启示录 16 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

启示录 16:1-21

1我听见殿中有宏亮的声音对七位天使说:“去将那盛满上帝烈怒的七个碗倾倒在地上。”

2第一位天使离去,将碗倒在了地上,那些有怪兽的印记、敬拜兽像的人身上长出奇痛无比的毒疮。

3第二位天使将碗倒在了海洋里,海水变得像死人的血,海中的活物都死光了。

4第三位天使将碗倒在了江河与水泉里,水就变成了血。 5我听见掌管各水源的天使说:

“昔在今在的圣者啊!

你是公义的,

因为你施行了审判。

6由于他们流了众圣徒和先知们的血,

现在你使他们喝血,

这正是他们应得的报应。”

7我又听见从祭坛发出的声音说:

“是的,全能的主上帝,

你的判决真实公义。”

8第四位天使将碗倒在太阳上,太阳就变得炙热如火,可以灼伤人。 9人们被炙热灼伤,就亵渎掌管这些灾祸的上帝的名,他们毫无悔意,不肯归荣耀给上帝。

10第五位天使将碗倒在那海中怪兽的座位上,它的国便被黑暗笼罩,它的国民痛苦难当,咬自己的舌头。 11他们因为痛苦和毒疮就亵渎天上的上帝,不肯为自己的所作所为悔改。

12第六位天使将碗倒在幼发拉底大河上,河水立刻干了,为东方各国的王预备了道路。 13我又看见三个像青蛙一样的污鬼分别从巨龙、怪兽和假先知的口里跳出来。 14其实它们都是鬼魔的灵,能行奇迹。它们到普天下召集各王,预备在全能上帝的大日子来临时聚集争战。

15“看啊!我要像贼一样出其不意地来到。那警醒等候,看守自己衣裳,不致赤身行走蒙受羞辱的人有福了。”

16鬼魔把众王召集到一个希伯来话叫哈米吉多顿的地方。

17第七位天使将碗倒在空中时,从殿里的宝座上传出响亮的声音说:“成了!” 18随后雷电交加,伴随着巨响,还有空前剧烈的大地震。 19巴比伦大城裂作三段,其他各国的城邑也都倒塌了。上帝并没有忘记巴比伦大城的罪恶,要把那杯盛满祂烈怒的酒给她喝。 20海岛都沉没了,山岭也都不见了, 21又有重达三十四公斤16:21 三十四公斤”希腊文是“一他连得”。的巨型冰雹从天而降,打在世人身上。世人无法忍受这极大的灾祸,就亵渎上帝。

Hindi Contemporary Version

प्रकाशन 16:1-21

परमेश्वर के क्रोध के सात कटोरे

1तब मुझे मंदिर में से एक ऊंचा शब्द उन सात स्वर्गदूतों को संबोधित करते हुए सुनाई दिया: “जाओ! परमेश्वर के क्रोध के सातों कटोरों को पृथ्वी पर उंडेल दो.”

2इसलिये पहले स्वर्गदूत ने जाकर अपना कटोरा पृथ्वी पर उंडेल दिया. परिणामस्वरूप उन व्यक्तियों को, जिन पर उस हिंसक पशु की मुहर थी तथा जो उसकी मूर्ति की पूजा करते थे, कष्टदायी और घातक फोड़े निकल आए.

3दूसरे स्वर्गदूत ने जब अपना कटोरा समुद्र पर उंडेला तो समुद्र मरे हुए व्यक्ति के लहू जैसा हो गया और समुद्र के हर एक प्राणी की मृत्यु हो गई.

4तीसरे स्वर्गदूत ने जब अपना कटोरा नदियों और पानी के सोतों पर उंडेला तो वे लहू बन गए. 5तब मैंने सारे जल के अधिकारी स्वर्गदूत को यह कहते हुए सुना:

“आप, जो हैं, जो थे,

धर्मी हैं, परम पवित्र, उचित हैं आपके निर्णय,

6इसलिये कि उन्होंने पवित्र लोगों और भविष्यद्वक्ताओं का लहू बहाया,

पीने के लिए उन्हें आपने लहू ही दे दिया, वे इसी योग्य हैं.”

7तब मैंने समर्थन में वेदी को यह कहते हुए सुना:

“सच है, प्रभु सर्वशक्तिमान परमेश्वर,

उचित और धर्मी हैं आपके निर्णय.”

8चौथे स्वर्गदूत ने जब अपना कटोरा सूर्य पर उंडेला तो सूर्य को यह अधिकार प्राप्‍त हो गया कि वह मनुष्यों को अपनी गर्मी से झुलसा दे. 9इसलिये मनुष्य उस बहुत गर्म ताप से झुलस गए और वे परमेश्वर के नाम की, जिन्हें इन सब विपत्तियों पर अधिकार है, शाप देने लगे. उन्होंने पश्चाताप कर परमेश्वर की महिमा करने से इनकार किया.

10पांचवें स्वर्गदूत ने जब अपना कटोरा उस हिंसक पशु के सिंहासन पर उंडेला तो उसके साम्राज्य पर अंधकार छा गया. पीड़ा के कारण मनुष्य अपनी जीभ चबाने लगे. 11पीड़ा और फोड़ों के कारण वे स्वर्ग के परमेश्वर को शाप देने लगे. उन्होंने अपने कुकर्मों से पश्चाताप करने से इनकार किया.

12छठे स्वर्गदूत ने जब अपना कटोरा महानद यूफ़्रातेस पर उंडेला तो उसका जल सूख गया कि पूर्व दिशा के राजाओं के लिए मार्ग तैयार हो जाए. 13तब मैंने तीन अशुद्ध आत्माओं को जो मेंढक के समान थी; उस परों वाले सांप के मुख से, उस हिंसक पशु के मुख से तथा झूठे भविष्यवक्ता के मुख से निकलते हुए देखा. 14ये वे दुष्टात्माएं है, जो चमत्कार चिह्न दिखाते हुए पृथ्वी के सभी राजाओं को सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस न्याय-दिवस पर युद्ध करने के लिए इकट्ठा करती हैं.

15“याद रहे: मैं चोर के समान आऊंगा! धन्य वह है, जो जागता है और अपने वस्त्रों की रक्षा करता है कि उसे लोगों के सामने नग्न होकर लज्जित न होना पड़े.”

16उन आत्माओं ने राजाओं को उस स्थान पर इकट्ठा किया, जो इब्री भाषा में हरमागेद्दौन कहलाता है.

17सातवें स्वर्गदूत ने जब अपना कटोरा वायु पर उंडेला, और मंदिर के सिंहासन से एक ऊंचा शब्द सुनाई दिया, “पूरा हो गया!” 18तुरंत ही बिजली की कौंध, गड़गड़ाहट तथा बादलों की गर्जन होने लगी और एक भयंकर भूकंप आया. यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि पृथ्वी पर ऐसा भयंकर भूकंप मनुष्य की उत्पत्ति से लेकर अब तक नहीं आया था—इतना शक्तिशाली था यह भूकंप 19कि महानगर फटकर तीन भागों में बंट गया. सभी राष्ट्रों के नगर धराशायी हो गए. परमेश्वर ने बड़े नगर बाबेल को याद किया कि उसे अपने क्रोध की जलजलाहट का दाखरस का प्याला पिलाएं. 20हर एक द्वीप विलीन हो गया और सभी पर्वत लुप्‍त हो गए. 21आकाश से मनुष्यों पर विशालकाय ओले बरसने लगे और एक-एक ओला लगभग पैंतालीस किलो का था. ओलों की इस विपत्ति के कारण लोग परमेश्वर को शाप देने लगे क्योंकि यह विपत्ति बहुत असहनीय थी.