马太福音 21 – CCB & NCA

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

马太福音 21:1-46

光荣进圣城

1耶稣和门徒离耶路撒冷越来越近了,他们来到橄榄山旁的伯法其2耶稣派两个门徒进村,并对他们说:“你们到前面的村庄去,就会看见一头母驴拴在那里,旁边还有一头驴驹。你们把它们解开,牵到我这里。 3要是有人问起,你们就说,‘主要用它们’,那人会立刻让你们牵来。” 4这件事是要应验先知的话:

5“要对锡安21:5 ”希伯来文是“女子”,可能是对锡安的昵称。说,‘看啊,你的君王来了!祂谦卑地骑着驴,骑着一头驴驹。’”

6两个门徒照着耶稣的吩咐去了, 7把母驴和驴驹带了回来。他们把自己的衣服盖在驴背上,让耶稣骑上去。 8许多人把衣服铺在路上,也有些人砍下树枝铺在路上。 9众人前呼后拥,欢呼着说:

“和散那21:9 和散那”原意是“拯救我们”,此处有“赞美”的意思。归于大卫的后裔!

奉主名来的当受称颂!

和散那归于至高之处的上帝!”

10耶稣进耶路撒冷时,全城轰动,说:“这是谁?”

11众人说:“祂是先知耶稣,来自加利利拿撒勒。”

洁净圣殿

12耶稣进入圣殿,赶走里面做买卖的人,又推翻兑换钱币之人的桌子和卖鸽子之人的凳子。

13耶稣斥责他们说:“圣经上说,‘我的殿必称为祷告的殿。’你们竟把它变成了贼窝。”

14殿中的瞎子和瘸子都来到耶稣面前,祂便医好了他们。 15祭司长和律法教师看见祂所行的奇事,又听见小孩子在圣殿里高声喊着:“和散那归于大卫的后裔!”便十分恼怒。 16他们责问耶稣说:“你听见这些人说的了吗?”

耶稣说:“我听见了。圣经上说,‘你使孩童和婴儿口中发出颂赞’,你们没有读过吗?” 17然后,祂便离开他们,出城前往伯大尼,在那里住宿。

咒诅无花果树

18清早,耶稣在回城的途中饿了。 19祂看见路旁有一棵无花果树,便走过去,却发现除了叶子外什么也没有。

祂对那棵树说:“你将再不会结果子!”那棵树立刻枯萎了。

20门徒见了就惊奇地问:“这棵树怎么一下子枯萎了?”

21耶稣回答说:“我实在告诉你们,如果你们有信心、不怀疑,不但能使无花果树枯萎,就算对这座山说,‘从这里挪开,投进大海里!’也照样可以实现。 22所以,你们祷告时无论求什么,只要有信心,就必定得到。”

质问耶稣的权柄

23耶稣进了圣殿,正在教导人的时候,祭司长和民间的长老来质问祂:“你凭什么权柄做这些事?谁授权给你了?”

24耶稣说:“我也要问你们一个问题,你们回答了,我就告诉你们我凭什么权柄做这些事。 25约翰的洗礼是从哪里来的?从天上来的,还是从人来的?”

他们便彼此议论说:“如果我们说‘是从天上来的’,祂一定会问我们,‘那你们为什么不信他?’ 26但如果我们说‘是从人来的’,又怕触怒百姓,因为他们相信约翰是个先知。” 27于是,他们回答耶稣说:“我们不知道。”

耶稣说:“我也不告诉你们我凭什么权柄做这些事。”

两个儿子的比喻

28耶稣又说:“你们怎样看这件事?某人有两个儿子。他对大儿子说,‘孩子,你今天到葡萄园工作吧!’

29“大儿子回答说,‘我不去!’但后来他改变了主意,就去了。

30“那父亲又对小儿子说,‘你今天到葡萄园工作吧!’小儿子回答说,‘好的,父亲。’他答应了,却没有去。

31“你们认为这两个儿子,到底哪一个服从父亲呢?”

他们回答道:“大儿子。”

耶稣说:“我实在告诉你们,税吏和娼妓要比你们先进上帝的国。 32因为约翰来指示你们当行的正路,你们不信他,但税吏和娼妓信了。你们亲眼看见了这些事,竟然还是执迷不悟,不肯信他。

恶毒的佃户

33“你们再听一个比喻。有个园主栽种了一个葡萄园,在园子的四周建造围墙,又在园中挖了一个榨酒池,建了一座瞭望台,然后把葡萄园租给佃户,就出远门了。 34到了收获的季节,园主派奴仆到佃户那里收果子。 35但那些佃户却抓住他的奴仆,打伤一个,杀死一个,又用石头打死了一个。 36于是,园主又派更多的奴仆去,结果也遭到同样的对待。 37最后,园主派了自己的儿子去,心想,‘他们肯定会尊重我的儿子。’ 38然而,那些佃户看见园主的儿子来了,就商量说,‘这是园主的继承人。来吧!我们杀掉他,占了他的产业!’ 39于是,他们抓住他,把他推出园外杀了。 40那么,当园主回来的时候,他会怎样处置那些佃户呢?”

41他们说:“他会毫不留情地除掉那些恶人,然后把葡萄园租给其他按时交果子的佃户。”

42耶稣说:

“‘工匠丢弃的石头已成了房角石。

这是主的作为,在我们看来奇妙莫测。’

你们难道没有读过这段经文吗? 43所以,我告诉你们,将把上帝的国从你们那里夺去,赐给结果子的人。 44凡跌在这石头上的人,一定粉身碎骨;这石头落在谁身上,就会把谁砸烂。”

45祭司长和法利赛人听了耶稣的比喻,明白是针对他们讲的。 46他们试图逮捕耶稣,但又害怕百姓,因为百姓都认为耶稣是先知。

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

मत्ती 21:1-46

बिजय उल्लास के संग यीसू के यरूसलेम म प्रवेस

(मरकुस 11:1-11; लूका 19:28-40; यूहन्ना 12:12-19)

1जब ओमन यरूसलेम सहर के लकठा म हबरिन अऊ जैतून पहाड़ ऊपर बैतफगे गांव करा आईन, त यीसू ह दू झन चेलामन ला ए कहिके पठोईस, 2“आघू के गांव म जावव। जइसने ही तुमन उहां हबरहू, तुमन ला एक गदही खूंटा म बंधाय मिलही अऊ ओकर संग म ओकर बछरू घलो होही। ओमन ला ढिल के मोर करा ले आवव। 3अऊ यदि कोनो तुमन ला कुछू कहिथे, त ओला कहव कि परभू ला एमन के जरूरत हवय। तब ओह तुरते ओमन ला पठो दिही।”

4एह एकरसेति होईस ताकि अगमजानी के दुवारा कहे गय ए बात ह पूरा होवय:

5“सियोन के बेटी ले कहव, देख, तोर राजा ह तोर करा आवत हवय। ओह नम्र अय अऊ गदही ऊपर बईठे हवय, ओह गदही के बछरू ऊपर बईठे हवय21:5 पद 5 म “सियोन के बेटी” के मतलब यरूसलेम सहर अय।।”21:5 जकरयाह 9:9

6तब दूनों चेलामन गीन, अऊ जइसने यीसू ह ओमन ला करे बर कहे रिहिस, वइसनेच करिन। 7ओमन गदही अऊ ओकर बछरू ला लानिन अऊ ओमन के ऊपर अपन कपड़ा ला दसा दीन; तब यीसू ह ओमन ऊपर बईठ गीस। 8भीड़ के बहुंत मनखेमन अपन-अपन कपड़ा ला सड़क म दसा दीन अऊ दूसर मनखेमन रूख के डारामन ला काटके सड़क ऊपर बगरा दीन। 9भीड़ के मनखेमन यीसू के आघू-आघू अऊ पाछू-पाछू घलो चलत रहंय अऊ ओमन चिचिया-चिचियाके कहत रहंय, “दाऊद के संतान के होसाना! धइन ए ओ, जऊन ह परभू के नांव म आथे!21:9 भजन-संहिता 118:25-26 ऊंच स्‍वरग म होसाना!21:9 “होसाना” (इबरानी) के मतलब होथे “बचा” या “उद्धार कर”, पर बाद म ए सबद के उपयोग “परसंसा” या “इस्तुति” के रूप म करे गीस।10जब यीसू ह यरूसलेम म आईस, त जम्मो सहर म हलचल मच गीस अऊ मनखेमन पुछन लगिन, “एह कोन ए?”

11भीड़ के मनखेमन कहिन, “एह अगमजानी यीसू ए, अऊ गलील प्रदेस के नासरत के रहइया ए।”

मंदिर म यीसू

(मरकुस 11:15-19; लूका 19:45-48; यूहन्ना 2:13-22)

12यीसू ह मंदिर म गीस, अऊ ओ जम्मो मनखेमन ला निकार दीस, जऊन मन मंदिर म लेन-देन करत रिहिन। ओह साहूकारमन के मेज अऊ परेवा बेचइयामन के बेंचमन ला खपल दीस। 13अऊ ओह ओमन ला कहिस, “परमेसर के बचन म ए लिखे हवय कि मोर घर ह पराथना के घर कहे जाही, पर तुमन एला डाकूमन के अड्डा बनावत हवव।”

14अंधरा अऊ खोरवामन यीसू करा मंदिर म आईन अऊ ओह ओमन ला चंगा करिस। 15पर जब मुखिया पुरोहित अऊ मूसा के कानून के गुरू मन ओकर अद्भूत काम ला देखिन अऊ लइकामन ला मंदिर के इलाका म चिचियाके ए कहत सुनिन – “दाऊद के संतान के होसाना” त ओमन नाराज होईन।

16ओमन यीसू ला कहिन, “का तेंह सुनत हवस कि ए लइकामन का कहत हवंय?” यीसू ह कहिस, “हव, का तुमन परमेसर के बचन म ए कभू नइं पढ़ेव – ‘लइका अऊ छोटे लइकामन के मुहूं ले तेंह इस्तुति करवाय।’21:16 भजन-संहिता 8:2

17तब यीसू ह ओमन ला छोंड़के सहर के बाहिर बैतनियाह गांव म गीस अऊ उहां रात बिताईस।

अंजीर के रूख ह सूख जाथे

(मरकुस 11:12-14, 20-24)

18बिहनियां, जब यीसू ह सहर ला वापिस जावत रिहिस, त ओला भूख लगिस। 19सड़क के तीर म एक ठन अंजीर के रूख ला देखके, ओह उहां गीस, पर ओला पान के छोंड़ ओम अऊ कुछू नइं मिलिस। तब यीसू ह ओ रूख ला कहिस, “अब ले तोर म फेर कभू फर झन लगय।” अऊ तुरते ओ अंजीर के रूख ह सूख गीस।

20जब चेलामन एला देखिन, त ओमन अचम्भो करिन अऊ कहिन, “अंजीर के रूख ह तुरते कइसने सूख गीस?”

21यीसू ह ओमन ला जबाब दीस, “मेंह तुमन ला सच कहत हंव, यदि तुमन बिसवास करव अऊ संका झन करव, त तुमन न सिरिप ए करहू, जऊन ह में ए अंजीर के रूख के संग करे हवंव, पर यदि तुमन ए पहाड़ ले कहिहू, ‘जा अऊ समुंदर म गिर जा।’ अऊ एह हो जाही। 22यदि तुमन बिसवास करथव, त जऊन कुछू तुमन पराथना म मांगव, ओह तुमन ला मिल जाही।”

यीसू के अधिकार ऊपर सवाल

(मरकुस 11:27-33; लूका 20:1-8)

23यीसू ह मंदिर म गीस, अऊ जब ओह उपदेस देवत रिहिस, त मुखिया पुरोहित अऊ मनखेमन के अगुवामन ओकर करा आईन अऊ पुछिन, “तेंह कोन अधिकार ले ए काममन ला करत हवस? अऊ तोला कोन ह ए अधिकार दे हवय?”

24यीसू ह ओमन ला जबाब दीस, “मेंह घलो तुमन ला एक सवाल पुछत हंव, यदि तुमन मोला जबाब दूहू, त मेंह घलो तुमन ला बताहूं कि कोन अधिकार ले मेंह ए काममन ला करत हवंव। 25यूहन्ना के बतिसमा ह कहां ले रिहिस? स्‍वरग ले रिहिस या फेर मनखेमन के तरफ ले?”

ओमन आपस म बिचार करिन अऊ कहिन, “यदि हमन कहन – ‘स्‍वरग ले’ त ओह हमन ला कहिही, ‘तब तुमन यूहन्ना ऊपर बिसवास काबर नइं करेव?’ 26पर यदि हमन कहन – ‘मनखेमन के तरफ ले,’ त हमन ला मनखेमन के डर हवय, काबरकि ओ जम्मो झन बिसवास करथें कि यूहन्ना ह एक अगमजानी रिहिस।”

27एकरसेति ओमन यीसू ला जबाब दीन, “हमन नइं जानन।”

तब यीसू ह ओमन ला कहिस, “त मेंह घलो नइं बतावंव कि कोन अधिकार ले मेंह ए काममन ला करत हवंव।”

दू बेटामन के पटं‍तर

28“तुमन का सोचथव? एक मनखे रिहिस, जेकर दू झन बेटा रिहिन। ओह पहिला करा गीस अऊ कहिस, ‘बेटा, जा अऊ आज अंगूर के बारी म काम कर।’

29ओह जबाब दीस, ‘मेंह नइं जावंव।’ पर बाद म ओह पछताईस अऊ गीस।

30तब ददा ह दूसर बेटा करा गीस अऊ ओहीच बात कहिस। ओह जबाब दीस, ‘हव ददा, मेंह जावत हंव।’ पर ओह नइं गीस।

31ए दूनों बेटा म ले कोन ह अपन ददा के ईछा ला पूरा करिस?”

ओमन कहिन, “पहिला ह।”

यीसू ह ओमन ला कहिस, “मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि लगान लेवइया अऊ बेस्‍यामन तुम्‍हर ले आघू परमेसर के राज म जावत हवंय। 32काबरकि यूहन्ना ह तुमन ला धरमीपन के रसता देखाय बर आईस, अऊ तुमन ओकर ऊपर बिसवास नइं करेव, पर लगान लेवइया अऊ बेस्‍यामन ओकर ऊपर बिसवास करिन। एला देखे के बाद घलो, तुमन पछताप नइं करेव अऊ न ही ओकर ऊपर बिसवास करेव।”

दुस्‍ट किसानमन के पटं‍तर

(मरकुस 12:1-12; लूका 20:9-19)

33एक अऊ पटं‍तर सुनव: “एक जमींदार रिहिस, अऊ ओह एक अंगूर के बारी लगाईस। ओह बारी के चारों खूंट ला बाड़ा म घेरिस। ओह ओम एक ठन रस के कुन्‍ड खनवाईस अऊ एक ठन मचान बनाईस। तब ओह ओ अंगूर के बारी ला कुछू किसानमन ला रेगहा म देके आने देस चल दीस। 34जब फर के समय ह आईस, त ओह अपन सेवकमन ला किसानमन करा पठोईस ताकि ओमन ओकर बांटा के फर ला लानय।

35पर किसानमन ओकर सेवकमन ला पकड़ लीन, अऊ ओमन कोनो ला मारिन-पीटिन, कोनो ला जान सहित मार डारिन अऊ काकरो ऊपर पथरा फेंकिन। 36तब जमींदार ह आने सेवकमन ला पठोईस, जऊन मन संख्‍या म पहिली ले जादा रिहिन; पर किसानमन ओमन के संग घलो वइसनेच करिन। 37आखिरी म, ओह ए सोचके अपन बेटा ला पठोईस कि ओमन मोर बेटा के आदर करहीं।

38पर जब किसानमन जमींदार के बेटा ला देखिन, त एक-दूसर ला कहिन, ‘एह तो अंगूर के बारी के वारिस अय। आवव, हमन एला मार डारन अऊ एकर पुरखउती संपत्ति ला ले लेवन।’ 39ओमन ओला पकड़िन अऊ अंगूर के बारी के बाहिर ले जाके ओला मार डारिन।

40एकरसेति जब अंगूर के बारी के मालिक ह आही, त ओह ओ किसानमन के संग का करही?”

41ओमन ह यीसू ला कहिन, “ओह ओ दुस्‍टमन ला पूरा-पूरी नास कर दिही, अऊ अंगूर के बारी के रेगहा आने किसानमन ला दे दिही, जऊन मन समय म ओकर बांटा के फसल ओला दिहीं।”

42यीसू ह ओमन ला कहिस, “का तुमन परमेसर के बचन म ए बात कभू नइं पढ़ेव: ‘जऊन पथरा ला घर के बनइयामन बेकार समझे रिहिन, ओह कोना के मुख पथरा हो गीस; परभू ह ए काम ला करे हवय, अऊ हमर नजर म एह अचम्भो के बात अय।’21:42 भजन-संहिता 118:22-23

43एकरसेति मेंह तुमन ला कहत हंव कि परमेसर के राज ह तुम्‍हर ले लिये जाही, अऊ ओ मनखेमन ला दिये जाही, जऊन मन परमेसर बर फर पैदा करहीं। 44जऊन ह ए पथरा ऊपर गिरही, ओह चूर-चूर हो जाही, पर जेकर ऊपर ए पथरा ह गिरही, ओह पीसा जाही।”

45यीसू के पटं‍तर ला सुनके मुखिया पुरोहित अऊ फरीसी मन समझ गीन कि ओह ओमन के बारे म गोठियावत हवय। 46ओमन ओला पकड़े चाहत रिहिन, पर ओमन ला मनखेमन के डर रहय, काबरकि मनखेमन यीसू ला एक अगमजानी मानत रिहिन।