利未记 7 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

利未记 7:1-38

祭司献赎过祭的条例

1“以下是献赎过祭的条例。

“赎过祭是至圣的。 2要在杀燔祭牲的地方宰赎过祭祭牲,祭牲的血要洒在祭坛周围。 3要献上祭牲的所有脂肪,包括肥尾巴、遮盖内脏的脂肪、 4两个肾脏和肾脏上靠近腰部的脂肪以及肝叶。 5祭司要在坛上焚烧这一切,作为献给耶和华的火祭。这是赎过祭。 6祭司家的任何男子都可以吃剩下的祭肉,但要在圣洁之处吃,因为这是至圣之物。 7祭物要归主持祭礼的祭司,这一条例也适用于赎罪祭。 8燔祭牲的皮要归主持祭礼的祭司。 9至于素祭,不论是用炉烤的,还是用平底锅或煎锅做的,都要归主持祭礼的祭司。 10但调油的或干的素祭要归亚伦的子孙,由他们均分。

献平安祭的条例

11“以下是向耶和华献平安祭的条例。

12“如果有人为感谢耶和华而献平安祭,除了献祭牲以外,要一同献上调油的无酵饼、涂油的无酵薄饼及调油的细面饼, 13也要一同献上有酵饼。 14他要从每种饼中各取一个,作为举祭献给耶和华。举祭归洒平安祭祭牲血的祭司。 15至于祭牲的肉,要在献祭的当天吃完,不可留到次日早晨。 16如果是自愿献的或为了还愿而献的祭物,要在当天吃祭肉,剩下的可以留到第二天吃。 17但到第三天,必须烧掉剩下的祭肉。 18如果第三天仍然吃,所献的祭便不蒙悦纳,毫无价值,是不洁净的。吃的人要自担罪责。

19“祭肉如果接触到任何不洁之物,就不可以吃,要烧掉。洁净的人都可以吃平安祭的祭肉。 20如果有人不洁净,却吃献给耶和华的平安祭祭肉,要将他从民中铲除。 21如果有人接触到人或兽的不洁之物,或任何不洁的可憎之物,又吃献给耶和华的平安祭祭肉,要将他从民中铲除。”

22耶和华对摩西说: 23“你把以下条例告诉以色列人。

“你们不可吃牛、绵羊或山羊的脂肪。 24自然死亡或被野兽咬死的动物的脂肪也不可吃,但可以作其他用途。 25无论谁吃了献给耶和华的火祭祭牲的脂肪,都要将他从民中铲除。 26你们无论住在哪里,都不可吃鸟和兽的血。 27凡吃血的,要将他从民中铲除。”

28耶和华对摩西说: 29“你把以下条例告诉以色列人。

“凡向耶和华献平安祭的,都要从平安祭中取出一份献给耶和华作礼物。 30他要亲手将这献给耶和华的火祭带来,将祭牲的脂肪和胸肉带来,在耶和华面前将胸肉摇一摇,当作摇祭献上。 31祭司要把脂肪放在坛上焚烧,胸肉归亚伦及其子孙。 32你们要把祭牲的右腿献为举祭,归给祭司。 33要把右腿归给亚伦子孙中献平安祭的血和脂肪的那位祭司。 34因为耶和华已经从以色列人献的平安祭中,把作摇祭的胸肉和作举祭的腿肉赐给祭司亚伦及其子孙。他们在以色列人中要永远享有这一份。 35亚伦及其子孙受膏为祭司事奉耶和华开始,在献给耶和华的火祭中,这是他们应得之份。 36祭司受膏之日,耶和华就命令以色列人把这部分祭肉分给他们,这是他们世世代代应得之份。”

37以上是献燔祭、素祭、赎罪祭、赎过祭、平安祭和授圣职时所献之祭的条例。 38这些条例是耶和华在西奈山上吩咐摩西的。同一天,摩西命令以色列人在西奈旷野向耶和华献祭。

Hindi Contemporary Version

लेवी 7:1-38

दोष बलि

1“ ‘दोष बलि जो कि परम पवित्र है, उसके लिए तय की गयी विधि यह है: 2जिस स्थान पर वे होमबलि के लिए निर्धारित पशु का वध करते हैं, उसी स्थान पर दोष बलि के लिए निर्धारित पशु का भी वध किया जाए और वह उसके रक्त को वेदी के चारों ओर छिड़क दे. 3फिर वह इसकी सारी चर्बी अर्थात् मोटी पूंछ तथा वह चर्बी, जो आंतों को ढकती है, 4दोनों गुर्दे चर्बी के साथ, जो कमर पर है, तथा कलेजे की ऊपर की झिल्ली, गुर्दों सहित अलग कर भेंट करें. 5पुरोहित याहवेह को इसे होमबलि के रूप में वेदी पर अग्नि में जला दे; यह दोष बलि है. 6पुरोहितों में से हर एक पुरुष इसको खा सकता है. इसको पवित्र स्थान में ही खाया जाए; यह परम पवित्र है.

7“ ‘दोष बलि पापबलि के ही समान है, उनके लिए एक ही विधि है; इसको वही पुरोहित खाए, जो इसके द्वारा प्रायश्चित पूरा करता है. 8वह पुरोहित, जो किसी व्यक्ति के लिए होमबलि भेंट करता है, होमबलि के उस पशु की खाल, जो उसने भेंट की है, स्वयं के लिए रख ले. 9उसी प्रकार हर एक अन्‍नबलि, जो तंदूर या कड़ाही में, अथवा तवे पर पकाया गया है, वे सभी कुछ उसी पुरोहित की होगी, जो उसे भेंट करता है. 10हर एक अन्‍नबलि, चाहे तेल मिली हो, या तेल रहित, अहरोन के सभी पुत्रों को समान मात्रा में मिलेगी.

मेल बलि

11“ ‘उन मेल बलियों के लिए, जो याहवेह के सामने चढ़ाई जाएं, उनके लिए विधि यह है:

12“ ‘यदि वह इसे आभार के रूप में भेंट करता है, तो वह आभार-बलि के साथ तेल से सनी हुई खमीर रहित रोटी, तेल से चुपड़ी पपड़ी तथा तेल से सनी हुई मैदे की रोटी भेंट करे. 13आभार के रूप में भेंट की गई अपनी मेल बलियों के बलि पशु के साथ वह खमीर युक्त रोटी भी भेंट करे. 14वह ऐसी हर एक बलि में से एक-एक रोटी याहवेह को अंशदान के रूप में भेंट करे; यह उसी पुरोहित की होगी, जो मेल बलि के पशु के रक्त को छिड़कता है. 15आभार के रूप में भेंट की गई मेल बलियों की बलि के मांस को उसकी बलि के दिन ही खा लिया जाए. वह प्रातः तक इसमें से कुछ भी बचाकर न रखे.

16“ ‘किंतु यदि उसकी बलि एक मन्नत अथवा स्वेच्छा बलि है, तो उसको उस दिन खाया जाए जिस दिन उसने इसे अर्पित किया हो, तथा शेष अंश को अगले दिन खाया जा सकता है. 17किंतु यदि उस बलि के मांस में से तीसरे दिन कुछ बचा रह गया है, तो अग्नि में उसे जला दिया जाए. 18इसलिये यदि वह मेल बलि के पशु के मांस को तीसरे दिन खा लेता है, जिसने उसे भेंट किया है, न तो वह बलि स्वीकार होगी और न ही उसके लिए लाभदायक. यह एक आपत्तिजनक कार्य है, और जो कोई व्यक्ति इसको खाता है, वह स्वयं अपना दोष उठाएगा.

19“ ‘जिस मांस का स्पर्श किसी अपवित्र वस्तु से हो जाए, उसको खाया न जाए; इसे अग्नि में जला दिया जाए. हर एक, जो शुद्ध है इसको खा सकता है, 20किंतु अपनी अशुद्धता में कोई व्यक्ति मेल बलियों की बलि के उस मांस को खा लेता है, जो याहवेह का है, तो उसे लोगों के मध्य से हटा दिया जाए. 21यदि कोई व्यक्ति किसी अशुद्ध वस्तु का स्पर्श कर लेता है; चाहे वह मानव मलिनता हो अथवा कोई अशुद्ध पशु अथवा कोई अशुद्ध घृणित वस्तु हो, और वह मेल बलियों की बलि के उस मांस को खा लेता है, जो याहवेह को अर्पित है, तो उसे उसके लोगों के मध्य से हटा दिया जाए.’ ”

चर्बी खाना मना है

22याहवेह ने मोशेह को यह आदेश दिया, 23“इस्राएल की प्रजा को यह आदेश दो, ‘तुम किसी बैल, भेड़ अथवा बकरी की चर्बी को न खाना. 24उस पशु की चर्बी को भी, जिसकी स्वाभाविक मृत्यु हो चुकी है, या जो वन-पशुओं द्वारा मार डाला गया है. तुम उसे किसी अन्य उपयोग के लिए तो रख सकते हो, किंतु निश्चयतः उसको खाना मना है. 25जो व्यक्ति उस पशु की चर्बी को खाता है, जिसे याहवेह को अग्निबलि के रूप में भेंट किया गया है, उसे उसके लोगों के मध्य से हटा दिया जाए. 26तुम अपने घर में किसी पशु अथवा पक्षी के रक्त को न खाना. 27जो भी व्यक्ति किसी भी रक्त को खाता है, उसे भी उसके लोगों के मध्य से हटा दिया जाए.’ ”

पुरोहित का हिस्सा

28याहवेह ने मोशेह को यह आदेश दिया, 29“इस्राएल की प्रजा को यह आदेश दो, ‘वह व्यक्ति, जो याहवेह को अपनी मेल बलियां भेंट करता है, याहवेह को उसी मेल बलि में से एक हिस्सा अपनी भेंट के रूप में चढ़ाए, 30और वह स्वयं अपने हाथों में याहवेह को होमबलि के लिए चर्बी एवं छाती लेकर आए, कि छाती याहवेह के सामने लहराने की बलि के रूप में भेंट की जाए. 31पुरोहित चर्बी को तो वेदी पर अग्नि में जला दे, किंतु छाती अहरोन और उनके पुत्रों की है. 32तुम अपनी मेल बलियों की बलियों में से दाहिनी जांघ पुरोहित को दे देना. 33अहरोन के पुत्रों के मध्य से जो पुत्र मेल बलियों के रक्त और चर्बी को भेंट करता है, दाहिनी जांघ उसके अंशदान के रूप में उसी की होगी. 34क्योंकि इस्राएल की प्रजा से मैंने उनकी मेल बलियों की बलियों में से लहराने की बलि के रूप में भेंट की गई छाती, और अंशदान की जांघ को लेकर उसे पुरोहित अहरोन और उनके पुत्रों को दिया गया है. यह इस्राएल की प्रजा से सर्वदा के लिए पुरोहित अहरोन और उनके पुत्रों को अधिकार के रूप में दे दिया है.’ ”

35यह वह अंश है, जो याहवेह की अग्निबलियों में से अहरोन और उनके पुत्रों के लिए है; जिस दिन से उसने उन्हें याहवेह के सामने पौरोहितिक सेवा के लिए प्रस्तुत किया. 36जिस दिन उनका अभिषेक किया गया, उस दिन याहवेह ने इस्राएल की प्रजा से उन्हें यह वस्तुएं देने का आदेश दिया है. पीढ़ियों से पीढ़ियों तक सर्वदा के लिए यह उनका अधिकार है.

37उपरोक्त विधि; होमबलि, अन्‍नबलि, पापबलि, दोष बलि, संस्कार बलि तथा मेल बलियों के भेंट के लिए है. 38इसके विषय में आदेश याहवेह ने मोशेह को सीनायी पर्वत पर उस दिन दिए थे, जिस दिन याहवेह ने इस्राएल की प्रजा को सीनायी की मरुभूमि में याहवेह के लिए अपनी बलियां प्रस्तुत करने का आदेश दिया था.