诗篇 10 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

诗篇 10:1-18

第 10 篇

求上帝惩治恶人

1耶和华啊,你为何远远站着?

为何在我遭难时隐藏起来?

2恶人狂妄地追逼穷苦人,

愿他们落入自己所设的圈套。

3恶人夸耀自己的贪欲,

贪婪的人憎恨、咒诅耶和华。

4他们狂傲自大,心中没有上帝,

从不寻求耶和华。

5他们凡事顺利,

对你的审判不屑一顾,

对所有的仇敌嗤之以鼻。

6他们自以为可以屹立不倒,

世世代代永不遭殃。

7他们满口咒诅、谎话和恐吓之言,

舌头沾满祸害和邪恶。

8他们埋伏在村庄,

暗中监视受害者,杀害无辜。

9他们像狮子埋伏在暗处,

猎取无助的人,

用网罗拖走他们。

10不幸的人被击垮,

倒在他们的暴力下。

11他们自言自语:“上帝忘记了,

祂掩面不理这些事!”

12耶和华啊,求你起来!

上帝啊,求你举手施罚,

不要忘记无助的人!

13恶人为何轻视上帝,

以为上帝不会追究呢?

14但你已看到世人的疾苦,

随时伸出援手。

困苦无助的人投靠你,

你是孤儿的帮助。

15求你打断恶人的臂膀,

彻底追究他们的罪恶。

16耶和华永永远远是君王,

列邦必从祂的土地上灭亡。

17耶和华啊,

你知道困苦人的愿望,

你必垂听他们的呼求,

安慰他们。

18你为孤儿和受欺压的人申冤,

使渺小的世人不能再恐吓他们。

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 10:1-18

स्तोत्र 10

1याहवेह, आप दूर क्यों खड़े हैं?

संकट के समय आप स्वयं को क्यों छिपा लेते हैं?

2दुर्जन अपने अहंकार में असहाय निर्धन को खदेड़ते हैं,

दुर्जन अपनी ही रची गई युक्तियों में फंसकर रह जाएं.

3दुर्जन की मनोकामना पूर्ण होती जाती है, तब वह इसका घमंड करता है;

लालची पुरुष याहवेह की निंदा करता तथा उनसे अलग हो जाता है.

4दुष्ट अपने अहंकार में परमेश्वर की कामना ही नहीं करता;

वह अपने मन में मात्र यही विचार करता रहता है: परमेश्वर है ही नहीं.

5दुष्ट के प्रयास सदैव सफल होते जाते हैं;

उसके सामने आपके आदेशों का कोई महत्व है ही नहीं;

उसके समस्त विरोधी उसके सामने तुच्छ हैं.

6वह स्वयं को आश्वासन देता रहता है: “मैं विचलित न होऊंगा,

मेरी किसी भी पीढ़ी में कोई भी विपदा नहीं आ सकती.”

7उसका मुख शाप, छल तथा अत्याचार से भरा रहता है;

उसकी जीभ उत्पात और दुष्टता छिपाए रहती है.

8वह गांवों के निकट घात लगाए बैठा रहता है;

वह छिपकर निर्दोष की हत्या करता है.

उसकी आंखें चुपचाप असहाय की ताक में रहती हैं;

9वह प्रतीक्षा में घात लगाए हुए बैठा रहता है, जैसे झाड़ी में सिंह.

घात में बैठे हुए उसका लक्ष्य होता है निर्धन-दुःखी,

वह उसे अपने जाल में फंसा घसीटकर ले जाता है.

10वह दुःखी दब कर झुक जाता;

और उसकी शक्ति के सामने पराजित हो जाता है.

11उस दुष्ट की यह मान्यता है, “परमेश्वर सब भूल चुके हैं;

उन्होंने अपना मुख छिपा लिया है, वह यह सब कभी नहीं देखेंगे.”

12याहवेह, उठिए, अपना हाथ उठाइये, परमेश्वर!

इन दुष्टों को दंड दीजिए, दुःखितों को भुला न दीजिए.

13दुष्ट परमेश्वर का तिरस्कार करते हुए

अपने मन में क्यों कहता रहता है,

“परमेश्वर इसका लेखा लेंगे ही नहीं”?

14किंतु निःसंदेह आपने सब कुछ देखा है, आपने यातना और उत्पीड़न पर ध्यान दिया है;

आप स्थिति को अपने नियंत्रण में ले लें. दुःखी और

लाचार स्वयं को आपके हाथों में सौंप रहे हैं;

क्योंकि आप ही सहायक हैं अनाथों के.

15कुटिल और दुष्ट का भुजबल तोड़ दीजिए;

उसकी दुष्टता का लेखा उस समय तक लेते रहिए

जब तक कुछ भी दुष्टता शेष न रह जाए.

16सदा-सर्वदा के लिए याहवेह महाराजाधिराज हैं;

उनके राज्य में से अन्य जनता मिट गए हैं.

17याहवेह, आपने विनीत की अभिलाषा पर दृष्टि की है;

आप उनके हृदय को आश्वासन प्रदान करेंगे,

18अनाथ तथा दुःखित की रक्षा के लिए,

आपका ध्यान उनकी वाणी पर लगा रहेगा

कि मिट्टी से बना मानव अब से पुनः आतंक प्रसारित न करे.