约翰福音 14 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

约翰福音 14:1-31

耶稣是道路、真理、生命

1耶稣继续说:“你们心里不要忧愁,你们要信上帝,也要信我。 2我父的家里有许多住处,不然我就不会说去为你们安排地方了。 3我安排好了以后,必定回来接你们到我那里。我在哪里,让你们也在哪里。 4你们知道通往我要去的地方的路。”

5多马说:“主啊,你要去哪里,我们还不知道,又怎么会知道路呢?”

6耶稣说:“我就是道路、真理、生命,若不借着我,没有人能到父那里。 7你们若认识我,也会认识我的父。从现在起,你们不但认识祂,而且也看见祂了。”

8腓力说:“主啊!求你让我们看看父,我们就心满意足了。”

9耶稣说:“腓力,我和你们相处了这么久,你还不认识我吗?人看见了我,就看见了父,你怎么说‘让我们看看父’呢? 10难道你不相信我在父里面,父也在我里面吗?我这些话不是凭自己讲的,而是住在我里面的父在做祂自己的工作。 11你们应当相信我在父里面,父也在我里面。即使你们不信,也应该因我所做的而信我。 12我实实在在地告诉你们,我所做的事,信我的人也要做,而且要做更大的事,因为我要回到父那里。 13你们奉我的名无论求什么,我必应允,好让父在子身上得到荣耀。 14你们若奉我的名向我求什么,我必应允。

应许赐下圣灵

15“你们若爱我,就必遵守我的命令。 16我要求父另外赐一位护慰者给你们,祂要永远和你们同在。 17祂是真理的灵,世人不接受祂,因为他们看不见祂,也不认识祂;但你们却认识祂,因祂常与你们同在,并且要住在你们里面。 18我不会撇下你们为孤儿,我必到你们这里来。 19不久,世人就看不见我了,而你们却能看见我,因为我活着,你们也要活着。 20到了那一天,你们就知道我在父里面,你们在我里面,我也在你们里面。 21接受我的命令又遵行的,就是爱我的人。爱我的,父必定爱他,我也要爱他,并且要亲自向他显现。”

22犹大,不是后来出卖耶稣的犹大,问耶稣:“主啊,你为什么只向我们显现而不向世人显现呢?”

23耶稣回答说:“爱我的人必遵行我的道,我父也必爱他,并且我们要到他那里与他同住。 24不爱我的人不会遵行我的道。你们所听见的道不是出于我自己,而是出于差我来的父。 25我还与你们在一起的时候,将这些事情都告诉了你们。 26但护慰者,就是父为我的名而差来的圣灵,将教导你们一切的事,并使你们想起我对你们说的一切话。 27我把平安留给你们,把我的平安赐给你们,我赐给你们的平安不像世人给的平安。你们心里不要忧愁,也不要害怕。

28“我对你们说过,我去了还要再回到你们这里。如果你们真的爱我,就应当为我去父那里而欢喜快乐,因为父比我大。 29现在事情还没有发生,我便先告诉你们,到了事情发生的时候,你们就会相信。 30我不再跟你们多谈,因为世界的王快要来了。他根本没有力量胜过我, 31但这是为了让世人知道我爱父,父怎么吩咐我,我就怎么做。起来,我们走吧!”

Hindi Contemporary Version

योहन 14:1-31

शिष्यों के लिए धीरज

1“अपने मन को व्याकुल न होने दो, तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो, मुझमें भी विश्वास करो. 2मेरे पिता के यहां अनेक निवास स्थान हैं—यदि न होते तो मैं तुम्हें बता देता. मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जा रहा हूं. 3वहां जाकर तुम्हारे लिए जगह तैयार करने के बाद मैं तुम्हें अपने साथ ले जाने के लिए फिर आऊंगा कि जहां मैं हूं, तुम भी मेरे साथ वहीं रहो. 4वह मार्ग तुम जानते हो, जो मेरे ठिकाने तक पहुंचाता है.”

परमेश्वर की ओर एकमात्र मार्ग

5थोमॉस ने उनसे प्रश्न किया, “प्रभु, हम आपका ठिकाना ही नहीं जानते तो उसका मार्ग कैसे जान सकते हैं?”

6मसीह येशु ने उत्तर दिया, “मैं ही हूं वह मार्ग, वह सच और वह जीवन, बिना मेरे द्वारा कोई भी पिता के पास नहीं आ सकता. 7यदि तुम वास्तव में मुझे जानते तो मेरे पिता को भी जानते. अब से तुमने उन्हें जान लिया है और उन्हें देख भी लिया है.”

8फ़िलिप्पॉस ने मसीह येशु से विनती की, “प्रभु, आप हमें पिता के दर्शन मात्र करा दें, यही हमारे लिए काफ़ी होगा.”

9“फ़िलिप्पॉस!” मसीह येशु ने कहा, “इतने लंबे समय से मैं तुम्हारे साथ हूं, क्या फिर भी तुम मुझे नहीं जानते? जिसने मुझे देखा है, उसने पिता को भी देख लिया. फिर तुम यह कैसे कह रहे हो, ‘हमें पिता के दर्शन करा दीजिए’? 10क्या तुम यह नहीं मानते कि मैं पिता में हूं और पिता मुझमें? जो वचन मैं तुमसे कहता हूं, वह मैं अपनी ओर से नहीं कहता; मेरे अंदर बसे पिता ही हैं, जो मुझमें होकर अपना काम पूरा कर रहे हैं. 11मेरा विश्वास करो कि मैं पिता में हूं और पिता मुझमें, नहीं तो कामों की गवाही के कारण विश्वास करो. 12मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: वह, जो मुझमें विश्वास करता है, वे सारे काम करेगा, जो मैं करता हूं बल्कि इनसे भी अधिक बड़े-बड़े काम करेगा क्योंकि अब मैं पिता के पास जा रहा हूं. 13मेरे नाम में तुम जो कुछ मांगोगे, मैं उसे पूरा करूंगा जिससे पुत्र में पिता की महिमा हो. 14मेरे नाम में तुम मुझसे कोई भी विनती करो, मैं उसे पूरा करूंगा.

मसीह येशु द्वारा पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा

15“यदि तुम्हें मुझसे प्रेम है तो तुम मेरे आदेशों का पालन करोगे. 16मैं पिता से विनती करूंगा और वह तुम्हें एक और सहायक देंगे कि वह हमेशा तुम्हारे साथ रहें: 17सच का आत्मा, जिन्हें संसार ग्रहण नहीं कर सकता क्योंकि संसार न तो उन्हें देखता है और न ही उन्हें जानता है. तुम उन्हें जानते हो क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहते हैं, और वह तुममें रहेंगे. 18मैं तुम्हें अनाथ नहीं छोड़ूंगा, मैं तुम्हारे पास लौटकर आऊंगा. 19कुछ ही समय शेष है, जब संसार मुझे नहीं देखेगा परंतु तुम मुझे देखोगे. मैं जीवित हूं इसलिये तुम भी जीवित रहोगे. 20उस दिन तुम्हें यह मालूम हो जाएगा कि मैं अपने पिता में हूं, तुम मुझमें हो और मैं तुममें. 21वह, जो मेरे आदेशों को स्वीकार करता और उनका पालन करता है, वही है, जो मुझसे प्रेम करता है. वह, जो मुझसे प्रेम करता है, मेरे पिता का प्रियजन होगा. मैं उससे प्रेम करूंगा और स्वयं को उस पर प्रकट करूंगा.”

22यहूदाह ने, (जो कारियोतवासी नहीं था), उनसे प्रश्न किया, “प्रभु, ऐसा क्या हो गया कि आप स्वयं को तो हम पर प्रकट करेंगे किंतु संसार पर नहीं?”

23मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “यदि कोई व्यक्ति मुझसे प्रेम करता है तो वह मेरी शिक्षा का पालन करेगा; वह मेरे पिता का प्रियजन बनेगा और हम उसके पास आकर उसके साथ निवास करेंगे. 24वह, जो मुझसे प्रेम नहीं करता, मेरे वचन का पालन नहीं करता. ये वचन, जो तुम सुन रहे हो, मेरे नहीं, मेरे पिता के हैं, जो मेरे भेजनेवाले हैं.

25“तुम्हारे साथ रहते हुए मैंने ये सच तुम पर प्रकट कर दिए हैं 26परंतु सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा, जिन्हें पिता मेरे नाम में भेजेंगे, तुम्हें इन सब विषयों की शिक्षा देंगे और जो कुछ मैंने तुमसे कहा है, उसकी याद दिलाएंगे. 27तुम्हारे लिए मैं शांति छोड़े जाता हूं; मैं तुम्हें अपनी शांति दे रहा हूं; वैसी नहीं, जैसी संसार देता है. अपने मन को व्याकुल और भयभीत न होने दो.

28“मेरी बातें याद रखो: मैं जा रहा हूं और तुम्हारे पास लौट आऊंगा. यदि तुम मुझसे प्रेम करते तो यह जानकर आनंदित होते कि मैं पिता के पास जा रहा हूं, जो मुझसे अधिक महान हैं. 29यह घटित होने से पहले ही मैंने तुम्हें इससे अवगत करा दिया है कि जब यह घटित हो तो तुम विश्वास करो. 30अब मैं तुमसे अधिक कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि संसार का राजा आ रहा है. मुझ पर उसका कोई अधिकार नहीं है. 31संसार यह समझ ले कि मैं अपने पिता से प्रेम करता हूं. यही कारण है कि मैं उनके सारे आदेशों का पालन करता हूं.

“उठो, यहां से चलें.