诗篇 144 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

诗篇 144:1-15

第 144 篇

祈求拯救与丰裕

大卫的诗。

1耶和华——我的磐石当受称颂,

祂使我能争善战。

2祂是我慈爱的上帝,

我的堡垒,我的避难所,

我的拯救者,我的盾牌,

我投靠祂。

祂使列国臣服于我。

3耶和华啊,

人算什么,你竟顾念他?

世人算什么,你竟眷顾他?

4因为人不过像一口气,

他的年日不过像影子转眼消逝。

5耶和华啊,

求你打开天门,亲自降临;

求你触摸群山,使群山冒烟。

6求你发出闪电驱散敌人,

求你射出利箭击溃他们。

7求你从天上伸手从惊涛骇浪中拯救我,

从外族人手中拯救我。

8他们满口谎言,

起誓也心怀诡诈。

9上帝啊,我要向你唱新歌,

用十弦琴歌颂你。

10你使君王得胜,

救你的仆人大卫逃离刀剑的杀戮。

11求你从外族人手中拯救我,

他们满口谎言,

起誓也心怀诡诈。

12愿我们的儿子年轻时像茁壮的树木,

我们的女儿像宫殿中精雕的柱子。

13愿我们的仓库堆满各样的谷物,

我们的羊在田野繁衍众多,

成千上万。

14愿我们的牲口驮满货物144:14 牲口驮满货物”或译“繁殖众多”。

我们的城墙固若金汤,

无人被掳,街上没有哭叫声。

15生活在这种光景里的人有福了!

尊耶和华为上帝的人有福了!

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 144:1-15

स्तोत्र 144

दावीद की रचना.

1स्तुत्य हैं याहवेह, जो मेरी चट्टान हैं,

जो मेरी भुजाओं को युद्ध के लिए,

तथा मेरी उंगलियों को लड़ने के लिए प्रशिक्षित करते हैं.

2वह मेरे प्रेमी परमेश्वर, मेरे किला हैं,

वह मेरे लिए दृढ़ गढ़ तथा आश्रय हैं, वह मेरे उद्धारक हैं,

वह ऐसी ढाल है जहां मैं आश्रय के लिए जा छिपता हूं,

वह प्रजा को मेरे अधीन बनाए रखते हैं.

3याहवेह, मनुष्य है ही क्या, जो आप उसकी ओर ध्यान दें?

क्या है मनुष्य की सन्तति, कि आप उसकी हितचिंता करें?

4मनुष्य श्वास समान है;

उसकी आयु विलीन होती छाया-समान है.

5याहवेह, स्वर्ग को खोलकर आप नीचे आ जाइए;

पर्वतों का स्पर्श कीजिए कि उनमें से धुआं उठने लगे.

6विद्युज्ज्वाला भेजकर मेरे शत्रुओं को बिखरा दीजिए;

अपने बाण चला कर उनका आगे बढ़ना रोक दीजिए.

7अपने उच्चासन से अपना हाथ बढ़ाइए;

ढेर जल राशि में से मुझे

बचाकर मेरा उद्धार कीजिए,

उनसे जो विदेशी और प्रवासी हैं.

8उनके मुख से झूठ बातें ही निकलती हैं,

जिनका दायां हाथ धोखे के काम करनेवाला दायां हाथ है.

9परमेश्वर, मैं आपके लिए मैं एक नया गीत गाऊंगा;

मैं दस तार वाली वीणा पर आपके लिए स्तवन संगीत बनाऊंगा.

10राजाओं की जय आपके द्वारा प्राप्‍त होती है,

आप ही अपने सेवक दावीद को सुरक्षा प्रदान करते हैं,

तलवार के क्रूर प्रहार से 11मुझे छुड़ाइए;

विदेशियों के हाथों से मुझे छुड़ा लीजिए.

उनके ओंठ झूठ बातें ही करते हैं,

जिनका दायां हाथ झूठी बातें करने का दायां हाथ है.

12हमारे पुत्र अपनी युवावस्था में

परिपक्व पौधों के समान हों,

और हमारी पुत्रियां कोने के उन स्तंभों के समान,

जो राजमहल की सुंदरता के लिए सजाये गए हैं.

13हमारे अन्‍नभण्डार परिपूर्ण बने रहें,

उनसे सब प्रकार की तृप्‍ति होती रहे.

हमारी भेड़ें हजारों मेमने उत्पन्‍न करें,

हमारे मैदान दस हजारों से भर जाएं;

14सशक्त बने रहें हमारे पशु;

उनके साथ कोई दुर्घटना न हो,

वे प्रजनन में कभी विफल न हों,

हमारी गलियों में वेदना की कराहट कभी न सुनी जाए.

15धन्य है वह प्रजा, जिन पर कृपादृष्टि की ऐसी वृष्टि होती है;

धन्य हैं वे लोग, जिनके परमेश्वर याहवेह हैं.