示你的光彩。 11亞發人和你的軍隊都守衛在你的城牆上,歌瑪底人把守你的城樓,他們都在牆上掛滿盾牌,使你完美無瑕。

12「『他施人因你有豐富的貨物,就拿銀、鐵、錫、鉛來跟你交易。 13雅完人、土巴人、米設人也跟你通商,用奴隸和銅器來換取你的貨物。 14陀迦瑪人用馬匹、戰馬和騾子來跟你交易。 15底但人也是你的客商,你的市場遠及沿海一帶,他們拿象牙、烏木來跟你交易。 16因為你的貨物豐富,亞蘭人也成了你的客戶,他們用綠寶石、紫布、刺繡、細麻布、珊瑚和紅寶石與你交換貨物。 17猶大以色列也是你的客商,他們用米匿的麥、餅、蜜、油和香料與你交換貨物。 18大馬士革見你的貨物豐富,就用黑本的酒和沙哈的羊毛來跟你交易。 19烏薩來的威但人和雅完人用鐵、肉桂、菖蒲與你交換貨物。 20底但人用馬鞍墊來跟你交易。 21阿拉伯人和基達的所有首領都來做你的客商,他們用羊羔、綿羊和山羊來跟你交易。 22示巴拉瑪的商人用各類上等香料、寶石和黃金交換你的貨物。 23哈蘭幹尼伊甸示巴亞述基抹的商人都來跟你交易, 24他們把華麗衣服、藍布、刺繡和彩色地毯捆紮結實,拿來跟你交易。

25他施的船隻替你運貨,

你在海上載滿沉甸甸的貨物。

26船夫把你搖到汪洋之中,

但東風要把你擊碎在海中。

27你的財富、貨物、商品、

水手、舵手、縫匠、客商、

戰士和人民在你傾覆的日子都要沉到深海裡。

28你舵手的哀號聲必震動海岸,

29所有的船夫、水手、舵手都必棄船登岸,

30為你放聲痛哭,

把塵埃撒在頭上,

在灰中打滾,

31又為你剃頭披麻,

悲痛哀傷。

32他們在痛哭中為你唱起哀歌,

哀悼你說,

有哪一座城像泰爾一樣在深海中銷聲匿跡呢?

33你的貨物由海上運出,

滿足了許多國家;

你的資財和貨物使地上的君王富裕。

34然而,如今你在汪洋中被海浪擊碎,

你的貨物和人民都一同沉沒了。

35沿海的居民因你而驚駭,

君王都嚇得面容失色。

36各國商人都嗤笑你,

你那可怕的末日來臨了,

你將永遠不復存在。』」

Hindi Contemporary Version

यहेजकेल 27:1-36

सोर के लिए विलाप

1याहवेह का वचन मेरे पास आया: 2“हे मनुष्य के पुत्र, सोर के लिए एक विलापगीत लो. 3सोर से कहो, जो समुद्र के प्रवेश द्वार पर बसा है और बहुत से समुद्रतट पर लोगों का व्यापारी है, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है:

“ ‘हे सोर, तुम कहते हो,

“मैं पूरी तरह सुंदर हूं.”

4तुम्हारी सीमा समुद्र के गर्भ तक थी;

तुम्हें बनाने वालों ने तुम्हें पूरी तरह सुंदर बनाया.

5उन्होंने तुम्हारी सब इमारती लकड़ी

सेनीर पहाड़ के सनौवर के पेड़ों से ली हैं;

उन्होंने तुम्हारे लिये एक मस्तूल बनाने के लिये

लबानोन के देवदार की लकड़ी का उपयोग किया है.

6तुम्हारे पतवारों के लिए उन्होंने बाशान के

बांज वृक्षों की लकड़ी का उपयोग किया है;

तुम्हारे पानी जहाज़ का छत कित्तिम समुद्रतट के चीड़ वृक्ष

का है, जिसे हाथी-दांत से सजाया गया है.

7तुम्हारे जहाज़ का पाल मिस्र देश के सुंदर कसीदा किए हुए मलमल के कपड़े का था,

और यह तुम्हारे ध्वज के रूप में काम करता था;

तुम्हारा तिरपाल (चांदनी) एलिशाह के समुद्रतट का था,

जिसका रंग नीला और बैंगनी था.

8सीदोन और आरवद के लोग तुम्हारे मल्लाह थे;

हे सोर, तुम्हारे निपुण लोग नाविक के रूप में जहाज़ पर थे.

9जहाज़ के जोड़ों को ठीक करने के लिये जहाज़ पर

गेबल के अनुभवी शिल्पकार जहाज़ के शिल्पी के रूप में थे.

समुद्र के सारे जहाज़ और उनके नाविक

तुम्हारे व्यापारिक माल का लेनदेन करने के लिये तुम्हारे साथ थे.

10“ ‘तुम्हारी सेना में परसिया, लूद

और पूत के लोग शामिल थे.

उन्होंने तुम्हारी शोभा बढ़ाते हुए,

अपनी ढाल और टोप दीवारों पर टांग दिये थे.

11आरवद और हेलेक के लोग चारों तरफ से

तुम्हारी दीवारों का पहरा दिये;

गम्माद के लोग

तुम्हारे स्तंभों पर थे.

उन्होंने अपनी ढालें तुम्हारी दीवारों पर टांग दी;

उन्होंने तुम्हारी सुंदरता में चार चांद लगाया.

12“ ‘सभी प्रकार की चीज़ों की अधिकता के कारण तरशीश के लोगों ने तुम्हारे साथ व्यापार किया; उन्होंने तुम्हारे सामानों को चांदी, लोहा, टीन और सीसा देकर खरीदा.

13“ ‘यावन (ग्रीस), तूबल और मेशेख तुमसे व्यापार करते थे; वे तुम्हें तुम्हारे व्यापारिक सामानों के बदले मानव प्राणी और कांसे के चीज़ों को देते थे.

14“ ‘बेथ-तोगरमाह के लोग तुम्हारे व्यापारिक सामानों के बदले रथ खींचनेवाले घोड़े, सेना के घोड़े और खच्चर दिया करते थे.

15“ ‘रोडीस27:15 देदान नाम से भी जाना जाता है के लोग तुमसे व्यापार करते थे, और समुद्रतट के बहुतेरे देश तुम्हारे ग्राहक थे; वे अपना भुगतान हाथी-दांत और आबनूस (तेंदू) की लकड़ी देकर करते थे.

16“ ‘तुम्हारे पास सामानों की अधिकता के कारण, अराम ने तुमसे व्यापार किया; वे तुम्हारी वस्तुओं के मूल्य के बदले तुम्हें हरित नीलमणि, बैंगनी रंग के कपड़े, कसीदा किए हुए कपड़े, अच्छे किस्म के मलमल कपड़े, मूंगा और लाल रत्न देते थे.

17“ ‘यहूदिया तथा इस्राएल देश ने भी तुमसे व्यापार किया; वे तुम्हारे सामानों के भुगतान के बदले तुम्हें मिन्‍निथ में उपजे गेहूं, मिठाई, मधु, जैतून तेल और मलहम देते थे.

18“ ‘तुम्हारे पास उत्पादन की अधिकता और सामानों की अत्यधिक प्रचुरता के कारण दमेशेक ने तुमसे व्यापार किया. तुम्हारे सामान: बना हुआ लोहा, दालचीनी और तेजपत्ती के बदले उन्होंने तुम्हें हेलबोन की दाखमधु, 19जाहर का ऊन और उजाल में बने दाखमधु की लकड़ी के पीपे देने का प्रस्ताव दिया.

20“ ‘देदान नगर तुम्हें घोड़े की पीठ पर बिछानेवाले कंबल देता था.

21“ ‘अरेबिया के लोग और केदार देश के सब राजकुमार तुम्हारे ग्राहक थे; वे तुम्हें तुम्हारे सामान के बदले मेमने, मेढ़े और बकरियां देकर तुमसे लेनदेन करते थे.

22“ ‘शीबा तथा रामाह के व्यापारियों ने तुमसे व्यापार किया; तुम्हारे व्यापारिक सामानों के बदले वे तुम्हें सब प्रकार के सर्वोत्तम मसाले, बहुमूल्य रत्न एवं सोना देते थे.

23“ ‘हारान, कन्‍नेह, एदेन, शीबा, अश्शूर तथा किलमाद के व्यापारियों ने भी तुम्हारे ही साथ व्यापार किया. 24तुम्हारे बाज़ार के जगह में, वे तुम्हें तुम्हारे सामानों के बदले सुंदर कपड़े, नीले कपड़े, कसीदा किए हुए कपड़े और आंटी गई और कसकर बांधी गई डोरियों वाले रंग-बिरंगे कंबल देते थे.

25“ ‘तुम्हारे व्यापारिक सामानों का परिवहन

तरशीश के पानी जहाजों से होता है

जब तुम समुद्री यात्रा में जाते हो

तो जहाज़ में तुम्हारा भारी माल भरा रहता है.

26तुम्हारे जहाज़ के चालक तुम्हें

गहरे समुद्र में ले जाते हैं.

पर पूर्व की हवा दूर समुद्र में

तुम्हारे जहाज़ के टुकड़े-टुकड़े कर देगी.

27तुम्हारी संपत्ति, व्यापारिक सामान और वस्तुएं,

तुम्हारे नाविक, जहाज़ चलानेवाले और जहाज़ बनानेवाले,

तुम्हारे व्यापारी और तुम्हारे सब सैनिक,

और जहाज़ के सारे लोग

उस दिन समुद्र की गहराई में डूब जाएंगे

जब तुम्हारा जहाज़ टूट जाएगा.

28तुम्हारे जहाज़ चलानेवालों की चिल्लाहट से

समुद्रतट कांप उठेगा;

29पतवार चलानेवाले सबके सब

अपने जहाजों को छोड़ देंगे,

मल्लाह और जहाज़ को चलानेवाले सबके सब

जहाज़ से उतरकर समुद्रतट पर खड़े हो जाएंगे.

30वे तुम्हारे कारण चिल्लाएंगे

और बिलख-बिलखकर रोएंगे;

वे अपने सिर पर धूल छिड़क कर

राख में लोटेंगे.

31वे तुम्हारे कारण अपना सिर मुंड़ा लेंगे

और टाट का कपड़ा पहनेंगे.

वे मन की वेदना और

भारी शोक से तुम्हारे विषय रोएंगे.

32जब वे तुम्हारे विषय में बहुत रोएंगे और शोक मनाएंगे,

तो वे तुम्हारे विषय एक विलापगीत गाएंगे:

“कौन समुद्र से घिरे हुए

सोर के समान चुप था?”

33जब तुम्हारे व्यापार का माल समुद्र में होकर जाता था,

तो उससे तुम बहुत सी जाति के लोगों को संतुष्ट करते थे;

अपनी अपार संपत्ति और व्यापारिक माल से

तुमने पृथ्वी के राजाओं को समृद्ध कर दिया.

34अब तुम पानी की गहराइयों में

समुद्र के द्वारा चकनाचूर हो गये हो;

तुम्हारा व्यापार का माल और जहाज़ में तुम्हारे पूरे लोगों का जत्था

तुम्हारे साथ डूब गया है.

35समुद्रतट पर सब रहनेवाले

तुम्हारी दशा देख डर गये हैं;

उनके राजा तो आतंक से कांपते हैं

और डर से उनके चेहरे का रंग उड़ गया है.

36जनता के बीच जो व्यापारी है, वे तुम्हारी खिल्ली उड़ाते हैं;

तुम्हारा एक डरावना अंत हो गया है

और तुम्हारा अस्तित्व अब नहीं रहेगा.’ ”