申命记 6 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

申命记 6:1-25

最大的诫命

1“你们的上帝耶和华吩咐我教导你们以下的诫命、律例和典章,以便你们在将要占领的土地上遵行。 2这样,你们就会得享长寿,你们及子孙就会终生敬畏你们的上帝耶和华,遵守祂借我吩咐你们的一切律例和诫命。 3以色列人啊,你们要留心听,谨慎遵行,以便你们在那奶蜜之乡可以凡事顺利、子孙众多,正如你们祖先的上帝耶和华给你们的应许。 4听啊,以色列人,耶和华是我们的上帝,耶和华是独一的。 5你们要全心、全意、全力爱你们的上帝耶和华。 6要将我今天吩咐你们的话牢记在心, 7并教导你们的儿女,无论在家在外,或起或卧,都要讲论这些律例和诫命。 8要把它们系在手上、戴在额上作记号, 9要写在城门上和自家的门框上。

10“你们的上帝耶和华将带你们进入祂向你们祖先亚伯拉罕以撒雅各起誓要赐给你们的土地。那里的宏伟城邑不是你们建造的, 11满屋的美物不是你们积攒的,井不是你们挖掘的,葡萄园和橄榄树也不是你们栽种的。你们在那里吃饱喝足之后, 12要小心,不可忘记把你们从受奴役之地——埃及救出来的耶和华。 13要敬畏你们的上帝耶和华,事奉祂,凭祂的名起誓。 14不可随从周围各族的神明, 15免得你们的上帝耶和华向你们发怒,把你们从世上消灭;因为祂住在你们当中,祂痛恨不贞。

16“不可像在玛撒那样试探你们的上帝耶和华。 17要谨遵你们的上帝耶和华吩咐你们的诫命、法度和律例。 18你们要做耶和华视为正与善的事,以便你们可以凡事顺利,得到耶和华起誓赐给你们祖先的佳美之地, 19赶出所有敌人,正如耶和华所言。

20“将来你们的子孙会问,‘我们的上帝耶和华给你们颁布这些法度、律例和典章是什么意思?’ 21你们要告诉他们,‘我们曾在埃及做法老的奴隶,耶和华用大能的手领我们离开埃及22我们亲眼看见耶和华行伟大而可畏的神迹奇事,惩罚埃及和法老全家。 23祂带领我们离开埃及,为要把我们带进祂起誓赐给我们祖先的这片土地。 24我们的上帝耶和华吩咐我们遵守这一切律例、敬畏祂,以便我们可以常常受益,生命无忧,正如今日的情形。 25如果我们按照我们的上帝耶和华的吩咐,在祂面前谨遵这一切诫命,我们便被算为义人。’

Hindi Contemporary Version

व्यवस्था 6:1-25

परमेश्वर की आज्ञाकारिता में ही समृद्धि

1तुम्हारे परमेश्वर द्वारा दिए गए आदेश, नियम और विधियां इस प्रकार हैं, जिनकी शिक्षा तुम्हें देने का आदेश याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने मुझे दिया है, कि उनका अनुपालन तुम उस देश में कर सको, तुम जिसका अभिग्रहण करने के उद्देश्य से जा रहे हो. 2यह इसलिये, कि तुम, तुम्हारी संतान और उनकी भी संतान, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के प्रति श्रद्धा और भय बनाए रखें, मेरे द्वारा लाए गए नियम और आदेशों का जीवन भर पालन करते रहें, और तुम लंबी आयु के हो जाओ. 3इस्राएलियो, ज़रूरी है कि तुम इसे बड़े यत्न से सुनो और इसका पालन करने के विषय में सावधान रहो, कि उस देश में, जहां दूध और मधु की बहुतायत है तुम्हारा भला हो, तुम्हारा वंश बहुत बढ़ जाए; ठीक जैसी याहवेह, तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर ने तुमसे प्रतिज्ञा की है.

4सुनो, इस्राएलियो! याहवेह हमारे परमेश्वर अद्वितीय याहवेह हैं. 5तुम याहवेह तुम्हारे परमेश्वर से अपने सारे हृदय, सारे प्राण, सारे मस्तिष्क तथा सारी शक्ति से प्रेम करो. 6ये आदेश, जो आज मैं तुम्हारे सामने स्पष्ट कर रहा हूं, तुम्हारे हृदय में बैठ जाए. 7तुम ये आदेश अपनी संतान को सिखाया करना. जब तुम अपने घर में बैठे हुए हो, तब तुम इनका उल्लेख करोगे, जब तुम मार्ग में आगे बढ़ रहे हो, और जब तुम विश्राम के लिए लेटोगे या जब तुम नींद से उठोगे. 8तुम इन्हें अपने हाथ पर चिन्ह के रूप में बांध लोगे, ये तुम्हारे माथे पर टीका होंगे. 9तुम उन्हें अपने घर की चौखटों पर और अपने द्वारों पर लिखोगे.

10तब याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर जब तुम्हें उस देश में ले आएंगे, जिसके विषय में उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों अब्राहाम, यित्सहाक और याकोब से प्रतिज्ञा की थी, कि वह तुम्हें यह देश देंगे, जिस देश में विशाल और भव्य नगर हैं, जिनका निर्माण तुम्हारे द्वारा नहीं किया गया, 11जहां घर उत्तम वस्तुओं से भरे होंगे जो तुम्हारे द्वारा इकट्ठा नहीं की गई होंगी, पत्थरों में खोदकर बनाए गए कुंड; जिनको तुमने नहीं बनाया होगा, अंगूर के बगीचे और ज़ैतून के पेड़; जिन्हें तुमने नहीं लगाया, जिनको खाकर तुम बहुत तृप्‍त होगे, 12तब सावधान रहना, कि तुम उन याहवेह को, जो तुम्हें मिस्र देश से, दासत्व के जीवन से, निकालकर लाए हैं, भुला न दो.

13श्रद्धा तुम सिर्फ याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के प्रति रखोगे, तुम आराधना सिर्फ उनकी करोगे, और शपथ उन्हीं की लिया करोगे. 14तुम पराए देवताओं का अनुगमन नहीं करोगे; तुम्हारे पड़ोसी राष्ट्रों के किसी भी देवता का; 15क्योंकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर, जिनकी उपस्थिति तुम्हारे बीच में है, जलन रखनेवाले परमेश्वर हैं; नहीं तो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर का कोप तुम्हारे विरुद्ध भड़क उठेगा और वह तुम्हें पृथ्वी पर से मिटा डालेंगे. 16तुम याहवेह, अपने परमेश्वर को न परखना; जैसा तुमने मस्साह में किया था. 17चाहिए कि तुम याहवेह, अपने परमेश्वर द्वारा दिए आदेशों, घोषणाओं और नियमों का पालन सावधानीपूर्वक करो. 18तुम वही करोगे, जो याहवेह की दृष्टि में सही और उचित है, कि इसमें तुम्हारा भला हो और तुम जाकर उत्तम देश पर अधिकार करो, जिसे देने की प्रतिज्ञा याहवेह ने तुम्हारे पूर्वजों से की थी. 19यह तुम याहवेह के आदेश के अनुसार अपने सभी शत्रुओं को अपने सामने से खदेड़ने के द्वारा करोगे.

20भविष्य में जब तुम्हारी संतान तुमसे यह प्रश्न करे: “क्या मतलब है इन घोषणाओं, नियमों और विधियों का, जो याहवेह, हमारे परमेश्वर द्वारा दिए गए हैं?” 21तब उनके लिए तुम्हारा उत्तर होगा, “मिस्र देश में हम फ़रोह के दास थे, तब याहवेह ने हमें अपनी सामर्थी भुजा के द्वारा मिस्र देश से निकाल लिया. 22इसके अलावा याहवेह ने हमारे सामने मिस्र, फ़रोह और उसके सारे परिवार के विरुद्ध अद्भुत और विपत्ति भरे चिन्हों और चमत्कारों को दिखाया. 23उन्होंने हमें वहां से निकाल लिया, कि हमें उस देश में प्रवेश कराएं, जिस देश की प्रतिज्ञा उन्होंने हमारे पूर्वजों से की थी. 24तब याहवेह ने इन सभी नियमों को पालन करने का आदेश दिया और हम हमारे परमेश्वर से डरें कि हमारा भला हो और हम जीवित रहें, जैसा कि अभी भी दिखता ही है. 25यदि हम सावधानीपूर्वक इन आदेशों का पालन करते रहें, ठीक जैसा उन्होंने आदेश दिया है, तो हम याहवेह अपने परमेश्वर के सामने निर्दोष रहेंगे.”