尼希米记 5 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

尼希米记 5:1-19

尼希米帮助穷苦人

1那时,民众和他们的妻子都抱怨他们的犹太同胞。 2有的说:“我们和我们的儿女人口众多,需要粮食来活命。” 3有的说:“因为饥荒的缘故,我们要将田地、葡萄园和房屋作抵押来获取粮食。” 4有的说:“我们要借钱才能缴纳王对我们的田地和葡萄园征收的税。 5我们和他们是同胞,我们的孩子就像他们的孩子。但现在我们的儿女要被迫成为仆婢,甚至我们的女儿有些已经沦为奴婢。我们却无能为力,因为我们的田地和葡萄园已经归别人了。”

6听到他们的抱怨后,我非常愤怒。 7经过深思熟虑后,我便斥责这些贵族和官员,说:“你们竟然向同胞放高利贷!”于是我召开大会处理他们的问题。 8我对他们说:“我们在尽力赎回那些被卖到外邦的犹太同胞,你们却要卖他们为奴,好让我们再赎回他们吗?”他们都沉默不语,无言以对。 9我继续说:“你们的所作所为实在不对。难道你们不应该敬畏上帝,以免我们的仇敌凌辱我们吗? 10我和我的兄弟及仆人都借钱、借粮给民众,现在我们要停止放高利贷。 11你们今天就要归还他们的田地、葡萄园、橄榄园和房屋,以及你们向他们所收的五谷、新酒和油的利息。”

12他们说:“我们会照你的话去做,把东西还给他们,不再向他们索债。”于是,我召来祭司,让这些人起誓遵守自己的诺言。 13我抖着衣服说:“如果你们不守誓言,愿上帝也这样抖掉你们的家园和你们劳碌得来的,使你们一无所有。”全体会众都说:“阿们!”他们赞美耶和华,民众都遵照誓言去行。

尼希米大公无私

14亚达薛西王二十年至三十二年,也就是我奉派为犹大省长的十二年间,我和我的弟兄都没有吃省长的俸禄。 15在我之前的省长使民众负担沉重,天天索取食物、酒及五百克银子。他们的仆人也欺压民众,但我因敬畏上帝而没有这样做。 16我全心修筑城墙,没有购置田产,我的仆人也都参与修建城墙的工作。 17除了从周围外邦来到我们这里的人之外,还有一百五十名犹太人和官员与我一同吃饭。 18我每天需要预备一头公牛、六只肥羊和飞禽;每十天还要大量供应各样酒品。即使这样,我仍然没有吃省长的俸禄,因为民众已经负担沉重。 19我的上帝啊,求你记念我为这些民众所做的一切,施恩于我。

Hindi Contemporary Version

नेहेमियाह 5:1-19

नेहेमियाह द्वारा निर्धनों का बचाव

1इसी समय लोगों और उनकी पत्नियों ने उनके यहूदी साथियों के साथ झगड़ना शुरू कर दिया. 2इसका कारण था वे लोग, जो यह कह रहे थे “हम, हमारे पुत्र और हमारी पुत्रियां गिनती में बहुत हैं; इसलिये हमें अनाज दिया जाए कि हम उसे खाकर ज़िंदा रह सकें.”

3कुछ और भी थे, जो कह रहे थे “हमने अपने खेत, हमारे अंगूर के बगीचे और अपने घर गिरवी रखे हुए हैं कि इस अकाल की स्थिति में हमें अनाज तो मिल सके.”

4इनके अलावा भी कुछ और थे, जो यह कह रहे थे “हमने अपने खेतों और अंगूर के बगीचों पर राजा द्वारा ठहराया गया कर भरने के लिए कर्ज़ लिया हुआ है. 5हम भी अपने भाई-बंधुओं के समान हड्डी-मांस के ही हैं, हमारी संतान उनकी संतान के समान ही है; फिर भी देख लीजिए हमें अपने पुत्र-पुत्रियों को दास होने के लिए सौंपने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. हमारी कुछ पुत्रियां तो पहले ही ज़बरदस्ती बंधक बना ली गई हैं. अब हम निस्सहाय रह गए हैं, क्योंकि हमारे खेत और अंगूर के बगीचे अब दूसरों के अधिकार में चले गए हैं.”

6उनकी शिकायतें और बातें सुन मैं बहुत ही क्रोधित हो गया. 7मैंने अपने मन में सोचा, फिर ऊंचे पदाधिकारियों और शासकों से भी सलाह ली और फिर मैंने उनसे कहा, “आप में से हर एक अपने ही भाई-बन्धु से ज़बरदस्ती ब्याज वसूली कर रहा है!” इसलिये मैंने उनके विरुद्ध एक बड़ी सभा की. 8उनसे मैंने कहा, “हमने अपनी शक्ति भर उन यहूदी भाई-बंधुओं को दाम देकर उन देशों से छुड़ाया है, जहां उन्हें बेच दिया गया था. अब क्या आप लोग इन्हें दोबारा उन्हीं को बेचते जाएंगे, कि हमें उन्हें एक बार फिर उनसे खरीदना पड़े?” वे चुप रहे और अपने बचाव में कहने के लिए उनके पास कुछ भी न था.

9मैंने उन्हें दोबारा चेतावनी दी, “आप जो कुछ कर रहे हैं, वह गलत है. हमारे शत्रु देश हमारी निंदा करें, इस बात का ध्यान रखते हुए क्या यह सही नहीं कि आप अपने परमेश्वर का भय मानकर चलें? 10खुद मैंने, मेरे भाइयों ने और मेरे सेवकों ने उन्हें उधार के रूप में सिक्‍के और अनाज देना शुरू कर दिया है. कृपा कर हम उनसे यह ज़बरदस्ती भुगतान कराना बंद कर दें. 11कृपा कर आज ही उन्हें उनके खेत, अंगूर के बगीचे, उनके जैतून के बगीचे और उनके घर उन्हें लौटा दें. इसके अलावा उनका धन, अनाज, नई दाखमधु और तेल का सौवां भाग भी, जो आप उनसे ज़बरदस्ती ले रहे है.”

12उन्होंने इसके उत्तर में कहा, “हम उन्हें यह सब लौटा देंगे, उनसे कुछ भी ज़बरदस्ती नहीं लेंगे. वही करेंगे, जो आप के द्वारा सुझाया गया है.”

तब मैंने पुरोहितों को बुलवा लिया और उनसे यह शपथ ले ली कि वे इस प्रतिज्ञा के अनुसार ही करेंगे. 13तब मैंने अपने बाहरी कपड़े के सामने का छोर झटकते हुए कहा, “परमेश्वर ऐसे हर एक मनुष्य को उसके घर से और उसकी संपत्ति से ठीक उसी प्रकार झटक दे, जो इस शपथ को पूरी न करेगा, यहां तक कि उसे इस तरह हिला दिया जाए कि वह पूरी तरह खाली ही हो जाए.”

यह सुन सारी सभा कह उठी, “आमेन!” और उनके मुंह से याहवेह की स्तुति निकली. लोगों ने अपनी शपथ के अनुसार ही किया.

14राजा अर्तहषस्ता के राज्य-काल के बीसवें साल से बत्तीसवें साल तक; बारह साल, जिस दिन से मुझे यहूदिया का राज्यपाल बनाया गया था, न तो मैंने और न मेरे रिश्तेदारों ने राज्यपाल के लिए तय किया गया भोजन खाया. 15मुझसे पहले के राज्यपालों ने तो प्रजा पर भारी बोझ लाद दिया था. वे उनसे उनका भोजन और अंगूरों का रस छीन लिया करते थे, साथ ही चांदी के चालीस शकेल भी; यहां तक कि उनके साथी सेवक तक प्रजा का शोषण किया करते थे. परमेश्वर का भय मानने के कारण मैं ऐसा न कर सका. 16मैंने खुद को शहरपनाह बनाने के काम में लगा दिया. हमने कोई भी ज़मीन नहीं खरीदी. मेरे सभी सेवक इस काम के लिए वहां इकट्‍ठे हो जाते थे.

17मेरे भोजन की मेज़ पर हमारे पास के देशों से आए लोगों के अलावा एक सौ पचास यहूदी और अधिकारी हुआ करते थे. 18मेरे हर रोज़ के भोजन के लिए एक बैल, छः सबसे अच्छी भेड़ें और कुछ पक्षी तैयार किए जाते थे. दस दिन में एक बार तरह-तरह की दाखमधु बड़ी मात्रा में परोसी जाती थी. इतना सब होने पर भी मैंने राज्यपाल के लिए ठहराया गया भोजन नहीं मंगवाया; क्योंकि वैसे भी प्रजा बोझ के नीचे दबी जा रही थी.

19मेरे परमेश्वर, मेरे द्वारा इस प्रजा के हित में किए गए सभी कामों के लिए मुझे याद रखियेगा.