以西結書 1 – CCBT & HCV

Chinese Contemporary Bible (Traditional)

以西結書 1:1-28

以西結的異象

1第三十年四月五日,我正在迦巴魯河畔被擄的人當中,忽然天開了,我看見了上帝的異象。 2那是約雅斤王被擄第五年的四月五日, 3就在迦勒底人境內的迦巴魯河畔,耶和華的話特別傳給了布西的兒子以西結祭司,耶和華的能力1·3 能力」希伯來文是「手」。降在他身上。

4在異象中,我看見一陣狂風從北方颳來,隨後有一大朵雲閃耀著火光,四周環繞著燦爛的光芒,火的中心像發光的金屬。 5火中有四個像人形的活物, 6每個活物有四張不同的面孔和四個翅膀。 7他們的腿是直的,腳如同牛犢的蹄,都亮如磨光的銅。 8四面的翅膀下都有人的手,四個活物都有臉和翅膀, 9翅膀彼此相連。他們移動時不必轉身,各朝前面移動。 10四個活物的面孔是這樣的:正面是人的臉,右面是獅子的臉,左面是牛的臉,後面是鷹的臉。 11他們的翅膀向上展開,每個活物的一對翅膀與其他活物的翅膀相連,另外一對翅膀遮蔽身體。 12耶和華的靈往哪裡去,他們也往哪裡去,移動時不用轉身。 13四個活物的形像如燃燒的火炭,又像火把。活物之間有火上下移動,發出耀眼的閃電。 14這些活物像閃電一樣往來飛馳。

15當我觀看這些活物的時候,發現每個活物旁邊的地上都有一個輪子。 16四個輪子的形狀和結構都一樣,好像輪套輪,如同閃耀的綠寶石。 17他們可以向四面移動,移動時輪子不必轉向。 18輪圈高而可畏,周圍佈滿了眼睛。 19活物行走,輪子也在旁邊行走;活物上升,輪子也上升。 20靈往哪裡去,活物也往哪裡去,輪子也跟著往哪裡去,因為活物的靈在輪子裡。 21活物行走,輪子也行走;活物站立不動,輪子也站立不動;活物上升,輪子也跟著上升,因為活物的靈在輪子裡。

22活物的頭上好像鋪展著茫茫的穹蒼,如同頂著耀眼的水晶。 23穹蒼下四個活物伸展翅膀,彼此相對,各用兩個翅膀遮蔽身體。 24他們移動時,翅膀發出的響聲如洪濤之聲,既像全能者的聲音,又像軍隊的呐喊。活物站住的時候,便將翅膀垂下。 25他們站立垂下翅膀時,有聲音從他們頭頂的穹蒼之上傳來。

26在他們頭頂的穹蒼之上彷彿有藍寶石的寶座,有一位形狀像人的高高坐在寶座上。 27我看到祂的腰部以上好像燒紅發亮的金屬,好像有火四面環繞。腰部以下如同火焰。祂周圍有耀眼的光輝, 28彷彿雨天雲中的彩虹。

這是耶和華榮耀的形像。我一看見,便俯伏在地,隨後聽見有說話的聲音。

Hindi Contemporary Version

यहेजकेल 1:1-28

यहेजकेल का आरंभिक दर्शन

1यह घटना मेरी बंधुआई के तीसवें वर्ष के चौथे माह के पांचवें दिन की है, जब मैं बंदियों के साथ खेबर नदी के तट पर था, तब आकाश खुल गया और मुझे परमेश्वर का दर्शन हुआ.

2—यह राजा यहोयाकिन के बंधुआई के पांचवें वर्ष के चौथे माह के पांचवें दिन की घटना है— 3बाबेलवासियों1:3 बाबेलवासियों यानी कसदियों के देश में खेबर नदी के तट पर, बुज़ी के पुत्र पुरोहित यहेजकेल के पास याहवेह का यह वचन आया. वहां याहवेह का हाथ उस पर था.

4मैंने देखा कि उत्तर दिशा से एक बड़ी आंधी आ रही थी—कड़कती बिजली के साथ एक बहुत बड़ा बादल और चारों तरफ तेज प्रकाश था. आग का बीच वाला भाग तपता हुआ लाल धातु के समान दिख रहा था, 5और आग में चार जीवित प्राणी जैसे दिख रहे थे. दिखने में उनका स्वरूप मानव जैसे था, 6पर इनमें से हर एक के चार-चार मुंह और चार-चार पंख थे. 7उनके पैर सीधे थे; उनके पांव बछड़े के खुर के समान थे और चिकने कांसे के समान चमक रहे थे. 8उनके चारों तरफ पंखों के नीचे उनके मनुष्य के समान हाथ थे. उन चारों के मुंह और पंख थे, 9उनके पंख एक दूसरे के पंख को छू रहे थे. हर एक आगे सीधा जा रहा था, और वे बिना मुड़े आगे बढ़ रहे थे.

10उनका मुंह इस प्रकार दिखता था: चारों में से हर एक का एक मुंह मनुष्य का था, और दाहिने तरफ हर एक का मुंह सिंह का, और बायें तरफ हर एक मुंह बैल का; और हर एक का एक गरुड़ का मुंह भी था. 11इस प्रकार उनके मुंह थे. उनमें से हर एक के दो पंख ऊपर की ओर फैले थे, और ये पंख अपने दोनों तरफ के प्राणी को छू रहे थे और हर एक अन्य दो पंखों से अपने शरीर को ढांपे हुए थे. 12हर एक आगे सीधा जा रहा था. जहां कहीं भी आत्मा जाती थी, वे भी बिना मुड़े उधर ही जाते थे. 13उन जीवित प्राणियों का रूप आग के जलते कोयलों या मशालों के समान था. वह आग प्राणियों के बीच इधर-उधर खसक रही थी; यह चमकीला था, और इससे बिजली चमक रही थी. 14वे प्राणी बिजली की चमक समान तेजी से इधर-उधर हो रहे थे.

15जब मैं जीवित प्राणियों को देख रहा था, तब मैंने देखा कि उन चार मुहों वाले हर एक जीवित प्राणियों के बाजू में एक-एक पहिया था. 16उन पहियों का रूप और बनावट इस प्रकार थी: वे पुखराज के समान चमक रहे थे, और चारों एक जैसे दिखते थे. हर एक पहिया ऐसे बनाया गया दिखता था मानो एक पहिये के भीतर दूसरा पहिया हो. 17जब वे आगे बढ़ते थे, तो वे चारों दिशाओं में उस दिशा की ओर जाते थे, जिस दिशा में प्राणियों का चेहरा होता था; जब प्राणी चलते थे, तो पहिये अपनी दिशा नहीं बदलते थे. 18इन पहियों के घेरे ऊंचे और अद्भुत थे, और चारों पहियों के घेरो में सब तरफ आंखें ही आंखें थी.

19जब वे जीवित प्राणी आगे बढ़ते थे, तब उनके बाजू के पहिये भी आगे बढ़ते थे; और जब वे जीवित प्राणी भूमि पर से ऊपर उठते थे, तो पहिये भी ऊपर उठते थे. 20जहां कहीं भी आत्मा जाती थी, वे भी जाते थे, और वे पहिये उनके साथ ऊपर उठते थे, क्योंकि जीवित प्राणियों की आत्मा उन पहियों में थी. 21जब वे प्राणी आगे बढ़ते थे, तो ये भी आगे बढ़ते थे; जब वे प्राणी खड़े होते थे, तो ये भी खड़े हो जाते थे; और जब वे प्राणी भूमि से ऊपर उठते थे, तो ये पहिये भी उनके साथ ऊपर उठते थे, क्योंकि जीवित प्राणियों की आत्मा इन पहियों में थी.

22सजीव प्राणियों के सिर के ऊपर जो फैला हुआ था, वह गुम्बज के समान दिखता था, और स्फटिक के समान चमक रहा था, और अद्भुत था. 23गुम्बज के नीचे उनके पंख एक दूसरे की ओर फैले हुए थे, और हर एक प्राणी के दो पंख से उनके अपने शरीर ढके हुए थे. 24जब वे प्राणी आगे बढ़ते थे, तो मैंने सुना, उनके पंखों से तेजी से बहते पानी के गर्जन जैसी, सर्वशक्तिमान के आवाज जैसी, सेना के कोलाहल जैसी आवाज आती थी. जब वे खड़े होते थे, तो वे अपने पंख नीचे कर लेते थे.

25जब वे खड़े थे और उनके पंख झुके हुए थे, तब उनके सिर के ऊपर स्थित गुम्बज के ऊपर से एक आवाज आई. 26उनके सिर के ऊपर स्थित गुम्बज के ऊपर कुछ ऐसा था जो नीलमणि के सिंहासन जैसे दिखता था, और इस ऊंचे सिंहासन के ऊपर मनुष्य के जैसा कोई दिख रहा था. 27मैंने देखा कि उसके कमर से ऊपर वह चमकते धातु की तरह दिखता था, मानो वह आग से भरा हो, और उसके कमर से नीचे वह आग के समान दिखता था, और वह चमकते प्रकाश से घिरा हुआ था. 28जैसे किसी बरसात के दिन बादल में धनुष दिखाई पड़ता है, वैसे ही उसके चारों ओर प्रकाश की चमक थी.

याहवेह के तेज के जैसा यह रूप था. जब मैंने उसे देखा, तो मैं मुंह के बल ज़मीन पर गिरा, और मैंने किसी के बात करने की आवाज सुनी.